गांधीवाद खडा चौराहे पर !




मोहनदास करमचन्द्र गाँधी
मोहनदास करमचन्द गांधी

 

देश की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के द्वारा अलग-अलग समय के अलग-अलग नेतृत्व के संबंध को लेकर आज देश दुविधा में है। आज सम्पूर्ण देश सिर्फ यही सोच रहा है कि कांग्रेस तब ठीक थी अथवा अब। मैं बात कर रहा हूं आज से 75 साल पहले की घटना कि जब कांग्रेस का नेतृत्व अप्रत्यक्ष रूप से गांधी जी करते थे, तब जो स्थिति कांग्रेस में महात्मा गांधी की थी आज उससे भी बढ़कर सोनिया गांधी की है। व्यक्ति तथा उद्देश्य अलग-अलग है किन्तु घटना एक ही है उस समय भी संसद (नेशनल असेम्बली) में बम विस्फोट किया गया था आज भी संसद पर हमला किया गया है। तब हमला करने का मकसद देश भक्ति थी और आज वतन के साथ गद्दारी है।
आज संसद पर हमला एक वाले आतंकवादी की फांसी की माफ़ी वही पार्टी कर रही है जिसने वीर शहीदों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी माफ़ी का विरोध किया था, गांधी जी का कहना था कि मैं अहिंसा के मार्ग रोडा डालने वाले का समर्थन नहीं करूंगा, तब के देश भक्त अहिंसा के मार्ग में रोड़ा थे तो आज के गद्दार कौन शान्ति के कबूतर उडा रहे है? यह वही पार्टी है जब तीनों देशभक्तों को फांसी पर लटकाया जा रहा था तो कांग्रेस गा रही थी- साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। तब से आज तक इस पार्टी ने कमाल करने में कहीं कमी नहीं की है, तब कांग्रेस में गांधीवादी के रूप में कमाल हो रहा था तो आज आतंकवादी के रूप में हो रहा है। आज कांग्रेस बीच चौराहे पर खडी है, वह तब से आज के दौर में 180 अंश पलट चुकी है। आज कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री फांसी का विरोध कर रहे है तो कांग्रेसी नेतृत्व मूक दर्शक बनी हुई है, तब भी कांग्रेस मूकदर्शक की भांति खडी थी जब पूरा देश गांधी जी से तीनों शहीदों की प्राणों की भीख मांग रहा था। पूरे देश को पता था कि गांधी जी ही वीर शहीदो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी से बचा सकते है पर अपनी हठधर्मिता के कारण गांधी जी ने फांसी से माफ़ी बात नहीं की, अन्यथा गांधी ही वह नाम था जो अंग्रेजों से कुछ भी मनवा सकता था। उसके सिर पर भूत सवार था कि अहिंसा का, पर अहिंसा की नाक आगे अंग्रेजों ने कितनों का दमन किया तब कहां था गांधी की अहिंसा। आज उस पार्टी के एक मुख्य मंत्री आतंकवादी का समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी मौन हैं। इस मौन का अर्थ समर्थन माना जाए या असमर्थित। जहां तक पार्टी प्रवक्ता सिंघवी की बात है वे अपने बयान में मुख्यमंत्री का समर्थन कर चुके हैं। आज देश के समक्ष प्रश्न है क्या वही गांधी की कांग्रेस है यह फिर गांधी के आदर्श गांधी के साथ दफना दिये गये?
वह समय देश की आजादी का था देश के बच्चे की अपेक्षा थी कि गांधी जी इरविन पैक्ट में अपनी मांगों में भगत सिंह आदि की फांसी को माफ़ी की मांग रखें किंतु गांधी ने स्पष्ट कहा था इनकी माफी हिंसा को बढ़ावा होगी। हम हिंसा का समर्थन नहीं कर सकते। आज देश के प्रत्येक देश भक्त व्यक्ति की इच्छा है कि लोकतंत्र की हत्या करने वाले अभियुक्त को फांसी दी जाये, किन्तु आज का नेतृत्व कुछ और सोच रहा है। यही बात मन में खटकती है। प्रश्न उठता है कि क्या कांग्रेस सदैव देश की सामूहिक इच्छा के विपरीत काम करेगी? इससे तो यही प्रतीत होता है गांधीवाद दो अक्टूबर तक श्रद्धा के फूलों तथा नोटों पर फोटो तक ही सीमित रह गया है। और इन नेताओं ने गांधीवाद को वोट की खातिर चौराहे पर लाकर खडा कर दिया है। आज उनके वंशज गांधीवाद की नींव में मट्ठा डालने का काम कर रहे है । जो भूल गांधी ने तब की थी आज उनके वंशज कर रहे है।


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8 टिप्‍पणियां:

Dr Prabhat Tandon ने कहा…

अरे प्रमेन्द्र भाई ,ऐसा नही कहते, हकीकत मे हमारे नेता तो अब असलियत मे गाधी गिरी कर रहे हैं. अभी संसद पर बम गिरा है , तो गाधी स्टाइल मे कहेगे लो मेरे घर पर भी गिरा आ.

Yuga_Parivartak ने कहा…

This is very gr8 post by Parmendra. Keep it up, as we know Gandhiji was always wrong in Muslims matter, only by his Luck whole nation was behind him and still called as Nation Father.
Gandhiji galat the bolne ki kisi me bhi takat hay nahi. Lekin aja kal ke Young Generation never follows such man. Congress is sheet of gandhi, so it has to be more ugly than Gandhi.

Jay Hind Jay Maharashtra
Yogesh

Shubham Lahoti शुभम् लाहोटी ने कहा…

abhi aapne jo likha hai woh pada to nahin lekin atleats yah waala topic agle week pad jarur lunga...
baaki aapne jo kaha tha "tum accha likhte ho" - uska reply y! audible ki tarah dena chahunga:
"mazaak mat kar yaar" :P

Atul Arora ने कहा…

पता नही आपके एडिटर से समस्या या फोंट की गड़बड़ से , आपके सारे लेख यहाँ तक की आपकी दूसरों के ब्लाग पर टिप्पणियों के अक्षर भी टूट जाते हैं। सिर्फ एक्सप्लोरर में ठीक दिखते हैं। आश्चर्य तब हुआ जब एक ब्लाग की टिप्पणियों में आपकी टिप्पणी के अक्षर बिगड़ गये जब्कि बाकी कई ठीक थे।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

अतुल जी, वैसे मुझे इस दिक्‍कत के बारे मे जानकारी नही थी। और मुझे यह भी पता नही है की ऐसा क्‍यो हो रहा है। अगर आपके पास या किसी सज्‍जन के पास इस समस्‍या का हल हो तो इसका निराकरण कैसे किया जा सकता है। तथा मै क्‍या कर सकता हू। यह भी बताने का कष्‍ट करें मै आभारी रहूंगं।

Pratik Pandey ने कहा…

बहुत ख़ूब लिखा है। आज के राजनेता रीढ़विहीन हैं; न कांग्रेस गांधीवादी है और न ही भाजपा हिन्दुत्ववादी। सभी केवल सत्तावादी हैं।

pandit visnugupta ने कहा…

ek veer hota hai chandrashekhar azad jaisa.....jisane angrejo ki esi tesi kar di....

subhas babu jaisa jisane angrejo ko
maar maar ka andmaan se bhagaya

or ek veer hain gandhi......

mujhe to pandit chandrashekhar or netaji ke samane gandhi dikhai hi nahi pad rahe............

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

आपसे निवेदन है कि भगतसिंह के लिखे 4 अक्टूबर 1930 जो पिता को लिखा गया था,उसे अवश्य पढ़ें।

इस बार मुझे कहना पड़ रहा है कि आपमें कोई सम्मान और निष्पक्षता की भावना है भी या नहीं?

कांग्रेस हो या कोई आपके सोच में तनिक भी तार्किकता नहीं दिख रही है। संसद पर हमले में सब सांसद मर जाते और वह संसद की बिल्डिंग ढह जाती तो ही अच्छा था। 2001 के हमले के बाद 2004 तक भाजपा पर कोई आरोप नहीं कि उसने क्यो नहीं कुछ किया? और कांग्रेस पर अब आरोप बिलकुल भाजपाई सोच है।

यह बहाना नहीं चलेगा कि संसद पर हमले के बाद भाजपा ने यह कदम उठाए और वह कदम उठाए। संसद की बिल्डिंग भी गुलामी का चिन्ह है और ये सांसद भी मारे जाने के लायक थे। हमलावर को पुरस्कार देना चाहिए था, ऐसा भी मुझे लगता है। क्योंकि आज भगतसिंह होते तो इन सांसदों की संसद पर पक्का बम फेंक कर खत्म कर दिया होता लेकिन किसी भारतीय ने यह नहीं किया।

बार बार गाँधीवाद की बात क्यों कर रहे हैं? मैं कह चुका हूँ कोई गाँधीवाद नहीं है। और होगा भी तो वह 1947 तक खत्म हो चुका।

संसद के भक्त कभी देशभक्त नहीं हो सकते। मुझे ऐसा लगता है जैसे कांग्रेसी चोर वैसे भाजपाई भी। उनके समय में हमला हुआ तो चिल्ला रहे हैं।


पार्टी में 75 साल पहले क्या हुआ इसका आज की पार्टी पर कोई असर नहीं हो सकता। क्योंकि उस समय का कोई आदमी या विचार कांग्रेस में हैं ही नहीं। गाँधी ने भी कहा था कि खत्म कर दो कांग्रेस को। ये सब ध्यान में नहीं आता।

भगतसिंह या शहीदों की आड़ में आप भाजपाइयों को महत्व दे रहे हैं। यह गलत है महाशक्ति भाई।

आपके हिन्दी चिट्ठे यानि ब्लाग पर अनावश्यक अंग्रेजी देखकर दुख हुआ।