मानव एक सामाजिक प्राणी है, मानव पशुओं जैसा व्यव्हार तो नहीं करता क्योकि मानव में सोच समझ की शक्ति और बुद्धि है जो कि पशु में नहीं होती। फिर भी सामाजिक प्राणी होने के कारण समाज में रहते हुए किसी पारिवारिक कलह या पति-पत्नी का झगड़ा इस तरह बढ़ता है कि पति पत्नी अलग रहने के लिए बाध्य हो जाते हैं। यही झगड़ा कभी-कभी संबंध विच्छेद की स्थिति तक पहुंचा देता है। आपस के झगड़े में केवल दोनों ही कष्टता की चक्की में नहीं पीसे जाते परन्तु उनके साथ नाबलिग बच्चे भी संकट व कष्ट भोगते है। इसी प्रकार वृद्ध असहाय माता-पिता को उनके पुत्र या पुत्री भूलकर उनकी अवहेलना करते है और ऐसे असहाय वृद्ध रोटी कपड़ों के लिए तरसते रह जाते है। मानव को सम्मान की जिन्दगी बसर करने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान की मूलभूत आवश्यकता है। जैसे की पानी तथा वायु की। संसार में जो प्राणी आया है कि उसे अपने को जीवित रखने के लिए भर पेट खाने की आवश्यकता है। कई बार पारिवारिक कलह के कारण पत्नी, नाबालिग बच्चे, वृद्ध, महिला लाचार हो जाते हैं क्योंकि वह अपना भरण-पोषण करने में सामर्थ नहीं रहते हैं।
इसलिए हम सभी का सामाजिक कर्तव्य हो जाता है कि इस प्रकार के पारिवारिक कलह से दुखी दम्पती को सही रास्ते पर लाए तथा उनका उचित मार्गदर्शन करें ताकि वह अपने बच्चों का भविष्य सुखमय व सुन्दर बना सकें। इस प्रकार दंपति का भी यह सामाजिक कर्तव्य बनता है कि वह पारिवारिक कलह को भूलकर अपने लिए नही तो बच्चो के भविष्य के लिए सुखमय जीवन व्यतीत कर सामाजिक तथा पारिवारिक शांति को बनाए रखें। कई बार पति-पत्नी का झगड़ा पारिवारिक कलह से बढ़कर पति-पत्नी के अलग रहने से लेकर सम्बन्ध विच्छेद तक की स्थिति तक पंहुचा देता है। इस कलह की चक्की में सन्तान भी पिस जाती है।
कई बार वृद्ध असहाय माता पिता भी पुत्र व पुत्रियों की अवेहलना का शिकार बने, पैसे-पैसे के लिए मोहताज हो जाते हैं। पति पत्नी, बच्चों व माता-पिता को खर्चा प्राप्त करने सम्बन्धित अधिकार है, आईए इस पर चर्चा करें। पत्नी, नाबालिग बच्चों या बूढ़े मां-बाप, जिनका कोई अपना भरण-पोषण का सहारा नहीं है और जिन्हें उनके पति/पिता ने छोड़ दिया है या बच्चे अपने मां बाप के बुढापें में उनका सहारा नहीं बनते हैं और उनको भरण-पोषण का खर्च नहीं देते हैं तो धारा 125 दण्ड प्राक्रिया संहिता के अन्तर्गत ऐसे व्यक्ति खर्चा गुजारा प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं। इस धारा 125 दण्ड प्राक्रिया संहिता, 1973 के तहत पति या पिता का यह कानूनी कर्तव्य है कि वह पत्नी, जायज या नाजायज नाबलिग बच्चों का पालन पोषण करें। अगर ऐसा पति या पिता पत्नी या बच्चों को खर्चा देने से इन्कार करें तो उनके द्वारा प्रार्थना पत्र या दरखास्त देने पर न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी को कानूनी अधिकार है कि वह आवदेक को 500 रूपये खर्च प्रति व्यक्ति की दर से प्रदान करें और यह रकम उस पति से या पिता से अदालत के निर्देश द्वारा जबरन वसूल की जा सकती है।
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 से 128 तक इस सामाजिक समस्या निवारण के लिए बनाए गये कानून हैं। इन धाराओं के अधीन, निश्रित पत्नी, बच्चे व माता-पिता याचिका प्रथम श्रेणी के ज्युडिशियल मैजिस्ट्रेट की अदालत में दायर कर सकते हैं।
खर्चा प्राप्त करने के लिए याचिका ऐसे अधिकार क्षेत्र वाले ज्युडिशियल मैजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी की अदालत में दी जा सकती है।
जहां पति उस समय रह रहा हो।जहां प्रतिवादी हाल तक आवेदक के साथ रहता रहा हो,
जहां आवेदक रहता हो/जहां प्रतिवादी का स्थाई निवास हो,
जहां पति-पत्नी याचिका से पहले (चाहे अस्थाई रूप से) रह रहे हों।
- धारा 125 सी0आर0पी0सी0 की कार्यवाही की प्रणाली
खर्चे के लिए दी गई याचिका-आरोप पत्र न होकर एक याचिका होती है इसलिए प्रतिपक्षी को अभियुक्त नहीं बल्कि प्रत्यार्थी माना जाता है। यह कार्यवाही पूर्णतया फौजदारी नहीं होती बल्कि अर्ध-फौजदारी होती है। याचिका अदालत में प्रत्यार्थी को सम्मन जारी किये जाते हैं। अगर प्रत्यार्थी सम्मन लेने से जान बूझकर इन्कार करे या सम्मन मिलने के बावजूद अदालत में उपस्थित न हों तो उनके खिलाफ एक तरफा कार्यवाही के आदेश दिये जा सकते हैं। एक तरफा फैसले का आदेश उचित कारण साबित किये जाने पर तीन महीने के अन्दर रद्द करवाया जा सकता है। प्रार्थी या प्रत्यार्थी दोनों पक्षों को अपने आरापों को साबित करने के लिए गवाही देने का अधिकार है। दोनों पक्ष स्वयं अपने गवाह के तौर पर अदालत के समक्ष पेश होने का अधिकार रखते हैं। केस व अनुमान सावित्री बनाम गोबिन्द सिंह रावत,1986(1) सी.एल.आर.पेज नं0 331 में उच्च न्यायालय द्वारा निर्देश दिया गया है कि जब तक 125 सी0आर0पी0सी0 के तहत कारवाई पूरी होने तक गुजारा भता बारे कोई अन्तिम फैसला नहीं होता तब तक अन्तरिम आदेश के तहत 125 सी0आर0पी0सी0 की दरखास्त दायर होते ही गुजारा भता दिया जा सकता है। यहां यह भी बताना उचित होगा कि केस व अनुमान श्रीमती कमला वगैरा बनाम महिमा सिंह, 1989(1) सी.एल.आर.पेज न0 501 में दर्ज, उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले के मुताबिक ऐसी हर दरखास्त जेर धारा 125 सी0आर0पी0सी0 दुबारा चालू हो सकती है जो प्रार्थीय के न आने के कारण खारिज कर दी गई हो। यहां यह भी बताना उचित होगा कि केस व अनुमान पवित्र सिंह बनाम भुपिन्द्र कौर, 1988 एस.एल.जे. पेज न0 164 में दर्ज उच्च न्यायालय के फैसले के मुताबिक ऐसी दरखास्त जेर धारा 125 सी0आर0पी0सी0 जो राजीनामा की वहज से वापिस ले ली गई हो दुबारा चलाई जा सकती है अगर उस केस का राजीनामा टूट जाये।
- धारा 125 सी0आर0पी0सी0 के अधीन खर्चा प्राप्त करने की पात्रता हर उस व्यक्ति पर जो साधन सम्पन्न है, यह कानूनी दायित्व है कि वहः
अपनी पत्नी जो अपना, खर्चा स्वयं वहन न कर सकती हों,अपने नाबालिग बच्चों (वैध व अवैध) जो स्वयं अपना खर्चा चलाने में असमर्थ हो,अपने बालिग बच्चों (वैध व अवैध) सिवाय विवाहित पुत्री के) जो शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम होने पर अपना खर्चा स्वयं वहन न कर सकते हों,अपने वृद्ध व लाचार माता पिता जो स्वयं अपना खर्चा उठाने में असमर्थ हो, कि वह उनका खर्चा व पालन पोषण का व्यय उठाएं।ध्यान रहे कि केवल कानूनन व्याहिता पत्नी ही खर्चा लेने की अधिकारिणी है।दूसरी (पत्नी जो विवाह कानून द्वारा मान्य नहीं है, या रखैल, खर्चा प्राप्त करने की हकदार नहीं है लेकिन वैध या अवैध सन्तानें इस धारा के अन्तर्गत खर्चा लेने की हकदार है।) - खर्चा प्राप्त करने हेतू साक्ष्य
खर्चा प्राप्त करने के लिए प्रार्थी को निम्नलिखित बातें साबित करना आवश्यक हैः-
- कि प्रार्थी के पास खर्चा देने के पर्याप्त साधन हैं।
- वह जानबूझकर भरण-पोषण देने में आनाकानी या इन्कार कर रहा है।
- आवेदक प्रत्यार्थी के साथ न रहने के लिए मजबूर है, अगर पति के खिलाफ व्यभिचार (परस्त्रीगमन) निर्दयता (शारीरिक व मानसिक) दूसरी शादी या अन्य ऐसे कोई आरोप साबित हो तो पत्नी द्वारा अलग रह कर खर्चा प्राप्त करने का अधिकार मान्य होगा।
- आवदेक के पास स्वयं अपना खर्चा चलाने के लिए कोई साधन उपलब्ध न है।
- लेकिन अगर पत्नी स्वयं व्यभिचारणी का जीवन बिता रही है। या
- पत्नी बिना किसी उचित कारण के पति के साथ रहने से मना करती हो
- पति-पत्नी स्वयं रजाबन्दी से अलग रह रहे हों, तो खर्चा प्राप्त करने की याचिका रद्द की जा सकती है। अदालत द्वारा प्रति माह व्यक्ति (आवेदक) 500 रूपये से अधिक खर्चे का आदेश नहीं दिया जा सकता। यह आदेश अदालत द्वारा दोनों पक्षों की आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों, उनकी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाता है। किसी भी पक्ष की परिस्थितियों में फेर बदल होने पर खर्च के आदेश को रद्द या कम या ज्यादा किया जा सकता है।
- धारा 127 सी0आर0पी0सी0 के तहत खर्चे मे तबदीली
अगर खर्चा प्राप्त करने वाले व्यक्ति का समय व्यतीत हो जाने के उपरान्त अदालत द्वारा प्रदान किये हुए खर्चे से गुजारा नहीं होता या जिस व्यक्ति के विरूद्ध खर्चा लगवाया गया है उसकी आर्थिक स्थिति में खर्चे के निर्देश उपरान्त तबदीली आती है तो खर्चा प्राप्त करने वाले व्यक्ति को अधिकार है कि वहा न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी की अदालत में खर्चा बढ़ाने के लिए आवेदन धारा 127 दण्ड प्राक्रिया संहिता के तहत दे सकता है। 2001 के अधिनियम 50 ने तबदीली लाई है कि खर्चे की रकम अदालत हालत के मुताबिक तय करेगी और इसकी कोई सीमा न होगी। अगर इस प्रकार के आवेदन पर पत्नी, बच्चों या माता पिता के खर्चा तबदीली करने की सुनवाई करता है तो अदालत किसी दिवानी दावे में हुए फैसले को भी मद्देनजर रखेगी। इस प्रकार अगर किसी पत्नी ने तलाक लिया है या पति ने उसे तलाक दिया है और ऐसी पत्नी तलाक लेने के उपरान्त दूसरी शादी कर लेती है तो अदालत को अधिकार है कि वह पति के आवेदन पर ऐसी पत्नी के खर्चा गुजारे के आदेश को उसके द्वारा शादी करने की तारीख से रद्द कर सकती है।
- धारा 128 सी0आर0पी0सी0 के अधीन आदेश कैसे लागू किया जाता है
अगर प्रत्यार्थी बिना किसी उचित कारण के आदेश का उलंघन करता है तो खर्चे की रकम के बारे में वारन्ट जारी किया जा सकता है। वारन्ट जारी होने के बावजूद मासिक खर्चे के भुगतान होने की स्थिति में प्रत्यार्थी को एक माह तक की कैद हो सकती है। खर्चे के आदेश को लागू करने की याचिका, देय तिथि के एक साल के भीतर दिया जाना अनिवार्य है। हमारे उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले के मुताबिक प्रत्यार्थी को उतने महीने तक लगातार जेल में बन्द रखा जा सकता है जितने महीने तक का गुजारा भता उसने नहीं अदा किया हो। यहां यह भी कहना उचित है कि किसी भी पत्नी को अपने पति से देय गुजारा वसूल करने के लिये अदालत में कोई पैसा जमा करवाने की जरूरत नहीं होती हैं। एमपरर बनाम सरदार मोहम्मद, ए.आई.आर. 1935, लाहौर, पेज 758
हिन्दू विवाहित स्त्री, हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-24 के तहत गुजारा भत्ता ले सकती है और तो और पति की मृत्यु के पश्चात यदि स्त्री दूसरा विवाह नहीं करती तो उसे सास-ससुर से भी गुजारा भत्ता लेने का अधिकार है। हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार पत्नी अपने बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और भरण-पोषण के लिए आवेदन कर सकती है। इसके लिये उसे यह साबित करना होता है कि जीवन यापन के लिए उसके पास आय का कोई स्थायी स्रोत नहीं है और वह वित्तीय तौर पर अपना गुजारा नहीं कर सकती। फैमिली कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना कारण पति का घर छोड़ने से पत्नी को भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं है। इसी के साथ अदालत ने युवती द्वारा पति के खिलाफ लगाया गया भरण-पोषण का आवेदन खारिज कर दिया। फैमिली कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना कारण पति का घर छोड़ने से पत्नी को भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं है। इसी के साथ अदालत ने युवती द्वारा पति के खिलाफ लगाया गया भरण-पोषण का आवेदन खारिज कर दिया।
भरण पोषण से सम्बन्धि कुछ महत्वपूर्ण वाद
प्रकरण - एक
जहांगीराबाद के आकाश ने भोपाल निवासी सपना से आर्य समाज मंदिर में विवाह कर लिया। शादी के चार माह के पश्चात ही दोनों में विवाद होने लगे। सपना ने आकाश पर मारपीट, धमकी देने और घरेलू हिंसा के झूठे आरोप लगाकर दहेज प्रताडऩा का मामला दायर किया। मामला कोर्ट में चला, पति ने साबित कर दिया कि उसे दहेज प्रताडऩा के झूठे प्रकरण में फंसाया गया है। कोर्ट ने पति के पक्ष में निर्णय दिया। पति केस तो जीत गया लेकिन इस दौरान उसका कारोबार चौपट हो गया। इसके बाद पति ने अपनी पत्नी से क्षतिपूर्ति वसूलने का प्रकरण दायर किया। पत्नी ने झूठे प्रकरण दर्ज करने के मामले मे कार्यवाही करने के लिए कोर्ट में इस्तगासा लगाया। कोर्ट के आदेश के बाद पत्नी ने पति को क्षतिपूर्ति के रूप में कुछ राशि दी। यही नहीं पति ने पत्नी से भरण-पोषण की भी मांग की। पति को क्षतिपूर्ति की राशि मिली। हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत उसे भरण-पोषण का लाभ भी मिल सकता है।
प्रकरण - दो
फैमिली कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना कारण
पति का घर छोड़ने से पत्नी को भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं है। इसी के साथ
अदालत ने युवती द्वारा पति के खिलाफ लगाया गया भरण-पोषण का आवेदन खारिज कर
दिया। मनीषा धनारे निवासी द्वारकापुरी ने फैमिली कोर्ट में पति शैलेंद्र धनारे निवासी गंगा नगर सनावद रोड खरगोन के खिलाफ भरण-पोषण का प्रकरण दायर किया था। उसमें युवती ने इस आधार पर भरण-पोषण की मांग की थी कि वह कम पढ़ी हुई है और कोई हुनर नहीं जानती। पति इंजीनियर है और उसकी कमाई ज्यादा है। पति का घर का मकान होने के साथ कई एकड़ जमीन है। शैलेंद्र की ओर से अधिवक्ता समीर वर्मा ने जवाब पेश कर कहा कि युवती ने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा, भरण-पोषण के साथ तलाक के लिए भी केस लगा रखा है। इन प्रकरणों के कारण उसे (पति को) बार-बार अदालत में आना पड़ रहा है। इस कारण उसकी आय प्रभावित रही है। उस पर वृद्ध माता-पिता की देखभाल का भी जिम्मा है। अधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि युवती ने महिला थाना इंदौर में भी दहेज प्रताड़ना की शिकायत की थी। उसमें उसने कहा कि पति उसे खरगोन स्थित ससुराल में रखना चाहता है, जबकि वह इंदौर में पति के साथ रहना चाहती है।
प्रकरण - तीन
कुछ प्रकरणों में माननीय न्यायालय ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इंकार भी कर दिया है। एक प्रकरण में पत्नी ने शादी के डेढ़ साल बाद ही पति का घर छोड़ दिया था। पति ने उसे इसके लिए कभी उकसाया नहीं था। पति ने उसे घर वापस बुलाने के लिए नोटिस भेजा। कोई जवाब नहीं मिला तो उसने फैमिली कोर्ट में वैवाहिक अधिकारों को लेकर याचिका दायर की। इस बीच पत्नी ने गुजारा भत्ता पाने के लिए याचिका दायर कर दी। फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका स्वीकार कर पत्नी की याचिका खारिज कर दी। पत्नी ने ट्रायल कोर्ट में गुजारा भत्ता के लिए याचिका दायर की तो पति ने इस मुकदमे पर चल रही सुनवाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। माननीय न्यायाधीश महोदय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यदि पत्नी ने बिना किसी ठोस कारण के पति का घर छोड़ा है तो उसे गुजारा भत्ता पाने का कोई हक नहीं है।
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35 टिप्पणियां:
Kya yadi husband nonworkin hai aur wife earn karti hai to kya husband bhi wife k upper maintanance ka case laga sakta hai
नए कानूनों और प्रावधानों के अनुसार अब पति भी पत्नी पर भरण पोषण का दावा कर सकता है।
Kya patni or pati dono kamate ho aisi sthiti mai bhi patni bharan poshan mang skati h
Mujh pe 125 ka case chal raha hai nd 2 month jail kaat chuka huin jabki ye ek dam jhutha mukadma hai nd ye kanoon vaise he sirf or sirf ladki ki faver mein hain even mera judge bhi 100% ladki ki fever mein he ek tarfa faisla karta hai main is case mein sahi salah chahta huin bcoz advocates tak ko is case ki piri jankari nahi hoti so plz agar koi achha insaan meri madad kar sake bina kisi lalach k to main uska bahut abhari rahunga plz call me on my number shahsi Kumar: 8196940950
Mujh pe 125 ka case chal raha hai nd 2 month jail kaat chuka huin jabki ye ek dam jhutha mukadma hai nd ye kanoon vaise he sirf or sirf ladki ki faver mein hain even mera judge bhi 100% ladki ki fever mein he ek tarfa faisla karta hai main is case mein sahi salah chahta huin bcoz advocates tak ko is case ki piri jankari nahi hoti so plz agar koi achha insaan meri madad kar sake bina kisi lalach k to main uska bahut abhari rahunga plz call me on my number shahsi Kumar: 8196940950
If any person refuse to stay with her husband for a time period of about 5 years.will u plz tell me that this 125 crpc will be sustained as long as wife wants
कया पती मजदुरी करता है
उशे भरण पोसण देना पडेगा
Pati ko hi bhugtana padata hai
Kya jb tk paise nhi bhre tb tk custudy me hi rhna hota h kya koi help krega kya rules h ager paise na ho to
Agar ek ladki ne ladke pe 125 ka case kar diya h or ladka talaak nahi chahta h... Vah chahta h ki ladki and uski daughter uske sath rhe to bhi kya ladki ko maintanance charge dena hoga kya?
Agr pati mazduri karta hai aur mazduri asi jisma kabhi Kam huwa kabhi nahi huwa kiya fir bhi bharand poshand Dana padaga aur wo bimar rahta ho aur patni khud apni marzi sa pati ka ghar chod rakh ho aur 498A /323 IPc ka mukdma bhi likh rakh ho jis par final report lag chuki ho kharcha Dana padaga aur jis ghar main pati rahta ho wo oska baap ka ghar ho shadi ka waqt bhi aur shadi ka bad pati os ghar par na rahta ho aur osna kharcha na diya ho aur recovery warrant Ho Gaya aur Khud ki warrant bhi ho gaya ho to kiya kharcha baap ke Ghar Se liya jayga ya Ghar Se baap ka saman bach kar Paisa Vasoola jayega aur Pati Na Mile Toh Kya Uske Pita aur uske bhai ko Giraftaar Kiya Jayega
Agar Pati Pasha Na De saka Tu Maa Baap Ki zimmedari Hai Kya
My sem proleam
Yes
Agar Pati aiUr Patni fir se sath me rahne par bacha Hone pardubara chodkar chale Jane parpahle Ka 125 maintenance Ka adesh prabhavsunya Ho Hayes us bane rahega
Husband government job karta hai to huse apni wife ko kitna bharan-posan ke liye kharcha dena padega plz rply fast
Agar maintainance Nahi badhne dena ho To ye kis niyam Me ho sakta h
Kya me apne Pati se mera aur Meri bachhi ka gujara mang sakti Hu?? Jab ki usne keh diya he ki Vo Kuch karta nai he jab ki uska uske uncle K sath joint business he aur sari property mere sasur K name he aur mera husband ek hi he
Mere bhai p bhi 125 crpc ka case chla hua h or trail court ne 800 per month khrcha lgaya h jbki mera bhai gunga wo behra h uska medical bna hua h jisme wo 80% medical verified by govt.hospital board chairman se hua h hmne cjm court m b ab apil ki hui h jisme hme date p date mil rhi h. Jo bhai ki wife h wo kisi dusre person k sath bina kisi entry se rh rhi h or sath m khrche ka dava bhi kr rhi h . Please help us ki hume kya krna chahiye.
Dear sir kya 13b act ke tahat 6month tak court ke bataye gye adesh anusar agar husband mani order deta hai to par uske bete se nahi milvaya ja raha kabhi bhi jan bhi call karke hall puchta hai to use paise ke lea majboor kiya jata hai to vo kya kare
Maine 125 ka case dark kiya h fir b mujhe mere pati se kuchh ni Mil rhapsody h or vo during ladkiyo k Sarah aisha kr that h h jbki meri ek beti b h 3 month ki mujhe kuchh help ni Mil rhapsody h kaun ki try se mujhe kya krta chahiye? ?
125 ka maintenance maine ki or mujhe koi help quality ni Mil rhapsody h
सर हमारे एक रिश्तेदार की बेटी लखनऊ में 125 के अंतर्गत मुकदमा हुवा था केश भी 8 साल तक चला लेकिन लड़के वाले लखनऊ में होने के कारण से केश जीत गया और कोई भी मेन्टेन्स जज ने नही दिया 4 साल हो गया क्या फिर से अपील किया जासकता है
सर हमारे एक रिश्तेदार की बेटी लखनऊ में 125 के अंतर्गत मुकदमा हुवा था केश भी 8 साल तक चला लेकिन लड़के वाले लखनऊ में होने के कारण से केश जीत गया और कोई भी मेन्टेन्स जज ने नही दिया 4 साल हो गया क्या फिर से अपील किया जासकता है 8953002947
sir me manish tiwari much par 125 lagaya gaya hai wife sec 9 me kaha hai ki me husband ke saath nahi rahna chati hu par mere par 498a bhi laga hai kya 125 band ho sakta hai plz intemated immedatily
sir me manish tiwari much par 125 lagaya gaya hai wife sec 9 me kaha hai ki me husband ke saath nahi rahna chati hu par mere par 498a bhi laga hai kya 125 band ho sakta hai plz intemated immedatily
sir me manish tiwari much par 125 lagaya gaya hai wife sec 9 me kaha hai ki me husband ke saath nahi rahna chati hu par mere par 498a bhi laga hai kya 125 band ho sakta hai plz intemated immedatily
sir mere pr bhi 125 ka kece lagaya gya hai ladki rahne ke liye raji nhi hai bolti hai muje nhi rahna ha yha pr .aur mere pe 4000 rupye bandhva diye hai to is samay kya karna padega sir .kuch btaye.please sir
Agr pati mazduri karta hai aur mazduri asi jisma kabhi Kam huwa kabhi nahi huwa kiya fir bhi bharand poshand Dana padaga aur wo bimar rahta ho aur patni khud apni marzi sa pati ka ghar chod rakh ho aur 498A /323 IPc ka mukdma bhi likh rakh ho jis par final report lag chuki ho kharcha Dana padaga aur jis ghar main pati rahta ho wo oska baap ka ghar ho shadi ka waqt bhi aur shadi ka bad pati os ghar par na rahta ho aur osna kharcha na diya ho aur recovery warrant Ho Gaya aur Khud ki warrant bhi ho gaya ho to kiya kharcha baap ke Ghar Se liya jayga ya Ghar Se baap ka saman bach kar Paisa Vasoola jayega aur Pati Na Mile Toh Kya Uske Pita aur .sir mera yhi metar hai .sem
Ladkieho ne Ake business bna raka hai
Aap apni patni ko rakhna chahte ho ya nahi
Sir Mein karna chahta Hoon ki aaj ke Samay ladki Walon Ne Apne ladki ko Business part Samaj Rakha Hai aur ladkiyon se hai apne Pati ke upar yeah maintenance demand Mane Par Majboor kar rakha hai iske liye koi accha Kanoon Ajay tu bahut Aise Parivar hai jo Sukhi Sampanna Zindagi Jeena shuru ho jaye
Good information sir
Thanks for sharing this beautiful article
Thanks once again
Har koi asa nani he
Bharan poshan rashi nahi mil Rahi h jabki bharan poshan ke aadesh 2015 me ho Gaye the kya karu
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