श्री हनुमान जी की आरती और चित्र



आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कांपै। रोग दोष जाके निकट न झांपै।
अंजनिपुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारि सीय सुधि लाये।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारि असुर संहारे। सीतारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि सजीवन प्राण उबारे।
पैठि पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखारे।
बायें भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर नर मुनि आरती उतारे। जय जय जय हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसि बैकुण्ठ परम पद पावै।



















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मदरसों में तिरंगा फहराना जरूरी - इलाहाबाद उच्च न्यायालय



इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रदेश के सभी मदरसों में राष्ट्रीय पर्वों पर अनिवार्य रूप से ध्वजारोहण हो। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे खुद इसकी मनिटरिंग करें और सुनिश्चित करें कि 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर मदरसों में राष्ट्रीय झंडा फहराया जाय। कोर्ट ने बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों को ऐसा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
अलीगढ़ के अजीत गौड़ की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति डाॅ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने शिक्षा विभाग से पूछा है कि शिक्षण संस्थाओं में ध्वजारोहण के संबंध में उनकी क्या नीति है। दायर याचिका में कहा गया कि अलीगढ़ के तमाम मदरसों में राष्ट्रीय पर्व पर ध्वजारोहण नहीं किया गया जबकि ऐसा किया जाना प्रत्येक संस्था के लिए अनिवार्य है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि यह सिर्फ एक जिले का नहीं पूरे प्रदेश का मामला है।
 
आमतौर पर हाईकोर्ट में दाखिल होने वाली याचिकाओं पर प्रथम सुनवाई के बाद अदालत के निर्देश पर ही प्रदेश सरकार के वकील दिशा निर्देश प्राप्त करते हैं या जवाब दाखिल करते हैं लेकिन इस मामले में कोर्ट में याचिका की सुनवाई से पूर्व ही वकील को निर्देश प्राप्त हो चुके थे। याचिका पर सुनवाई प्रारंभ होते ही सरकारी वकील ने बताया कि इस मामले में उन्हें निर्देश मिल चुके हैं। याचिका पर जवाब देते हुए प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि अलीगढ़ के मदरसों में राष्ट्रगान गाया जाता है। उन्होंने राष्ट्रगान गाते हुए मदरसे की तस्वीर भी प्रस्तुत की।
 
पीठ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यहां मामला राष्ट्रगान का नहीं राष्ट्रध्वज फहराये जाने का है। जो फोटो दिखाई जा रही है उसमें मदरसे के बच्चे किताब देखकर राष्ट्रगान पढ़ रहे हैं। कोर्ट ने इस पर आश्चर्य जताया कि किताब देखकर कौन राष्ट्रगान पढ़ता है। यह छोटे बच्चों को भी याद रहता है। पीठ का कहना था कि मदरसों सहित सभी शिक्षण संस्थाओं में राष्ट्रध्वज फहराया जाना चाहिए।


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