Speak Asia की खुल रही पोल कुछ बैंको ने किये खातों को फ्रीज



Speak Asia 

ऑनलाइन सर्वे के नाम पर लाखों लोगों से करोड़ों रुपये वसूल रही "स्पीक एशिया" पर शिकंजा कसता जा रहा है। स्‍टार न्‍यूज और फिर आज तक पर स्‍पीक एशिया से सम्‍बन्‍धित फर्जी बाड़े की खबरो से स्‍पीक एशिया के फ्रेन्‍चा‍ईजियों के खाते जिन बैंको मे है उन्‍होने प्रभावी कदम उठाना शुरू कर दिया है। देश के दो प्रमुख बैंक आईसीआईसीआई बैंक और आईएनजी वैश्य बैंक ने देश भर में स्पीक एशिया से ताल्लुक रखने वाले खातों को फ्रीज कर दिया है और बाकायदा इसकी पुष्टि कर दी है।

चूकिं भारत में स्‍पीक एशिया का कोई पंजीकृत दफ्तर न होने के कारण बैंक खातों के लिए जरूरी केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) मानकों को पूरा नहीं करती। इसलिए स्‍पीक एशिया (Speak Asia) नाम से कोई भी बैंक खाता नहीं है। इसी कमी को पूरा करने के लिये स्‍पीक एशिया न देश भर में तमाम फ्रेंचाइजी बना रखे हैं, ताकि वह इन फ्रेंचाइजी के जरिये अपना बैंक खाता बना सके और अपना गोरखधंधा जारी रखे। इनमें से कुछ चुनिंदा नाम हैं – ग्रो रिच एसोसिएट्स, स्पीक इंडिया ऑनलाइन, बालाजी एसोसिएट्स, ऋषिकेष इनवेस्टमेंट्स, बीटीसी वर्ल्ड, श्रीराम इनफोटेक, स्टार एंटरप्राइसेज, एबीएन रिसर्च ऑनलाइन व ब्रह्मनाथ एंटरप्राइसेज सहित पूरे देश मे इसका जाल फैला हुआ है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्‍ली व महाराष्ट्र जैसे राज्‍यो में 100 से ज्‍यादा फ्रेंचाइजी हैं। स्‍पीक एशिया अपनी वेबसाईट पर फेंचाइजी का नाम और उनके बैंकों के नाम व खाता संख्‍या की जानकारी अपनी साइट पर दी हुई है। इनके खाते आईसीआईसीआई बैंक, आईएनजी वैश्य बैंक, जम्‍मू कश्‍मीर बैक, भारतीय स्टेट बैंक व फेडरल बैंक समेत करीब दर्जन भर बैंकों में हैं। इन तमाम खातों में जमा रकम बाद इन फ्रेंचाइजियों द्वारा मुंबई के पंजीकृत एक कंपनी तुलसियाटेक के खातों में चली जाती है, जहां से इसे सिंगापुर की कंपनी हरेन वेंचर्स के खाते में सर्वे सॉफ्टवेयर खरीदने के नाम पर डाल दिया जाता है। हरेन वेंचर्स की प्रमुख हरेन्दर कौर हैं। हरेन्दर कौर ही स्पीक एशिया की मुख्य प्रवर्तक हैं।

 स्पीक एशिया जिस सिंगापुर की कंपनी है, और कहा जाता है कि इसकी मुख्‍य शाखा वर्जिन आईलैंड मे है। सिंगापुर में भी पिरामिड मार्केटिंग स्कीमों या एमएलएम कंपनियों को गैरकानूनी करार दिया गया है और तो और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन, जापान, मलेशिया, नीदरलैंड व डेनमार्क जैसे देशों ने इस तरह की कंपनियों पर बैन लगा रखा है। सबसे बड़ा यक्ष प्रश्‍न आज यह है कि भारत जैसे विशाल बेरोजगारी वाले देश मे यहाँ कि सरकार इसे क्यों पोषण दे रही है ? क्‍या सरकार का कोई प्रभावी तंत्र इसे संचालित कर रहा है? यह एक गंभीर व सोचनीय मुद्दा है। क्योंकि भारत वह देश है जहाँ की 70 फीसदी युवा बेरोजगार है और इतनी ही आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। इस वर्ग से 12 हजार रूपये की बड़ी राशि चपत करना शायद किसी सरकार के लिये बड़ी बात न हो किन्तु यह राशि उस परिवार के लिये काफी सपने पूरे करने वाली होती है।



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पुंडीर क्षत्रिय की वंशावली व गोत्र



पुण्डीर एक राजपूत जाति है। यह उत्तर भारत में फैले हुए हैं उत्तर भारत मे शाकम्भरी देवी सहारनपुर इनकी कुलदेवी और कुल देवता महादेव हैं इनके नाम से हरियाणा मे एक स्थान पुण्डरी भी है ये दधिमती माता को भी अपनी कुलदेवी मानते हैं। पुंडीर ( पंडीर, पंडिर, पुंडीर, पुंडीर या पुंडीर भी लिखा गया ) उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित राजपूतों का एक सूर्यवंशी कबीला है , जो छत्तीस राजपूत कुलों में से एक है। यह शब्द स्वयं संस्कृत शब्द "पुरंदर" (पुरन्दर) से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है "शत्रु का नाश करने वाला" या "नगरों का नाश करने वाला"। पुंडीर राजपूत नाहन, गढ़वाल, नागौर और सहारनपुर में रियासत रखते हैं जहां उनकी कुलदेवी स्थित हैं। इनकी शाखा कूलवाल है और इनकी कुलदेवी शाकुंभरी देवी सहारनपुर और धादिमती माता हैं।सहारनपुर और राजस्थान में गढ़वाल में पुण्यक्षिनी देवी के साथ। वे पुलस्त्य गोत्र के हैं। अधिकांश पुंडी आज मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड के आसपास स्थित हैं। पुंडीर के 
पुंडीर क्षत्रिय की वंशावली व गोत्र

  1. वंश - सूर्य
  2. कुल - पुण्डरीक/पुण्डीर/पुण्ढीर
  3. कुलदेवता - महादेव
  4. कुलदेवी - दधिमाता ( जिला - नागौर ,तहसील - जायल , गाँव - गौठ मंगलोद :- राजस्थान )
  5. गौत्र - पौलिस्त / पुलत्सय
  6. नदी - सर्यू
  7. निकास - अयोध्या से तिलांगाना व तिलंगाना से हरियाणा ( करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल) व पुण्डरी से मायापुर (हरिद्वार व पश्चिम उत्तर प्रदेश)
  8. पक्षी - सफेद चील
  9. पेड़ - कदंब
  10. प्रवर - महर्षि पौलिस्त, महर्षि दंभौली, महर्षि विश्वाश्रवस
  11. शाखा - तीसरी शताब्दी के महाराज पुण्डरीक द्वितीय से
भगवान श्री राम के पुत्र की 158वीं पिढी मे महाराज पुण्डरीक द्वितीय हुए, महाराज पुण्डरीक द्वितीय (तीसरी शताब्दी के अंत में) -- असम -- धनवंत -- बाहुनिक - राजा लक्षण कुमार (तिलंगदेव :- तिलंगाना शहर बसाया) - जढेश्नर (जढासुर :- कुरुक्षेत्र स्नान हेतु सपरिवार व सेना सहित कुरुक्षेत्र पधारे) -- मंढेश्वर (मँढासुर :- सिंधुराज की पुत्री अल्पदे से विवाह कर कैथल क्षेत्र दहेज मे प्राप्त किया व " पुण्डरी " नगर की स्थापना हुइ)  - राजा सुफेदेव - राजा इशम सिंह (सतमासा) - सीरबेमस - बिडौजी - राजा कदम सिंह (निमराणा के चौहान शस्क हरिराय से दूसरे युद्ध मे पराजय मिली व इनके पुत्र हंस ने मायापुरी मे राज्य कायम कर 1440 गाँवो पर अधिकार किया) -- हंस (वासुदेव) -- राजा कुंथल ( मायापुर के स्वामी बने व इनके 12 पुत्र हुए)  
1- अजट सिंह (इनके पुण्डीर वंशज गोगमा, हिनवाडा आदि गाँव मे है जो जिला शामली मे है)
2- अणत सिंह (इनके पुण्डीर वंशज दूधली, कसौली, कछ्छौली आदि गाँव में है)
3- लाल सिंह (अविवाहित) 
4- नौसर सिंह (पता नही) 
5- सलाखनदेव (मायापुर राज्य में रहा) 

राजा सुलखन (सलाखन देव)  के 2 पुत्र हुए
  1. राजा चाँद सिंह पुण्डीर (मायापुरी के राजा बने व दिल्ली पति संम्राट पृथ्वीराज चौहान के सामंत बने व इनका पुत्र पंजाब का सुबेदार बना, इस वीर चाँद सिंह की वीरता पृथ्वीराज रासौ में स्वर्ण अक्षरों में अमर है।)
  2. राजा गजै सिंह पुण्डीर (यहां गंगा पार कर एटा, अलीगंज क्षेत्र गए व इनके वंशज 82 गांव मे विराजमान है।)
राजा चाँद सिंह पुंडीर के 7 पुत्र हुए
  1. वीर योद्धा धीर सिंह पुण्डीर
  2. कुँवर अजय देव
  3. कुंवर उदय देव
  4. कुंवर बीसलदेव
  5. कुवर सौविर सिंह
  6. कुंवर साहब सिंह
  7. कुंवर वीर सिंह
इनमें धीर सिंह पुंडीर मीरो से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए व इनके पुत्र पावस पुंडीर तराई के अंतिम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के सहयोगी बन कर लौहाना अजानबाहू का सिर काटकर वीरगती को प्राप्त हुए, चांद सिंह के इन पुत्रों के वंशज आज सहारनपुर जिले में विराजमान है जिनके ठिकानों की संख्या कम से कम 120-130 है।


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