संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा



Human-Rights-Meaning-Universal-Declaration-Importance-in-Hindi
प्रस्तावना
चूंकि मानव परिवारों के सभी सदस्यों के जन्मजात गौरव और समान तथा अविच्छिन्न अधिकार की स्वीकृति ही विश्व-शांति, न्याय और स्वतंत्रता की बुनियाद है, चूंकि मानवाधिकारों के प्रति उपेक्षा और घृणा के फलस्वरूप ऐसे बर्बर कार्य हुए जिनसे मनुष्य की आत्मा पर अत्याचार किया गया, चूंकि एक ऐसी विश्व-व्यवस्था की उस स्थापना को (जिसमें लोगों को भाषण और धर्म की आजादी तथा भय और अभाव से मुक्ति मिलेगी) सर्वसाधारण के लिए सर्वोच्च आकांक्षा घोषित किया गया है, चूंकि अगर न्याययुक्त शासन और जुल्म के विरुद्ध लोगों को विद्रोह करने के लिए-उसे ही अन्तिम उपाय समझकर-मजबूर नहीं हो जाना है, तो कानून द्वारा नियम बनाकर मानवाधिकारों की रक्षा करना अनिवार्य है, चूंकि राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए यह आवश्यक है। चूंकि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की जनता के बुनियादी मानवाधिकारों में, मानव व्यक्तित्व के गौरव और योग्यता में और नर-नारियों के समान अधिकारों में अपने विश्वास को अधिकार-पत्र में दुहराया है और यह निश्चय किया है कि अधिक व्यापक स्वतंत्रता के अन्तर्गत सामाजिक प्रगति एवं जीवन के बेहतर स्तर को ऊँचा किया जाए, चूंकि सदस्य देशों ने यह प्रतिज्ञा की है कि वे संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से मानवाधिकारों और बुनियादी आज़ादियों के प्रति सार्वभौम सम्मान की वृद्धि करेंगे, चूंकि इस प्रतिज्ञा को पूरी तरह से निभाने के लिए इन अधिकारों और आज़ादियों का स्वरूप ठीक-ठीक समझना सबसे अधिक जरूरी है। इसलिए, अब, महासभा घोषित करती है कि मानवाधिकारों की यह सार्वभौम घोषणा सभी देशों और सभी लोगों की समान सफलता है। इसका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति और समाज का प्रत्येक भाग इस घोषणा को लगातार दृष्टि में रखते हुए अध्यापन और शिक्षा के द्वारा यह प्रयत्न करेगा कि इन अधिकारों और आजादियों के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हो, और उपरोक्त ऐसे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय उपाय किए जाएं जिनसे सदस्य देशों की जनता तथा उनके द्वारा अधिकृत प्रदेशों की जनता इन अधिकारों की सार्वभौम और प्रभावोत्पादक स्वीकृति दे और उनका पालन कराए।

अनुच्छेद 1
  • सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है। उन्हें बुद्धि और अन्तरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिए।
अनुच्छेद 2
  • सभी को इस घोषणा में सन्निहित सभी अधिकारों और आज़ादियों को प्राप्त करने का हक है और इस मामले में जाति, वर्ण , लिंग, धर्म, राजनीति या अन्य विचार-प्रणाली, किसी देश या समाज विशेष में जन्म, संपत्ति या किसी प्रकार की अन्य मर्यादा आदि के कारण भेदभाव का विचार नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, चाहे कोई देश या राज्य क्षेत्र स्वतंत्र हो, संरक्षित हो, या स्वशासन रहित हो या किसी अन्य प्रकार की सीमित संप्रभुता वाला हो, उस देश या राज्य क्षेत्र की राजनीतिक, क्षेत्राधिकार या अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहाँ के निवासियों के प्रति फर्क नहीं रखा जाएगा।
अनुच्छेद 3
  • प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, स्वाधीनता और वैयक्तिक सुरक्षा का अधिकार है।
अनुच्छेद 4
  • कोई भी दासता की हालत में नहीं रखा जाएगा, दास -प्रथा और गुलामों का व्यापार अपने सभी रूपों में निषिद्ध होगा।
अनुच्छेद 5
  • किसी को भी शारीरिक यातना नहीं दी जाएगी और न किसी के भी प्रति निर्दय, अमानुषिक या अपमानजनक व्यवहार होगा।
अनुच्छेद 6
  • हर किसी को हर जगह कानून की निगाह में व्यक्ति के रूप में स्वीकृति-प्राप्ति का अधिकार है।
अनुच्छेद 7
  • कानून की निगाह में सभी बराबर हैं और उन्हें किसी भी भेदभाव के बिना कानून की सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है। इस घोषणा का अतिक्रमण करके कोई भी भेदभाव किया जाए इस प्रकार के भेद-भाव को किसी प्रकार से उकसाया जाये, तो उसके विरूद्ध समान संरक्षण का अधिकार भी सभी को प्राप्त है।
अनुच्छेद 8
  • सभी को संविधान या कानून द्वारा प्राप्त बुनियादी अधिकारों का अतिक्रमण करने वाले कार्यों के विरुद्ध उपयुक्त समुचित राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल की कारगर सहायता पाने का अधिकार है।
अनुच्छेद 9
  • किसी को भी मनमाने ढंग से गिरफ्तार, नजरबंद या देश से निष्कासित नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 10
  • सभी को पूर्णतः समान रूप से हक है कि उनके अधिकारों और दायित्वों के निश्चय करने के मामले में और उन पर आरोपित फौजदारी के किसी मामले में उनकी सुनवाई न्यायोचित और सार्वजनिक रूप से निरपेक्ष एवं निष्पक्ष अदालत द्वारा हो।
अनुच्छेद 11
  • प्रत्येक व्यक्ति, जिस पर दण्डनीय अपराध का आरोप लगाया गया हो, तब तक निर्दोष माना जाएगा, जब तक उसे ऐसी खुली अदालत में, जहाँ उसे अपनी सफाई की सभी आवश्यक सुविधाएं प्राप्त हों, कानून के अनुसार अपराधी न सिद्ध कर दिया जाए।
  • कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे दण्डनीय अपराध का अपराधी नहीं माना जायेगा जो उसने उस समय किया है जिस समय वह कृत्य किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दंडनीय अपराध नहीं माना जाता था और इसके लिए कोई उससे अधिक भारी दंड नहीं दिया जायेगा जो उस समय दिया जाता जब यह अपराध किया गया था।
अनुच्छेद 12
  • किसी व्यक्ति की निजता (या प्राइबेसी), परिवार, घर या पत्र व्यवहार के प्रति कोई मनमाना हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, और न किसी के सम्मान और ख्याति पर कोई आक्षेप किया जायेगा। ऐसे हस्तक्षेप या अक्षेपों के विरुद्ध प्रत्येक को कानूनी रक्षा का अधिकार प्राप्त है।
अनुच्छेद 13
  • हर व्यक्ति को अपने देश की सीमाओं के अंदर स्वतन्त्रतापूर्वक आने, जाने और बसने का अधिकार है।
  • प्रत्येक व्यक्ति को अपने या पराये किसी भी देश को छोड़ने और अपने देश को वापस आने का अधिकार है।
अनुच्छेद 14
  • प्रत्येक व्यक्ति को सताये जाने पर दूसरे देशों में शरण लेने और रहने का अधिकार है।
  • इस अधिकार का लाभ ऐसे मामलों में नहीं मिलेगा जो वास्तव में गैर राजनीतिक अपराधों से सम्बन्धित हैं, या जो संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों के विरुद्ध कार्य हैं।
अनुच्छेद 15
  • प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीयता नागरिकता का अधिकार है।
  • किसी को भी मनमाने ढंग से अपनी राष्ट्रीयता से वंचित नहीं किया जा सकता और न उसे अपनी राष्ट्रीयता बदलने से रोका जा सकता है।
अनुच्छेद 16
  • बालिग स्त्री-पुरुषों को बिना, राष्ट्रीयता या धर्म के प्रतिबंधों के बिना आपस में विवाह करने और परिवार बनाने का अधिकार हैं। उन्हें विवाह के विषय में, वैवाहिक जीवन के दौरान, तथा विवाह-विच्छेद के बारे में समान अधिकार हैं।
  • विवाह के इरादे वाले स्त्री-पुरुषों की पूर्ण और स्वतंत्र सहमति पर ही विवाह हो सकेगा।
  • परिवार समाज की स्वाभाविक और बुनियादी सामाजिक इकाई है और उसे समाज तथा राज्य द्वारा संरक्षण पाने का अधिकार है।
अनुच्छेद 17
  • प्रत्येक व्यक्ति को अकेले और दूसरों के साथ मिलकर संपत्ति रखने का अधिकार है।
  • किसी को भी मनमाने ढंग से अपनी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 18
  • प्रत्येक व्यक्ति को विचार, विवेक और धर्म की आजादी का अधिकार है; इस अधिकार के अन्तर्गत उसे अपना धर्म या आस्था बदलने और अकेले या दूसरों के साथ मिलकर तथा सार्वजनिक रूप से अथवा निजी तौर पर अपने धर्म या आस्था का प्रचार करने, उसके आधार पर आचरण करने, उसके अनुसार व्यवहार करने और उसे निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर प्रकट करने का अधिकार है।

अनुच्छेद 19
  • प्रत्येक व्यक्ति को विचार और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है; इसके अन्तर्गत बिना हस्तक्षेप के कोई राय रखना और किसी भी माध्यम से तथा सीमाओं की परवाह न करके किसी भी सूचना को प्राप्त करने और विचारों को ग्रहण करने का अधिकार शामिल है।

अनुच्छेद 20
  • प्रत्येक व्यक्ति को शांतिपूर्ण तरीके से सभा करने या संघ में शामिल होने की स्वतंत्रता का अधिकार है।
  • किसी को भी किसी संस्था विशेष का सदस्य बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
अनुच्छेद 21
  • प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश के शासन में प्रत्यक्ष रूप से या स्वतंत्र रूप से चुने गये प्रतिनिधियों के जरिए भाग लेने का अधिकार है।
  • प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश की सरकारी नौकरियों को प्राप्त करने का अधिकार है।
  • सरकार की सत्ता का आधार जनता की इच्छा होगी; इस इच्छा का प्रकटन समय-समय पर और वास्तविक चुनावों द्वारा होगा। ये चुनाव सार्वभौम और समान मताधिकार द्वारा होंगे और गुप्त मतदान द्वारा या किसी अन्य समान स्वतंत्र मतदान द्वारा या किसी अन्य समान स्वतंत्र मतदान पद्धति से कराये जायेंगे।
अनुच्छेद 22
  • समाज के एक सदस्य के रूप में प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार है और प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के उस स्वतंत्र विकास तथा गौरव के लिए जो राष्ट्रीय प्रयत्न या अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तथा प्रत्येक राज्य के संगठन एवं साधनों के अनुकूल हो अनिवार्यतः आवश्यक आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की प्राप्ति का हक है।

अनुच्छेद 23
  • प्रत्येक व्यक्ति को काम करने, इच्छा अनुसार रोजगार का चुनाव करने, काम की उचित व सुविधाजनक परिस्थितियों को प्राप्त करने और बेकारी से संरक्षण पाने का अधिकार है।
  • प्रत्येक व्यक्ति को समान कार्य के लिए बिना किसी भेदभाव के समान मजदूरी पाने का अधिकार है।
  • प्रत्येक व्यक्ति को जो काम करता है, अधिकार है कि वह इतनी उचित और अनुकूल मजदूरी पाए, जिससे वह अपने और अपने परिवार की ऐसी आजीविका का प्रबंध कर सके, जो मानवीय गौरव के योग्य हो तथा आवश्यकता होने पर उसकी पूर्ति अन्य प्रकार के सामाजिक संरक्षणों द्वारा हो सके।
  • प्रत्येक व्यक्ति का अपने हितों की रक्षा के लिए श्रमजीवी संघ बनाने और उनमें भाग लेने का अधिकार है।
अनुच्छेद 24
  • प्रत्येक व्यक्ति को काम के घंटों की उचित सीमा और सवेतन नियतकालिक अवकास सहित छुट्टी पाने और विश्राम करने का अधिकार है।

अनुच्छेद 25
  • प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवन स्तर को प्राप्त करने का अधिकार है जो उसे और उसके परिवार के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए पर्याप्त हो। इसके अन्तर्गत खाना, कपड़ा, मकान, चिकित्सा संबंधी सुविधाएं और आवश्यक सामाजिक सेवाएं सम्मिलित हैं। वैधव्य, बुढ़ापे या अन्य किसी ऐसी परिस्थिति में आजीविका का साधन न होने पर जो उसके काबू के बाहर हो, सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है।
  • जच्चा और बच्चा को खास सहायता और सुविधा का हक है। प्रत्येक बच्चे को चाहे वह विवाहित माता से जन्मा हो या अविवाहित से, समान सामाजिक संरक्षण प्राप्त होगा।
अनुच्छेद 26
  • प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार है। शिक्षा कम से कम प्रारम्भिक और बुनियादी अवस्थाओं में निःशुल्क होगी। प्रारम्भिक शिक्षा अनिवार्य होगी। टेक्निकल, यांत्रिक और पेशे संबंधी शिक्षा साधारण रूप से प्राप्त होगी और उच्चतर शिक्षा सभी को योग्यता के आधार पर समान रूप से उपलब्ध होगी।
  • शिक्षा का उद्देश्य होगा मानव व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करना और मानव अधिकारों तथा बुनियादी स्वतन्त्रताओं के प्रति सम्मान की पुष्टि। शिक्षा द्वारा राष्ट्रों, जातियों अथवा धार्मिक समूहों के बीच और आपसी सद्भावना, सहिष्णुता और स्त्री का विकास होगा और शांति बनाए रखने के लिए राष्ट्रों के प्रयत्नों को आगे बढ़ाया जाएगा।
  • माता-पिता को सबसे पहले इस बात का अधिकार है कि वे चुनाव कर सकें कि किस किस्म की शिक्षा उनके बच्चों को दी जाएगी।
अनुच्छेद 27
  • प्रत्येक व्यक्ति को स्वतन्त्रतापूर्वक समाज के सांस्कृतिक जीवन में हिस्सा लेने, कलाओं का आनन्द लेने, तथा वैज्ञानिक उन्नति और उसकी सुविधाओं में भाग लेने का हक है।
  • प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी ऐसी वैज्ञानिक, साहित्यिक या कलात्मक कृति से उत्पन्न नैतिक और आर्थिक हितों की रक्षा का अधिकार है जिसका रचयिता वह स्वयं हो।
अनुच्छेद 28
  • प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की प्राप्ति का अधिकार है जिसमें इस घोषणा में उल्लिखित अधिकारों और स्वतन्त्रताओं को पूर्णतः प्राप्त किया जा सके।
अनुच्छेद 29
  • प्रत्येक व्यक्ति का उस समाज के प्रति दायित्व है जिसमें उसके व्यक्तित्व का स्वतंत्रता और विकास संभव हो सकता है।
  • अपने अधिकारों और स्वतन्त्रताओं का उपयोग करते हुए व्यक्ति केवल ऐसी ही सीमाओं से बंधा हुआ होगा, जो कानून द्वारा निश्चित की जाएगी और जिनका एकमात्र उद्देश्य दूसरों के अधिकारों और स्वतन्त्रताओं के लिए आदर और समुचित स्वीकृति की प्राप्ति होगा तथा जिनकी आवश्यकता एक प्रजातंत्रात्मक समाज में नैतिकता, सार्वजनिक व्यवस्था और सामान्य कल्याण की उचित आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।
  • इन अधिकारों और स्वतन्त्रताओं का उपयोग किसी प्रकार से भी संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों और उद्देश्यों के विरुद्ध नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 30
  • इस घोषणा में उल्लेखित किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाना चाहिए जिससे यह प्रतीत हो कि किसी भी राज्य, समूह या व्यक्ति का किसी ऐसे प्रयत्न में संलग्न होने या ऐसा करने का अधिकार है, जिसका उद्देश्य यहां बताए गए अधिकारों और स्वतन्त्रताओं में से किसी का भी विनाश करना हो।
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औषधीय गुणों से युक्त अदरक



अदरक  आग और पानी का संगम है। नमीदार रहने तक यह अदरक कहलाता है और सूखने-सुखाने के बाद यही अदरक सौंठ बन जाता है। प्रकृृति का यह विचित्र करिश्मा ही कहिए कि इसका रस चाहे जल तत्व वाला है, मगर इसी जल में आग भी भरी हुई है। रूखापन अदरक का विशेष गुण है। यह भी इसकी एक खासियत ही कहिए कि रूखा होने पर भी यह सभी वर्गों का हितैषी है। महर्षि चरक ने तो सौंठ को बलवर्द्धक माना है। इसका प्रयोग हमारे परिवारों में कई बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है।
लोगों में अधिकांश दिक्कत भूख न लग्न, खाना न पचना, पेट में वायु बनना, कब्ज आदि पाचन संबंधित तकलीफे है और पेट से ही अधिकांश रोग उत्पन्न होते है।  अदरक पेट की अनेक तकलीफों में रामबाण औषधि है। शरीर में जब कच्चा रस (आम) बढ़ता है या लम्बे समय तक रहता है तब अनेक रोग उत्पन्न होते है।  अदरक का रस आमाशय के छिद्रों में जमे कच्चे रस एव  कफ को यथा बड़ी आँतों में जमे आंव को पिंघलाकर बाहर निकल देता है तथा छिद्रों को स्वच्छ कर देता है।  इस वजह से जठराग्नि प्रदीप्त हो जाती है और पाचन तंत्र स्वस्थ बनता है।  यह लार एव आमाशय का रस दोनों की उत्पत्ति बढ़ता है , जिससे की वजह से  भोजन का पाचन बढ़िया होता है एवं अरुचि दूर होती है।
कुछ नुस्खे प्रस्तुत हैं। ऐसी छोटी-बड़ी परेशानियां जब भी आपके सामने आएं इस सस्ती सी गांठ से राहत पाइए-
  • कान दर्द हो रहा हो, तो इसकी गांठ कुचल कर रस को गरम करके तीन चार बूंदें कान में टपका लें।
  • कफ जमने या किसी वजह से गला दुखने पर अदरक का रस 10 ग्राम लेकर उतनी ही मात्रा में शहद मिलाकर चाट जाएं। गले के रोगों में यह नुस्स्खा बहुत सस्ता और निरापद है।
  • छपाकी, शीत पित्ती अथवा पित्ती उछलना शरीर में पित्त के बढने से होता है। बचाव के लिए अदरक का रस शहद से चटाइए। शहद नहीं मिले तो पुराने गुड में मिलाकर भी दिया जा सकता है।
  • सर्दी की वजह से छाती में कफ जम जाने या किसी अन्य कारण से सर दर्द होता रहता है तो सौंठ या अदरक, काली मिर्च, पीपल, बायबिडंग, सैंधा नमक 10-10 ग्राम, अजवायन 20 ग्राम, काला नमक 40 ग्राम, राई 10 ग्राम का चूर्ण एक चम्मच पानी के साथ दिन में दो बार फंकवाना चाहिए।
  • पेट दर्द हो रहा हो तो अदरक का रस 5 ग्राम और उतना ही दूध मिलाकर पिलाएं। अजवायन में अदरक का रस मिलाकर लेना भी गुणकारी है।
  • पेट में गड-गड हो तो सौंठ या अदरक, हीरा हींग, काला नमक, सैंधा नमक, मीठा सोडा चुटकी भर, काली मिर्च, काला जीरा सबको 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना लें। परेशानी के दौर में गरम पानी में थोड़ी सी मात्रा में चूर्ण की फांकी ले लीजिए, पेट ठीक हो जायेगा।
  • घुटनों में दर्द होता रहता है तो अदरक का रस या सौंठ का चूर्ण, काली मिर्च, बायविंडग तथा सैंधा नमक का चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण की 3-3 ग्राम की मात्रा शहद में मिलाकर चाटते रहना चाहिए।
  • ठीक से नींद नहीं आ पाती हो तो सौंठ के 2 ग्राम चूर्ण में 8 ग्राम पीपलामूल को गुड़ में पीसकर खाएं। इसके बाद दूध पीना चाहिए। 3-4 दिन में ही रूठी नींद मानती नजर आएगी, आप मीठी नींद ले सकेंगे। कुछ दिन लगातार लेते रहें।
  • बच्चे को हिचकी आती हो तो काली मिर्च, अदरक का रस और नींबू का रस घोलकर चटाना चाहिए।
  • इंफ्लूएन्जा (फ्लू) होने पर अदरक की गाँठ व तुलसी के पत्ते पीसकर गरम पानी में उबाल कर पिलाएं।
  • कुंभ कमला हो गया हो यानी सीना छोटा और पेट फूलकर घड़ा जैसा रहता हो तो इस वात वायु प्रधान बीमारी से निजात पाने के लिए अदरक, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) और त्रिकुटा (सौंठ, पीपल, काली मिर्च) समान मात्रा में लेकर गुड़ मिलाकर दिन में गरम पानी के साथ 10 ग्राम मात्रा में लें। यदि सांस फूलती हो जी मिचलाता हो तो दिन में 4-4 घण्टे में देते रहें।
  • मूत्र नलिका में दर्द हो तो अदरक का रस या सौंठ का चूर्ण गौमूत्र के साथ लें।
  • जिगर में सूजन, तिल्ली बढ़ना आदि से बचना हो तो अदरक के 2-3 टुकडे, एक ताजी नरम मूली और एक नींबू के रस तीनों को सलाद की तरह लें या चटनी की तरह लें।
  • मुंह पर झाइंयाँ हो, मुंहासे हो तो अदरक को कुचलकर उसका रस निकालकर हल्का सा गरम करके नारियल के तेल में मिलाकर सबरे-सबेरे मुँह पर नीचे से ऊपर की तरफ हल्की-हल्की मालिश कुछ दिन लगातार करें।
  • सूखा रोग में अदरक और बांसे के रस को शहद में मिलाकर (तीनों 5-5 ग्राम) लें। 15 ग्राम की खुराक सबेरे-शाम लेते रहें।
  • दमे के लिए सीप भस्म अदरक के रस में मिलाकर गोलियाँ बना लें। इन्हें प्रातः सायं तुलसी पत्ती डली हुई चाय के साथ लेते रहें।
  • पेट में मरोड़ आकर पानी जैसे पतले दस्त लग रहे हों तो नाभि के आसपास आटा गीला कर मेड़ बना दें तथा उसमें अदरक का रस भर दें। यह प्रयोग ग्रामीणों में अनुभूत प्रयोग माना जाता है। परेशान रोगी तुरन्त राहत महसूस करने लगेगा।
  • अम्ल पित्त (एसीडिटी) में अदरक और धनिया समान मात्रा में लेकर पीने से पित्त शामिल हो जाता है।
  • महिलाओं को कमरदर्द हो तो सौंठ के चूर्ण या अदरक के रस को नारियल के तेल में उबालकर मालिश करें।
  • रोज भोजन  से पहले अदरक को बारीक़ टुकड़े टुकड़े करके सेंधा नमक के साथ लेने से पाचक रस बढ़कर अरुचि मिटती है।  वायु भी नहीं बनती व् भूख भी खुलकर लगती है।  जिससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।

इस तरह अदरक से अनेक रोगों और मौसमी परिवर्तन के दौरान उठने वाले शारीरिक उपद्रवों का इलाज आप घर बैठे कर सकते हैं। चाय में अदरक लेने की आदत बनाइए। भोजन के समय अदरक की चटनी या नमक लगाकर अदरक के मिक्स अचार, मुरब्बे, चटनी के रूप में भी ले सकते हैं। कभी-कभी उबालकर सूप बनाकर लेने से पेट के आतंरिक विकारों से राहत पायेंगे। सर्दी में इसके लड़डू बनाकर खाना भी बलवर्द्धक, रक्तशोधक होता है। इसलिए इस चटपटी मसाले की गांठ को अपने आहार में भरपूर मात्रा में प्रयोग करने की आदत बनाकर इसके गुणों को पाइए।

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