विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत दंड प्रविधान



 विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत दंड प्रविधान
विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत धारा 493 से 498 के प्रावधान है - 
  •  धारा 493 -धारा 493 के अंतर्गत बताया गया है कि विधिपूर्ण विवाह का प्रवंचना से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास की स्थिति में, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। 
  • धारा 494 - धारा 494 के अंतर्गत पति या पत्नी के जीवित रहते हुए विवाह करने की स्थिति अगर वह विवाह शून्य है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। बहुविवाह के लिए आवश्यक है कि दूसरी शादी होते समय शादी के रस्मो-रिवाज पर्याप्त ढंग से किए जाएं। 
  • धारा 494 क - इस धारा के अंतर्गत बताया गया है कि वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ पश्चात्वर्ती विवाह किया जाता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी। 
  • धारा 496 - धारा 496 में बताया गया है कि विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्ण विवाह कर्म पूरा कर लेने की स्थिति में से वह दोनों में किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। 
  • धारा 497 - व्यभिचार की स्थिति में वह व्यक्ति जो यह कार्य करता है वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा। ऐसे मामलों में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी। 
  • धारा 498 - धारा 498 के अन्तर्गत यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाता है या ले आना या निरूञ्द्घ रखना है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा। 
  • धारा 498 क - सन्‌ 1983 में भारतीय दण्ड संहिता में यह संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत अध्याय 20 क, पति या पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता के विषय में, अंत स्थापित किया गया इस अध्याय के अन्तर्गत एक ही धारा 498-क है, जिसके अन्तर्गत बताया गया है कि किसी स्त्री के पति या पति के नातेदारों द्वारा उसके प्रति क्रूरता करने की स्थिति में दण्ड एवं कारावास का प्रावधान है इसके अंतर्गत बताया गया है कि जो कोई, किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए, ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, उसे कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
    क्रूरता 
    मानसिक तथा शारीरिक क्रूरता - शारीरिक क्रूरता का अर्थ है महिला को मारने या इस हद तक शोषित करना कि उसकी जान, शरीर या स्वास्थ्य को खतरा हो।मानसिक क्रूरता जैसे- दहेज की मांग या महिला को बदसूरत कहकर बुलाना इत्यादि। 
    • किसी महिला या उसके रिश्तेदार या संबंधी को धन-संपति देने के लिये परेशान किया जाना भी क्रूरता है। 
    • अगर ऐसे व्यवहार के कारण औरत आत्महत्या कर लेती है तो वह भी क्रूरता कहलाती है। 
    • यह धारा हर तरह की क्रूरता पर लागू है चाहे कारण कोई भी हो केवल दहेज नहीं।
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