![स्वामी विवेकानन्द की एक आकंक्षा स्वामी विवेकानन्द की एक आकंक्षा](https://2.bp.blogspot.com/--hwpdtCvbZ8/UPER3_40NgI/AAAAAAAAA0g/02M3W3o3Ub8/s400/Ps51488-large.jpg)
तुम्हारे भविष्य को निश्चित करने का यही समय है। इस लिये मै कहता हूँ, कि तभी इस भरी जवानी मे, नये जोश के जमाने मे ही काम करों। काम करने का यही समय है इसलिये अभी अपने भाग्य का निर्णय कर लो और काम में जुट जाओं क्योकिं जो फूल बिल्कुल ताजा है, जो हाथों से मसला भी नही गया और जिसे सूँघा ही नहीं गया, वही भगवान के चरणों मे चढ़ाया जाता है, उसे ही भगवान ग्रहण करते हैं। इसलिये आओं ! एक महान ध्येय कों अपनाएँ और उसके लिये अपना जीवन समर्पित कर दें - स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद की दुर्लभ चित्र
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6 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर विचार, अब क्या कहें स्वामी विवेकानन्द का कहा तो एक एक अक्षर कीमती है।
यह कार्य अच्छा शुरु किया, इसको श्रृंखला के रुप में चलाओ.
अति सुंदर विचार
शिक्षा का नििश्चित लक्ष्य हो - आज की शिक्षा की सबसे बडी खामी यह हैं कि इसके सामने अनुसरण करने के लिये कोई निश्चित लक्ष्य नहीं हैं। एक चित्रकार अथवा मूर्तिकार जानता हैं कि उसे क्या बनाना हैं तभी वह अपने कार्य में सफल हो पाता हैं । आज शिक्षक को यह स्पष्ट नही हैं वह किस लक्ष्य को लेकर अध्यापन कार्य कर रहा है। सभी प्रकार की शिक्षा का एक मात्र उद्धेश्य मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण करना हैं इसके लिये वेदान्त के दर्शन को ध्यान में रखते हुए मनुष्य निर्माण की शिक्षा प्रदान की जानी चाहिये।-स्वामी विवेकानन्द जी
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तुम क्यों रो रहे हो?
सब शक्ति तो तुम्हीं में हैं।
हे भगवन्,
अपना ऐश्वर्यमय स्वरूप को विकसित करो।
ये तीनों लोक तुम्हारे पैरों के नीचे हैं।
जड की कोई शक्ति नहीं प्रबल शक्ति आत्मा की है।
"स्वामी विवेकानंद"
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