मुस्लिम सेक्यूलर और हिन्दू सम्प्रदायिक क्यो ?



आज देश में दहशत का माहौल बनाया जा रहा है, कहीं आतंकवाद के नाम पर तो कहीं महाराष्ट्रवाद के नाम पर। आखिर देश की नब्ज़ को हो क्या गया है। एक तरफ अफजल गुरु को फांसी के सम्बन्ध में केंद्र सरकार ने मुँह में लेई भर रखा है तो वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र की ज्वलंत राजनीति से वहां की प्रदेश सरकार देश का ध्यान हटाने के लिये लगातार साध्वी प्रज्ञा सिंह पर हमले तेज किए जा रही है और इसे हिन्दू आतंकवाद के नाम पर पोषित किया जा रहा है। यह सिर्फ इस लिये किया जा रहा है कि उत्तर भारतीयों पर हो रहे हमलों से बड़ी एक न्यूज तैयार हो जो मीडिया के पटल पर लगातार बनी रहे।
आज भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व इस्लामिक आतंकवाद से जूझ रहा है, विश्व की पॉंचो महाशक्तियों भी आज इस्लामिक आतंकवाद से अछूती नहीं रह गई है। आज रूस तथा चीन के कई प्रांत आज इस्लामिक अलगाववादी आतंकवाद ये जूझ रहे है। इन देशों में आज आतंकवादी इसलिये सिर नहीं उठा पा रहे है क्योंकि इन देशों में भारत की तरह सत्तासीन आतंकवादियों के रहनुमा राज नही कर रहे है।
भारत में आज दोहरी नीतियों के हिसाब से काम हो रहा है, मुस्लिमों की बात करना आज इस देश में धर्मनिरपेक्षता है और हिन्दुत्व की बात करना इस देश में साम्प्रदायिकता की श्रेणी में गिना जाता है। आज हिन्दुओं को इस देश में दोयम दर्जे का नागरिक बना दिया गया है। इस कारण है कि मुस्लिम वोट मुस्लिम वोट के नाम से जाने जाते है जबकि हिंदुओं के वोट को ब्राह्मण, ठाकुर, यादव, लाला और एससी-एसटी के नाम से जाने जाते है। जिसने वोट हिन्दू मतदाओं के नाम पर निकलेगा उस दिन हिन्दुत्व और हिन्दू की बात करना साम्प्रदायिकता श्रेणी से हट कर धर्मनिरपेक्षता की श्रेणी में आ जायेगा, और इसे लाने वाली भी यही सेक्युलर पार्टियां ही होगी।


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16 टिप्‍पणियां:

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

जिन ये वोट हिन्‍दू मतदाओं के नाम पर निकलेगा उस दिन हिन्दुत्व और हिन्दू की बात करना सम्प्रादायिकता श्रेणी से हट कर धर्मनिर्पेक्षता की श्रेणी में आ जायेगा, और इसे लाने वाली भी यही सेक्यूलर पार्टियॉं ही होगी।
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बात बड़ी पते की कही मित्र!

बेनामी ने कहा…

महाशक्ति जी आपने सही बात कहा, आज के ये दोगले लालू-मुलायम देश की राजनीति को अपने अनुसार चला रहे है। जब इस देश की जनता जागेगी और उसे हिन्दू होने पर अभिमान होगा तो यही लालू-मुलायम भी हिन्दू हितों की बात करने लगेगे। आज हिन्दूओं में बिखराव ही उसे सेक्यूलर समाज में अस्पृस्य बना रखा है।

बेनामी ने कहा…

Apna Kaam Banao Chalte Chalo Desh Jaye Bharh Main, I think this cheap mentality is main cause. Positive forces must have to come forward.

संजय बेंगाणी ने कहा…

जो बात हजार साल की गुलामी न सीखा सकी, अब क्या सीखेंगे? भगवान बचाए भारत को.

drdhabhai ने कहा…

संजय जी हजार साल की गुलामी के बाद भी हम बचे रहे ये क्या कम हैं....बाकि कहीं दिखता है कोई दुनियां मैं ....अब भी हिंदु और हिंदुत्व मैं वो बात है कि हम चलते चलेंगे....पर समाज को सुदृढ करना होगा ...जब तक हिंदु मैं से ूऊंच नीच का भाव नहीं जायेंगा ...जब तक प्रत्येक हिंदु मंदिर मैं जाकर अधिकार पूर्वक पूजा नहीं कर पायेंगा तब तक यह मुश्किल है ...हमें सिर्फ ये काम करना है ....बाकि काम स्वतः ही हो जायेगा

संजय बेंगाणी ने कहा…

मैने क्षुब्ध हो कर ही टिप्पणी की है. जब कथित पढ़े लिखों को ही जात-पात में विश्वास करता देखता हूँ तब यही विचार मन में आता है की और कुछ नहीं एक बार यही सोच लेते कि हम गुलाम क्यों हुए? भगवान जाने कब अक्कल आएगी.

दीपक कुमार भानरे ने कहा…

छदम धर्मं निरपेक्षता की आड़ मैं वोट बैंक का खेल खेला जा रहा है . आपने सही कहा है की जब तक सारे हिंदू वोटर एक नही होंगे तब तक देश मैं इस तरह का खेल चलता रहेगा . और हिंदू अपने ही देश मैं प्रताडित होता रहेगा .

बेनामी ने कहा…

you are right sir. I am agree with you.

Unknown ने कहा…

बेंगाणी जी से सहमत, पढ़े-लिखे लोग भी बेहद संकीर्ण विचारधारा के और अंधविश्वासी हो गये हैं, इसीलिये हिन्दुओं में एकता का अभाव है…

दिवाकर प्रताप सिंह ने कहा…

सही कह रहे हो मित्र "आज भारत ही नही सम्पूर्ण विश्व इस्लामिक आंतकवाद से जूझ रहा है"और इसके लिये नपुंसक नेतागण जिम्मेदार हैं ! हमें इज़राईल से सबक सिखाना चाहिए

राज भाटिय़ा ने कहा…

भाई हम तो संजय बेंगाणी जी की दोनो टिपण्णीयो से सहमत है, आप ने भी बात बिलकुल सही कही है, जब तक हिन्दुयो मै एकता नही होगी तब तक यही सब होगा....

दिवाकर प्रताप सिंह ने कहा…

भूल सुधार
हमें इज़राईल से सबक सीखना चाहिए!
एक बात और जिस समय मालेगांव में विस्फोट हुआ उसी समय गुजरात के मोडासा में भी विस्फोट हुआ। खुफिया एजेंसियों का तब कहना था कि इन दोनों विस्फोटों के पीछे एक ही आतंकवादी संगठन का हाथ है। जब साफ है कि मालेगांव में हुए दोनों विस्फोटों के पीछे उद्देश्य और विस्फोट करने का तरीका एक ही है तो फिर सीबीआई साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से पूछताछ करने की कोशिश क्यों नहीं कर रही है? ये बड़ा सवाल है और इस सवाल का जबाव ढूंढने में ही साध्वी की गिरफ्तारी और कथित हिंदू आतंकवाद के खुलासे के पीछे छुपे राजनीतिक छल-प्रपंच का भंडाफोड़ हो पाएगा। फिलहाल साध्वी सभी वैज्ञानिक जांचों में बेदाग निकल गई हैं और अब एटीएस (एन्टी टेरेरिस्ट स्क्वाड) साध्वी के खिलाफ मिले सबूतों और उसकी ब्रेनमैपिंग व नार्कों टेस्ट के नतीजों को सार्वजनिक करने के बजाय अब साध्वी की साधना की आड़ लेकर अपनी गलतियों को छुपाने की कोशिश कर रहा है। इस मामले में बुरी तरह फंस चुकी एटीएस इसे साध्वी की साधना का कमाल बता रही है और दोबारा से परीक्षण की बात कह रहा है।

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: ने कहा…

भाई साहेब जी कोई हमें बताने की ज़हमत उठाएगा कि ये ' हिंदू ....सुरे' कौन हैं और कहां मिलते है ? ,मैं यही प्रश्न सबसे पूछता फ़िर रहा हूँ ;इसी के लिए मैंने सब को एक खुला " चिटठा" लिखा है कृप्या मेरी शंका का समाधान गुनी ग्यानी जन करने का कष्ट करें |
आ -भार सहित
अन्योनास्ति

बेनामी ने कहा…

समाधान ढुढना होगा। पंडीत दिनदयाल जी का सांस्कृतिक एकात्मकता, गांधी का सर्वधर्म समभाव, जिन्ना पथ पर दो लड्ते राष्ट्र(भाई), या मार्क्स की तरह धर्म को ही नकार देना उचित रहेगा। ये मुसल्मान भाई भी किसी कालखंड मे हिन्दु हीं तो थें। किसी अक्रांता ने तलवार के बल पर इनसे इस्लाम कबुल करवा लिया था। आज वे अपने ही पुर्वजो की पुजा पद्धति से इतना घृणा क्यो करते है ? कैसे सम्झाया जाए उन्हे?

समीर यादव ने कहा…

सहिष्णुता, समभाव पर चर्चा तो बहुत हुई....देशकाल और परिस्थितियों को देखकर भी नीतियाँ परिवर्तित की जाती है....यह हम पहले भारतीय, फ़िर हिन्दुओं को....कब समझ में आएगी.

सच का बोलबाला, झूठ का मुँह काला ने कहा…

-Islam = Sex+Terrorism

-इस्लाम अय्याशी (चार निकाह, जन्नत में 72 हूरें) और आतंक (जिहाद) का पाठ पढाता है

-ये लोग अपनी बहनो को भी नहीं छोडते, उनसे निकाह करके बिस्तर में ले जाते हैं

-कोई मुसलमान हिन्दू धर्म की प्रशंसा कर दे तो उसे मजहब से निकाल देते हैं

-हिन्दू धर्म ग्रथों को जलाना, मन्दिरों को तोडना, देवी-देवताओं के अश्लील चित्र बनाना, उनके बारे में अपशब्द बोलना इनकी घृणित मानसिकता का प्रमाण है

- हिन्दुओं को मिटाने या मुसलमान बनाने पर इनको जन्नत रूपी अय्याशी का अड्डा मिलता है

-मुसलमान (ना)मर्दों को बुरका बहुत भाता है, क्योंकी बुरके में छिपकर ये "बहुत कुछ" करते हैं

- मुसलमान फर्जी नामों का बुरका पहनकर भौंकते फिरते रहते हैं

-कुल मिलाकर इस्लाम (ना)मर्दों का मजहब है