Lord Shiv Shankar Mantra (Mahadev Mantra)



Lord Shiva known as Shankar & Mahadeva is the most popular Hindu deity. He is also known as the Destroyer or the Transformer according to Hindu methodologies & Puranas.
Shiva Yajur Mantra (Karpur Gauram Karunavtaram) is a beautiful ancient Sanskrit mantra related to Lord Shiva. It is found in Yajurveda, and called as Shiva Stuti.
Lord Shiva is the primary deity among the trinity and to everyone's wellness. “Ohm Namah Shivay” is also a prime mantra of lord Shiva. Chanting this mantra you will get desired success.

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Mahadev Mantra

Karpur Gauram Karunavataram, Sansara Saram Bhujagendra Haram |
Sada Vasantam Hridayaaravinde, Bhavam Bhavani Sahitam Namami ||

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् |
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानि सहितं नमामि ||

Meaning of Mantra -

Karpur Gauram - The one who is as pure/white as a camphor(karpur).
Karunaavatarm - The personification of compassion.
Sansara Saram - The one who is the essence of the world.
Bhujagendra Haram - The one with the serpent king as his garland.
Sada Vasantam - Always residing.
Hridayaaravinde - In the lotus of the heart.
Bhavam Bhavani - Oh Lord and Goddess (Sati/Parvati - Wife of Shiva).
Sahitam Namami - I bow to you both.


How To Chant – You should sit in front of lord Shiva before chanting this mantra and do attention on Shiva and then start the chanting of mantra. This mantra has to be recited or chant 108 times in a day to get desire success or you can chant at-least 54 or 27 times in a day on prayer time. You will get health, wealth and peaceful life by chanting of this lord Shiva mantra.




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आईपीसी (इंडियन पैनल कोड) की धारा 354 में बदलाव



1860 से चले आ रहे कानून भारतीय दंड संहिता अथवा इंडियन पेनल कोड (Indian Penal Code, IPC) की धारा 354 में स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करना जैसी वारदातें आती थीं। इसके तहत आरोपी को एक वर्ष के लिए कारावास, जो पांच वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माने की सजा का प्रावधान था. साथ ही यह जमानतीय धारा भी थी। जिसमें आरोपी जमानत पर बाहर आ सकता था। निर्भया केस के बाद सरकार द्वारा बलात्‍कार विरोधी कानून लाया गया जिसे एंटी रेप लॉ कहा गया और इसके तहत कानून में व्यापक बदलाव किए गए। इस बदलाव के बाद अब 354 के तहत छेड़छाड़ के मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 5 साल कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही कम से कम एक साल कैद की सजा का प्रावधान किया गया है और इसे गैर-जमानती अपराध माना गया है।
IPC 354 - The Indian Penal Code
छेड़छाड़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को 6 माह की जेल कीसजा सुनाई है। छेड़छाड़ के मामले में पहले अधिकतम दो साल कैद की सजा का प्रावधान था, लेकिन निर्भया केस के बाद कानून में बदलाव हुआ है और अब छेड़छाड़ को विस्तार से व्याख्या करते हुए उसमें सजा के सख्त प्रावधान किए गए हैं। वर्ष 2013 में जब कानून में संशोधन हुआ है उसके बाद के मामलों में छेड़छाड़ के लिए नए कानून के तहत सजा का प्रावधान है। अब अपराध की गंभीरता के हिसाब से व्याख्या की गई है और अलग-अलग सब सेक्शन में सजा का अलग-अलग प्रावधान किया गया है। निर्भया केस के बाद बलात्कार विरोधी कानून बनाया गया। इस कानून अर्न्‍तगत व्यापक बदलाव किए गए और इस परिवर्तन के बाद अब 354 के तहत छेड़छाड़ के मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 5 साल कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही कम से कम एक साल कैद की सजा का प्रावधान किया गया है और इसे गैर-जमानती अपराध माना गया है।
बलात्‍कार विरोधी कानून 2013 से प्रभावी है और आईपीसी की धारा-354 में 4 सब सेक्शन बनाए गए हैं। इसके तहत छेड़छाड़ के लिए अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है। आईपीसी की धारा-354-ए, 354-बी, 354-सी और 354-डी बनाया गया है। धारा-354-ए को को भी 4 उपधारा मे बांटा गया है और इसके तहत कानूनी व्याख्या की गई है कि अगर कोई शख्स किसी महिला के साथ सेक्सुअल नेचर का फिजिकल टच करता है या फिर ऐसा कंडक्ट दिखाता है जो सेक्सुअल कलर लिया हुआ हो तो 354 ए उपधारा 1 लगेगी। वहीं सेक्सुअल डिमांड करने पर उपधारा 2, मर्जी के खिलाफ पोर्न दिखाने पर उपधारा 3 और सेक्सुअल कलर वाले कमेंट पर उपधारा 4 लगता है। 354 ए के उपधारा 4 में एक साल तक कैद जबकि बाकी तीनों उपधारा में 3 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है।
धारा-354 बी के अन्तर्गत नए कानून के तहत अगर कोई शख्स जबरन महिला का कपड़ा उतरवाता है या फिर उकसाता है तो इस धारा के तहत केस दर्ज होगा और दोषी को 3 साल से लेकर 7 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है और मामला गैर जमानती होगा। किसी महिला के प्राइवेट एक्ट का फोटोग्राफ लेना और बांटने के मामले में आईपीसी की धारा-354 सी लगती है दोषी को एक साल से तीन साल तक कैद का प्रावधान है दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 3 साल से 7 साल तक कैद की सजा हो सकती है और यह गैर जमानती अपराध होगा। वहीं लड़की या महिला का पीछा करना और कांटेक्ट करने का प्रयास यानी स्टॉकिंग के मामले में आईपीसी की धारा-354 डी के तहत केस दर्ज होगा और दोषी को तीन साल तक कैद हो सकती है।
आईपीसी (इंडियन पैनल कोड) 354(क) अथवा Indian Penal Code (IPC) 354A
इसके तहत अवांछनीय शारीरिक संपर्क और अग्र क्रियाएं या लैंगिक संबंधों की स्वीकृति बनाने की मांग या अनुरोध, अश्लील साहित्य दिखाना जैसी वारदात आती हैं. वैसे तो यह बेलेबल है लेकिन इसमें कम से कम कारावास तीन वर्ष तक, जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान किया गया। इसी के तहत लैंगिक आभासी टिप्पणियों की प्रकृति का लैंगिक उत्पीड़न भी जोड़ा गया। जिसमें आरोपी को एक वर्ष तक का कारावास हो सकेगा या जुर्माना या फिर दोनों।
आईपीसी (इंडियन पैनल कोड) 354(ख) अथवा Indian Penal Code (IPC) 354B
इसके तहत किसी महिला को निर्वस्त्र निर्वस्त्र करने के आशय से स्त्री पर हमला या आपराधिक बल कर प्रयोग किया जाना। जिसमें आरोपी को कम से कम पांच वर्ष का कारावास, किंतु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना भी नियत किया गया। साथ ही यह धारा नॉन बेलेबल है।
आईपीसी (इंडियन पैनल कोड) 354(ग) अथवा Indian Penal Code (IPC) 354C
दृश्यरतिकता यानि किसी को घूरकर देखना। इसके तहत अगर किसी लड़की को कोई पंद्रह सेकंड घूरकर देख ले तो उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। जिसमें कानून के तहत प्रथम दोष सिद्ध के लिए कम से कम एक वर्ष का कारावास, किन्तु जो तीन वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना। इसमें जमानत हो सकती ह। अगर यही व्यक्ति दुबारा ऐसी ही घटना के लिए दोषी पाया जाता है तो इसके लिए कम से कम तीन वर्ष का कारावास जो सात वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना भी। इसमें आरोपी की जमानत भी नहीं हो सकती। 
आईपीसी (इंडियन पैनल कोड) 354(घ) अथवा Indian Penal Code (IPC) 354D
इसके तहत किसी लड़की या महिला का पीछा करना जैसी वारदात में शामिल हैं। जिसमें पहली बार अगर आरोपी पर दोष सिद्ध होता है तो उसको तीन वर्ष का कारावास और जुर्माना हो सकता है। वहीं अगर यही आरोपी दुबारा ऐसा करता है और उस पर दोष सिद्ध होता है तो इसके लिए पांच वर्ष तक का कारावास और जुर्माना हो सकता है और वहीं आरोपी की जमानत भी नहीं हो सकती।
किसी भी परिस्थिति में कानून की नजर में किसी भी आरोप को लगाने वाले को आरोप लगाने के साथ साथ आरोप को साबित करना भी आवश्यक होता है और साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य और गवाह भी होने आवश्यक है। जिस पर आरोप लगा हो अगर उसे लगता है वह निर्दोष है तो और उसे फंसाया जा रहा है तो उसे अपने बचाव में पर्याप्त सबूत के साथ चार्ज शीट लगने के पूर्व संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत क्रिमिनल रिट और चार्ज शीट लगने के बाद धारा 482 अंतर्गत दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत उच्च न्यायालय की शरण ले सकता है। 

भारतीय विधि और कानून पर आधारित महत्वपूर्ण लेख 


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