श्री सूर्य देव चालीसा एवं चालीसा



 श्री सूर्य देव
॥दोहा॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

॥चौपाई॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!। सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!। सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन। मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते। वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि। मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर। हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी। तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते। देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर। सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै। हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं। मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै। दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह। विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई। अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते। सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन। रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है। प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते। रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत। कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित। भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे। रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा। तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर। त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन। भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर। कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा। गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी। बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै। रक्षा कवच विचित्र विचारे॥
अस जोजन अपने मन माहीं। भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै। जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता। नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही। कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके। धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा। किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों। दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी। हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन। मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै। ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता। कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं। पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥
॥दोहा॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥

सूर्य देव की आरती

आरती - 1
सूर्य देव की आरती 

जय कश्यप नन्दन, ऊँ जय अदिति नन्दन।
द्दिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ऊँ जय….
जय सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ऊँ जय….
जय सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ऊँ जय….
जय सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ऊँ जय…
जय कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ऊँ जय…
जय नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ऊँ जय…
जय सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ जय ..


आरती -2 
सूर्य देव आरती 

 जय जय जय रविदेव जय जय जय रविदेव l
रजनीपति मदहारी शतलद जीवन दाता ll
पटपद मन मदुकारी हे दिनमण दाता l
जग के हे रविदेव जय जय जय स्वदेव ll
नभ मंडल के वाणी ज्योति प्रकाशक देवा l
निजजन हित सुखराशी तेरी हम सब सेवा ll
करते हैं रविदेव जय जय जय रविदेव l
कनक बदन मन मोहित रुचिर प्रभा प्यारी ll
नित मंडल से मंडित अजर अमर छविधारी l
हे सुरवर रविदेव जय जय जय रविदेव ll


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अशोक सिंघल जी व्यक्ति नहीं, वह अपने में स्वयं एक विचारधारा थे



 
पूजनीय अशोक सिंघल जी कोई व्यक्ति नहीं थे, वह अपने में स्वयं एक विचारधारा थे। मैं प्रयाग की धरती से जुड़ा हूँ और उनका प्रयाग वासियों से विशेष स्नेह रहा है। अक्सर विभिन्न माध्यमों से माध्यम से उनको सुनने का अवसर मिला है। वास्तव में उनके जैसा विचारधारा का विचारक वह स्वयं ही थे। ऐसे अपने सिंघल जी सिंघल का जन्म 15 सितंबर 1926 को आगरा के एक कारोबारी परिवार में हुआ था और 1942 में प्रयाग विश्वविद्यालय में पढ़ते वक्त संघ के वरिष्ठ प्रचारक रज्जू भैया उन्हें आरएसएस लेकर आए। वे भी उन दिनों वहीं पढ़ते थे। रज्जू भैया सिंघल जी की मां को आरएसएस के बारे में बताया और संघ की प्रार्थना सुनाई। इससे वे प्रभावित हुईं और उन्होंने सिंघल को शाखा जाने की इजाजत दे दी।
कुर्सी परपूज्य अशोक जी और मेरे पिताजी
1947 में देश के बंटवारे के बाद वे पूरी तरह संघ के स्वयंसेवक बन गए और 1948 में संघ पर बैन लगा तो उन्हें भी जेल में डाल दिया गया। जेल से छूटने के बाद उन्होंने अच्छे मेरिट नंबरों से बीई किया। सिंघल सरसंघचालक गुरु गोलवलकर से बहुत प्रभावित थे। प्रचारक के तौर पर वे लंबे समय तक कानपुर रहे। मेरे पिता जी श्री भूपेन्द्र नाथ सिंह जी कानपुर में बाल स्वयंसेवक से लेकर परिपक्व स्वयंसेवक होने तक सिंघल जी के बहुत करीब रहे।
मेरे घर की पूर्व स्थिति जब मेरे पिताजी विद्यार्थी थे तो बहुत अच्छी नही थी। एक बार उन्होंने पिताजी को कानपुर में नरेन्द्र मोहनजी से कहकर दैनिक जागरण में उपसंपादक के तौर पर रखवाया किंतु बाद में पिताजी ने सिंहल जी से कहा सिंघल जी ये काम मेरे हिसाब से ठीक नहीं है मुझे लगता है वकालत करना ठीक रहेगा। तो सिंघल जी ने कहा की जो स्वेच्छा करे वो करो वही उचित होता है। आज पिताजी प्रतिष्ठित वकील है।
सिंघल जी 1975 से 1977 तक देश में आपातकाल और संघ पर बैन रहा। इस दौरान वे इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ चले अभियान में शामिल रहे। आपातकाल खत्म होने के बाद वे दिल्ली के प्रांत प्रचारक बनाए गए। दलितोत्थान के लिये काम करने वाले सिंघल ने दलितों के लिये सैकड़ों मंदिरों का निर्माण कराया। 1981 में दिल्ली में एक हिन्दू सम्मेलन हुआ। इसमें बड़ी तादाद में लोग जुटे। इसके बाद सिंघल को विश्व हिंदू परिषद की जिम्मेदारी सौंप दी गई। नब्बे के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद के सबसे आगे रहने की वजह से सिंघल देशभर में सुर्खियों में आ गए। देश में विश्व हिंदू परिषद की पहचान कायम करने का श्रेय सिंघल को ही जाता है।

ऐसे सबसे घुलमिल जाने वाले सिंघल जी भले ही आज हमारे बीच में नहीं है किंतु उनकी कर्मठता और सिंद्धांत हमारा मार्गदर्शन करते रहेगे।


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केले के फायदे व स्वास्थ्य लाभ



 दूध और केले से वजन बढ़ाये | Best time to eat banana with milk to gain weight | Weight Loss Kijie
कच्चा केला खाने के फायदे
पके हुए केले के ढ़ेरो फायदों के बारे में आपको पता होगा और हो सकता है कि आप नियम से एक केला खाते भी हो। या फिर बनाना शेक पीते हों या स्मूदी। पका हुआ केला जहां चाव से खाया जाता है वहीं कच्चे केले का इस्तेमाल सिर्फ सब्जी और कोफ्ता बनाने में ही किया जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि आमतौर पर लोगों को इसके फायदों के बारे में पता ही नहीं होता। कच्चा केला पोटैशियम का खजाना होता है जो इम्यून सिस्टम को तो मजबूत बनाता है ही साथ ही ये शरीर को दिनभर एक्टि‍व भी बनाए रखता है। इसमें मौजूद विटामिन बी6, विटामिन सी कोशिकाओं को पोषण देने का काम करता है। कच्चे केले में सेहतमंद स्टार्च होता है और साथ ही एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी। ऐसे में नियमित रूप से एक कच्चा केला खाना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
  1. वजन घटाने में मददगार - वजन घटाने की कोशि‍श करने वालों को हर रोज एक केला खाने की सलाह दी जाती है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं जो अनावश्यक फैट सेल्स और अशुद्धियों को साफ करने में मददगार होते हैं।
  2. कब्ज की समस्या में राहत - कच्चे केले में फाइबर और हेल्दी स्टार्च होते हैं। जोकि आंतों में किसी भी तरह की अशुद्ध‍ि को जमने नहीं देते। ऐसे में अगर आपको अक्सर कब्ज की समस्या रहती है तो कच्चा केला खाना आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा।
  3. भूख को शांत करने में - कच्चे केले में मौजूद फाइबर्स और दूसरे कई पोषक तत्व भूख को नियंत्रित करने का काम करते हैं। कच्चा केला खाने से समय-समय पर भूख नहीं लगती है और हम जंक फूड और दूसरी अनहेल्दी चीजें खाने से बच जाते हैं।
  4. मधुमेह को कंट्रोल करने में मददगार - अगर आपको मधुमेह की शिकायत है और ये अपने शुरुआती रूप में है तो अभी से कच्चा केला खाना शुरू कर दें। ये डायबिटीज कंट्रोल करने की अचूक औषधि है।
  5. पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मददगार - कच्चे केले के नियमित सेवन से पाचन क्रिया बेहतर होती है। कच्चा केला खाने से पाचक रसों का स्त्रावण बेहतर तरीके से होता है।
इसके अलावा कच्चा केला कई तरह के कैंसर से बचाव में भी सहायक है। कच्चे केले में मौजूद कैल्शियम हड्ड‍ियों को मजबूत बनाने में सहायक है और साथ ही ये मूड स्व‍िंग की समस्या में भी फायदेमंद है। 

 
सौंदर्य के लिए केला बहुत ही फायदेमंद होता है
  1. चेहरे की झुर्रियों के लिए केला बहुत ही फायदेमंद होता है - इसके लिए 1 पका हुआ केला लीजिये और इसे अच्छी तरह मसल लीजिये। अब इसमें 1 चम्मच शहद और 10 बूंद जैतून के तेल की डालकर अच्छी तरह मिला लीजिए। केले के इस फेस पैक को चेहरे व गर्दन पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दीजिए और फिर सादे पानी से धो लीजिए। ऐसा सप्ताह में 2 बार करने से चेहरे की झुर्रियां खत्म हो जाती हैं और चेहरा चमकने लगता है।
  2. बालों के कंडीशनर के लिए भी केले का इस्तेमाल किया जाता है - इसके लिए 1 पके हुए केले को काट लीजिए। इसमें 1 छोटा चम्मच शहद, 1 बड़ा चम्मच दही और 1 चम्मच दूध डालकर इस मिश्रण को मिक्सी में पीस लीजिये। पहले हल्के गर्म पानी से बालों को धो लीजिए फिर इस कंडीशनर को बालों में अच्छी तरह लगा कर शावर कैप पहन लीजिये। 1 घंटे इसे लगा रहने दीजिए और फिर पानी से धो लीजिये। सप्ताह में 1 बार इस कंडीशनर को लगाने से बालों में चमक आ जाती है।
  3. केला एक बहुत अच्छे क्लींजर का भी काम करता है - इसके लिए एक पका हुआ केला काट लीजिए। इसमें 4 छोटे चम्मच नीबू का रस और बीज निकला हुआ 1/2 खीरा काटकर इसे मिक्सी में पीस कर पेस्ट बना लीजिए। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर 1/2 घंटे के लिए छोड़ दीजिए और फिर हल्के गर्म पानी से धो लीजिए। एक दिन छोड़कर एक दिन ऐसा करने से चेहरा साफ और सुंदर दिखने लगता है साथ ही साथ कील-मुहाँसों से भी छुटकारा मिलता है।
  4. शुष्क त्वचा के लिए केला एक बहुत बढ़िया औषधि है - इसके लिए 1 केले को मसल लीजिये। इसमें 2 चम्मच दूध की मलाई डालकर अच्छी तरह मिला लीजिए। इस पेस्ट को चेहरे, गर्दन और हाथों पर लगाकर सूखने दीजिए और फिर पानी से धो लीजिए। रोज़ाना ऐसा करने से शुष्क त्वचा ठीक हो जाती है और सुन्दरता भी बढ़ने लगती है।
  5. टूटते बालों के लिए केले का प्रयोग किया जाये तो बाल मजबूत होकर टूटना बंद हो जाते हैं - यदि बाल जल्दी-जल्दी टूटते हों तो केले के इस प्रयोग से आप अपने बालों को फिर से मजबूती दे सकते हैं। 1 पके हुए केले का गूदा लीजिए, इसमें 1/2 कटोरी नीबू का रस डालकर अच्छी तरह मिला लीजिए। इसे बालों की जड़ों में लगाकर 1/2 घंटे के लिए छोड़ दीजिए और फिर हल्के गर्म पानी से बाल धो लीजिए। ऐसा सप्ताह में 2 बार करना चाहिये। इससे बाल टूटना बन्द होकर बाल मजबूत हो जाते हैं।
 

केले में हैं यह 16 शानदार गुण
 केला अन्य फलों की अपेक्षा अधि‍क पौष्टिक होता है, साथ ही उर्जा का अच्छा विकल्प भी। लेकिन इसके अलावा भी केले में कई गुण होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं, केले के स्वास्थ्यवर्धक गुण -
  1. आंतों की सफाई में भी केला बहुत लाभदायक होता है। साथ ही कब्ज की शिकायत होने पर केला बेहद कारगर होता है।
  2. आंतों में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर या दस्त, पेचिश एवं संग्रहणी रोगों में दही के साथ केले का सेवन करने से फायदा होता है।
  3. आयुर्वेद के अनुसार पका केला शीतल, वीर्यवर्धक, पुष्टिकर, मांसवर्धक, भूख, प्यास, नेत्र रोगों तथा प्रमेह को नष्ट करता है। जबकि कच्चा केला पाचन के लिए भारी, वायु, कफ और कब्ज पैदा करने वाला होता है।
  4. केला ग्लूकोज से भरपूर होता है, जो शरीर को तुरंत उर्जा प्रदान करने में सहायक होता है। इसमें 75 प्रतिशत जल होता है, इसके अलावा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, लोहा और तांबा भी इसमें पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
  5. केले के गूदे को शहर के साथ चेहरे पर लगाने से त्वचा की झुर्रियां खत्म होती हैं, और त्वचा में कसाव आता है। इसके प्रयोग से चेरे पर प्राक़तिक चमक भी आती है।
  6. गर्मी के मौसम में नकसीर फूटने की समस्या होने पर एक पका केला शक्कर मिले दूध के साथ नियमित रूप से खाने पर सप्ताह भर में लाभ होता है। इससे नकसीर आना बंद हो जाता है।
  7. चोट या खरोंच आने पर केले का छिलका उस स्थान पर बांधने से सूजन नहीं होती। इसके नियमित सेवन से आतों की सूजन भी खत्म हो जाती है।
  8. जुबान पर छाले हो जाने की स्थि‍ति में गाय के दूध से बने दही के साथ केले का सेवन करना लाभदायक होता है। इससे छाले ठीक हो जाते हैं।
  9. दमे के इलाज में भी केले का प्रयोग बेहद लाभकारी होता है। कई लोग इसके लिए केले को छिलके सहित सीधा या खड़ा काटकर, उसमें नमक व काली मिर्च लगाकर रातभर चांदनी में रखते हैं और सुबह इस केले को आग पर भूनकर मरीज को खि‍लाते हैं। ऐसा करने से दमा के रोगी को आराम मिलता है।
  10. दिमागी सेहत के लिए भी केला बहुत फायदेमंद होता है। यह एक पौष्टिक और दिमागी क्षमता बढ़ाने वाला आहार है।
  11. पके हुए केले को काटकर, चीनी के साथ मिलाकर बर्तन में बंद कर के रख दें। इसके बाद इस बर्तन को गर्म पानी में डालकर गर्म करें। इस प्रकार बनाए गए शर्बत से, खांसी की समस्या खत्म हो जाती है।
  12. पीलिया के इलाज में भी केले का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए केले को बगैर छीले, भीगा चूना लगाकर रातभर ओस में रखा जाता है, और सुबह छीलकर खाया जाता है। इसे खाने से पीलिया दूर हो जाता है। यह प्रयोग एक से तीन सप्ताह तक नियमित रूप से करना चाहिए।
  13. महिलाओं में श्वेत प्रदर की समस्या होने पर, नियमित रूप से दो पके केलों का सेवन करना काफी लाभदायक होता है। प्रतिदिन एक केला लगभग 5 ग्राम शुद्ध देसी घी के साथ सुबह और शाम को खाने से भी प्रदर रोग दूर होता है।
  14. वजन बढ़ाने के लिए भी केले का प्रयोग रामबाण उपाय है। प्रतिदिन एक पाव दूध के साथ दो पके केले का सेवन करने से वजन तेजी से बढ़ता है। लगभग एक महीने तक यह प्रयोग काफी लाभप्रद सिद्ध होता है।
  15. शरीर के किसी भी स्थान पर आग से जलने पर केले के गूदे को मरहम की तरह लगाने पर तुरंत राहत मिलती है ।
  16. शरीर में रक्त निर्माण और रक्त को शुद्ध करने के लिए भी केला फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद लोहा, तांबा और मैग्नीशियम रक्त निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
 
केला खाने फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे
केला खाने वालों का एनर्जी लेवल साधारण व्यक्ति से ज्यादा होता है। एनर्जी लेवल बढ़ाने के साथ ही केले में विटामिन, आयरन और फाइबर पाया जाता है। एनर्जी से भरपूर होने के कारण एथलीट प्रतिदिन केले का सेवन अवश्य करते हैं। वहीं कुछ लोगों में गलतफहमी होती है कि केले के सेवन से इंसान मोटा हो जाता है। केले के सेवन के साथ वर्कआउट करना जरूरी होता है। यदि आप वर्कआउट कम और केले का सेवन तय मात्रा से ज्यादा करते हैं तो आपके शरीर पर चर्बी बढ़ सकती है।
  1. आयरन - एनीमिया यानी शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी। यदि आप भी एनीमिया के शिकार हैं तो आपको केला अवश्य खाना चाहिए। केले के सेवन से शरीर में आयरन की कमी धीरे-धीरे कम होती है और आपकी एनीमिया की समस्या में भी सुधार होता है।
  2. कब्ज - केला पेट में होने वाली कब्ज की परेशानी से राहत देता है। आप इस्बगोल की भुस्सी या दूध के साथ केले का सेवन प्रतिदिन रात में सोते समय करें। ऐसा करने पर आपको पेट में होने वाली कब्ज और गैस की समस्या से राहत मिलेगी।
  3. खून पतला करने में सहायक - केले का सेवन खून को पतला कर धमनियों में रक्त का संचालन दुरुस्त करता है। केले में पाया जाने वाला मैग्नीशियम शरीर में जाकर रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होने से धमनियों में रक्त का संचालन सही रहता है।
  4. डिप्रेशन से राहत - कई रिसर्च से साफ हुआ है कि केले का सेवन डिप्रेशन के रोगियों को आराम देता है। केले में ऐसा प्रोटीन पाया जाता है जो आपको रिलेक्स फील कराता है। यही कारण है कि डिप्रेशन का मरीज जब भी केले का सेवन करता है तो उसे राहत मिलती है। इसके अलावा केले में पाया जाने वाला विटामिन बी 6 शरीर में ब्लड ग्लूकोज के लेवल को ठीक रखता है।
  5. ताकत बढ़ाए - केले का सेवन शरीर में खून की मात्रा बढ़ाकर शरीर की ताकत बढ़ाता है। प्रतिदिन केला और दूध का सेवन करने से व्यक्ति कुछ ही दिनों में दुरुस्त हो जाता है और उसके शरीर हष्ट-पुष्ट हो जाता है।
  6. पाचन क्रिया को बेहतर बनाए - केले में पाए जाने वाले फाइबर से पाचन क्रिया सही रहती है। पाचन क्रिया सही रहने का परिणाम यह होता है कि आप तमाम बीमारियों से दूर रहते हैं। यदि आप भी रोजाना केले का सेवन करते हैं तो आपकी पाचन क्रिया अच्छी रहेगी।
  7. प्रदर रोग में फायदेमंद - केला और दूध की खीर को खाने से सुबह या शाम के समय प्रतिदिन खाएं या भोजन करने के बाद दो केला का सेवन नियमित करने से प्रदर रोग में आराम मिलता है। इसके अलावा आप प्रदर रोग में राहत के लिए केला खाने के बाद दूध में शहर घोलकर पीने से भी लाभ मिलता है।
  8. लूज मोशन में फायदा करें - यदि आपके घर में किसी को दस्त लग गए हैं तो पके केले को फेंटकर मक्खन की तरह बना लें। अब इसमें कुछ दानें मिश्री के मिलाकर दिन में दो से तीन बार लें। ऐसा करने से लूज मोशन की समस्या में आराम मिलेगा।
  9. सूखी खांसी में आरामदायक - यदि आपको या आपके बच्चे को सूखी खांसी या पुरानी खांसी की समस्या है तो केले का शर्बत बनाकर पीना आपको आराम दे सकता है। केले का शर्बत बनाने के लिए दो केले को मिक्सी में लेकर अच्छी तरह फेट लें। अब इसमें दूध और सफेद इलायची मिलाकर पिएं।


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केट नामक दो टके घटिया कम्पनी की सर्विस और उसकी धोखाधड़ी





मैंने जुलाई महीने में इलाहाबाद के प्रयाग इंटरप्राइजेज सर्विस सेंटर को 5500 देकर AMC, आज जब उनके पास शिकायत की उनके सुधारक आये और कहा की मोटर लीक हो गयी है इसे बदलना पड़ेगा और जब हम्रारे पास रिपेयर मोटर आएगी तब यह ठीक होगा. मैंने कहा कि आप ऐसे कैसे पुराना सामान दोगे और जब तक मशीन नहीं ठीक होगी तो हम सामान्य पानी ही पियेगे और अगर ऐसा ही है तो हम AMC के 5500 रुपये क्यों दे.


इसके बाद मैंने आपके टोल्ड कस्टमर केयर पर कॉल किया और मैंने अपनी समस्या बताई और बताया कि मैंने AMC कस्टमर हूँ और उनके द्वारा मुझे 151114-03896 कम्प्लेन नंबर दिया गया.


शाम 4 बजे मेरे पास मोबाइल नंबर 7800477773 कॉल आई और उन्होंने बताया कि वो ग्लोबल इंटरप्राइजेज से बोल रही हूँ और उन्होंने जो जानकारी पूछी और मैंने बताया और यह भी बताया कि मैंने AMC कस्टमर हूँ. तो उनके द्वारा बताया गया कि जिनसे आपने AMC करवाई है वह आपकी मशीन ठीक करेगे. जब मैंने कहा कि वो मशीन नहीं ठीक कर रहे है इसलिए मैंने कम्प्लेन की और मेरी कम्प्लेन आपको दी गयी है. ग्लोबल इंटरप्राइजेज द्वारा बताया गया कि जब आप AMC लिया है तो Kent RO के ओरिजनल पार्ट्स पैकिंग युक्त सामान ही लीजियेगा. और यह भी बताया कि यदि आप हमसे AMC लेते तो यह आपको 4200 रूपये की पड़ती. मतलब कि मुझे 1300 रुपये ज्यादा लिए गया और सर्विस सबसे भ्रष्ट मिल रही है.


इसके बाद मैंने फिर Kent टोल्ड नंबर पर कॉल किया तो उनके द्वारा समस्या के समाधान करने के बजाय मुझे 20 मिनट बाद यह कहा गया कि आप वेबसाइट पर कम्पलेन कीजिये. मतलब आदमी साफ़ पानी पीने लिए Kent RO लिया है और उसके मेंटेनेंस के लिए अतिरिक्त 5500 रूपये दिया है. जब सर्विस नहीं दे पा रहे हो तो ग्राहकों को मुर्ख बनाने लिए मशीन क्यों बेच रहे हो.


आपकी AMC पालिसी ग्राहकों को ठगने का धंधा है और कुछ नहीं. AMC के नाम पर मैं ठगाई में फंस गया हूँ और दो दिनों से 22000 रूपये केंट आरो को देने के बाद भी दूषित पानी पीने के लिए विवश हूँ. किंतु अब आपके AMC के गोरखधंधे का पर्दाफाश करूँगा और आपसे उपभोक्ता अदालत के माध्यम पूरा मुआवजा वसूल करूँगा..


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अलसी के औषधीय गुण तथा विभिन्न बीमारियों में उपयोग व फायदे



अलसी के बीज के फायदे हृदय रोग के लिए
Flax Seeds for Heart in Hindi
 जटिल समस्या के लिए अचूक औषधि है अलसी
जटिल समस्या के लिए अचूक औषधि है अलसी
अलसी को तीसी भी कहा जाता है यह सम-शीतोष्ण प्रदेशों का पौधा है। रेशेदार फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी और टाट बनाए जाते हैंऔीइसके बीज से तेल निकाला जाता है। अलसी का तेल खाने के साथ साथवार्निश, रंग, साबुन, रोगन, पेन्ट तैयार करने में किया जाता है। चीन सन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रेशे के लिए सन को उपजाने वाले देशों में रूस, पोलैण्ड, नीदरलैण्ड, फ्रांस, चीन तथा बेल्जियम प्रमुख हैं और बीज निकालने वाले देशों में भारत, संयुक्त राज्य अमरीका तथा अर्जेण्टाइना के नाम उल्लेखनीय हैं। सन के प्रमुख निर्यातक रूस, बेल्जियम तथा अर्जेण्टाइना हैं।

अलसी भारतवर्ष में भी पैदा होती है। लाल, श्वेत तथा धूसर रंग के भेद से इसकी तीन उपजातियाँ हैं इसके पौधे दो या ढाई फुट ऊँचे, डालियां बंधती हैं, जिनमें बीज रहता है। इन बीजों से तेल निकलता है, जिसमें यह गुण होता है कि वायु के संपर्क में रहने के कुछ समय में यह ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। विशेषकर जब इसे विशेष रासायनिक पदार्थों के साथ उबला दिया जाता है। तब यह क्रिया बहुत शीघ्र पूरी होती है। इसी कारण अलसी का तेल रंग, वारनिश और छापने की स्याही बनाने के काम आता है। इस पौधे के एँठलों से एक प्रकार का रेशा प्राप्त होता है जिसको निरंगकरलिनेन (एक प्रकार का कपड़ा) बनाया जाता है। तेल निकालने के बाद बची हुई सीठी को खली कहते हैं जो गाय तथा भैंस को बड़ी प्रिय होती है। इससे बहुधा पुल्टिस बनाई जाती है।

आयुर्वेद में अलसी को मंद सुगंधयुक्त, मधुर, बल कारक, किंचित कफवात-कारक, पित्त नाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है। गरम पानी में डालकर केवल बीजों का या इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर, क्वाथ (काढ़ा) बनाया जाता है, जो रक्तअतिसार और मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी कहा गया है।

अलसी असरकारी ऊर्जा, स्फूर्ति व जीवटता प्रदान करता है। अलसी, तीसी, अतसी, कॉमन फ्लेक्स और वानस्पतिक लिनभयूसिटेटिसिमनम नाम से विख्यात तिलहन अलसी के पौधे बागों और खेतों में खरपतवार के रूप में तो उगते ही हैं, इसकी खेती भी की जाती है। इसका पौधा दो से चार फुट तक ऊंचा, जड़ चार से आठ इंच तक लंबी, पत्ते एक से तीन इंच लंबे, फूल नीले रंग के गोल, आधा से एक इंच व्यास के होते हैं। इसके बीज और बीजों का तेल औषधि के रूप में उपयोगी है। अलसी रस में मधुर, पाक में कटु (चरपरी), पित्तनाशक, वीर्यनाशक, वात एवं कफ वर्घक व खांसी मिटाने वाली है। इसके बीज चिकनाई व मृदुता उत्पादक, बलवर्घक, शूल शामक और मूत्रल हैं। इसका तेल विरेचक (दस्तावर) और व्रण पूरक होता है।

अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है। इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है। एंटी फ्लोजेस्टिन नामक इसका प्लास्टर डॉक्टर भी उपयोग में लेते हैं। चरक संहिता में इसे जीवाणु नाशक माना गया है। यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है।

इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है। यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है। अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है। यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है। अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है। उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं।

तनाव के क्षणों में शांत व स्थिर बनाए रखने में सहायक है। कैंसर रोधी हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाता है। अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है। कुछ शोध से ये बात सामने आई कि इससे दिल की बीमारी, कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इस छोटे से बीच से होने वाले फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है,​​ जिसका इस्तेमाल सदियों से लोग करते आए हैं। इसके रेशे पाचन को सुगम बनाते हैं, इस कारण वजन नियंत्रण करने में अलसी सहायक है। रक्त में शर्करा तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। जोड़ों का कड़ापन कम करता है। प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रखता है। हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करता है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है। त्वचा को स्वस्थ रखता है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा आदि से बचाता है। बालों व नाखून की वृद्धि कर उन्हें स्वस्थ व चमकदार बनाता है। इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियों से राहत प्रदान करता है। मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम कर गर्भाशय को स्वस्थ रखता है। अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है। अलसी का सेवन भोजन के पहले या भोजन के साथ करने से पेट भरने का एहसास होकर भूख कम लगती है। प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रख कब्ज से मुक्ति दिलाता है। 

अलसी कैसे काम करती है
अलसी के चमत्कार को दुनिया ने माना है, आधुनिक युग में स्त्रियों की यौन-इच्छा, कामोत्तेजना, चरम-आनंद विकार, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की महान औषधि है। स्त्रियों की सभी लैंगिक समस्याओं के सारे उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। (व्हाई वी लव और ऐनाटॉमी ऑफ लव) की महान लेखिका, शोधकर्ता और चिंतक हेलन फिशर भी अलसी को प्रेम, काम-पिपासा और लैंगिक संसर्ग के लिए आवश्यक सभी रसायनों जैसे डोपामीन, नाइट्रिक ऑक्साइड, नोरइपिनेफ्रीन, ऑक्सिटोसिन, सीरोटोनिन, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स का प्रमुख घटक मानती है।

सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे। अलसी आपकी देह को ऊर्जावान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा। अलसी में ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन, लिगनेन, सेलेनियम, जिंक और मेगनीशियम होते हैं जो स्त्री हार्मोन्स, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स (आकर्षण के हार्मोन) के निर्माण के मूलभूत घटक हैं। टेस्टोस्टिरोन आपकी कामेच्छा को चरम स्तर पर रखता है।

अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट और लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे कामोत्तेजना बढ़ती है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करती हैं जिससे मस्तिष्क और जननेन्द्रियों के बीच सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है। नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, दिव्य सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर शिव और उमा की रति-क्रीड़ा का उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।
रिसर्च और वैज्ञानिक आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों के रहस्य को जानने और मानने लगे हैं। अलसी के बीज के चमत्कारों का हाल ही में खुलासा हुआ है कि इनमें 27 प्रकार के कैंसररोधी तत्व खोजे जा चुके हैं। अलसी में पाए जाने वाले ये तत्व कैंसररोधी हार्मोन्स को प्रभावी बनाते हैं, विशेषकर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर व महिलाओं में स्तन कैंसर की रोकथाम में अलसी का सेवन कारगर है। दूसरा महत्वपूर्ण खुलासा यह है कि अलसी के बीज सेवन से महिलाओं में सेक्स करने की इच्छा तीव्रतर होती है। यह गनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा के उपचार में उपयोगी है।

अलसी का सेवन कैसे करे
अलसी का सेवन कैसे करे
  • अलसी को धीमी आँच पर हल्का भून लें। फिर मिक्सर में पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भरकर रख लें। रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच पावडर पानी के साथ लें। इसे अधिक मात्रा में पीस कर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह खराब होने लगती है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा ही पीस कर रखें। अलसी सेवन के दौरान पानी खूब पीना चाहिए। इसमें फायबर अधिक होता है, जो पानी ज्यादा माँगता है।
  • हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये, 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये. डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें।
  • कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।
  • अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है।
  • पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है। अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें। स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा।
  • अलसी के साबुत बीज कई बार हमारे शरीर से पचे बिना निकल जाते हैं इसलिए इन्हें पीसकर ही इस्तेमाल करना चाहिए। 20 ग्राम (1 टेबलस्पून) अलसी पाउडर को सुबह खाली पेट हल्के गर्म पानी के साथ लेने से शुरुआत करें। आप इसे फल या सब्जियों के ताजे जूस में मिला सकते हैं या अपने भोजन में ऊपर से बुरक कर भी खा सकते हैं।
  • दिन भर में 2 टेबलस्पून (40 ग्राम) से ज्यादा अलसी का सेवन न करें।
  • साबुत अलसी लंबे समय तक खराब नहीं होती लेकिन इसका पाउडर हवा में मौजूद ऑक्सीजन के प्रभाव में खराब हो जाता है, इसलिए ज़रूरत के मुताबिक अलसी को ताज़ा पीसकर ही इस्तेमाल करें। इसे अधिक मात्रा में पीसकर न रखें। बहुत ज्यादा सेंकने या फ्राई करने से अलसी के औषधीय गुण नष्ट हो सकते हैं और इसका स्वाद बिगड़ सकता है।
  • अलसी खाने से कुछ लोगों को शुरुआत में कब्ज हो सकती है। ऐसा होने पर पानी ज्यादा पिएं। अलसी खून को पतला करती है इसलिए यदि आपको ब्लड प्रेशर की समस्या हो तो इसके सेवन से पहले डॉक्टर से परामर्श कर लें।
  • अलसी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़नेवाले प्रभावों पर हालांकि कोई बड़ी रिसर्च नहीं हुई है लेकिन पारंपरिक ज्ञान में Flax seed को बहुत गुणकारी माना गया है। इसके उपयोग से कोलेस्ट्रॉल के लेवल में कमी आना देखा गया है।
अलसी अलसी के लाभ

अलसी के बीज के 20 फायदे, अलसी कैसे खायें (अलसी के लाभ)
  • अगर आप चाहती हैं की आपके त्वचा स्वस्थ, चिकनी और चमकदार रहे तो, रोज़ 1 से 2 चम्मच अलसी अपने रूटीन में शामिल करें। इसमें पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा में कोलेजन प्रोडक्शन और नई सेल्स के बनने को बढ़ावा देते हैं जिससे त्वचा पर उम्र के साथ होने वाले बदलाव कम दिखाई देते हैं।
  • अलसी आपकी देह को ऊर्जावान, बलवान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा।
  • अलसी के बीज में विटामिन ई बालों की जड़ों और सिर की त्वचा को पोषण प्रदान करते हैं और झड़ते हुए बालों और गंजेपन को रोकने में मदद करते हैं। यह सोरायसिस (Psoriasis) से संबंधित बालों के झड़ने से उबरने में भी लोगों की मदद कर सकते हैं।
  • अलसी पुरूष को कामदेव तो स्त्रियों को रति बनाती है, अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्र स्खलन व स्तम्भन दोष में बहुत लाभदायक है। अर्थात स्त्री-पुरुष की समस्त लैंगिक समस्याओं का एक-सूत्रीय समाधान है। इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, जबरदस्त अश्वतुल्य स्तंभन होता है, जब तक मन न भरे सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर एक आध्यात्मिक उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।
  • अलसी में ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाने का गुण पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन कैंसर से बचाता है। यह हार्मोन के प्रति संवेदनशील होता है और ब्रेस्ट कैंसर के ड्रग टामॉक्सीफेन पर असर नहीं डालता है।
  • अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन एवं लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे शक्तिशाली स्तंभन तो होता ही है साथ ही उत्कृष्ट और गतिशील शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करते हैं जिससे सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है। नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ओमेगा-3 फैट के अलावा सेलेनियम और जिंक प्रोस्टेट के रखरखाव, स्खलन पर नियंत्रण, टेस्टोस्टिरोन और शुक्राणुओं के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक हैं। कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार अलसी लिंग की लंबाई और मोटाई भी बढ़ाती है।
  • अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, जिंक और मेगनीशियम आपके शरीर में पर्याप्त टेस्टोस्टिरोन हार्मोन और उत्कृष्ट श्रेणी के फेरोमोन ( आकर्षण के हार्मोन) स्रावित होंगे। टेस्टोस्टिरोन से आपकी कामेच्छा चरम स्तर पर होगी। आपके साथी से आपका प्रेम, अनुराग और परस्पर आकर्षण बढ़ेगा। आपका मनभावन व्यक्तित्व, मादक मुस्कान और शटबंध उदर देख कर आपके साथी की कामाग्नि भी भड़क उठेगी।
  • आप पिसे हुए अलसी के बीज का सेवन दही में डालकर कर सकते हैं। अलसी के फायदे लेने के लिए आप अलसी के तेल का इस्तेमाल आप खाद्य समाग्री को पकाने के लिए कर सकते हैं।
  • आपका हर्बल चिकित्सक आपकी सारी सेक्स सम्बंधी समस्याएं अलसी खिला कर ही दुरुस्त कर देगा क्योंकि अलसी आधुनिक युग में स्तंभनदोष के साथ साथ शीघ्र स्खलन, दुर्बल कामेच्छा, बांझपन, गर्भपात, दुग्ध अल्पता की भी महान औषधि है। सेक्स संबन्धी समस्याओं के अन्य सभी उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। बस 30 ग्राम रोज लेनी है।
  • यदि आपको डायबिटीज है, तो किसी भी तरह से अलसी की 25 ग्राम मात्रा को अपनी डाइट में शामिल कर लें। आप चाहें तो इस मात्रा को कुछ भागों में बाँट सकते हैं। और फिर दिनभर में किसी भी तरह से इसका सेवन कर सकते हैं।
  • सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे।
    तेल तड़का छोड़ कर, नित घूमन को जाय।
    मधुमेह का नाश हो, जो जन अलसी खाय।।
    नित भोजन के संग में, मुट्ठी अलसी खाय।
    अपच मिटे, भोजन पचे, कब्जियत मिट जाये।।
    घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी।
    दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी।।
    धातुवर्धक, बल-कारक, जो प्रिय पूछो मोय।
    अलसी समान त्रिलोक में, और न औषध कोय।।
    जो नित अलसी खात है, प्रात पियत है पानी।
    कबहुं न मिलिहैं वैद्यराज से, कबहुँ न जाई जवानी।।
    अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय।
    रक्त धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाय।।

     अलसी खाने के फायदे और नुकसान

    अलसी खाने के फायदे और नुकसान
    • अलसी का सेवन जोड़ों के दर्द से दिलाये राहत (Flaxseed for joint pain in Hindi Flaxseed) अलसी जोड़ों की हर तकलीफ पर असरदार है। इसे खाने से खून पतला हो जाता है, जिसकी वजह से पैरों में रक्त का प्रवाह सही ढंग से होता है और दर्द जैसी समस्याएँ दूर हो जाती हैं। जोड़ों के दर्द के लिए अलसी के पाउडर को सरसों के तेल के साथ गर्म करें और ठंडा होने के बाद जोड़ों पर लगा लें। अलसी का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें ओमे-3 एसिड पाया जाता है, जो कि दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। एक चम्मच अलसी में 1.8 ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है। इसके प्रयोग से जुड़ें फायदों और नुकसान भी है।
    • अलसी के औषधीय गुण मधुमेह के लिए - Flaxseed for Diabetes in Hindi अलसी के दैनिक सेवन से टाइप 2 मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर में सुधार लाया जा सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग 2 महीनो  के लिए अलसी के लीज के सप्लीमेंट का सेवन करते हैं, उनके रक्त-शर्करा के स्तर पर सकरात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • अलसी के तेल की मालिश से करें बालों की समस्याओं का समाधान - Flaxseed for Hair problem in Hindi Flaxseed अलसी में मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड की उच्च मात्रा बालों के लोच में वृद्धि करता है और उनके टूटने की संभावना कम करता है। अलसी के फायदे खोपड़ी में सीबम के उत्पादन को प्रोत्साहित करते हैं, इस प्रकार फलक और रूसी को रोकते हैं।
    • अलसी के फायदे कैंसर के लिए - Flaxseeds for Cancer in Hindi अलसी में एंटीऑक्सीडेंट कैंसर से सुरक्षा प्रदान करते हैं। हाल के अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि अलसी स्तन, प्रोस्टेट और पेट के कैंसर के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं। अलसी के बीज का पाउडर और अलसी का तेल दोनों ही अल्फा-लिनोलेनिक एसिड, ओमेगा -3 फैटी एसिड से समृद्ध है जो कैंसर के खिलाफ फायदेमंद है।
    • अलसी के फायदे बनायें त्वचा सुन्दर और चमकदार – Flaxseed for skin in Hindi Flaxseed अलसी और इसके तेल में कई त्वचा के अनुकूल पोषक तत्व होते हैं जो त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। लिग्नान और ओमेगा 3 फैटी एसिड के उच्च स्तर, आपके पेट को साफ रखते है और त्वचा रोगों को रोकते हैं। ओमेगा 3 फैटी एसिड त्वचा कोशिकाओं के स्वस्थ विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। अलसी के फायदे में इसकी अलसी की नियमित खपत, त्वचा की जलन, चकत्ते, सूजन और लालिमा को कम कर सकती है। अलसी में आवश्यक फैटी एसिड त्वचा को हाइड्रेटेड और मॉइस्चराइज करते रहें, इस प्रकार मुँहासे और छालरोग जैसी त्वचा की समस्याओं को रोकते है।
    • अस्थमा वालों के लिए लाजवाब - सर्दी, खांसी, जुकाम में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। अस्थमा में यह चाय विशेष उपयोगी है। अस्थमा वालों के लिए एक और नुस्खा भी है।
    • एलर्जी का कारण - अलसी का अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक प्रतिकूल प्रभाव का कारण भी बन सकता है। इसके कारण पेट दर्द, मितली आना और उलटी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं, अलसी को खाने से सांस लेने में समस्या और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है।
    • कफ पिघलाने में मददगार - अलसी के बीजों का मिक्सी में तैयार किया गया दरदरा चूर्ण 15 ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री 20 ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए 300 ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। इस रस को तीन घंटे बाद छानकर पिएं। इससे गले व श्वास नली में जमा कफ पिघल कर बाहर निकल जाएगा।
    • गैस की समस्या बढ़ जाती है - अलसी में फाइबर ज्यादा मात्रा में पाये जाने के कारण कई बार यह पेट में गैस या ऐंठन जैसी समस्या होने का भी कारण होती है। कई बार इसे बिना तरल पदार्थ के लेने से कब्ज की भी समस्या हो जाती है।
    • घाव भरने में देरी - यदि आप अलसी का सेवन करते हैं और आपको कोई चोट लग जाती है तो अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा -3 खून जमने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। ऐसे में आपके कोई चोट लगने पर खून बहना रुक नहीं नहीं पाता।
    • पेट की समस्याएं - अलसी या कोई भी फ्लैक्सीड्स अधिक मात्रा में खाना आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसी तरह अलसी में मौजूद लैक्सेटिव दस्त, सीने में जलन और बदहजमी जैसी पेट की समस्याएं भी बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप प्रतिदिन 30 ग्राम अलसी से ज्यादा सेवन न करें।
    • मधुमेह को नियंत्रित रखता है - अलसी का सेवन मधुमेह के स्तर को नियंत्रित रखता है। अमेरिका में डायबिटीज से ग्रस्त लोगों पर रिसर्च से यह सामने आया है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।
    • सेक्स समस्या के लिए अचूक औषधि है अलसी  - अलसी में पाए जाने वाले ये तत्व कैंसर रोधी हार्मोन्स को प्रभावी बनाते हैं, विशेषकर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर व महिलाओं में स्तन कैंसर की रोकथाम में अलसी का सेवन कारगर है।
    • हृदय से जुड़ी बीमारियां - अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा-3 जलन को कम करता है और हृदय गति को सामान्य रखने में मददगार होता है। ओमेगा-3 युक्त भोजन से धमनियां सख्त नहीं होती है। साथ ही यह श्वेत रक्त कणिका को ब्लड धमनियों की आंतरिक परत पर चिपका देता है।
    सेक्स संबन्धी समस्याओं के उपचारों में सर्वश्रेष्ठ है अलसी / अलसी का सेवन कैसे करे
    • हर्बल चिकित्सक में सेक्स सम्बंधी सारी समस्याएं अलसी दुरुस्त कर देगा क्योंकि अलसी आधुनिक युग में स्तंभनदोष के साथ साथ शीघ्रस्खलन, दुर्बल कामेच्छा, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की भी महान औषधि है। सेक्स संबन्धी समस्याओं के अन्य सभी उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। बस 30 ग्राम रोज लेनी है।
    • अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन एवं लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे शक्तिशाली स्तंभन तो होता ही है साथ ही उत्कृष्ट और गतिशील शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करते हैं जिससे सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है। नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ओमेगा-3 फैट के अलावा सेलेनियम और जिंक प्रोस्टेट के रखरखाव, स्खलन पर नियंत्रण, टेस्टोस्टिरोन और शुक्राणुओं के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक हैं। कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार अलसी लिंग की लंबाई और मोटाई भी बढ़ाती है।
    • अलसी के सेवन से प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, जबर्दस्त अश्वतुल्य स्तंभन होता है, जब तक मन न भरे सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर एक आध्यात्मिक उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।
    • अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।
    • महिलाओं में योनि शुष्कता की समस्या आम होती है। यह समस्या साधारणतः रजोनिवृत्ति के समय शुरू होती है। इस समस्या के कारण शारीरिक संबंध स्थापित करने में दर्द होता है या पूर्ण संतुष्टि नहीं मिल पाती है। वैसे तो इसके लिए बाजार में कई तरह के लेपमिल जाते हैं। लेकिन प्राकृतिक उपचार करना ही सबसे सुरक्षित उपाय होता है। अलसी का बीज योनि शुष्कता की समस्या से निजात दिलाने में बहुत मदद करती है। अलसी का बीज फाइटोएस्ट्रोजेन और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का मूल स्रोत होता है। जिसके कारण यह शरीर में एस्ट्रोजेन के स्तर को बढ़ाने और योनि के शुष्कता को कम करने में बहुत मदद करती है।
    • अलसी के नियमित सेवन से स्त्रियों के स्तनों में वृद्धि होती है। गर्भवती स्त्री के स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए भी इसे खाने की सलाह दी जाती है। साथ ही अलसी के बीज महिलाओं में सेक्स के प्रति दिलचस्प‍ी जाग्रत करते हैं। यौनांगों में जलन और योनि संकुचन जैसी बीमारियों के लिए तो इसे अचूक औषधि माना गया है। इसके अलावा मासिक धर्म से संबंधित परेशानियों में भी इसके द्वारा इलाज किया जाता है। अलसी के लगातार सेवन से चेहरे पर भी कांति आती है।
    • संक्षेप में हम कह सकते है कि अलसी महिलाओं में सेक्स की इच्छा जगाती है, अलसी सेक्स संबन्धी समस्याओं में सर्वश्रेष्ठ है, अलसी सेक्स संबन्धी समस्याओं के उपचारों में सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है, अलसी शीघ्र पतन को दूर करने सावधिक असरदार है, गुप्त रोगो क़ी चमत्कारी दवा है भी अलसी है, सेक्स संबन्धी समस्याओं के उपचारों अलसी से अंत में अलसी सेक्स की हर समस्या का अंत करने में सहायक है।
    अलसी के बीज के 20 फायदे, अलसी कैसे खायें
    Alsi ke Fayde aur Alsi ka sevan Kaise Karen
    • अलसी किडनी संबंधित समस्याओं में भी लाभकारी है। डायबिटीज़, कैंसर, ल्यूपस, और आर्थ्राइटिस आदि रोगों में भी इसके प्रभावों पर रिसर्च की जा रही है। 
    • अलसी के आयुर्वेदिक फायदे : आयुर्वेद में अलसी को मंदगंधयुक्त, मधुर, बल कारक, किंचित कफवात-कारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटाने वाली कहा गया है। 
    • अलसी के बीज ( Flaxseeds ) रक्‍तचाप अर्थात ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने, हाइपरटेंशन के रोगियों के लिए, ब्लड शुगर कंट्रोल में अत्यंत लाभदायक है। 
    • अलसी के बीज Omega 3 fatty acids का बहुत अच्छा स्रोत माने जाते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स की कैप्सूल्स का यह अच्छा विकल्प भी है। डाईटिशियन और डाक्टर भी आजकल इसे खाने की सलाह देते है। 
    • अलसी के बीज एंटी बैकटिरियल, एंटी फंगल और एंटी वायरल होते है। इनका उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक-क्षमता बढाता है। 
    • अलसी के बीज और इसके तेल (जिसे flaxseed oil या linseed oil भी कहते हैं) में Alpha-linolenic Acid (ALA) नामक तत्व होता है जो एक प्रकार का ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड (omega-3 fatty acid) है और इसमें चिकित्सकीय गुण होते हैं। 
    • अलसी के बीज का उपयोग खान-पान में पूर्व सभ्यता काल से हो रहा है। भारत में भी यह आयुर्वेदिक उपचारों, भोज्य पदार्थ बनाने में प्रयुक्त होता रहा है। विज्ञान की नई खोजो से पता चला है कि अलसी कई प्रकार के रोगों और सामान्य स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। दुनिया के अनेक देशों में अलसी या Flaxseed लोकप्रिय और स्वास्थ्यप्रद आहार के रूप में जाना जाता है। 
    • अलसी के बीज में आयरन, जिंक, पोटैशियम, फोस्फोरस, कैल्शियम, विटामिन सी, विटामिन ई, कैरोटीन तत्व पाए जाते हैं। 
    • अलसी के बीज लिग्नांस का बहुत अच्छा स्रोत है, जो कि एस्ट्रोजन और एंटी ओक्सिडेंट गुणों से भरपूर है। इसी वजह से यह औरतों के हार्मोनल बैलेंस के लिए बहुत सहायक होता है। 
    • अलसी बीज का सेवन त्वचा को स्वस्थ और स्निग्ध बनाता है, नाखून को मजबूत और चिकना बनाता है, नेत्र-दृष्टि बरक़रार रखता है, बालों को टूटने से रोकता है और डैंड्रफ भी दूर करता है। यह त्वचा की बीमारियों एक्जिमा, सोराइसिस के उपचार में भी कारगर माना गया है। 
    • अलसी में Poly Unsaturated fatty acids होता है जो कि विशेष रूप से ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और कोलन कैंसर से बचाव करता है। 
    • इन बीजों में पाए जाने वाला अल्फा-लिनोलेनिक एसिड जोड़ो की बीमारी आर्थराइटिस के लिए और सभी तरह के जॉइंट पेन में बहुत राहत दिलाता है। 
    • इन्हें खाली खाएं, हल्का भून कर खाएं अथवा सलाद या दही में मिलाकर खाएं, चाहे तो जूस में मिलाकर पियें। यह जूस के स्वाद को बिना बदले उसकी पोषकता कई गुना बढ़ा देगा। 
    • इसके बीजों को गरम पानी में उबालकर या इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से खूनी दस्त और और मूत्र संबंधी रोगों में लाभ होता है। 
    • ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। ये सबसे अधिक मात्रा में समुद्री मछलियों से प्राप्त होता है लेकिन शाकाहारी लोग पर्याप्त मात्रा में अलसी का सेवन करके इसके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। माना जाता है कि अलसी हमारे दिल को स्वस्थ रखती है। 
    • गर्भवती स्त्रियों और स्तनपान कराने वाली माताओं को अलसी का सेवन अवश्य करना चाहिए। आज भी शहरों और कस्बों के कई परिवारों में ऐसी स्त्रियों को अलसी के बने लड्डू और अन्य भोज्य पदार्थ दिए जाते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि हमारे पूर्वज अलसी का महत्व अच्छी तरह जानते थे पर हम इन्हें भुलाकर सिर्फ दवाइयां खाने में विश्वास करने लगे। 
    • महिलाओं में रजो-निवृत्ति के दौरान होने वाली समस्याओं में भी अलसी के उपयोग से राहत मिलती है। यह देखा गया है कि माइल्ड मेनोपॉज़ की समस्या में रोजाना लगभग 40 ग्राम पिसी हुई अलसी खाने से वही लाभ प्राप्त होते हैं जो हार्मोन थैरेपी से मिलते हैं। 
    • यह बीज फाइबर से भरपूर होते हैं अतः यह वजन घटाने में भी बहुत कारगर है। 
    • यह बीज विटामिन बी काम्प्लेक्स, मैगनिशियम, मैगनीस तत्वों से भरपूर है जोकि कोलेस्ट्रोल को कम करते है।
    अलसी खाने के क्या हैं फायदे
    • अलसी के बीज ही नहीं, इसका तेल भी बहुत गुणकारी है। इसके तेल से चेहरे पर मसाज करने से चेहरे पर चमक आती है।
    • अलसी में ओमेगा 3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर में खून का संचार सही बना रहता है और थक्के भी नहीं जमते हैं।
    • अलसी में बहुत फाइबर भी होता है जो कोलेस्ट्रोल को नियंत्रण में रखता है।
    • अलसी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र के लक्षणों को दिखने नहीं देते।
    • अलसी वजन कम करने में भी मददगार है।
    • इतना ही नहीं बल्कि अलसी अस्थमा, डायबिटीज और हड्डियों की प्रॉब्लम से लड़ने में मदद करता है।
    • कोलेस्ट्रोल के साथ-साथ अलसी खून में शुगर लेवल को भी कंट्रोल में रखता है।
    अलसी के नुकसान - Flax-seed Side Effects in Hindi
    • अलसी के बीज का सेवन जादा करने से गैस की समस्या बढ़ जाती है।
    • अलसी का अधिक मात्रा में सेवन एलर्जिक रिऐक्शन का कारण भी बन सकता है। इसके कारण पेट दर्द, मितली आना और उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं,  इसके सेवन से सांस लेने में समस्या और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है।
    • अलसी के बीज का उच्च मात्रा में सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि यह आंतों में रुकावट पैदा कर सकता है।
    • अलसी में फाइबर ज्यादा मात्रा में पाये जाने के कारण कई बार यह पेट में गैस या ऐंठन जैसी समस्या होने का भी कारण होती है। कई बार इसे बिना तरल पदार्थ के लेने से कब्ज की भी समस्या हो जाती है।
    • अलसी में साइनाइड यौगिकों की थोड़ी मात्रा होती है, जिससे शरीर पर न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, इसका बड़ी मात्रा में उपभोग नहीं किया जाना चाहिए।
    • क्योंकि अलसी के बीज में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है, स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिए अलसी के बीज का सेवन करते समय पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए अन्यथा यह जठरांत्र (gastrointestinal) पर दुष्प्रभाव डाल सकते हैं।
    • गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अलसी के बीज की खुराक लेने से बचना चाहिए।
    • जिन लोगों को निम्न रक्तचाप हो, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे उनका ब्लडप्रेशर और लो हो जाता है।
    • मधुमेह की  दवा के साथ अगर आप अलसी के बीज का सेवन करते है तो अपने ब्लड में शर्करा की जांच करते रहें।
    अलसी का पौधा 
    अलसी का पौधा
    अलसी का पौधा  

    अलसी का पौधा  
    अलसी का पौधा

    महत्वपूर्ण लेख 


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    संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा



    Human-Rights-Meaning-Universal-Declaration-Importance-in-Hindi
    प्रस्तावना
    चूंकि मानव परिवारों के सभी सदस्यों के जन्मजात गौरव और समान तथा अविच्छिन्न अधिकार की स्वीकृति ही विश्व-शांति, न्याय और स्वतंत्रता की बुनियाद है, चूंकि मानवाधिकारों के प्रति उपेक्षा और घृणा के फलस्वरूप ऐसे बर्बर कार्य हुए जिनसे मनुष्य की आत्मा पर अत्याचार किया गया, चूंकि एक ऐसी विश्व-व्यवस्था की उस स्थापना को (जिसमें लोगों को भाषण और धर्म की आजादी तथा भय और अभाव से मुक्ति मिलेगी) सर्वसाधारण के लिए सर्वोच्च आकांक्षा घोषित किया गया है, चूंकि अगर न्याययुक्त शासन और जुल्म के विरुद्ध लोगों को विद्रोह करने के लिए-उसे ही अन्तिम उपाय समझकर-मजबूर नहीं हो जाना है, तो कानून द्वारा नियम बनाकर मानवाधिकारों की रक्षा करना अनिवार्य है, चूंकि राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए यह आवश्यक है। चूंकि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की जनता के बुनियादी मानवाधिकारों में, मानव व्यक्तित्व के गौरव और योग्यता में और नर-नारियों के समान अधिकारों में अपने विश्वास को अधिकार-पत्र में दुहराया है और यह निश्चय किया है कि अधिक व्यापक स्वतंत्रता के अन्तर्गत सामाजिक प्रगति एवं जीवन के बेहतर स्तर को ऊँचा किया जाए, चूंकि सदस्य देशों ने यह प्रतिज्ञा की है कि वे संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से मानवाधिकारों और बुनियादी आज़ादियों के प्रति सार्वभौम सम्मान की वृद्धि करेंगे, चूंकि इस प्रतिज्ञा को पूरी तरह से निभाने के लिए इन अधिकारों और आज़ादियों का स्वरूप ठीक-ठीक समझना सबसे अधिक जरूरी है। इसलिए, अब, महासभा घोषित करती है कि मानवाधिकारों की यह सार्वभौम घोषणा सभी देशों और सभी लोगों की समान सफलता है। इसका उद्देश्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति और समाज का प्रत्येक भाग इस घोषणा को लगातार दृष्टि में रखते हुए अध्यापन और शिक्षा के द्वारा यह प्रयत्न करेगा कि इन अधिकारों और आजादियों के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हो, और उपरोक्त ऐसे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय उपाय किए जाएं जिनसे सदस्य देशों की जनता तथा उनके द्वारा अधिकृत प्रदेशों की जनता इन अधिकारों की सार्वभौम और प्रभावोत्पादक स्वीकृति दे और उनका पालन कराए।

    अनुच्छेद 1
    • सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है। उन्हें बुद्धि और अन्तरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिए।
    अनुच्छेद 2
    • सभी को इस घोषणा में सन्निहित सभी अधिकारों और आज़ादियों को प्राप्त करने का हक है और इस मामले में जाति, वर्ण , लिंग, धर्म, राजनीति या अन्य विचार-प्रणाली, किसी देश या समाज विशेष में जन्म, संपत्ति या किसी प्रकार की अन्य मर्यादा आदि के कारण भेदभाव का विचार नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, चाहे कोई देश या राज्य क्षेत्र स्वतंत्र हो, संरक्षित हो, या स्वशासन रहित हो या किसी अन्य प्रकार की सीमित संप्रभुता वाला हो, उस देश या राज्य क्षेत्र की राजनीतिक, क्षेत्राधिकार या अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहाँ के निवासियों के प्रति फर्क नहीं रखा जाएगा।
    अनुच्छेद 3
    • प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, स्वाधीनता और वैयक्तिक सुरक्षा का अधिकार है।
    अनुच्छेद 4
    • कोई भी दासता की हालत में नहीं रखा जाएगा, दास -प्रथा और गुलामों का व्यापार अपने सभी रूपों में निषिद्ध होगा।
    अनुच्छेद 5
    • किसी को भी शारीरिक यातना नहीं दी जाएगी और न किसी के भी प्रति निर्दय, अमानुषिक या अपमानजनक व्यवहार होगा।
    अनुच्छेद 6
    • हर किसी को हर जगह कानून की निगाह में व्यक्ति के रूप में स्वीकृति-प्राप्ति का अधिकार है।
    अनुच्छेद 7
    • कानून की निगाह में सभी बराबर हैं और उन्हें किसी भी भेदभाव के बिना कानून की सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है। इस घोषणा का अतिक्रमण करके कोई भी भेदभाव किया जाए इस प्रकार के भेद-भाव को किसी प्रकार से उकसाया जाये, तो उसके विरूद्ध समान संरक्षण का अधिकार भी सभी को प्राप्त है।
    अनुच्छेद 8
    • सभी को संविधान या कानून द्वारा प्राप्त बुनियादी अधिकारों का अतिक्रमण करने वाले कार्यों के विरुद्ध उपयुक्त समुचित राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल की कारगर सहायता पाने का अधिकार है।
    अनुच्छेद 9
    • किसी को भी मनमाने ढंग से गिरफ्तार, नजरबंद या देश से निष्कासित नहीं किया जाएगा।
    अनुच्छेद 10
    • सभी को पूर्णतः समान रूप से हक है कि उनके अधिकारों और दायित्वों के निश्चय करने के मामले में और उन पर आरोपित फौजदारी के किसी मामले में उनकी सुनवाई न्यायोचित और सार्वजनिक रूप से निरपेक्ष एवं निष्पक्ष अदालत द्वारा हो।
    अनुच्छेद 11
    • प्रत्येक व्यक्ति, जिस पर दण्डनीय अपराध का आरोप लगाया गया हो, तब तक निर्दोष माना जाएगा, जब तक उसे ऐसी खुली अदालत में, जहाँ उसे अपनी सफाई की सभी आवश्यक सुविधाएं प्राप्त हों, कानून के अनुसार अपराधी न सिद्ध कर दिया जाए।
    • कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे दण्डनीय अपराध का अपराधी नहीं माना जायेगा जो उसने उस समय किया है जिस समय वह कृत्य किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दंडनीय अपराध नहीं माना जाता था और इसके लिए कोई उससे अधिक भारी दंड नहीं दिया जायेगा जो उस समय दिया जाता जब यह अपराध किया गया था।
    अनुच्छेद 12
    • किसी व्यक्ति की निजता (या प्राइबेसी), परिवार, घर या पत्र व्यवहार के प्रति कोई मनमाना हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, और न किसी के सम्मान और ख्याति पर कोई आक्षेप किया जायेगा। ऐसे हस्तक्षेप या अक्षेपों के विरुद्ध प्रत्येक को कानूनी रक्षा का अधिकार प्राप्त है।
    अनुच्छेद 13
    • हर व्यक्ति को अपने देश की सीमाओं के अंदर स्वतन्त्रतापूर्वक आने, जाने और बसने का अधिकार है।
    • प्रत्येक व्यक्ति को अपने या पराये किसी भी देश को छोड़ने और अपने देश को वापस आने का अधिकार है।
    अनुच्छेद 14
    • प्रत्येक व्यक्ति को सताये जाने पर दूसरे देशों में शरण लेने और रहने का अधिकार है।
    • इस अधिकार का लाभ ऐसे मामलों में नहीं मिलेगा जो वास्तव में गैर राजनीतिक अपराधों से सम्बन्धित हैं, या जो संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों के विरुद्ध कार्य हैं।
    अनुच्छेद 15
    • प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीयता नागरिकता का अधिकार है।
    • किसी को भी मनमाने ढंग से अपनी राष्ट्रीयता से वंचित नहीं किया जा सकता और न उसे अपनी राष्ट्रीयता बदलने से रोका जा सकता है।
    अनुच्छेद 16
    • बालिग स्त्री-पुरुषों को बिना, राष्ट्रीयता या धर्म के प्रतिबंधों के बिना आपस में विवाह करने और परिवार बनाने का अधिकार हैं। उन्हें विवाह के विषय में, वैवाहिक जीवन के दौरान, तथा विवाह-विच्छेद के बारे में समान अधिकार हैं।
    • विवाह के इरादे वाले स्त्री-पुरुषों की पूर्ण और स्वतंत्र सहमति पर ही विवाह हो सकेगा।
    • परिवार समाज की स्वाभाविक और बुनियादी सामाजिक इकाई है और उसे समाज तथा राज्य द्वारा संरक्षण पाने का अधिकार है।
    अनुच्छेद 17
    • प्रत्येक व्यक्ति को अकेले और दूसरों के साथ मिलकर संपत्ति रखने का अधिकार है।
    • किसी को भी मनमाने ढंग से अपनी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।
    अनुच्छेद 18
    • प्रत्येक व्यक्ति को विचार, विवेक और धर्म की आजादी का अधिकार है; इस अधिकार के अन्तर्गत उसे अपना धर्म या आस्था बदलने और अकेले या दूसरों के साथ मिलकर तथा सार्वजनिक रूप से अथवा निजी तौर पर अपने धर्म या आस्था का प्रचार करने, उसके आधार पर आचरण करने, उसके अनुसार व्यवहार करने और उसे निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर प्रकट करने का अधिकार है।

    अनुच्छेद 19
    • प्रत्येक व्यक्ति को विचार और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है; इसके अन्तर्गत बिना हस्तक्षेप के कोई राय रखना और किसी भी माध्यम से तथा सीमाओं की परवाह न करके किसी भी सूचना को प्राप्त करने और विचारों को ग्रहण करने का अधिकार शामिल है।

    अनुच्छेद 20
    • प्रत्येक व्यक्ति को शांतिपूर्ण तरीके से सभा करने या संघ में शामिल होने की स्वतंत्रता का अधिकार है।
    • किसी को भी किसी संस्था विशेष का सदस्य बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
    अनुच्छेद 21
    • प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश के शासन में प्रत्यक्ष रूप से या स्वतंत्र रूप से चुने गये प्रतिनिधियों के जरिए भाग लेने का अधिकार है।
    • प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश की सरकारी नौकरियों को प्राप्त करने का अधिकार है।
    • सरकार की सत्ता का आधार जनता की इच्छा होगी; इस इच्छा का प्रकटन समय-समय पर और वास्तविक चुनावों द्वारा होगा। ये चुनाव सार्वभौम और समान मताधिकार द्वारा होंगे और गुप्त मतदान द्वारा या किसी अन्य समान स्वतंत्र मतदान द्वारा या किसी अन्य समान स्वतंत्र मतदान पद्धति से कराये जायेंगे।
    अनुच्छेद 22
    • समाज के एक सदस्य के रूप में प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार है और प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के उस स्वतंत्र विकास तथा गौरव के लिए जो राष्ट्रीय प्रयत्न या अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तथा प्रत्येक राज्य के संगठन एवं साधनों के अनुकूल हो अनिवार्यतः आवश्यक आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की प्राप्ति का हक है।

    अनुच्छेद 23
    • प्रत्येक व्यक्ति को काम करने, इच्छा अनुसार रोजगार का चुनाव करने, काम की उचित व सुविधाजनक परिस्थितियों को प्राप्त करने और बेकारी से संरक्षण पाने का अधिकार है।
    • प्रत्येक व्यक्ति को समान कार्य के लिए बिना किसी भेदभाव के समान मजदूरी पाने का अधिकार है।
    • प्रत्येक व्यक्ति को जो काम करता है, अधिकार है कि वह इतनी उचित और अनुकूल मजदूरी पाए, जिससे वह अपने और अपने परिवार की ऐसी आजीविका का प्रबंध कर सके, जो मानवीय गौरव के योग्य हो तथा आवश्यकता होने पर उसकी पूर्ति अन्य प्रकार के सामाजिक संरक्षणों द्वारा हो सके।
    • प्रत्येक व्यक्ति का अपने हितों की रक्षा के लिए श्रमजीवी संघ बनाने और उनमें भाग लेने का अधिकार है।
    अनुच्छेद 24
    • प्रत्येक व्यक्ति को काम के घंटों की उचित सीमा और सवेतन नियतकालिक अवकास सहित छुट्टी पाने और विश्राम करने का अधिकार है।

    अनुच्छेद 25
    • प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवन स्तर को प्राप्त करने का अधिकार है जो उसे और उसके परिवार के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए पर्याप्त हो। इसके अन्तर्गत खाना, कपड़ा, मकान, चिकित्सा संबंधी सुविधाएं और आवश्यक सामाजिक सेवाएं सम्मिलित हैं। वैधव्य, बुढ़ापे या अन्य किसी ऐसी परिस्थिति में आजीविका का साधन न होने पर जो उसके काबू के बाहर हो, सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है।
    • जच्चा और बच्चा को खास सहायता और सुविधा का हक है। प्रत्येक बच्चे को चाहे वह विवाहित माता से जन्मा हो या अविवाहित से, समान सामाजिक संरक्षण प्राप्त होगा।
    अनुच्छेद 26
    • प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार है। शिक्षा कम से कम प्रारम्भिक और बुनियादी अवस्थाओं में निःशुल्क होगी। प्रारम्भिक शिक्षा अनिवार्य होगी। टेक्निकल, यांत्रिक और पेशे संबंधी शिक्षा साधारण रूप से प्राप्त होगी और उच्चतर शिक्षा सभी को योग्यता के आधार पर समान रूप से उपलब्ध होगी।
    • शिक्षा का उद्देश्य होगा मानव व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करना और मानव अधिकारों तथा बुनियादी स्वतन्त्रताओं के प्रति सम्मान की पुष्टि। शिक्षा द्वारा राष्ट्रों, जातियों अथवा धार्मिक समूहों के बीच और आपसी सद्भावना, सहिष्णुता और स्त्री का विकास होगा और शांति बनाए रखने के लिए राष्ट्रों के प्रयत्नों को आगे बढ़ाया जाएगा।
    • माता-पिता को सबसे पहले इस बात का अधिकार है कि वे चुनाव कर सकें कि किस किस्म की शिक्षा उनके बच्चों को दी जाएगी।
    अनुच्छेद 27
    • प्रत्येक व्यक्ति को स्वतन्त्रतापूर्वक समाज के सांस्कृतिक जीवन में हिस्सा लेने, कलाओं का आनन्द लेने, तथा वैज्ञानिक उन्नति और उसकी सुविधाओं में भाग लेने का हक है।
    • प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी ऐसी वैज्ञानिक, साहित्यिक या कलात्मक कृति से उत्पन्न नैतिक और आर्थिक हितों की रक्षा का अधिकार है जिसका रचयिता वह स्वयं हो।
    अनुच्छेद 28
    • प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की प्राप्ति का अधिकार है जिसमें इस घोषणा में उल्लिखित अधिकारों और स्वतन्त्रताओं को पूर्णतः प्राप्त किया जा सके।
    अनुच्छेद 29
    • प्रत्येक व्यक्ति का उस समाज के प्रति दायित्व है जिसमें उसके व्यक्तित्व का स्वतंत्रता और विकास संभव हो सकता है।
    • अपने अधिकारों और स्वतन्त्रताओं का उपयोग करते हुए व्यक्ति केवल ऐसी ही सीमाओं से बंधा हुआ होगा, जो कानून द्वारा निश्चित की जाएगी और जिनका एकमात्र उद्देश्य दूसरों के अधिकारों और स्वतन्त्रताओं के लिए आदर और समुचित स्वीकृति की प्राप्ति होगा तथा जिनकी आवश्यकता एक प्रजातंत्रात्मक समाज में नैतिकता, सार्वजनिक व्यवस्था और सामान्य कल्याण की उचित आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।
    • इन अधिकारों और स्वतन्त्रताओं का उपयोग किसी प्रकार से भी संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों और उद्देश्यों के विरुद्ध नहीं किया जाएगा।
    अनुच्छेद 30
    • इस घोषणा में उल्लेखित किसी भी बात का यह अर्थ नहीं लगाना चाहिए जिससे यह प्रतीत हो कि किसी भी राज्य, समूह या व्यक्ति का किसी ऐसे प्रयत्न में संलग्न होने या ऐसा करने का अधिकार है, जिसका उद्देश्य यहां बताए गए अधिकारों और स्वतन्त्रताओं में से किसी का भी विनाश करना हो।
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    औषधीय गुणों से युक्त अदरक



    अदरक  आग और पानी का संगम है। नमीदार रहने तक यह अदरक कहलाता है और सूखने-सुखाने के बाद यही अदरक सौंठ बन जाता है। प्रकृृति का यह विचित्र करिश्मा ही कहिए कि इसका रस चाहे जल तत्व वाला है, मगर इसी जल में आग भी भरी हुई है। रूखापन अदरक का विशेष गुण है। यह भी इसकी एक खासियत ही कहिए कि रूखा होने पर भी यह सभी वर्गों का हितैषी है। महर्षि चरक ने तो सौंठ को बलवर्द्धक माना है। इसका प्रयोग हमारे परिवारों में कई बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है।
    लोगों में अधिकांश दिक्कत भूख न लग्न, खाना न पचना, पेट में वायु बनना, कब्ज आदि पाचन संबंधित तकलीफे है और पेट से ही अधिकांश रोग उत्पन्न होते है।  अदरक पेट की अनेक तकलीफों में रामबाण औषधि है। शरीर में जब कच्चा रस (आम) बढ़ता है या लम्बे समय तक रहता है तब अनेक रोग उत्पन्न होते है।  अदरक का रस आमाशय के छिद्रों में जमे कच्चे रस एव  कफ को यथा बड़ी आँतों में जमे आंव को पिंघलाकर बाहर निकल देता है तथा छिद्रों को स्वच्छ कर देता है।  इस वजह से जठराग्नि प्रदीप्त हो जाती है और पाचन तंत्र स्वस्थ बनता है।  यह लार एव आमाशय का रस दोनों की उत्पत्ति बढ़ता है , जिससे की वजह से  भोजन का पाचन बढ़िया होता है एवं अरुचि दूर होती है।
    कुछ नुस्खे प्रस्तुत हैं। ऐसी छोटी-बड़ी परेशानियां जब भी आपके सामने आएं इस सस्ती सी गांठ से राहत पाइए-
    • कान दर्द हो रहा हो, तो इसकी गांठ कुचल कर रस को गरम करके तीन चार बूंदें कान में टपका लें।
    • कफ जमने या किसी वजह से गला दुखने पर अदरक का रस 10 ग्राम लेकर उतनी ही मात्रा में शहद मिलाकर चाट जाएं। गले के रोगों में यह नुस्स्खा बहुत सस्ता और निरापद है।
    • छपाकी, शीत पित्ती अथवा पित्ती उछलना शरीर में पित्त के बढने से होता है। बचाव के लिए अदरक का रस शहद से चटाइए। शहद नहीं मिले तो पुराने गुड में मिलाकर भी दिया जा सकता है।
    • सर्दी की वजह से छाती में कफ जम जाने या किसी अन्य कारण से सर दर्द होता रहता है तो सौंठ या अदरक, काली मिर्च, पीपल, बायबिडंग, सैंधा नमक 10-10 ग्राम, अजवायन 20 ग्राम, काला नमक 40 ग्राम, राई 10 ग्राम का चूर्ण एक चम्मच पानी के साथ दिन में दो बार फंकवाना चाहिए।
    • पेट दर्द हो रहा हो तो अदरक का रस 5 ग्राम और उतना ही दूध मिलाकर पिलाएं। अजवायन में अदरक का रस मिलाकर लेना भी गुणकारी है।
    • पेट में गड-गड हो तो सौंठ या अदरक, हीरा हींग, काला नमक, सैंधा नमक, मीठा सोडा चुटकी भर, काली मिर्च, काला जीरा सबको 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना लें। परेशानी के दौर में गरम पानी में थोड़ी सी मात्रा में चूर्ण की फांकी ले लीजिए, पेट ठीक हो जायेगा।
    • घुटनों में दर्द होता रहता है तो अदरक का रस या सौंठ का चूर्ण, काली मिर्च, बायविंडग तथा सैंधा नमक का चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण की 3-3 ग्राम की मात्रा शहद में मिलाकर चाटते रहना चाहिए।
    • ठीक से नींद नहीं आ पाती हो तो सौंठ के 2 ग्राम चूर्ण में 8 ग्राम पीपलामूल को गुड़ में पीसकर खाएं। इसके बाद दूध पीना चाहिए। 3-4 दिन में ही रूठी नींद मानती नजर आएगी, आप मीठी नींद ले सकेंगे। कुछ दिन लगातार लेते रहें।
    • बच्चे को हिचकी आती हो तो काली मिर्च, अदरक का रस और नींबू का रस घोलकर चटाना चाहिए।
    • इंफ्लूएन्जा (फ्लू) होने पर अदरक की गाँठ व तुलसी के पत्ते पीसकर गरम पानी में उबाल कर पिलाएं।
    • कुंभ कमला हो गया हो यानी सीना छोटा और पेट फूलकर घड़ा जैसा रहता हो तो इस वात वायु प्रधान बीमारी से निजात पाने के लिए अदरक, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) और त्रिकुटा (सौंठ, पीपल, काली मिर्च) समान मात्रा में लेकर गुड़ मिलाकर दिन में गरम पानी के साथ 10 ग्राम मात्रा में लें। यदि सांस फूलती हो जी मिचलाता हो तो दिन में 4-4 घण्टे में देते रहें।
    • मूत्र नलिका में दर्द हो तो अदरक का रस या सौंठ का चूर्ण गौमूत्र के साथ लें।
    • जिगर में सूजन, तिल्ली बढ़ना आदि से बचना हो तो अदरक के 2-3 टुकडे, एक ताजी नरम मूली और एक नींबू के रस तीनों को सलाद की तरह लें या चटनी की तरह लें।
    • मुंह पर झाइंयाँ हो, मुंहासे हो तो अदरक को कुचलकर उसका रस निकालकर हल्का सा गरम करके नारियल के तेल में मिलाकर सबरे-सबेरे मुँह पर नीचे से ऊपर की तरफ हल्की-हल्की मालिश कुछ दिन लगातार करें।
    • सूखा रोग में अदरक और बांसे के रस को शहद में मिलाकर (तीनों 5-5 ग्राम) लें। 15 ग्राम की खुराक सबेरे-शाम लेते रहें।
    • दमे के लिए सीप भस्म अदरक के रस में मिलाकर गोलियाँ बना लें। इन्हें प्रातः सायं तुलसी पत्ती डली हुई चाय के साथ लेते रहें।
    • पेट में मरोड़ आकर पानी जैसे पतले दस्त लग रहे हों तो नाभि के आसपास आटा गीला कर मेड़ बना दें तथा उसमें अदरक का रस भर दें। यह प्रयोग ग्रामीणों में अनुभूत प्रयोग माना जाता है। परेशान रोगी तुरन्त राहत महसूस करने लगेगा।
    • अम्ल पित्त (एसीडिटी) में अदरक और धनिया समान मात्रा में लेकर पीने से पित्त शामिल हो जाता है।
    • महिलाओं को कमरदर्द हो तो सौंठ के चूर्ण या अदरक के रस को नारियल के तेल में उबालकर मालिश करें।
    • रोज भोजन  से पहले अदरक को बारीक़ टुकड़े टुकड़े करके सेंधा नमक के साथ लेने से पाचक रस बढ़कर अरुचि मिटती है।  वायु भी नहीं बनती व् भूख भी खुलकर लगती है।  जिससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।

    इस तरह अदरक से अनेक रोगों और मौसमी परिवर्तन के दौरान उठने वाले शारीरिक उपद्रवों का इलाज आप घर बैठे कर सकते हैं। चाय में अदरक लेने की आदत बनाइए। भोजन के समय अदरक की चटनी या नमक लगाकर अदरक के मिक्स अचार, मुरब्बे, चटनी के रूप में भी ले सकते हैं। कभी-कभी उबालकर सूप बनाकर लेने से पेट के आतंरिक विकारों से राहत पायेंगे। सर्दी में इसके लड़डू बनाकर खाना भी बलवर्द्धक, रक्तशोधक होता है। इसलिए इस चटपटी मसाले की गांठ को अपने आहार में भरपूर मात्रा में प्रयोग करने की आदत बनाकर इसके गुणों को पाइए।

    महत्वपूर्ण लेख 


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    तेजस्वी बलिदानी सिख गुरु तेगबहादुर



    आज  से  कई  दशक  पहले  मैं दिल्ली में निवास के दौरान जब भी वहां के प्रसिद्ध गुरुद्वारा रकाबगंज के सामने से  निकलता  था  तब  दूसरे  अनेक श्रद्धालुओं की तरह सड़क से ही स्वतः आंखें झुक जातीं और उनके प्रति आदर से हाथ जोड़ लेता था। सिख गुरु तेग बहादुर  के  बलिदान  से  जुड़े  इस पवित्र स्थल के बारे में इससे अधिक जानने  का  मैंने  कभी  कोई  प्रयत्न नहीं  किया  था।  पर  हाल  में  जब मैंने  प्रसिद्ध  लेखक  व  साहित्यकार डॉ  किशोरीलाल  व्यास  ‘नीलकण्ठ’ का खालसा नाटक व उसकी भूमिका पढ़ी  तब  मैं  कुछ  ऐतिहासिक  तथ्यों को  जानकर  स्तब्ध  सा  रह  गया था।  नवं  सिख  गुरु  तेगबहादुर  के शीश कटने के बाद एक लखी शाह नाम का बंजारा था जो उनके धड़ को अंधेरे का लाभ उठाकर ले गया और अपनी रूई भरी बैलगाड़ी पर ही उसने शीश विहीन धड़ का संस्कार कर दिया था। जिस स्थान पर बंजारे ने गुरु जी का अंतिम संस्कार किया था वहीं पर यह गुरुद्वारा रकाबगंज निर्मित हुआ था। इस गुरुद्वारे  के  एक  विशाल  सभागृह  में जिसका  नाम  लखी  बंजारा  हाल  है, उसकी  स्मृति  को  भी  अक्षुण्ण  रखा गया है।
    वीरता  और  शौर्यपूर्ण  सिखों  का पहले मुगलों और बाद में अंग्रेजों के साथ संघर्ष के इतिहास में अनेक लोमहर्षक प्रसंग  हुए  जिनका  वर्णन  किसी  भी देशवासी के हृदय को तेजस्वी गुरुओं को दी गई भयावह यातनाओं और उस समय हिन्दुओं को बचाने के लिए दिए गए बलिदानों के कारण द्रवित सकता है।

    औरंगजेब आजीवन इस प्रयत्न में रहा  कि  सिखों  के  गुरु  यदि  इस्लाम कबूल कर लें तो सिखों का बड़ा समुदाय स्वयमेव  मुसलमान  बन  जायेगा।  पर सिखों  ने  पीढ़ी-दर-पीढ़ी  बलिदान देकर  औरंगजेब  की  आकांक्षाओं  को विफल  कर  दिया  था।  उनका  सारा इतिहास बलिदानों का इतिवृत्त रहा है जो कश्मीर के ब्राह्मणों पर औरंगजेब द्वारा अत्याचारों व सहस्रों की हत्या के साथ वस्तुतः शुरु होता है।

    कहते हैं-जब मारे हुए ब्राह्मणों के जनेयू का वजन बारह सेर होता था तभी औरंगजेब खाना खाता था। अनेकों ने आत्महत्या  की,  पलायन  किया  या इस्लाम  कबूल  कर  लिया  था।  तब ब्राह्मणों का प्रतिनिधिमण्डल सिखों के नवं गुरु तेग बहादुर, जिन्हें वे तेजस्वी महापुरुष मानते थे कि शरण में पहुंचा जो  उस  समय  ध्यानावस्थित  थे  और स्वयं उस विकट परिस्थिति में बलिदान की  आवश्यकता  उस  मुगल  धर्म  को समाप्त करने के लिए हल बताने लगे ! सभी लोग हतप्रभ थे ! तभी दस वर्षीय गुरु गोविन्द सिंह जो वहां बैठे थे, कह उठे-पिताश्री इस समय आपसे बढ़कर तेजस्वी पुरुष कौन है ?

    गुरु  तेगबहादुर  को  लगा  कि बालक की बात सच है और वे स्वयं औरंगजेब से मिलकर उसे समझाने के लिए प्रस्तुत हो गए। पण्डितों ने धैर्य की सांस ली जब गुरु तेगबहादुर अपने पांच शिष्यों के साथ दिल्ली के लिए निकल पडे़ जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके  नाम  थे-  भाई  मतिदास,  भाई दयाला, भाई सतिदास गुरुजी की आंखों के सामने एक-एक शिष्य को समाप्त किया गया ताकि उन्हें सदमा लगे। भाई मतीदास को एक बड़े आरे से चिरवाया गया, भाई दयाला को एक बड़ी देगची ने उबलते  पानी  में  फेंक  दिया,  भाई सतीदास को चारों ओर रूई में लपेटकर आग लगा दी गई। मरने के क्षण तक ये श्रद्धालु भक्त जपुजी, सुखमयी आदि का पाठ करते रहे। गुरुजी ने शांत होकर ये वीभत्स  दृश्य  देखे  और  अपना  धर्म बदलना नामंजूर कर दिया। तब दिल्ली के चांदनी चैक में सभी लोगों के समक्ष गुरुजी के वध का आदेश दिया गया। यह घटना 1675 ई0 की है जब गुरुजी की आयु 53 वर्ष की थी।

    बीच बाजार में बिठाकर मौलवियों ने  गुरुजी  से  व्यंगपूर्ण  स्वर  में  कुछ चमत्कार  दिखाने  का  आग्रह  किया। गुरुजी ने कहा मैं कोई चमत्कारी पुरुष नहीं। गले में बंधी रस्सी को इंगित कर उन्होंने कहा--यही मेरा चमत्कार है। जल्लाद ने मौलवियों के आदेश पर एक ही झटके में तलवार से उनका सिर धड़ से  अलग  कर  दिया।  जब  दर्शकों  में हाहाकार मचा था, एक शिष्य ने अचानक जान जोखिम में डालकर गुरुजी का सिर लेकर गायब कर दिया। उस सिर को लेकर आनन्दपुर साहिब पहंुचा। गोविन्द सिंह  ने  उसका  दाह  संस्कार  किया। औरंगजेब की आज्ञा से ‘हिन्दू धर्म’ की ढाल  बने  गुरुजी  का  बलिदान  हुआ। आज दिल्ली में उसी स्थान पर शीशगंज गुरुद्वारा बना हुआ है।


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    बलिदान एवं त्याग की प्रतिमूर्ति गुरु गोविन्द सिंह



    गुरु तेगबहादुर की मृत्यु के बाद उनके पुत्र गुरु गोविन्द सिंह दशम सिख गुरु बने जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना के संदर्भ में समस्त सिख समुदाय को पंथ की दीक्षा देकर उनकी मानसिकता में आमूलचूल रूपान्तरण कर दिया। हिन्दू-सिख दोनों का संरक्षण करने के लिए जब भी मुगलों व सिखों में युद्ध भड़कता था। वे देश का दाहिना हाथ बनकर उठ खड़े होते थे। धर्मान्ध महत्वाकांक्षी, कट्टर सुन्नी यह क्रूर शहंशाह अपने भाइयों की हत्या कर सिंहासन पर बैठा और बाद में अपने पिता को बंदी बनाकर रखा जो देश के लिए एक भूकम्प जैसी घटना से कम नहीं है।
    जब औरंगजेब में हिन्दुस्थान को पूरी तरह इस्लामी राज्य बनाने की ठान ली थी और जब अकबर की नीतियों के विरुद्ध उसे इस्लाम का जुनून सवार हो चुका था, देश में अंधकार जैसा छा गया था ! तलवार के बल पर धर्मान्तरण, जजिया, हिन्दुओं के सार्वजनिक उत्सवों पर प्रतिबन्ध, तथाकथित ‘काफिरों’ के मंदिरों व तीर्थों का विध्वंस अबाध गति से हो रहा था और उत्तरी क्षेत्रों व राजस्थान से लेकर गुजरात तक उसका आतंक फैला हुआ था। 

    यह बात भी भुलाई नहीं जा सकती है कि दीवारों के शिलालेखों, भित्तिचित्रों व बहुमूल्य कलासामग्रियों को सिर्फ इसलिए मटियामेट किया गया था क्योंकि बीजापुर व गोलकुण्डा के शासक शिया थे। गोलकुण्डा के किले के अंदर हजारों शियाओं को मुगल सैनिकों ने बेरहमी से मार दिया था।

    औरंगजेब अपनी युवावस्था से ही कुचक्री था और इसीलिए शाहजहां ने उसे दक्षिण का सूबेदार बनाकर भेजा था। सबसे बड़ा पुत्र दाराशिकोह क्योंकि अनेक हिन्दू पवित्र ग्रंथो का उसने फारसी में अनुवाद कराया था और सहिष्णु विद्वान भी था और शाहजहां का चहेता था। इसलिए उसका सिर कटवा कर दिल्ली दरवाजे पर लटकाया गया था। अपने दूसरे भाई मुराद व शुजा को भी मारकर उसने अपने रक्तरंजित हाथों से मुगलिया सल्तनत हासिल की थी।


    अपने सबसे बडे़ पुत्र मुहम्मद सुल्तान को भी उसने ग्वालियर के किले में 12 वर्ष बंदी बनाकर रखा था। जहां 38 वर्ष की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गई थी। हिन्दुओं, सिखों, राजपूतों, शियाओं, इस्माइलियों, बोहरा आदि के साथ जब औरंगजेब ने अपनी बहन तथा बेटी जेबुन्निसा को भी कैद में डाल दिया था, उसके बाद से उसे जल्लादों का जल्लाद तक कहा जाने लगा था !

    गुरु गोविन्द सिंह जी ने मुगलों की सेना से भिड़ने को त्याग, तपस्या, साधना, संगठन व अस्त्र-शस्त्र सभी क्षेत्रों में सिखों के आत्मबल को जगाया। जहां पहले के गुरु भक्ति पद्धति में भक्ति की आराधना को समन्वित करते थे वहीं गुरु गोविन्द सिंह स्वयं तलवार धारण करते थे-एक ‘पीरी’, दूसरी ‘भीरी’। शत्रु के राज्य में शक्ति की उपासना अनिवार्य है, यह उनका मत था।

    अपने अनुआइयों से गुरुजी ने कहा कि वे तलवार को ईश्वर और ईश्वर को ही तलवार मानें ! उन्होंने लोहे को सबसे पवित्र बताया। अपनी प्रसिद्धकृति ‘‘चण्डी चरित्र’’ में उन्होंने यहां तक कहा था- ‘‘जै शुभ कर्मों से कभी न डरूं और युद्ध में जूझता मर जाऊं। गुरु गोविन्द सिंह जी ने युद्ध को धर्म से समन्वित कर दिया था, उनके दो पुत्र अजीत सिंह और जुझारू सिंह मुगलों के साथ युद्ध में मारे गए थे। दो अन्य पुत्रों जोरावर सिंह (9 वर्ष) और फतह सिंह (7 वर्ष) को सरहिन्द के सूबेदार वजीर खान ने इस्लाम स्वीकार न करने के कारण दीवारों में चुनवा दिया था। चार-चार वीर पुत्रों को खोकर भी गोविन्द सिंह जी ने हिम्मत न हारी थी--‘चार मुए तो क्या हुआ, जीवित कई हजार।’

    12 अप्रैल, 1699 का वह दिन आया जब विभिन्न प्रदेशों से सिख आनंदपुर आ पहुंचे। वह बैसाखी का दिन था जब गुरुगोविन्द सिंह कृृपाण के साथ मंच पर पहुंचे उन्होंने कहा देवी बलिदान चाहती है, क्या कोई शीश देगा ? सहसा लाहौर का खत्री दयाराम उठा जिसे वह पर्दे के पीछे ले गए। एक बकरे की बलि चढ़ाई और रक्तरंजित तलवार लिए फिर बाहर आ गये। फिर उसी प्रश्न पर दिल्ली के जाट धरमदास उठ खडे़ हुए। उन्हें भी गुरुजी अंदर ले गए और रक्त से डूबी हुई तलवार लेकर बाहर आ गए।

    इसी तरह का प्रश्न दोहराने पर एक के बाद एक-मोहकमचंद, साईं बचन्द तथा हिम्मतराम उठे जिन्हें गुरुजी अंदर ले गए। फिर सभी पांचों को अपने साथ लेकर मंच पर आए। उन्होंने कहा मैंने उन्हें मारा नहीं, ये ही पांचों बलिदानी पंजप्यारे हैं-पांच सिंह हैं। ये ही विशुद्ध खालसा बलिदानी वीर हैं। उस समय 80,000 सिखों ने अमृतपान कर खालसा पंथ का निर्माण किया था जो सदैव कफन सिर पर बांधे युद्ध के लिए तत्पर रहते थे।

    इस प्रकार धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविन्द सिंह जी ने जिस पंथ का निर्माण किया, उसने धर्मान्ध मुसलमानों की बाढ़ को रोकने में सफलता पाई। देश के इतिहास में वस्तुतः गुरु गोविन्द सिंह जैसा व्यक्ति ढूंढ़़ पाना असम्भव सा हैं-एक वीर, तपस्वी और कवि के साथ-साथ पंजाबी, ब्रज, फारसी और अरबी आदि भाषाओं पर असाधारण अधिकार रखें, ऐसा विविध भाषाओं का ज्ञाता कहां मिल सकता है! इस सत्ता, सैनिक और कवि का देहावसान 16 अक्टूबर 1708 को केवल 42 वर्ष की अल्पायु में गोदावरी के तट पर महाराष्ट्र के नांदेड़ नामक स्थान पर हुआ था जहां का भव्य गुरुद्वारा एक तीर्थस्थल भी बन चुका है। उन्होंने धर्म को राष्ट्रीयता से जोड़कर उत्तर भारत में इतिहास की धारा को ही एक नया मोड़ दिया था।

    गुरु गोविन्द सिंह के संगठन के पीछे की ऐतिहासिक भूमिका गुरु तेग बहादुर का बलिदान कार्य करता रहा था। कालान्तर में गुरु गोविन्द सिंह जी ने बलिदानी सिखों की वह खालसा सेना तैयार की थी जिसने हर मुगल शासक की विशाल फौज से टक्कर लेने में कोई झिझक नहीं दिखाई थी। गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी ने यह संघर्ष तब तक जारी रखा जब तक औरंगजेब की मृत्यु 80 वर्ष की आयु में अहमदनगर में 1707 में हो गई।


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