भारत का संविधान |
- संविधान सभा ने दिनांक 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में अंगीकार किया था।
- भारत के संविधान के भाग-5 (अनुच्छेद 120) भाग-6 (अनुच्छेद 210) और भाग-17 (अनुच्छेद 343 से 351, 350 को छोड़कर) तक में हिंदी संबंधी प्रावधान हैं।
- अनुच्छेद 343 के तहत संघ की राजभाषा हिंदी होगी और लिपि देवनागरी होगी, अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।
- हिंदी संघ की राजभाषा दिनांक 26 जनवरी, 1950 से बनी।
- अनुच्छेद 343 के तहत गठित राजभाषा आयोग के अध्यक्ष बी.जी. खेर थे।
- अनुच्छेद 344(4) के तहत खेर आयोग की सिफारिशों पर निर्णय के लिए गठित तीस सदस्यीय समिति के अध्यक्ष जी.बी. पंत थे।
- संसद में प्रयुक्त होने वाली भाषा के बारे में भाग-5, अनुच्छेद 120(1) में लिखा गया है कि संसदीय कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा।
- राज्य के विधान मंडल में कार्य के बारे में भाग-6, अनुच्छेद 210 में लिखा गया है कि राज्य विधान मंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या भाषाओं में या हिंदी/अंग्रेजी में किया जाएगा।
- भाग-17, अनुच्छेद 345 के तहत राज्य विधान मंडल को अधिकार दिया गया है कि वह अपने सरकारी कार्यों के लिए अपने राज्य की किसी भाषा/भाषाओं को या हिंदी का प्रयोग अंगीकार कर सकेगा।
- भाग-17, अनुच्छेद-346 के अंतर्गत प्रावधान है कि राज्यों द्वारा आपस में और राज्यों द्वारा संघ के साथ पत्राचार के लिए संघ की राजभाषा काम में लाई जाएगी।
- अनुच्छेद 351 में हिंदी भाषा के विकास के लिए विशेष निदेश दिए गए हैं कि हिंदी भाषा का विकास हिंदुस्तानीऔर आठवीं अनुसूची में उल्लिखित अन्य भाषाओं से रूप, गुण और शैली तथा मुख्यतः संस्कृत से और फिरअन्य भाषाओं से शब्द संपदा ली जाए।
- भाग-17, अनुच्छेद 351 के तहत आठवीं अनुसूची में कुल 22 भाषाएं हैं। नई भाषाएं हैं - मैथिली, बोडो, डोगरी तथा संथाली।
- अनुच्छेद 343(2) के तहत राष्ट्रपति के मई 1952 के आदेश द्वारा राज्यों के राज्यपाल, उच्चतम/उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए देवनागरी अंकों का प्रयोग प्राधिकृत किया गया।
- अनुच्छेद 343(2) के तहत 3 दिसम्बर, 1955 को राष्ट्रपति जी के आदेश द्वारा 1965 से पहले ही जनता के साथ पत्र-व्यवहार, प्रशासनिक रिपोर्ट, संसद रिपोर्ट, संकल्प हिंदी राजभाषा वाले राज्यों के साथ पत्र-व्यवहार, अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारतीय पदाधिकारियों के नाम जारी किए जाने वाले औपचारिक दस्तावेज अंग्रेजी के साथ ही हिंदी में भी जारी किए जाने की व्यवस्था की गई।
भारतीय विधि से संबधित महत्वपूर्ण लेख
- आईपीसी (इंडियन पैनल कोड) की धारा 354 में बदलाव
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय का इतिहास
- RTI मलतब सूचना का अधिकार के अंतर्गत आरटीआई कैसे लिखे
- उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1956
- बलात्कार (Rape) क्या है! कानून के परिपेक्ष में
- प्रथम सूचना रिपोर्ट/देहाती नालिशी, गिरफ्तारी और जमानत के सम्बन्ध में नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्य
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144
- धारा 50 सी.आर.पी.सी. के अधीन हिरासत व जमानत सम्बन्धित अधिकार
- वाहन दुर्घटना के अन्तर्गत मुआवजा
- भरण-पोषण का अधिकार अंतर्गत धारा 125 द.प्र.स. 1973
- हिन्दु उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) 1956
- अवैध देह व्यापार से संबंधी कानून
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 108
- भारतीय दंड संहिता की धारा 188
- जमानतीय एवं गैर जमानती अपराध
- विवाह, दहेज और कानून
- भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498 व 498 ए
- भारतीय दंड संहिता (I.P.C.) की महत्वपूर्ण धाराएं
- IPC में हैं ऐसी कुछ धाराएं, जिनका नहीं होता इस्तेमाल
- RTI मलतब सूचना का अधिकार के अंतर्गत आरटीआई कैसे लिखे
- क्या है आईपीसी की धारा 377 और क्या कहता है कानून
- भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत बलात्कार पर कानून और दंड
- भारतीय दंड संहिता की धारा 503, 504 व 506 के अधीन अपराध एवं सजा
- विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत दंड प्रविधान
- दहेज एवं दहेज हत्या पर कानून
- भारतीय संसद - राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा
- भारतीय सविधान के अनुसार राज्यपाल की स्थिति
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 का दर्द
- भारतीय संसद के तीन अंग राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा
- भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान के प्रश्न उत्तर
- जनहित याचिका / Public Interest Litigation
- संवैधानिक उपबंध सार
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 243 और उसके महत्व
Share:
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें