हिन्दुस्तान अमेरिका बन जायेगा तो कोई बड़ी बात न होगी क्योकि दिन प्रतिदिन भारत अमेरिकी नक्शेकदम पर चल ही रहा है। नारी से लेकर खिलाड़ी तक सभी अमेंरिकी रंग में रगते दिख रहें। जहॉं नारी 8 गज की साड़ी चाहती थी वही 2 गज मे ही उसका काम चल जाता है और फिर कहती है कि मुझे अंग प्रदर्शन से परहेज नही है, जब देने वाले ने दिया है तो दिखाऊँ क्यो न? अर्थात कुछ स्त्री जाति का मानना है कि ईश्वर ने उन्हे अंग-प्रदर्शन के लिये है। यह वाहियात सोच अमेरिकी ही हो सकती है जबकि भारतीय मानस की सोच तो यह कि ईश्वर ने अगर अंग दिया है जो उसे ढ़कने के लिये वस्त्र भी।
जितने मुँह उतनी बातें इसलिये मूल विषय पर आना जरूरी है। भारत चाहे अमेरिका बन जाये या बन जाये इराक-ईरान किन्तु कुछ बातें सदैव अपरिवर्तित रहेगीं। मै उन्ही पर चर्चा करना पंसद करूँगा।
- अगर हिन्दोस्तान अमेरिका बन जायेगा तो भी हिन्दोस्तान हिस्दोस्तान ही रहेगा। कारण साफ है कि कुत्ते की दुम कितनी भी सीधी की जाये वो सीधी होने वाली नही है।
- सबसे बड़ी समस्या आयेगी कि नेताओं का क्या होगा और उनकी मक्कारी का ? क्योंकि यह जाति हमारें देश में काफी तेजी से बड़ रही है तब पर भी आराक्षण की मॉंग की जा रही है। भारत के अमेरिकामय हो जाने पर नेताओं की नीयत में बदलाव कम ही सम्भव है या कह सकते है कि असम्भव है।
- शिक्षा में आराक्षण भी अपरिवर्तित रहेगा। जब भारत परतन्त्र से स्वतंत्र हुआ तब से लेकर आराक्षण सेठ के ब्याज की भातिं बढ़ता जा रहा है। भारत में आराक्षण इसलिये लागू किया गया कि सभी को समानता दिलाई जायेगी। किन्तु समानता दिलाने के नाम पर एक अच्छे तथा परिश्रमी वर्ग को ठगा जा रहा है। जहॉं एक विद्यार्थी 121 अंक प्राप्त करके भी उच्च शिक्षा के वचिंत रह जाता है वही एक छात्र जो 50 से लेकर -50 अंक पाने पर भी उच्च शिक्षा ग्रहण करने का पात्र होता है। यह एक प्रकार से हास्यस्पद होगा कि भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति की पुत्री भी आराक्षण का लाभ लेती है। वोटों के खेल के नाम पर आराक्षण रूपी गेंद को तब तक लात मारा जायेगा जब तक कि क्रान्ति का उद्गार न होगा।
- भारत आज सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दूसरा, किन्तु हम आज भी अमेरिका जैसा बनने की कोशिस कर रहे है। हमारे देश में के नागरिक अपने अधिकार के बारे में तो जानते है कि कर्तव्य से अनभिज्ञ रहते है। भारत को अमेरिका बनने के बाद भी यह कायम रहेगा।
- हम भारत में रह कर भारत को अमेरिका बनाने की धारणा भी भारतीयों में बरकरार रहेगी। यह शर्म की बात है, जहॉं हमें सूरज बनकर पूरे विश्व को रोशनी दिया है वही हम सूरज को दिया दिखाने अर्थात भारत को अमेरिका बनने की बात कर रहे है। यह भी मानसिकता भारतीयों में नही बदलेगी।
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5 टिप्पणियां:
ठीक कहा है। हमने भी पहली बार अनुगूंज पर कुछ लिखा है मुलाहजा फर्मायिएगा ।
sahee hai.
अच्छी तरह अपने विचार व्यक्त किए आपने।
ठीक कह रहे हैं.
maaf kiya.
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