उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री और उनके विभाग



 केबिनेट मंत्री उ.प्र. सरकार 

मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ  : गृह, आवास एवं शहरी नियोजन, राजस्व, खाद्य एवं रसद, नागरिक आपूर्ति, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, अर्थ एवं संख्या, भूतत्व एवं खनिजकर्म, बाढ़ नियंत्रण, कर निबंधन, कारागार, सामान्य प्रशासन, सचिवालय प्रशासन, गोपन, सतर्कता, नियुक्ति, कार्मिक, सूचना, निर्वाचन, संस्थागत वित्त, नियोजन, राज्य संपत्ति, नगर भूमि, उत्तर प्रदेश पुनर्गठन समन्वय, प्रशासनिक सुधार, कार्यक्रम कार्यान्वयन, राष्ट्रीय एकीकरण, अवस्थापना, भाषा, वाह्य सहायतित, परियोजना, अभाव, सहायता एवं पुनर्वास, लोक सेवा प्रबंधन, किराया नियंत्रण, उपभोक्ता संरक्षण, बाट माप विभाग, प्रोटोकाल।
उपमुख्यमंत्री  
  1. केशव प्रसाद मौर्य : लोक निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, मनोरंजन कर, सार्वजनिक उद्यम 
  2. डॉ. दिनेश शर्मा :  माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी।
कैबिनेट मंत्री
  1. सूर्यप्रताप शाही : कृषि, कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान। 
  2. सुरेश कुमार खन्ना : वित्त, संसदीय कार्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग। 
  3. स्वामी प्रसाद मौर्य : श्रम, सेवायोजन, समन्वय। 
  4. सतीश महाना : औद्योगिक विकास। 
  5. दारा सिंह चौहान : वन, पर्यावरण व जंतु उद्यान। 
  6. रमापति शास्त्री : समाज कल्याण व अनुसूचित जाति, जनजाति कल्याण।
  7.  जय प्रताप सिंह : चिकित्सा व स्वास्थ्य परिवार कल्याण, मातृ एवं शिक्षा कल्याण।
  8.  ब्रजेश पाठक : विधायी, न्याय, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा।
  9.  लक्ष्मी नारायण चौधरी : पशुधन, मत्स्य व दुग्ध विकास।
  10.  चेतन चौहान : सैनिक कल्याण, होमगार्ड, प्रांतीय रक्षक दल, नागरिक सुरक्षा।
  11.  श्रीकांत शर्मा : ऊर्जा, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत।
  12.  राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह : ग्राम्य विकास, समग्र ग्राम विकास। 
  13. सिद्धार्थ नाथ सिंह : खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, वस्त्रोद्योग, एमएसएमई, निर्यात प्रोत्साहन, एनआरआइ, निवेश प्रोत्साहन। 
  14. मुकुट बिहारी वर्मा : सहकारिता। 
  15. आशुतोष टंडन : नगर विकास, शहरी समग्र विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन। 
  16. नंदगोपाल गुप्ता नंदी : नागरिक उड्डयन, राजनीतिक पेंशन, अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ, हज। 
  17. डॉ. महेंद्र सिंह : जल शक्ति। 
  18. सुरेश राणा : गन्ना विकास, चीनी मिलें। 
  19. भूपेंद्र सिंह : पंचायती राज। 
  20. अनिल राजभर : पिछड़ा वर्ग कल्याण, दिव्यांगजन सशक्तीकरण। 
  21. राम नरेश अग्निहोत्री : आबकारी, मद्यनिषेध। 
  22. कमल रानी वरुण : प्राविधिक शिक्षा।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
  1. उपेंद्र तिवारी : खेल, युवा कल्याण। पंचायती राज मंत्री से सम्बद्ध। 
  2. डॉ. धर्म सिंह सैनी : आयुष, मुख्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  3. स्वाती सिंह : महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार। 
  4. नीलकंठ तिवारी : पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य। मुख्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  5. कपिल देव अग्रवाल : व्यवसायिक शिक्षा व कौशल विकास। 
  6. सतीश द्विवेदी : बेसिक शिक्षा। 
  7. अशोक कटारिया : परिवहन। संसदीय कार्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  8. श्रीराम चौहान : उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार, कृषि निर्यात। 
  9. रविंद्र जायसवाल : स्टांप तथा न्यायालय शुल्क, पंजीयन।
राज्य मंत्री
  1. गुलाब देवी : माध्यमिक शिक्षा। 
  2. जयप्रकाश निषाद : पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास। 
  3. जयकुमार सिंह जैकी : मुख्यमंत्री से सम्बद्ध। 
  4. अतुल गर्ग : चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण तथा मातृ एवं शिशु कल्याण। 
  5. रणवेंद्र प्रताप सिंह धुन्नी सिंह : मुख्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  6. मोहसिन रजा : अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज मंत्री। 
  7. गिरीश चंद्र यादव : मुख्यमंत्री से सम्बद्ध। 
  8. बलदेव औलख : जल शक्ति। 
  9. मनोहर लाल मन्नू कोरी : श्रम एवं सेवायोजन। 
  10. संदीप सिंह : वित्त व चिकित्सा शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा। 
  11. सुरेश पासी : गन्ना विकास एवं चीनी मिलें। 
  12. अनिल शर्मा : वन एवं पर्यावरण तथा जंतु उद्यान। 
  13. महेश गुप्ता : नगर विकास, शहरी समग्र विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन। 
  14. आनंद स्वरूप शुक्ला : संसदीय कार्य, ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम्य विकास। 
  15. विजय कश्यप : मुख्यमंत्री के साथ सम्बद्ध। 
  16. डॉ. गिर्राज सिंह धर्मेश : समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण। 
  17. लाखन सिंह राजपूत : कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान। 
  18. नीलिमा कटियार : उच्च शिक्षा तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी। 
  19. उदयभान सिंह : एमएसएमई, खादी व ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, वस्त्रोद्योग व निर्यात प्रोत्साहन। 
  20. चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय : लोकनिर्माण। 
  21. रमाशंकर सिंह पटेल : ऊर्जा, अतिरिक्त उर्जा स्रोत। 
  22. अजित सिंह पाल : इलेक्ट्रानिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी।
अपडेट 23 Aug 2019 तक


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दहेज एवं दहेज हत्या पर कानून



 
दहेज पर कानून 
दहेज प्रतिशोध अधिनियम, 1961 के अंतर्गत इस विषय पर कानून बना है। इसके अंतर्गत जब शादी से संबंधित जो भी उपहार दबाव या जबरदस्ती के कारण दूल्हे या दुल्हन को दिये जाते हैं, उसे दहेज कहते है। उपहार जो मांग कर लिया गया हो उसे भी दहेज कहते हैं।
  • दहेज लेना या देना या लेने देने में सहायता करना अपराध है। शादी हुई हो या नहीं इससे फर्क नहीं पड़ता है। इसकी सजा है पाँच साल तक की कैद, पन्द्रह हजार रुपये जुर्माना या अगर दहेज की रकम पन्द्रह हजार रुपये से ज्यादा हो तो उस रकम के बराबर जुर्माना।
  • दहेज मांगना अपराध है और इसकी सजा है कम से कम छः महीनों की कैद या जुर्माना।
  • दहेज का विज्ञापन देना भी एक अपराध है और इसकी सजा है कम से कम छः महीनों की कैद या पन्द्रह हजार रूपये तक का जुर्माना।


 दहेज हत्या पर कानून 
भारतीय दंड संहिता की धारा 304ख व 306 दहेज हत्या पर दंड का प्रविधान है इसके अंतर्गत यदि-
  • शादी के सात साल के अन्दर अगर किसी स्त्री की मृत्यु हो जाए
  • गैर प्राकृतिक कारणों से, जलने से या शारीरिक चोट से, आत्महत्या की वजह से हो जाए-और उसकी मृत्यु से पहले उसके पति या पति के किसी रिश्तेदार ने उसके साथ दहेज के लिए क्रूर व्यवहार किया हो, तो उसे दहेज हत्या कहते हैं। दहेज हत्या के संबंध में कानून यह मानकर चलता है कि मृत्यु ससुराल वालों के कारण हुई है।
इन अपराधों की शिकायत कौन कर सकता हैः-
  1. कोई पुलिस अफसर
  2. पीडि़त महिला या उसके माता-पिता या संबंधी
  3.  यदि अदालत को ऐसे किसी केस का पता चलता है तो वह खुद भी कार्यवाई शुरू कर सकता है।
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विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत दंड प्रविधान



 विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत दंड प्रविधान
विवाह संबंधी अपराधों के विषय में भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अंतर्गगत धारा 493 से 498 के प्रावधान है - 
  •  धारा 493 -धारा 493 के अंतर्गत बताया गया है कि विधिपूर्ण विवाह का प्रवंचना से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास की स्थिति में, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। 
  • धारा 494 - धारा 494 के अंतर्गत पति या पत्नी के जीवित रहते हुए विवाह करने की स्थिति अगर वह विवाह शून्य है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। बहुविवाह के लिए आवश्यक है कि दूसरी शादी होते समय शादी के रस्मो-रिवाज पर्याप्त ढंग से किए जाएं। 
  • धारा 494 क - इस धारा के अंतर्गत बताया गया है कि वही अपराध पूर्ववर्ती विवाह को उस व्यक्ति से छिपाकर जिसके साथ पश्चात्वर्ती विवाह किया जाता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी। 
  • धारा 496 - धारा 496 में बताया गया है कि विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्ण विवाह कर्म पूरा कर लेने की स्थिति में से वह दोनों में किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। 
  • धारा 497 - व्यभिचार की स्थिति में वह व्यक्ति जो यह कार्य करता है वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जाएगा। ऐसे मामलों में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी। 
  • धारा 498 - धारा 498 के अन्तर्गत यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाता है या ले आना या निरूञ्द्घ रखना है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा। 
  • धारा 498 क - सन्‌ 1983 में भारतीय दण्ड संहिता में यह संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत अध्याय 20 क, पति या पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता के विषय में, अंत स्थापित किया गया इस अध्याय के अन्तर्गत एक ही धारा 498-क है, जिसके अन्तर्गत बताया गया है कि किसी स्त्री के पति या पति के नातेदारों द्वारा उसके प्रति क्रूरता करने की स्थिति में दण्ड एवं कारावास का प्रावधान है इसके अंतर्गत बताया गया है कि जो कोई, किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए, ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, उसे कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
    क्रूरता 
    मानसिक तथा शारीरिक क्रूरता - शारीरिक क्रूरता का अर्थ है महिला को मारने या इस हद तक शोषित करना कि उसकी जान, शरीर या स्वास्थ्य को खतरा हो।मानसिक क्रूरता जैसे- दहेज की मांग या महिला को बदसूरत कहकर बुलाना इत्यादि। 
    • किसी महिला या उसके रिश्तेदार या संबंधी को धन-संपति देने के लिये परेशान किया जाना भी क्रूरता है। 
    • अगर ऐसे व्यवहार के कारण औरत आत्महत्या कर लेती है तो वह भी क्रूरता कहलाती है। 
    • यह धारा हर तरह की क्रूरता पर लागू है चाहे कारण कोई भी हो केवल दहेज नहीं।
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