ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।



पवित्रीकरण मंत्र - ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ‘स्नान’ एक अहम कार्य है। यदि यह आध्यात्मिक नियमों के अनुसार किया जाए तो ही फलदायी होता है। इसके अनुसार स्नान करने का सही समय सुबह 4 बजे का है जिसे ‘ब्रह्म मुहूर्त’ कहा जाता है। गंगा के तट पर पानी में लगातार डुबकियां लगाता इंसान क्या सोचता है? शायद वह यही सोचता है कि यही वो मार्ग है जो उसे जीवन समाप्त होने के बाद मोक्ष पाने में सहायक होगा। यह मार्ग उसके जीवन-मरण के चक्र को खत्म कर उसे संसार के जंजाल से बाहर निकालने में मदद कर सकेगा।



ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत्पुंडरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः॥
(हरिभक्तिविलस ३।३७, गरुड़ पुराण)


Om Apavitrah Pavitro Vaa Sarva-Avasthaam Gato-[A]pi Vaa |
Yah Smaret-Punnddariikaakssam Sa Baahya-Abhyantarah Shucih ||

Whether all places are permeated with purity or with impurity,
whosoever remembers the lotus-eyed Lord (Vishnu, Rama, Krishna) gains inner and outer purity.

चाहे (स्नानादिक से) पवित्र हो अथवा (किसी अशुचि पदार्थ के स्पर्श से) अपवित्र हो, (सोती, जागती, उठती, बैठती, चलती) किसी भी दशा में हो, जो भी कमल कमल नयनी (विष्णु, राम, कृष्ण) भगवान का स्मरण मात्र से वह (उस समय) बाह्म (शरीर) और अभ्यन्तर (मन) से पवित्र होता है |


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33 टिप्‍पणियां:

S S Bhatia ने कहा…

सुन्दर व्याख्या ।

Unknown ने कहा…

बहुत पावन मंत्र

Unknown ने कहा…

Bahut achhe

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर

GYANGUNSAGAR ने कहा…

देखो कर्मकाण्ड भी कहता है की भगवन को स्मरण करने मात्र से मनुष्य शुद्ध हो जाता है लेकिन कोई ब्राम्हण इसका मतलब बताय बिना ही पूजा सम्पन्न करा देता है।

GYANGUNSAGAR ने कहा…

देखो कर्मकाण्ड भी कहता है की भगवन को स्मरण करने मात्र से मनुष्य शुद्ध हो जाता है लेकिन कोई ब्राम्हण इसका मतलब बताय बिना ही पूजा सम्पन्न करा देता है।

Unknown ने कहा…

अद्भुत अति सुंदर

Dinesh sharma ने कहा…

जय हो राम नाम की जय

Unknown ने कहा…

Bahut Sahi,radhe radhe

Unknown ने कहा…

Is mantr ka Hindi m Kya mtlab hota h

Unknown ने कहा…

Aacha

Unknown ने कहा…

Wah barahman janta nahi hai eska matlab kya hota hai wah to paisa kamane ke liye puja karake chala jata hai.aaj jo sanatan dharm ko kahi kahi badnam kiya ja raha hai.wah jankari ka abhaw hai.esliye sabhi log dharmik kitab ko padhiye.🙏🙏🙏🙏🙏

Dilesu ने कहा…

Very good

Swastik Tripathy ने कहा…

ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय।।

Unknown ने कहा…

कोई भी ब्राह्मण हो उसका काम ही होता है कर्म करना. यदि जब ब्राह्मण कोई कार्य कर्ता है तो उसका पूर्ण ज्ञान लेकर ही कर्ता है. जब कोई यज वान कार्य करवाता है तो उसके पास कभी पूर्ण रूप से उस का मतलब जानने का समय नहीं होता है. और जैसे लोग अपनी Stady करते हैं अच्छी नौकरिया करते हैं तो सिर्फ पैसे कमाने के लिए ही करते हैं.
और ब्रह्मण भी बिना Stady के कार्य नहीं krta.
उन्हें भी पढ़ना padta hai.
Or ye sb कार्य करवाना उनका कर्म और धर्म के साथ साथ एक प्रकार की नौकरी भी है तो....... I hope that u know very well 👍👍👍🙏🙏..?

Sushil Ojha ने कहा…

मन चंगा तो कठौती में गंगा
मन को विकार हीन करना सीखना है तो बुद्ध विद्या विपश्यना साधना हेतु किसी विपश्यना केंद्र पर 10 दिन वाले निःशुल्क शिविर में आवेदन करें
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Sushil Ojha ने कहा…

सुशील ओझा की टिप्पणी / सुझाव
मन चंगा तो कठौती में गंगा (admin के approval की प्रतीक्षा है)

Unknown ने कहा…

धन्य है आप दोनों की बात सुनकर तो भगवान भी खुश हो गए होंगे वाह
आपने कितने ब्राह्मणों को पैसे दिए हैं अभी तक और कितने पैसे दे चुके हो

Unknown ने कहा…

Har har Mahadev

Sushil Ojha ने कहा…

कर्म के बजाय कर्मकांड करता है
हम कर्मकांड से दूर रहते हैं अतः पैसे किसी भिखारी को देने से परहेज़ है

बेनामी ने कहा…

इसमे लिखा है की शूद्र के हाथ से लाया हुआ जल न हो

बेनामी ने कहा…

ॐ अपवित्र: पवित्रो: नमो: नमः।। Aur iska matlab apavitra pavitra ho hi hoga na...???
Please answer

बेनामी ने कहा…

Kupaatr ko sacche Brahmino ka darshan prapt nahin hota, agar sanyog se kabhi darshan ho bhi jaay to usko kupaatr samajh ke kuchh batate nahin hain, to he mahabhag tu jaldi se yahan se bhaag le war apni paatrta viksit kar.

Sushil Ojha ने कहा…

पूरा श्लोक पढें व समझें
कि जब मन चंगा तो कठौती में गंगा

बेनामी ने कहा…

ब्राह्मणों को target करने उनको नीचा दिखाने के सिवा और कोई काम हैं, जिनकी आस्था है वो ब्राह्मण को पूजा हेतु बुलाते हैं , जिनकी नहीं वो बेवजह target करते हैं आपके जितने प्रश्न है उसका उत्तर आपके आसपास रहने वाले पूजा पाठ करने वाले ब्राह्मण या कोई शास्त्र जानने वाला अन्य कोई भी व्यक्ति सरलता से दे देगा लेकिन बिना जानकारी ब्राह्मणों को अपशब्द या उनकी निंदा ना करे ऐसा करने से पहले यह सोचे कि जब लोग बिना वजह बिना जानकारीआपको या आपकी जाति को target करे अपशब्द कहे झूठ फैलाई और आपको हर जगह बिना मतलब यह सुनना पड़े तो आपका कैसा लगेगा
चुकी आपको संस्कृत नहीं अती या आपको लगता की ब्राह्मण अनावश्यक पूजा करने का रुपया लेता हैं
तो इसमें ब्राह्मण की क्या गलती
क्या आप जो भी कार्य जैसे कही नौकरी कोई व्यापार तो क्या free में करते हैं , ब्राह्मण अपनी मेहनत का पैसा लेता है तो अपने विचारो को शुद्ध करे, जानकारी प्राप्त करे किन्तु बिना तथ्य के डिजिटल प्लेट फार्म में यह सोच कर कोई आपको नहीं जानता अपने घृड़ित विचारो को व्यक्त ना करे

बेनामी ने कहा…

अपने आसपास रहने वाले ब्राह्मणों से यह प्रश्न करे आपको सही उत्तर मिल जाएगा। आपको संस्कृत नहीं आती उसमे ब्राह्मण का क्या दोष।
संस्कृत सीखे फिर अपको सब पता चल जागेगा, अपने वेदो शास्त्रों को स्वयं पढ़े, दुसरो को के कहने पर कुछ भी मान कर अपने विचार ना बनाए, फिर आपको धर्म और उसकी शिक्षा पूजा पाठ में ब्राह्मण का महत्व मालूम चल जाएगा। ब्राह्मण अपनी मेहनत का खाता है, कम रोजगार अवसर उपर से आरक्षण के बावजूद भी ब्राह्मण हर क्षेत्र में सफल है वह आज भी पूजा पाठ करता/करवाता हैं क्योंकि यह परंपरा हैं उसकी आस्था हैं इसे वह अपना धर्म व कर्तव्य समझता है

यदि आप चाहते है कोई अपकी जाति को अपशब्द ना कहे तो आपको भी अन्य जाति को बुरा बोलने जातिगत टिप्पणी से बचे

बेनामी ने कहा…

अपने आसपास रहने वाले पुरोहित ब्रह्मण से विनम्रता पूर्वक पूछे आपको सही व विस्तार उत्तर मिलेगा दूसरो से या गूगल में केवल शाब्दिक अर्थ मिलेगा

बेनामी ने कहा…

शास्त्र में अपवित्रता अनेक प्रकार की होती है इस मंत्र से भूल से किसी प्रकार की अपवित्रता हैं उससे शुद्धि हेतु इसको पढ़ा जाताहैं , इस मंत्र में किस वर्ग विशेष को अपवित्र नहीं कह रहा है

बेनामी ने कहा…

Aap galat bol rahe hai agar koi bhi jajman pandit jii se sanskrit ka bayakhya puchhta hai toh kuchh brahaman bataate hai

बेनामी ने कहा…

आप कृपया विद्वान ब्राह्मण से कर्मकांड करवाते समय उससे पूछें कि कृपया इसका हिंदी में मतलब भी समझाएं वह विद्वान ब्राह्मण अवश्य आपको इसका अर्थ भी समझाएंगे किंतु सुनिश्चित करें कि उन को दी जाने वाली दक्षिणा एवं उनके द्वारा आप को समझाने में दिए गए अमूल्य समय को ध्यान में रखा जाए

बेनामी ने कहा…

Yeh ek अजीब बात लिखी gahi h

Is ka सीधा मतलब h मनुष्य जन्म से ही अपवित्र है।।

जी शुद्ध h वो tan se पापी h

बेनामी ने कहा…

Dokh me bhagwan ko yaad karte ho to sukh me bhi ye mantra ka ucharan karo

बेनामी ने कहा…

Agr aap kisi Braham se puche ge to wo aapko iska mtlb jarur bataye ge