मै समीर लाल बोल रहा हूँ



वर्ष 2008 मेरी ब्‍लागिंग के लिये अब तक अच्छा ही जा रहा है। काफी कुछ अच्छा ही अच्छा घटित हो रहा है। आज श्री समीर लाल जी से मेरी बात हुई। पिछले दो दिनों से उनकी टिप्पणी का रैला देख कर लग रहा था कि उड़न तश्‍तरी कनाड़ा पहुँच गई। मन में गुस्सा तो बहुत था कि इतने वायदे किया आज तक एक भी पूरा नही किया। चाहे वह कनाड़ा की बर्फ की तस्वीर हो, या हर पोस्ट पर टिप्पणी करने का वायदा या फिर भारत यात्रा के दौरान मिलने का, एक भी पूरा नही किया। गुस्से के मारे मन कर रहा था कि लालों के लाल श्री समीर लाल जी पर पोस्ट लिख दूँ किन्तु समय ही नहीं मिल रहा था। किन्तु आज एक फोन आया मुझे लगा कि यह कवि कुलवंत जी का होगा क्योंकि वह आज ही आने वाले थे और पहुँचते ही फोन करने को कहा था, किन्तु जब आवाज आई कि मैं समीर लाल बोल रहा हूँ तो खुशी का ठिकाना नहीं था। मेरी कुशल क्षेम पूछी और कुछ इधर उधर की गपशप हुई। अन्त में 27 तारीख को इलाहाबाद से गुजरेंगे और फिर होगी एक और ब्‍लागर मीट इलाहाबाद जंक्‍शन पर। :) श्री समीर लाल जी ने ज्ञानजी को भी सूचित करने को कहा है रात काफी हो गई है अब उनको फोन कल ही करूँगा। पोस्‍ट खत्‍म होते होते कवि कुलवंत जी का भी फोन आ गया कल 11 बजे हिन्‍दुतानी एकेडमी में उनसे मिलने का कार्यक्रम बना है, जहां उन्हें सम्मानित किया जाना है। उन्‍हे सम्मानित किये जाने की हार्दिक बधाई।


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आलोक पुराणिक को हरा दिया, और कह रहे हो कि हार गये



तरकश का पुरस्कार भी हिन्दी ब्‍लागिंग के ब्लागर के लिये भारत रत्न से कम नहीं है। :) इसका अनुमान मुझे तब पता चला कि जब मेरे मित्र तारा चन्द्र ने मुझसे पूछा कि क्या हुआ चुनाव का परिणाम? हमने तो कहा कि हम तो हार गये, और यह कहते हुए मैंने परिणाम का लिंक उसे भेज दिया। पर मुझे तब उनकी बात पर इतनी हंसी आई की मैं उसे रोक नहीं सका कि जब उसने कहा कि (श्री) आलोक पुराणिक जी को हरा दिया, और कह रहे हो कि हार गये। निश्चित रूप से उसके यह शब्द प्रोत्साहन देने वाले थे। वाकई में आलोक पुराणिक को हम और वो तब से पढ़ रहे थे जब से जागरण जोश में उनका प्रपंचतंत्र आता था और मित्र का कहना भी गलत नही था। उनका यह कहना मात्र हास्य था क्योंकि यह चुनाव किसी की जीत या हार का नही था बल्कि आपसी प्रेम व्यवहार का था।
आलोक पुराणिक

मैंने शुरूवाती तौर पर इस चुनाव के लिये कोई तैयारी नहीं कि थी, और प्रथम दौर में अपना नाम देख कर आश्चर्य भी हुआ क्योंकि मैंने दोनों दौर में अपने को वोट नहीं दिया था। मेरा इस चुनाव में सक्रिय न होने का प्रमुख कारण था कि मेरी मास्टर डिग्री की परीक्षाओं, इन परीक्षाओं के चलते मैंने मित्र से कहा कि मैं रुचि नहीं ले रहा हूँ किन्तु मित्र ने कहा कि जब बिना प्रयास के प्रथम दस में आ गये हो तो थोड़ा जोर लगाओगे तो जीत भी हाथ आ सकती है, पर मैंने असमर्थता जता दी। पर मित्रता इसी को कहते है कि उसने कहा कि तुम मुझे अपना चुनाव एजेंट तो बना ही सकते हो बाकी का काम मैं कर दूँगा, मैंने भी हां कर दिया। बस उसकी शर्त यही थी कि अपने मेल से सभी को एक बार मेल कर दो, मैंने ऐसा कर भी दिया। बाकी जो कुछ भी हुआ मित्र तारा चंद्र का कमाल है कि इस मुझे चौथे स्थान पर ला कर खड़ा कर दिया। :) इस चुनाव में मुझे जो सम्मान दिया गया शायद ही मै उसका अधिकारी होता क्योंकि इस चुनाव में मुझे ज्ञानजी, गुरूजी श्री आलोक जी, शास्त्री जी, और युनुश खान भाई के समकक्ष खड़ा होने का अवसर प्रदान किया। अत: आप सभी के प्यार को मैं कभी भुला नहीं पाऊँगा। आप सभी पाठकों का कोटिश: धन्यवाद। वैसे मित्र तारा चंद्र जो इस चुनाव में मेरे एजेन्‍ट की भूमिका में थे वे भी अपनी रिर्पोट प्रस्तुत करने को कह रहे थे, किन्तु अब वे परीक्षा कार्य में व्यस्त होने के कारण नहीं कर पा रहे है आशा है कि जल्द ही वे आयेंगे :) आप सभी को पुन: आपके स्नेह के लिये धन्यवाद।


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5 सेकेंड की चूक हो जाती तो यह मेरी अन्तिम चिट्टाकार भेंटवार्ता होती!



आते आते 13 फरवरी भी निकट आ गई, इसमें 13-14 का कोई सम्बन्‍ध नही है। 13 फरवरी को महाशक्ति समूह के वरिष्‍ठ लेखक एवं कवि श्री आशुतोष मिश्र ‘मासूम’ अपने गृहनगर जमशेदपुर से दिल्ली पुरूषोत्‍तम एक्‍सप्रेस से जाने वाले थे इसकी सूचना तीन दिनों पूर्व उन्होने मुझे काल करने तीन चार दिनों पहले दी‍ थी।

कल सुबह ही मैने उनके मोबाइल पर काल किया किन्‍तु कोई उत्तर नही मिला फिर मैने उनके निवास पर कॉल किया तो उनके पिताजी ने फोन उठाया और काफी अच्छी तरह से बात की और मुझे पूरी वस्‍तु स्थिति से अवगत कराया कि बंगलौर का सिम होने के कारण रोमिग में होने के कारण बात नही हो पा रही थी। फिर मै भी कुछ देर शान्त होकर बैठ गया कि जब बर्थ नम्‍बर नही पता है तो मिलना कैसे होगा। और कुछ कुछ समय पर काल करता रहा।
 
फिर शाम को अपने दिमाग की चिकरघिन्‍नी दौड़ई और पहुँच गया आरकुट की शरण में, क्‍योकि जब फोन पर आशुतोष जी से बात हुई थी तो उन्‍होने बताया था कि उनके बंगलौर के एमबीए के कुछ मित्र इलाहाबाद में रहते है वह उनके मिलने वाले है, आरकुट की शरण में पहुँच कर उनके मित्र अविराम जी को काल किया और पूरी वस्‍तु स्थिति से अवगत कराया और उन्‍होने मुझे ट्रेन के बारे में पूरी जानकारी दी। जानकारी पाकर मैने भारतीय रेलवे की साईट पर ट्रेन की समय देखा तो वह 6.50 पर राईट टाईम थी कि वह जंक्शन पर 7.10 पर आ जायेगी। मेरे पास अब मात्र 20 मिनट था स्‍टेशन पहुचने के लिये, तुरंत ही राजकुमार को फोन किया तैयार हो जाओं कहीं चलना है। राजकुमार का निवास मेरे घर से करीब 4 किमी की दूरी पर है किसी ने किसी तरह मै 10 मिनट में स्‍टेशन और जानसेनगंज की भीड़ को पार करते हुऐ 10 मिनट में राजकुमार के यहॉं पहुँच गया और जिन्‍दगी में पहली बार पाया कि राजकुमार आज समय से तैयार है, मन को प्रसन्नता हुई। फिर तुरंत पतली गली से जंक्शन की ओर निकल लिया जहॉं से जंक्शन 1 एक किमी पड़ता समय 7.12 के आस-पास हो रहे थे और ट्रेन छूटने में 8 मिनट शेष थे हम लोग किसी ने किसी प्रकार 4 मिनट में जक्शन के काफी निकट पहुँच गये पहले प्लेटफार्म नम्‍बर 5 दिख रहा था जहॉं पर दिख रहा था कि एक ट्रेन खड़ी है हम लोगों ने यहॉं से भी शॉटकट मारने की कोशिश की ताकि समय बचाया जा सकें और पटरी के बीचेा बीच एक निक पड़े, ताकि बाकि 3 मिनट में मिलना होगा तो मिल ही लेगें। जब पटरी से पार करने लगे तो पूर्व दिशा से एक ट्रेन आती हुई दिखी और हम उसे पार कर गये किन्‍तु पश्चिम की ओर मैने कोई ध्‍यान नही दिया, जबकि उधर से भी ट्रेन आ रही थी इसका आभास मुझे तब हुआ कि जब हम दोनो के पटरी से प्‍लेटफार्म पर चड़ने के 5 सेकेड के अन्‍दर ही पश्चिम की दिशा से आने वाली ट्रेन पटरी से गुजर गई। और उसके गुजरने के बाद पूर्व वाली ट्रेन गुजरी जिसको हम लोग देख रहे थे। उस ट्रेन के गुजरने के बाद मै तो हक्काबका रह गया क्‍योकि हमारे द्वारा 5 सेकेड की देरी हमारे लिये यह अन्तिम ब्‍लागर मीट हो सकती थी। सबसे बड़ी गलती हमारी ही थी किन्‍तु एक उस ट्रेन ने स्‍टेशन पर पहुँचने पर एक बार भी हार्न नही दिया जबकि पूरब वाली लगा तार दे रही थी। मै इस घटना को लेकर काफी देर तक सोचते रहे और पुरूषोत्‍तम के बारे में भूल ही गये। फिर अचानक हमें याद आया कि हम किसी अन्य उद्देश्‍य और देखा तो प्लेटफार्म नम्‍बर 5 या 6 पर जो ट्रेन है वह पुरूषोत्‍तम न होकर गोरखपुर बम्‍बई एक्‍सप्रेस है, हमें लगा कि ट्रेन छूट गई है। फिर स्टेशन पर एक विभागीय अधिकारी टहल रहे थे उनसे पूछा कि पुरूषोत्‍तम छूट गई क्‍या तो उन्‍होने के कहा कि वह प्लेटफार्म नम्‍बर 1 पर खड़ी है। हम चल दिये नम्‍बर एक की ओर, और जब समय सारणी देखा तो पता चला कि ट्रेन 30 मिनट लेट है।
 
आगे का हिस्‍सा अगले चरण में लिखूँगा कि बचे आधे घन्‍टे में हम दोनो ने क्‍या किया ? तथा 15 मिनट की संक्षिप्‍त ब्‍लागर मीट में क्‍या हुआ? आज जीवन में मुझे एक शिक्षा जरूर मिली कि जल्‍दबाजी ठीक नही होती, भगवान की कृपा है कि आज मै यह लेख लिख पा रहा हूँ। क्‍योकि दुर्घटना कभी बोल कर नही आती है।


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वैलेन्‍टाईन डे - टिप्‍पणी को लेख का दर्जा नही दिया जाना चाहियें



आज सुबह से वैलेन्‍टाईन डे पर लिखने को सोच रहा था, मैटर बहुत था किन्‍तु कहॉ से लिखूँ यह सोच पाना कठिन था। अचानक योगेश समदर्शी जी का लेख पढ़ा और लिखने का कोना मुझे मिल ही गया। अब मै टिप्‍पणी को लेख का दर्जा नही दूँगा, अगर आप योगेश जी के साथ मेरे विचार भी पढ़ना चाहे तो उक्‍त लिंक ("प्यार के व्यापारिकरण का उत्सव....") पर किल्‍क कर वही पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करें।

आप सभी को माता-पिता पूजन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं :)  महाशक्ति समूह - एक हो सारा भारत


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फेमली प्रॉब्लम



दो व्यक्ति एक बार में बैठे थे 
एक ने कहा .." यार.... बहुत बड़ी फेमिली प्रॉब्लम है "..
दूसरा व्यक्ति : तु पहले मेरी सुन...
मैंने एक विधवा महिला से शादी की जिसके एक लड़की थी ..कुछ दिनों बाद पता चला कि मेरे पिताजी को उस विधवा महिला कि पुत्री से प्यार है ...और उन्होने इस तरह मेरी ही लड़की से शादी कर ली ..अब मेरे पिताजी मेरे दामाद बन गए और मेरी बेटी मेरी माँ बन गयी....और मेरी ही पत्नी मेरी नानी हो गयी !!

ज्यादा प्रॉब्लम तब हुई जब जब मेरे लड़का हुआ ..अब मेरा लड़का मेरी माँ का भाई हो गया तो इस तरह मेरा मामा हो गया ....... परिस्थिति तो तब ख़राब हुई जब मेरे पिताजी को लड़का हुआ ....मेरे पिताजी का लड़का यानी मेरा भाई मेरा ही नवासा( दोहिता ) हो गया और इस तरह मैं स्वयम का ही दादा हो गया और स्वयं का ही पोता बन गया .....
" और तू कहता है कि तुझे फेमिली प्रॉब्लम है .". 
सूचना - ये रचना संकलन मात्र है, मेरी स्‍वयं की नही कै।


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चौपाटी में लाठी



भारत जैसे विशाल देश में, जब भाषा तथा क्षेत्रवाद को लेकर विवाद होते है तो कष्‍ट की अनुभूति होती है। मुझे मराठियों से काफी लगाव है इसका मुख्‍य कारण छत्रपति शिवाजी और काफी हद तक बाला साहब का व्‍यक्तित्‍व है। हाल के दिनों में जिस प्रकार मुम्‍बई में राज के सैनिकों ने तांडव किया वह यह दर्शाता है कि भारत में अभी भी क्षेत्रवाद का अंत नही है। 
तमिलनाडु से लेकर पूवोत्‍तर भारत राज्‍यों में जो दहशत देखने को मिलती है वह यह दर्शाता है कि भारत नागरिक आज भारत में भी सुरक्षित नही है। आज केन्‍द्र सरकार हो या राज्‍य सरकार आज अपने देश की सुरक्षा की गारंटी लेने को तैयार नही है। मेरे ख्‍याल से राज की मराठी व्‍यक्तियों को लेकर चिन्‍ता जायज है किन्‍तु उनका प्रर्दशन नाजायज था। पर यहॉं पर यह बात स्‍वीकार करने होगी कि जिनती चिन्‍ता राज ठाकरें को है शायद उतनी मराठियों को नही होगी। राज ठाकरे की नीयत महाराष्‍ट्र के अपनी पैठ बानने ही और वह इस नब्‍ज को दबा रहे है।
आज एक प्रश्‍न उठता है कि इस क्षेत्रवाद का अंत क्‍या होगा ? क्‍या सरकार को इस आतंरिक आतंकवाद को नियत्रण में करने का साहस नही है ? इस आंतरिक आंतंकवाद को देशद्रोह माना जाना चाहिए। और इसके पोषको को दण्डित किया जाना चाहिए ताकि भारत के सविधान की मूलभावना कि हम भारत के लोग को बरकरार रखा जा सकें।


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कुछ बातें ...



आज काफी दिनों बाद लिख रहा हूँ, चाहता हूँ कि कुछ न कुछ अच्‍छी खबरें ही सुनाऊँ, तो प्रस्‍तुत कुछ अच्छे काम जो युवाओं द्वारा किये जा रहे है-

अत्‍यंत हर्ष का विषय है कि हिन्‍द युग्‍म ने हिन्‍दी ब्‍लागिंग के क्षेत्र में दिनों दिन मील का पत्‍थर निर्माण करता चल रहा है। हाल के दिनों में युग्‍म के वरिष्‍ठ साथी श्री मोहिन्‍दर कुमार जी तथा श्रीमती रंजना भाटिया जी ने तरकश द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्‍थान प्राप्‍त किया। जो निश्चित रूप से किसी भी लेखक, कवि या समूह के लिये गर्व विषय होगा कि उनके साथी अथवा उनके सदस्‍य अपनी प्रतिभा का लोह मनवा रहे है। सर्व प्रथम इन दोनो साथियों को बधाई देना चाहूँगा।

अभी हाल में सूचना मिली की हमारे एक और वर‍िष्‍ठ साथी श्री सजीव सारथी के कुशल मार्ग दर्शन में कुछ साथियों ने पहला सुर नाम की संगीतमय प्रस्‍तुति प्रस्‍तुत किया है, जिसके लिये सजीव जी तथा उनके टीम की जितनी तारीफ की जाये कम होगी। इस सीडी के बारे में इतना जरूर कहना चाहूँगा कि इस संगीतमय प्रस्‍तुति में इसमें युग्‍म के विभिन्‍न कवियों के 10 कविताओं/गीतों को समाविष्‍ट किया गया है, तथा विभिन्‍न उम्दा नवोदित गायकों ने इसमें अपनी आवाज दिया है।

हिन्‍द युग्‍म की ओर से विश्‍व‍ पुस्तक मेले में, अपनी सहभागिता भी दिखाने का प्रयास किया है, इस मेले में युग्‍म का भी स्‍टाल लगा हुआ, आप सभी पाठको से नि‍वेदन है कि आप सभी एक बार अवश्‍य आपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर हमारें प्रयासों को देखे और हमें और कुछ नया करने के लिये प्रेरित करें। इस स्‍टाल पर आपको इस सीडी सहित अन्‍य समाग्रियॉं भी मिल जायेगी। आप सभी हाल नम्‍बर 12 ए, स्‍टैन्‍ड नम्‍बर एस1/10 वाणी प्रका‍शन के समाने जरूर पधारने का कष्‍ट कीजिएगा। याद रखिऐगा भूलियेगा मत :)


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चजइ - एग्रीगेटरों का युद्ध और चिट्ठाकार के बीच दूरियों के मध्‍य महाशक्ति समूह का हस्‍तान्‍तरण



कभी कभी लगता है कि हम किस रास्‍ते पर जा रहे है? ये प्रश्‍न आज मेरे मन मै कौध रहे है। इधर मेरी पर‍ीक्षाओं की तिथियॉं आ गई है और इसी 25 से प्रारम्‍भ हो रहा है, तब तक के लिये अवकाश ले रहा हूँ, इस पोस्ट का उद्देश्‍य महाशक्ति समूह के काम परिवर्तन के लिये था किन्‍तु पिछले दिनों मेरे ब्‍लाग पर जो कुछ भी हुआ उसके प्रति स्‍वभावगत लिखना जरूरी था।

सच कहूँ तो गत दिनों मेरे ब्‍लाग पर हुई वाकयुद्ध सहित कई विषयों से मन आहत हुआ था किन्‍तु किया भी क्‍या जा सकता है। मुझे लगता कि आज हिन्‍दी ब्‍लागिंग मे बहुत कुछ निरूद्देश्‍य से किया जा रहा है।

मुझे लगता है‍ कि यह हिन्‍दी ब्‍लागिंग का सबसे गिरा हुआ दौर है, जिसमें एक दूसरे के टॉंग खीचने का प्रयास किया जाता है। मेरा बहुत कुछ कहना ठीक नही है क्‍योकि आप लोग खुद ही बहुत समझदार हो। क्‍योकि मै जिस दौर में इस क्षेत्र में कदम रखा था वह दौर विवादों के बावजूद प्रेम और सौर्हाद का दौर दौर हुआ करता था किन्‍तु आज के दौर मेरा न कहना ही बहुत कुछ कहना है।

हिन्‍दी ब्‍लागिंग धूरियों पर बटता जा रहा है, और इन धूरियों का ही परिणाम है कि गाहे बागाहे छद्म शीत शुद्ध ब्‍लागिंग में भी शुरू हो जाता है। जहॉं तक ब्‍लागिंग कि बात करूँ तो आज भी कई ब्‍लाग गुमनामी के अधेरे में सभी एग्रीगेटरों पर होने के बाद भी है और कई ऐसे भी ब्‍लाग है जो किसी एग्रीगेटर पर नही है किन्‍तु अच्‍छी पाठक संख्‍या पा रहे है। एग्रीगेटरों को कतई यह नही समझना चाहिऐ कि चिट्ठाकार उनसे अपितु सच्‍चाई यही है कि एग्रीगेटर चिट्ठाकरों से है।

अगर अपने पाठको की बात करूँ तो सभी एग्रीगेटर से कुल पाठक के 40 प्रतिशत भी नही आते है यह जरूर है कि ब्‍लागवाणी सर्वाधिक पाठक भेजता है तो 25 से 30 प्रतिशत बैठता है। किन्‍तु ब्‍लागवाणी से मुझे सर्वाधिक पाठक मिलते है तो इसका यह अर्थ नही है कि चिट्ठाजगत, नारद और हिन्दी ब्‍लाग्स का महत्‍व कम हो रहा है क्‍योकि जो कुछ भी है पाठक वहाँ से भी आते है चाहे प्रतिशत भले ही कम क्‍यो न हो, संख्‍या भले ही कम हो किन्‍तु संख्‍या के महत्‍व को कभी नकारा नही जा सकता है।

अगर मै बात करूँ तो तीनों ब्‍लाग एग्रीगेटर में अन्‍तर की तो ब्‍लागवाणी अपनी विविधता में एकता के कारण लोकप्रिय है, कुछ समय तक चिट्ठाजगत भी अच्‍छा था किन्‍तु ज्‍यादा अच्‍छा बनने के चक्‍कर में जब से चिटठों का वर्गीकरण किया पाठको की कमी आयी है। रही बात नारद की तो नारद का पहले का स्‍वरूप बेहतर था किन्‍तु यह भी यही बीमारी से ग्रसित हो गया और प्रतीक जी की समयाभाव के कारण हिन्‍दी ब्‍लाग्‍स भी दम तोड रहा है। सभी एग्रीगेटर सहमत थे लिंक एक्‍सचेन्‍ज के किन्‍तु वह समझौता भी भारतीय राजनीतिक गठबन्‍धन की तरह टूट गया। खैर यह सब लगा रहेगा किन्‍तु जरूर है सम्‍न्‍वय की जो दिखाई ही नही अमल में लाई जानी चाहिऐ।

मेरी परीक्षाऐं जैसे ही खत्‍म होती है मै पुन: आऊँगा,क्‍योकि वक्‍त बदलने से महौल भी बदले किन्‍तु मुझे इसका भरोसा कम ही है। चूकिं महाशक्ति समूह से मेरा बहुत ही भावात्‍मक नाता है और भी मित्र गण उससे जुडे है इस कारण मेरे अनुपस्थिति के दौर महाशक्ति समूह की जिम्‍मेदारी श्री मानवेनद्र प्रताप सिंह जी निभाऐगें। महाशक्ति समूह पर किसी भी समस्‍या या बात के लिये अब आप उनसे ही सम्‍पर्क करेगें, किन्‍तु उनसे किसी भी प्रकार से सम्‍पर्क नही होता है तो आप मुझे सूचित कर सकते है।

मै टिप्‍पणी के माडरेशन का विरोधी हूँ कि पिछले दिनों जो कुछ भी मेरे ब्‍लाग पर हुआ उसके चलते मै अपनी अनुपस्थिति तक अपने ब्‍लाग की टिप्‍पड़ी को माडरेशन में रख रहा हूँ, ताकि इस छद्म युद्ध से बचा जा सकें।

चजइ के लिये मेरी पहली और अन्तिम प्रविष्‍टी पोस्‍ट कर रहा हूँ, ताकि यह न हो कि मैने प्रतियोगिता में भाग नही लिया :)

फिर मिलेगें नये समय में नये माहोल में अभी चलता हूँ ..........


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लीगल सेल भारतीय मजदूर संघ उत्तर प्रदेश



लीगल सेल भारतीय मजदूर संघ उ0प्र0 के तत्वाधान में श्रमविधियों में विसंगतियाँ और उनका समाधान विषय पर आयोजित सेमिनार में आपकी उपस्थित सादर प्रार्थनीय है।

भवदीय
लीगल सेल बी.एम.एस. उ.प्र.

दिनाँक - 12-जनवरी-2008
उद्धाटन - प्रात: 10.00 से 11.00 बजे तक
अल्पाहार - प्रात: 11.00 से 11.30 बजे तक
समापन सत्र - प्रात: 11.30 से अपरान्ह 1.00 बजे तक


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शीना के कारनामें और भी है



मुझ पर व्‍यक्तिगत आक्षेप करने वाली शीना, हिन्‍दी ब्‍लाग जगत में 5-6 माह से अपने जलवें दिखाती शीना को आखिर राजकुमार जी की पोस्‍ट में ऐसा क्‍या लिख दिया गया कि वह पॉंच माह के ब्‍लागिंग कैरियर को समाप्‍त कर दिया या फिर और कोई कारण है। जब मैने सोचा कि शीना के बारे मे कुछ जाना जाये तो मै गूगल महाराज की शरण में गया तो एक लिंक यह मिला जहॉं पर शीना के कुछ और लेख भी मौजूद थे, उनके ब्‍लाग से अन्‍यत्र लिखे गये थे अर्थात शीना ने अपने जाल में कईयो फांसा चुकी थी। आखिर शीना ने एक डाक्‍टर का ही वेश के क्‍यो धरा यह भी एक सोच‍नीय विषय है ? क्‍योकि उसे अनुमान था कि अपने पेशे से किया जाने वाला काम पर वह अच्‍छा लिख और लोगों को फॉंस सकती है।

अभी हिन्‍दी ब्‍लाग निदेशिका पर एक शीना जी के बारे में यह पढ़ने को मिला,


हिन्दी चिट्ठाजगत की एगनी आन्ट शीना राय पेशे से एक डॉक्टर हैं। ये चिट्ठा है पाठकों के लिए एक मंच जहाँ वे दिल खोलकर अपनी समस्यायें बता सकते हैं और समाधान पा सकते हैं।

भले ही शीना ने अपना ब्‍लाग डीलिट कर लिया है किन्‍तु उनकी ब्‍लागर प्रोफाईल अभी भी मौजूद है, और वर्तमान में एक ब्‍लाग पर वो लिख रही है।

शीना की सलाह
Gender: Female
Industry: Accounting
Occupation: डॉक्टर
Location: दिल्ली : India
About Me

नमस्कार मेरा नाम शीना राय हैं. पेशे से मैं एक डॉक्टर हूँ. पेश हैं आप के लिए एक मंच जहाँ आप दिल खोलकर अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं.किसी भी प्रकार की समस्या के लिए मुझे [email protected] पर मेल करे

मै शीना जी के बहुत पीछे नही पढ़ना चाहूँगा, जो गलत था वो चला गया किन्‍तु आज भी शीना के पन्‍ने मौजूँद है जो खोज का विषय हो सकता है। आज विभिन्‍न मुद्दों पर शीना की टिप्‍पणी मौजूद है वह दर्शाती है कि उनका ब्‍लागिंग में काफी दखल था।

इधर एक दो बातें मेरे ब्‍लाग पर और देखने को मिली कि किसी ने विपुल जी के नाम से मेरे ब्‍लाग पर वाहियात टिप्‍पणी की थी, और जब मैने उसे देखा तो मेरा भी माथा ठिनका और मै उसे डिलीट करने के लिये अग्रसर हो ही रहा था कि अचानक मेरे फोन पर एक घन्‍टी आई और कहा गया कि मै विपुल जैन बोल रहा हूँ, और उन्‍होने अपनी बात रखी और मैने भी अपनी बात रखी कि अगर आपका फोन न भी आता तो मै उसे तुरंत हटाने ही वाला था। विस्‍तृत लम्‍बी चर्चा के बाद मैने अपने विवेकानुसार टिप्‍पणी हटा दी जो हटाने योग्‍य थी।

इधर संजय भाई कि भी एक टिप्‍पणी दो एग्रीगेटरों की जंग को लेकर थी और उनका भी कहना था कि मेरी पहली टिप्‍पणी का उद्देश्‍य खत्‍म हो गया है उसे भी हटा दिया जाना चाहिए। मै एक बात स्‍पष्‍ट कर देना चाहता हूँ कि मै अपने ब्‍लाग को किसी वार का अड्डा नही बनने दूँगा। चाहे यह दो एग्रीगेटरों के बीच युद्ध हो या चार किन्‍तु रोटियॉं दोनो और चारों के बीच तीसरा और पॉंचवा खाता है। खैर यह विषय अगल है।

मै किसी को भी चाहे टिप्‍पणी या लेख या किसी और माध्‍यम से अपने ब्‍लाग को जंग का अखाड़ा नही बनाने दूँगा।
जय श्रीराम


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महाशक्ति से टकराने वाली शीना ने अपना ब्‍लाग डिलीट किया



मैने अपने पूर्व के लेख प्रयाग में महाशक्ति-भड़ास भेंटवार्ता में कहा था कि महाशक्ति हो कर लिखने के लिये जिगरा होने की जरूरत होती है। मैने अपने लेख तो क्‍या कंडोम सच्‍चर जी के काम आयेगें ? पर दो चार बातें क्‍या लिखी, एक शीना राय नामक भद्र महिला ने मेरे ऊपर बमक पड़ी और तो और जब मेरे मित्र राजकुमार ने व्‍यक्तिगत आक्षेप को लेकर व्‍यक्तिगत आक्षेप कितने सही ? लिखा तो उक्‍त भद्र महिला जो मेरे दादा परदादा ही हिस्‍ट्री जानने को उत्‍सुक थी, अपने ब्‍लाग शीना की सलाह का ही इतिहास गायब हो गया। आखिर यह सब क्‍या है? अगर मुझे पता होता कि बेमन से लिखी पोस्‍ट का इतना असर होता है कि एक ब्‍लाग डिलीट होना पड़े तो मै ऐसा कभी न करता।
शीना नाम से चाहे जो भी हो किन्‍तु एक ओर तो डाक्‍टर के वेश में एक बहुरूपिया नारी बनकर व्‍यक्तिगत आक्षेप लगाना कहॉं की बात है ? मैं नेट पर करीब 1.5 साल से लिख रहा हूँ, इस तरह की व्‍यक्तिगत आक्षेप मैने कभी किसी पर नही लगाये, जब तक की मुझे विवाश नही किया है, किन्‍तु अपने संज्ञान में मैने कभी भी ऐसा नही किया। शीना की सलाह मैने करीब 3-4 माह पहले देखा था और सोचा था कि कभी वक्‍त मिलने पर सलाह लूँगा, अच्‍छा हुआ कि मै बच गया नही तो बुरके जनाना की जगह मर्दाना पठ्ठा मिलता। मुझे तो हंसी आ रही है कि जो ब्‍लगार भाई शीना मैडम से चैगिंग किये होगे, और उनके बीच हुऐ डेट के वायदो का क्‍या होगा? :) कहीं मामला सोनू निगम के कास्टिंग काउच वाला न हो जाये :) खैर बहुत मजाक हो गया अब सीरियस बात करते है।
इधर एक और अच्‍छी बात देखने के मिली की महाशक्ति समूह में राजकुमार जी के सहासिक लेख के द्वारा एक शीना की सलाह नामक फर्जी ब्‍लाग बन्‍द हो गया, और इसके लिये महाशक्ति समूह और मित्रता की मूर्ति राजकुमार दोनो बधाई के पात्र है। यह सब हो गया किन्‍तु बात अभी खत्‍म नही हो रही है, आखिर शीना थी कौन जो अपना सीना चौड़ा कर ब्‍लागिंग में जहर घोलने का काम कर रही थी। निश्चित रूप से हिन्‍दी ब्‍लाग्‍स में ऐसे लोगों की कमी नही जो द्वेष भावना रखते है, जहॉं तक मै जानता हूँ कि मेरे व्‍यक्तिगत व्‍य‍वाहार से शायद ही मेरी कोई कभी निंदा किया हो, हॉं यह जरूर है कि लेखन के कारण कारण काफी निन्‍दा सहनी पड़ी है। पता नही शीना जी को मुझसे क्‍या बैर था कि मेरे हाथों एक सिखड़ी का वध हुआ! अगर शीना जी वास्‍तविकता में कोई होती तो अपना ब्‍लाग खत्‍म करने के बाजय वह पोस्‍ट हटाती, किन्‍तु मन में चोर होने पर सही बात सामने आ ही जाती है और वही हुआ भी कि फर्जी महिला के रूप में ब्‍लागिंग कर रही शीना को जाना पड़ा।
मेरे पिछले लेख में एक अनाम टिप्‍पणी आई थी और एक बन्‍धु का नामोल्‍लेख किया किन्‍तु मै उसे सही नही मानता हूँ क्‍योकि इतना प्रतिष्ठित व्‍यक्ति यह काम नही कर सकते है। किन्‍तु अनाम भाई इतना तो जरूर सही है कि कि जो कोई भी शीना थी वह एक सक्रिय ब्‍लागर था। यह काम उसी का हो सकता है जिसें विवादों में रहना पंसद हो और मुझसे चिड़ हो। कोई भी नारी कम से कम विवादों में रहने के लिये ब्‍लागिंग नही ही करेगी। हो न हो कि कोई बिगडैल चिट्ठाकार ही है जो इस तरह का अर्नगल काम कर रहा था।
वैसे शीना ने जो मुझसे जो सलाह मॉंगी थी वह लेने से पहले चली गई, अब तो मनमोहन से कहना होगा कि एक सच्‍चर जी से जॉंच करवाये कि शीना कौन थी ?


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तो क्‍या कंडोम सच्‍चर जी के काम आयेगें ?



भारत की एक बड़ी इस्लामी संस्था ने फतवा दिया है कि अगर वर्तमान बच्चे के लालन-पालन में अगले बच्चे के जन्म से दिक्कत होने या स्वास्थ्य संबंधी कारणों से पत्नी के फिर से गर्भवती होने से समस्या की आशंका हो तो पति पत्नी द्वारा कंडोम सहित परिवार नियोजन के अन्य उपाय करना शरीयत सम्मत है।

देवबंद दारूल उलूम से एक व्यक्ति ने सवाल किया था कि क्या पत्नी के साथ सेक्स में कंडोम का प्रयोग करने की शरीयत में अनुमति है।इसके जवाब में जारी फतवे में कहा गया कि कम आय और अधिक बच्चे के डर या केवल मजे के लिए कंडोम आदि का इस्तेमाल जायज नहीं है, लेकिन अगर अगला बच्चा होने से वर्तमान बच्चे के लालन-पालन में कठिनाई आए या पत्नी की सेहत ऐसी हो कि एक और गर्भ धारण करने में उसे परेशानी उठानी पड़े तो गर्भ निरोधक उपाय करने की शरीयत में मनाही नहीं है। बच्‍चे खुदा की मर्जी से पैदा होते है और वही उसका पालन पोषण भी करेगा। 
 
मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने वाली सच्चर समिति ने इस अवधारणा को गलत बताया है कि भारत में मुस्लिम समुदाय परिवार नियोजन से परहेज करता है। इसकी रिपोर्ट में बताया गया कि मुस्लिम समाज का लगभग 40 प्रतिशत परिवार नियोजन के लिए आधुनिक गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल करता है। इसके अनुसार दो करोड़ से अधिक मुस्लिम दंपत्ति गर्भ निरोधक उपाय प्रयोग में ला रहे हैं।
 
फतवे में कहा गया है कि कंडोम या अन्य गर्भ निरोधक तीन कारणों से इस्तेमाल होते हैं। एक कारण कम आय है। लोग इस डर के कारण कंडोम आदि का इस्तेमाल करने लगते हैं कि कम आमदनी और बच्चे अधिक होने से उनका लालण पोषण कैसे होगा। इसमें कहा गया कि इस सोच के तहत कंडोम आदि का इस्तेमाल करने की शरीयत में इजाजत नहीं है क्योंकि यह सोच इस आस्था में कमजोरी की निशानी है कि सबका पालनहार अल्लाह है। ऐसा सोचने वाला अल्लाह की जगह खुद को पालनहार मान लेता है, जो कुफ्र और हराम है।
 
हालाँकि मिस्र के विश्वविख्यात इस्लामी विद्वान शेख अल शाराबास्सी दारूल उलूम के इस मत से सहमत नहीं है। उनका कहना है अगर कोई पति यह समझता है कि वह और अधिक बच्चों के लालन-पालन का भार वहन नहीं कर सकता है, तो उसे गर्भ निरोधक उपाय करने का पूरा अधिकार है। भारत के बाहर की सोच यह है किन्‍तु भारतीय मुसलमान कूपमंडूप ही रहना चाहते है किन्‍तु सच्‍चर उन्‍हे उठा के ही रहेगें पर कब तक ? 
 
फतवे के अनुसार कंडोम उपयोग की दूसरी वजह सेक्स का आनंद उठाना है, जो गलत है। इसमें कहा गया कि पत्नी के साथ सेक्स के आनंद में कोई बाधा नहीं आने देने के इरादे से गर्भ धारण से बचने के लिए कंडोम आदि का इस्तेमाल मकरूह (अवांछित) है। ऐसा करना निकाह के उद्देश्य के विरुद्ध है।
 
दारूल उलूम ने कहा कि कंडोम आदि के प्रयोग का तीसरा कारण बच्चे या पत्नी का स्वास्थ्य कारण हैं। स्वास्थ्य कारणों से एक प्रसूति के बाद अगर अगले बच्चे का जन्म वर्तमान बच्चे के लालन-पोषण में बाधा बने या पत्नी एक और गर्भ धारण करने की हालत में नहीं हो तो शरीयत गर्भ निरोधक उपाय करने की पूरी अनुमति देता है।


उपरोक्‍त रिपोर्ट अभी मैने वेवदुनिया पर पढ़ी और पढ़ने के बाद लगा कि जब तक खुदा बच्‍चे पैदा करेगा, तब तक सच्‍चर क्‍या मनमोहन और सोनिया भी लग जाये तो मुसलमानों का उत्‍थान नही हो सकता। आरक्षण तो एक छलावा है क्‍योकि आरक्षण से किसी का हक जाता है किन्‍तु शरीयत का उल्‍लंघन नही होता है। जब कंडोम ओर गर्भनिरोधक गोलिया शरीयत के खिलाफ है तो कंडोम तो सच्‍चर जी के फुलाने के काम काम आ जायेगें और गोलिया रक्षामंत्री एंटनी के वो सेना में भिजवा देगें, किन्‍तु मुसलमानों की शरीयत पर आँच नही आने देगें।


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प्रयाग में महाशक्ति-भड़ास भेंटवार्ता



प्रयाग में महाशक्ति-भड़ास भेंटवार्ता

एक दिन अचानक मेरे आरकुट के बोर्ड पर भड़ासाध्‍यक्ष श्री यशवंत जी का मित्र निवेदन और साथ में एक संदेश मिला कि मै 31 को आपके प्रयाग में रहूँगा। क्‍या आपसे मिलना हो सकेगा ? उनके मित्रता को स्‍वीकार करने के बाद वे मेरे जीटॉंक में भी जुड गये थे उनसे परस्‍पर वार्ता हुई और 31 को मिलने का कार्यक्रम तय हुआ।
 
31 की सुबह मैने करीब 8 बजे के आस पास मैने उन्‍हे फोन किया, और उन्‍होने मुझे बताया कि वे हालैन्‍ड हाल में ठहरे हुऐ है, और मैने उन्‍हे करीब 11-12 बजे तक हालैन्‍ड हाल पहुँचने का वायदा किया। अक्‍सर जब मै किसी घर से बाहर निकलता हूँ तो दो चार काम लेकर ही निकलता हूँ। तो मै अपने साथ टेलीफोन आदि के बिल जमा करने का काम लेकर साथ चला तथा साथ महाशक्ति समूह के दो चिट्ठाकार श्री देवेन्‍द्र प्रताप सिंह व श्री मानवेन्‍द्र प्रताप सिंह को भी लेकर गया।
 
करीब 12.30 बजे के आस-पास हम हालैन्‍ड हाँल पहुँच गये थे तथा कमरा नम्‍बर 29 भी हम बेधड़क पहुँच गये, वहॉं पर देखा तो श्री यशवंत जी ठन्‍ड में रजाई का आंनद ले रहे थे, और हम सब के प‍हुँचने से जो रजाई गर्दन तक तनी थी और भड़ासाध्‍यक्ष के पैरों तक आ गई थी और वे 180 अंश का कोण बना रहे थे वह 90 अंश में बदल गया था। कमरे में पहुँचने पर गर्म जोशी के साथ हाथ मिलावा मिलाई हुई साथ ही साथ परिचय की औपचारिकता भी सम्‍पन्‍न हुई। परिचय कि औपच‍ारिकता इसलिये क्‍योकि मेरे साथ दो अन्‍य ब्‍लागर थे उनसे न तो यशवंत जी परिचित थे नही वे दो दोनों उनसे ही।
 
सर्वप्रथम बात की शुरूवात मैने ही की और पूछा कि आप को मेरे बारे में कैसे जानकारी मिली तो उनका कहना था कि मैने अपने ईमेल के सभी एड्रेसों को एक साथ ही आरकुट मे जोडने के लिये आदेश दिया और आप भी जुड गये। और फिर उन्‍होने मेरे आरकुट प्रोफाइल और मित्रों की लिस्‍ट की तारीफ की, किन्‍तु मैने बाताया कि मै आरकुट को कम पंसद करता हूँ किन्‍तु कुछ मित्र ऐसे है जो मेरे विचारों से प्रभावित हो कर अपने आप ही निवेदन कर देते है और मै सर्वप्रथम यह देखकर कि उनका बैग्राउन्‍ड कैसा है ? यह देख कर स्‍वीकार कर लेता हूँ। बामु‍श्किल से मै कभी स्‍क्रैप करता हूँ।
 
फिर धीरे धीरे चर्चा ब्‍लाग की ओर भी आई और उन्‍होने मुझसे मेरे ब्‍लाग के हि्ट्स जानना चाहा और मैने उन्‍हे बताया, फिर वे यह भी पूछा कि इस समय सबसे अधिक हिट्स वाला ब्‍लाग कौन है मै इस प्रश्‍न का उत्‍तर देने मे असमर्थ रहा तथा दो चार ब्‍लागों के नाम उनके सम्‍मुख रखा। फिर उनका प्रश्‍न था कि आप ब्‍लागिंग में कब से है तो उनके प्रश्‍न का उत्तर भी मैने दिया। और उन्‍होने यह भी पूछा कि महाशक्ति का उद्देश्‍य, आगे का भविष्‍य और इसके पीछे कौन लोग है? मैने अपने स्‍तर तक उनके इस प्रश्‍न का उत्‍तर भी देने की कोशिस की, कि महाशक्ति का उद्देश्‍य राष्‍ट्रवादी विचारधारा के लोगों को एकत्र करने के साथ-साथ नये लोगों को मंच प्रदान करना है, हम इस पर हर कुछ छापने को तैयार है बशर्ते वह राष्‍ट्रवाद विरोधी व कामुक रचनाऐं न हो। कोई चिट्ठाकर चाहे तो अपने ब्‍लाग की प्रकाशित समग्री भी महाशक्ति समूह पर प्रकाशित कर सकता है। मेरे ब्‍लाग लेखन को लेकर भी उन्‍होने काफी उत्सुकता से पूछा और आगे के भविष्‍य पर भी मेरी राय जाननी चाही तो मेरा सिर्फ यही कहना था कि मेरा कैरियर और पढ़ाई प्रथम है न कि मेरा ब्‍लाग लेखन और मै अपने प्रथम‍िक चीज के लिये किसी भी पल इसे छोड़ने में गुरेज नही करूँगा, रही बात भविष्‍य के तो प्रमेन्‍द्र के लेखन का यही अन्‍त नही है, यह वह काम है जो मै अनूप शुक्‍ला, समीर लाल और ज्ञानदत्‍त पाण्‍डेय जी की उम्र में शुरूवात पुन: कर सकता हूँ।
 
मेरे मन मे भी कुछ प्रश्‍न थे जो मैने उनसे पूछे कि भड़ास क्‍यो तो उनका उत्‍तर था कि जो बात न कही जा सके उसको समाने लाना। फिर मैने कहा कि मै आपके भड़ास पर शुरूवात में गया फिर कभी जाने का नौबत ही नही आयी क्‍योकि उसकी भाषा इतनी आपत्ति जनक होती है कि पढ़ने की इच्‍छा नही करती है और उन्‍हेने भी इसे स्‍वीकार किया। फिर उन्‍होने यह भी बताया कि भड़ास पर 100 से अधिक ब्‍लागर सदस्‍य बन चुके है। 
 
ब्लागिंग के भविष्‍य पर उनका कहना था कि आगे ऐसा दौर आयेगा कि बड़ी बड़ी कम्‍पनी या बेवसाईट इस क्षेत्र में आजायेगी तो आप ब्‍लागरों का अस्तित्‍व समाप्‍त हो सकता है पर मेरा कहना था कि जो भी दौर आयेगा वह आप ब्‍लागरों का जगह नही ले सकेगी क्‍योकि जो अनूप शुक्‍ल या उड़नतश्‍तरी या महाशक्ति से प्रभावित है वह इन्‍ेह कही न कही से जरूर पढ़ेगा।
 
उनका कहना था कि आने वाले दो तीन सालों में हिनदी ब्‍लाग के पाठकों की संख्‍या 10000 हजार तक पहुँच सकती है तो मेरी यह राय थी कि हो सकता है कि एक दो स्‍थपित ब्‍लाग पर यह हो किन्‍तु सभी से यह आशा रखना बेमानी होगा। यशवंत जी के साथ हिन्‍दी ब्‍लाग के भविष्‍य के और सम्‍भवनाओं पर भी बात हुई और एक विस्‍तृत योजना साकार करने पर विचार हुआ।
 
इस चर्चा के दौरान मेरे और यशवंत जी के मध्‍य कुछ ब्‍लागरों के नाम भी लिये गये जो किसी न किसी रूप मे हमने उन्‍हे याद किया। वो निम्‍न है- श्री अरूण अरोड़ा, श्री रवि रतलामी, अनूप शुक्‍ला, श्री समीर लाल, श्री शशि सिंह महाशक्ति के कुछ सदस्‍य और भड़ास के कुछ सदस्‍य तथा अविनाश और रवीश जी जैसे पत्रकारों का भी जिक्र हुआ। पत्रकारों के जिक्र आने पर मेरी यह भी बात सामने आई कि मेरी हिन्‍दी ब्‍लाग के किसी पत्रकार के दृष्टिकोण से कभी पटी नही और मै सदैव उनके विरोध में रहा, भले ही वह विरोध मूक रहा हों। इस पर भी उन्‍होने स्‍वयं पत्रकार होने के नाते पत्रकारिता की कुछ अन्‍दर की बात भी बताई।
 
इस भेंट वार्ता का दूसरा पहलू महाशक्ति समूह के चिट्ठाकार अधिवक्‍ता श्री देवेन्‍द्र जी और यशवंत जी के मध्‍य काफी रोचक चर्चाऐं माक्‍सर्वाद, राष्‍ट्रवाद व संघ के विषय में हुऐ जो किसी के भी ध्‍यान को आकर्षित कर सकती थी। कुछ विषयों पर श्री मानवेन्‍द्र जी भी जरूर बोले पर वह वाद को सुनने में ज्‍यादा रहें।
 
लगभग दो डेढ़ घन्‍टे के मुलाकात के दौरान हम लोगों ने चाय पीकर, शाम की चाय के लिये यशवंत जी को आंमत्रित करके चलते बने। किसी कारण वश वह शाम को मेरे घर की चाय पीने नही आ सके। एक प्रका‍र साल की अन्तिम ब्‍लागर मीट जो दो विभिन्‍न विचारधारा वाले ब्‍लागों की मीट साबित हुई जो बिना किसी मन मुटाव के समाप्‍त हो गई।
 
चलते चलते - महाशक्ति को लेकर लोगों की धारण मेरी कदकाठी से पहलवान की होती है और यशवंत जी के मन में भी यही रही जिसका जिक्र उन्‍हेने अपने ब्‍लाग पर किया था। किन्‍तु महाशक्ति हो कर लिखने के लिये कद काठी से बलिष्‍ठ होने के बजाय जिगरा होने की जरूरत है जो मेरे पास है, यही कारण है कि मै किसी भी विषय पर अपनी स्‍पष्‍ट राय रखता हूँ चाहे जनमत मेरे विरोध में क्‍यो न हो।


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हँसो जरा ध्यान से



नौकरानी ने सुशीला से कहा, मेमसाब गजब हो गया। पड़ोस की तीन औरतें बाहर आपकी सास को पीट रहीं हैं। सुशीला नौकरानी के साथ बालकनी में आई और चुपचाप तमाशा देखने लगी। नौकरानी ने पूछा, आप मदद करने नहीं जाएंगी?
सुशीला: नहीं ! तीन ही काफी हैं।

ट्रेन में ऊपर की बर्थ पर बैठे एक बूढ़े बाबा बार बार बाथरूम जा रहे थे।
नीचे की बर्थ पर बैठी महिला ने परेशान होकर पूछा - आपको चैन नहीं है।
बूढ़े ने बड़ी बैचेनी से कहा - चेन तो है लेकिन खुल नहीं रही है।

तीन लड़के मरने के बाद यमलोक पहुंचे जहां उनके कर्मो के आधार पर फल बांटे जा रहे थे। यमदूत पहले लड़के को यमराज के सामने लाए। उन्होंने पूछा, इसका कसूर क्या है। यमदूत ने कहा, इसने अपने जीवनकाल में एक चींटी की हत्या की है। यमराज ने एक बदसूरत लड़की को बुलवाया और कहा इसे इस लड़के के साथ हथकड़ी से बांधकर छोड़ दो। फिर दूसरे लड़के को पेश किया गया। यमराज ने पूछा, इसका कसूर? यमदूत ने बताया, इसने भी एक चींटी को मारा है। यमराज ने फिर एक बदसूरत लड़की को बुलवाया और कहा, इन दोनों को भी हथकड़ी से बांधकर छोड़ दो।
उसके बाद तीसरे लड़के का नंबर आया। यमदूतों ने बताया कि इसने अपने जीवन में कोई गुनाह नहीं किया है। फिर यमराज ने एक बेहद खूबसूरत लड़की को बुलवाया और कहा, इसे इस लड़की के साथ हथकड़ी से बांधकर छोड़ दो। लड़के ने आश्चर्य जताते हुए पूछा, जब मैने कोई गुनाह नहीं किया तो यह हथकड़ी क्यों? यमराज ने कहा, इस लड़की ने अपने जीवन में एक चींटी को मारा था। 

एक प्रेमी, कबूतर के पैर में संदेश बांधकर अपनी प्रेमिका के पास भेजा करता था। एक दिन उसने बिना संदेश के ही कबूतर भेज दिया। मिलने पर प्रेमिका ने पूछा, तुमने कोई संदेश क्यों नहीं भेजा? प्रेमी ने जवाब दिया-मैने मिस कॉल की थी

रात को कब्रिस्तान में एक आदमी कब्र के ऊपर बैठा हुआ था। इतने में एक मुसाफिर उधर से गुजरा और पूछा : इतनी रात को कब्रिस्तान में बैठे हो, तुम्हें डर नहीं लगता?
आदमी बोला, इसमें डरने की क्या बात है। कब्र के अंदर गरमी हो रही थी इसलिए थोड़ी देर के लिए बाहर आ गया।

पति पत्नी से, अजी, आज तो मैं छाता ले जाना ही भूल गया
पत्नी : पर आपको ये बात पता कब चली।
पति : मुझे पता तब चला, जब बारिश खत्म हुई तो मैंने छाता बंद करने के लिए अपना हाथ ऊपर उठाया।

मेजर (जवान से)- 'इतनी ज्यादा क्यों पीते हो? तुम्हें खबर है कि अगर तुम्हारा रिकॉर्ड अच्छा रहा होता तो अब तक तुम सूबेदार हो गए होते।'
जवान (मेजर से)- 'माफ कीजिए सर, मगर बात यह है कि जब दो घूंट मेरे अंदर पहुंच जाते हैं तो मैं अपने आपको कर्नल समझने लगता हूं।'

इंस्पेक्टर बांकेलाल के घर में एक मरियल कुत्ता बंधा हुआ था।
रामलाल (बांकेलाल से)- यह आवारा कुत्ता कहां से ले आए?
बांकेलाल (रामलाल से)- आवारा नहीं पुलिस का कुत्ता है।
रामलाल- पर लगता तो नहीं है।
बांकेलाल- कैसे लगेगा, यह गुप्तचर विभाग में जो है।

मां (बांकेलाल से)- तुमने आज फिर रामलाल से लड़ाई की जबकि मैंने तुमको कई बार समझाया है कि जब भी गुस्सा आए फौरन 100 तक गिनती गिनो।
बांकेलाल (मां से)- हां मां, मैं तो ऐसा ही कर रहा था पर रामलाल की मां ने उसे 50 तक ही गिनने को कहा था।


हड्डियों के दो डॉक्टर घूमने निकले। रास्ते में उन्हें एक लंगड़ाता हुआ व्यक्ति दिखाई दिया। उसे देखकर एक ने कहा- मुझे तो लगता है जैसे इसके टखने की हड्डी टूट गई है।
दूसरे ने कहा- नहीं जी, टखने की नहीं, उसके घुटने की हड्डी टूटी हुई है।
इस पर दोनों में बहस शुरू हो गई। तभी पहले डॉक्टर ने उसे बुलाकर पूछा- आपके टखने की हड्डी टूटी है या घुटने की।
नहीं, जी मेरी तो कोई हड्डी नहीं टूटी। मेरी तो चप्पल टूटी है।


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