कल्‍याण गये मानो पाप धुला, भाजपा माघ में नहाई गंगा



माघ की एकादशी को भाजपा ने अखिरकार गंगा स्नान जैसा पुण्‍य प्राप्‍त ही कर लिया। क्योंकि कल्‍याण का कद उनके पापी स्वरूप पर भारी पड़ता था। जिससे छुटकारा पाना निश्चित रूप से गंगा स्नान के पुण्य के बराबर था। कल्याण के जाने से आखिरकार भाजपा से माथे से एक बोझ कम हो गया। कल्याण भाजपा के सम्मानित नेताओं में से एक थे किन्तु उन्होंने अपनी छवि जिस प्रकार बना ली थी। उससे से यही लगता था कि ये खुद निकल जाये तो ठीक है नहीं तो इनके कर्म बेइज्जत कर भगाने के योग्य था। जिसे आम तौर पर स्थानीय राजनीति में देखा जाता है। कल्‍याण ने अपनी स्थिति सच में बैंगन की भांति बना ली थी। न उसमें निष्ठा बची थी न जनाधार।

आज जागरण में उनके भाजपा छोड़ने की खबर 2X6 कलाम में थी, किसी राष्‍ट्रीय स्‍तर के नेता की पार्टी छोड़ने की यह खबर उसके प्रदेश में ही 2X6 कलाम के कलाम में छपे तो राजनीतिक हलकों में उसके औकात का पता चल ही जाता है। तभी किसी ने पेपर देख कर ठीक ही कहा कि कल्‍याण की सही औकात रह गई थी। हो सकता है कि कल्‍याण के साथ नाइंसाफी हुई हो किन्‍तु जो भितराघात उन्‍होने भाजपा के साथ की शर्मनाक था। आज भाजपा मौजूदा हालत में उत्‍तर प्रदेश में भले खाता न खोल सके इसका अपशोस न होगा किन्‍तु इतना तो जरूर है कि आगे सफलता प्राप्‍त करने का मार्ग जरूर तैयार हो गया है।

आज कल भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ता वरिष्‍ठ नेता बन गये है, जिनके पास जमीन नही थी वे आसमान में पहुँच गये है, किन्‍तु आसमान में पहुँचने के कारणों को इग्‍नोर कर रहे है। अगर आज भाजपा राजनैतिक इतिहास में अपने चरम पर पहुँची तो कार्यकर्ता और जनता के बल पर तो वही गर्त की बड़ रही है तो फिर स्‍वयं कार्यकर्ता और जनता की वजह से। पहले भाजपा के वरिष्‍ठ नेताओं की की पहुँच कार्यकताओं तक तो कार्यकर्ताओं की आम जनता तक होती थी किन्तु 1998-2004 के सत्तात्‍मक दौर में भाजपा का नेत्तृव कार्यकताओं से दूर हुआ तो कार्यकर्ता जनता से और जनता ने भाजपा को सत्‍ता से दूर कर दिया।

उत्‍तर प्रदेश में भाजपा की सबसे बड़ी कमी है कि केन्‍द्रीय नेतृत्‍व के द्वारा कार्यकर्ताओं की न सुना जाना, और इसी के परिणाम स्‍वारूप बड़े पैमाने पर भाजपाईयों को बसपा और सपा की ओर पलायन हुआ। भाजपा को सोचना होगा कि क्‍या कारण है कि जो कार्यकर्ता भाजपा में संतुष्ट नही होते है वे सपा और बसपा में संतुष्ट कैसे हो जाते है? जरूरत है कि भाजपा इस मंत्र का पता लाएंगे और अपने आधार को भागने से रोके, तभी भाजपा केन्द्रीय सत्‍ता सीन हो पायेगी।


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