इस्लाम निंदा पर ईसाई महिला का सर मूंड़ कर घुमाया



इस्लाम निंदा पर ईसाई महिला का सर मूंड़ कर घुमाया

इस ईसाई महिला को पाकिस्तान में इस्लाम विरोधी बयान देने के आरोप में भीड़ ने बुरी तरह टॉर्चर किया। इस महिला को गांव की गलियों सिर मुंड़ा कर घुमाया गया। यह घटना लाहौर से 80 किमी दूर सियालकोट जिले के कोट मिराठ गांव की है। ' सीमा बीडी ' नामक महिला को लगभग 30 लोगों ने घर से घसीट कर बाहर निकाला। उसके बाद उसका सिर मुंड़ाकर गांव की गलियों में महिला को घुमाया।
यह घटना उस देश की है जहॉं मुस्लिम 97 प्रतिशत है और अन्‍य धर्म के तो मात्र 3 प्रतिशत, अजीब विडम्‍बना है कि भारत जैसे देश में जहाँ ये 20 प्रतिशत से भी ज्‍यादा है और अल्‍पसंख्‍यक होने का दावा करते है और तो और खुराफात, पाकिस्तान के मुस्लिमों से बड़ कर करते है।


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मुस्लिम आराक्षण के विरूद्ध जनहित याचिका स्‍वीकार




केन्द्र सरकार की ओर से मुस्लिमों को 4.5 आरक्षण देने के विरोध में अधिवक्ताओं की सामाजिक संस्था प्रहरी अध्यक्ष श्री भूपेन्‍द्र नाथ सिंह की ओर से एक याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका संख्या 11995/2012 मा. न्यायमूर्ति एसके अग्रवाल और मा. न्यायमूर्ति अस्‍थालकर की पीठ मे दाखिल हुई। याची की तरफ से वरिष्‍ठ अधिवक्ता वीरेन्द्र कुमार सिंह चौधरी ने पक्ष रखा तथा केन्‍द्र सरकार की ओर अतिरिक्त महान्‍यायवादी आरवी सिंहल ने पक्ष रखा। पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इसे जनहित याचिका के रूप में 21 मार्च की तारीख दी है।


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नीति एवं अमृत वचन



  • हम हमेशा अपनी कमजोरी को अपनी शक्ति बताने की कोशिश करते हैं, अपनी भावुकता को प्रेम कहते हैं, अपनी कायरता को धैर्य।- विवेकानन्द (विवेकानन्द साहित्य, भाग 10, पृ. 220)
  • चारों वेद पढ़ा होने पर भी जो दुराचारी है, वह अधमता में शूद्र से भी बढ़कर है। जो अग्निहोत्र में तत्पर और जितेन्द्रिय है, उसे "ब्राह्मण" कहा जाता है।- वेदव्यास (महाभारत, वनपर्व, 313/111)
  • गुणशीलता, तात्कालिक परिस्थिति तथा भविष्य का विचार करके शीघ्रता तथा दीर्घसूत्रता दोनों को छोड़कर, देश-काल के अनुकूल अपना कार्य करना चाहिए।- भास (अविमारक, 1/9 के पश्चात)
  • राम शब्द के उच्चार से लाखों-करोड़ों हिन्दुओं पर फौरन असर होगा। और "गॉड" शब्द का अर्थ समझने पर भी उसका उन पर कोई असर न होगा। चिरकाल के प्रयोग से और उनके उपयोग के साथ संयोजित पवित्रता से शबदों को शक्ति प्रापत होती है। -महात्मा गांधी (हिन्दी नवजीवन, 19-6-1936)काले खलु समारब्धा फलं बध्नन्ति नीतय: अर्थात ठीक समय पर प्रारम्भ की गई नीतियां अवश्य ही फल प्रदान करती हैं। -कालिदास (रघुवंश, 12/69)
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