जब श्रीराम ने किया हनुमान जी के अहंकार का नाश



अहंकार का नाश
यह कथा उस समय की है जब लंका जाने के लिए भगवान श्रीराम ने सेतु निर्माण के पूर्व समुद्र तट पर शिवलिंग स्थापित किया था। वहाँ हनुमानजी को स्वयं पर अभिमान हो गया तब भगवान राम ने उनके अहम का नाश किया। यह कथा इस प्रकार है-
जब समुद्र पर सेतु बंधन का कार्य हो रहा था तब भगवान राम ने वहाँ गणेश जी और नौ ग्रहों की स्थापना के पश्चात शिवलिंग स्थापित करने का विचार किया। उन्होंने शुभ मुहूर्त में शिवलिंग लाने के लिए हनुमान जी को काशी भेजा। हनुमानजी पवन वेग से काशी जा पहुंचे। उन्हें देख भोलेनाथ बोले- “पवन पुत्र!” दक्षिण में शिवलिंग की स्थापना करके भगवान राम मेरी ही इच्छा पूर्ण कर रहे हैं क्योंकि महर्षि अगस्त्य विन्ध्याचल पर्वत को झुकाकर वहाँ प्रस्थान तो कर गए लेकिन वे मेरी प्रतीक्षा में हैं। इसलिए मुझे भी वहाँ जाना था। तुम शीघ्र ही मेरे प्रतीक को वहाँ ले जाओ। यह बात सुनकर हनुमान गर्व से फूल गए और सोचने लगे कि केवल वे ही यह कार्य शीघ्र-अति शीघ्र कर सकते हैं।
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यहाँ हनुमानजी को अभिमान हुआ और वहाँ भगवान राम ने उनके मन के भाव को जान लिया। भक्त के कल्याण के लिए भगवान सदैव तत्पर रहते हैं। हनुमान भी अहंकार के पाश में बंध गए थे। अतः भगवान राम ने उन पर कृपा करने का निश्चय कर उसी समय वारनराज सुग्रीव को बुलाया और कहा-“हे कपिश्रेष्ठ! शुभ मुहूर्त समाप्त होने वाला है और अभी तक हनुमान नहीं पहुँचे। इसलिए मैं बालू का शिवलिंग बनाकर उसे यहाँ स्थापित कर देता हूँ।”
तत्पश्चात उन्होंने सभी ऋषि-मुनियों से आज्ञा प्राप्त करके पूजा-अर्चनादि की और बालू का शिवलिंग स्थापित कर दिया। ऋषि-मुनियों को दक्षिणा देने के लिए श्रीराम ने कौस्तुम मणि का स्मरण किया तो वह मणि उनके समक्ष उपस्थित हो गई। भगवान श्रीराम ने उसे गले में धारण किया। मणि के प्रभाव से देखते-ही-देखते वहाँ दान-दक्षिणा के लिए धन, अन्न, वस्त्र आदि एकत्रित हो गए। उन्होंने ऋषि-मुनियों को भेंटें दीं। फिर ऋषि-मुनि वहाँ से चले गए।
मार्ग में हनुमान जी से उनकी भेंट हुई। हनुमानजी ने पूछा कि वे कहाँ से पधार रहे हैं? उन्होंने सारी घटना बता दी। यह सुनकर हनुमानजी को क्रोध आ गया। वे पलक झपकते ही श्रीराम के समक्ष उपस्थिति हुए और रुष्ट स्वर में बोले-“भगवन! यदि आपको बालू का ही शिवलिंग स्थापित करना था तो मुझे काशी किस लिए भेजा था? आपने मेरा और मेरे भक्तिभाव का उपहास किया है।”
श्रीराम मुस्कराते हुए बोले-“पवन पुत्र! शुभ मुहूर्त समाप्त हो रहा था, इसलिए मैंने बालू का शिवलिंग स्थापित कर दिया। मैं तुम्हारा परिश्रम व्यर्थ नहीं जाने दूँगा। मैंने जो शिवलिंग स्थापित किया है तुम उसे उखाड़ दो, मैं तुम्हारे लाए हुए शिवलिंग को यहां स्थापित कर देता हूँ।” हनुमान प्रसन्न होकर बोले-“ठीक है भगवन! मैं अभी इस शिवलिंग को उखाड़ फेंकता हूँ।”
उन्होंने शिवलिंग को उखाड़ने का प्रयास किया, लेकिन पूरी शक्ति लगाकर भी वे उसे हिला तक न सके। तब उन्होंने उसे अपनी पूंछ से लपेटा और उखाड़ने का प्रयास किया। किंतु वह नहीं उखड़ा। अब हनुमान को स्वयं पर पश्चात्ताप होने लगा। उनका अहंकार चूर हो गया था और वे श्रीराम के चरणों में गिरकर क्षमा माँगने लगे।
इस प्रकार हनुमान ने अहम का नाश हुआ। श्रीराम ने जहां बालू का शिवलिंग स्थापित किया था उसके उत्तर दिशा की ओर हनुमान द्वारा लाए शिवलिंग को स्थापित करते हुए कहा कि ‘इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने के बाद मेरे द्वारा स्थापित शिवलिंग की पूजा करने पर ही भक्तजन पुण्य प्राप्त करेंगे।’ यह शिवलिंग आज भी रामेश्वरम में स्थापित है और भारत का एक प्रसिद्ध तीर्थ है।
साभारः वेदों की कथाएं, डायमंड प्रकाशन

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फटी एड़ियों का घरेलू उपाय Fati Adiyo Ka Gharelu Upay



Home Remedies for Cracked Heels
फटी एड़ियों को नरम बनाने के लिए कुछ ख़ास देखभाल की जरूरत है। लापरवाही वश कई बार एड़ियों मई हद से ज्यादा दरारे पद जाती है की उन से खून निकलने लगता है। ऐसी हालत मई दर्द के मारे चलने मई बहुत कठिन होता है । फटी एड़ियों के उपचार जान ने से पहले इनके फटने का कारण जानना आवश्यक है। लोग अपने चेहरे का ख्याल रखने के लिए तो कई तरह के जतन करते हैं लेकिन अपने पैरो का ख्याल नहीं रखते। इस कारण एड़ियों की त्वचा डेड हो जाती है। तेज गर्मी, तेज ठंड, धूल, मिट़टी, खून की कमी, शरीर में खुश्की बढऩे और नंगे पैर चलने से हमरे पैर की एड़ियां फट जाती हैं। कभी-कभी खानपान में कमी और विटामिन ई की कमी और आयरन की पर्याप्त मात्र न लेने से एड़ियां फट जाती हैं। एड़ियों की देखभाल न की जाए तो इनमे बहुत दर्द होता है और दरार आने के बाद उसमें से खून निकलना शुरू हो जाता है। आपको चलने में भी बहुत परेशानी हो सकती है। इसे ठीक करने के लिए बाजार में अनेक क्रीम और दवाइयां मिलती है। कुछ घरेलु तरीके भी हैं जिन्हें अपनाकर फटी एडिय़ां ठीक की जा सकती है।

एड़ियों के फटने के कारण
  • पैर साफ़ ना रखने से एड़ियाँ फट जाती और पैर फट जाते है। सामान्य स्त्रियाँ घर के कामों मे मशगूल होने के कारण जल्दी से जल्दी स्नान करती है जिस से वो अपने पैर भली भांति धोना भूल जाती हैं और पैर पर मेल इकट्ठा होने के कारण एड़ियाँ फट जाती है।
  • शरीर मई कैल्शियम की कमी के कारण भी एड़ियाँ फट जाती हैं।
  • नंगे पैर चलने से एड़ियों में धुल जम जाती है जिस से एड़ियाँ फट जाती हैं।
शरीर मे खुश्की होने के कारण भी एड़ियों मे दरार आ जाती है।
ज्यादा तर स्त्रियाँ अधिकतर पानी में काम करती हैं और पानी भी एक प्रमुख कारण है जिस से एड़ियाँ फट सकती हैं।
कैसे फटी हुई एड़ियों को ठीक करें
रोज़ रात को 1 चमच नींबू का रस, 1 चमच गुलाब जल व 1 चमच अरंडी के तेल को एक साथ मिला कर इनका मिश्रण बना लीजिये फिर उस से अपनी एड़ियों पे लगा कर मालिश करने से एड़ियों के फटने से छुटकारा मिलेगा।
1 चमच शुद्ध मोम व एक चमच शुद्ध घी लेकर गरम करें। जब दोनों घुल जायें तब आंच से उतार कर उनकी एक एक बूँद एड़ियों की दरारों मई लगायें। इस से काफी आराम मिलेगा आपको एंड इस प्रयोग को तब तक दोहराते रहे जब तक आपको आराम न मिल जाये।
आधा टब पानी में नमक मिला कर अपने पैर पाँच मिनट तक उसमें डूबा कर रखें । फिर उसे अच्छी तरह से धो लीजिये फिर उसे अच्छे से सुखा कर उसपे जैतून का तेल लगा लीजिये । इस प्रयोग को करने से काफी राहत मिलेगी आपको।

फटी एड़ियों का अन्य घरेलू उपाय – Fati Adiyo Ka Any Gharelu Upay
  1. शहद (Honey) का इस्तेमाल कर करें एड़ियां (Fati Adiya) दुरुस्त - फटी एड़ी (Fati Adi) ठीक करने के लिए शहद को अच्छा माना जाता है। आधा कप शहद में पानी मिलाकर करीब 20 मिनट तक उसमे अपनी पैरो की एड़ियों को डुबोकर रखें। 20 मिनट बाद पैरों को निकाल लें और साफ तौलिये से पोंछ लें।
  2. नारियल के तेल का प्रयोग – Coconut Oil - नारियल के तेल को हल्का गर्म कर रात को सोने से पहले एड़ियों (Ediyon) पर लगाएं। सर्दियां हैं तो सॉक्स पहन कर सो जाए। सुबह उठकर पैरों को पानी से धोए। 10-15 दिन तक करे एड़ियां मुलायम होने लगेगी।
  3. सरसों का तेल भी लाभकारी – Mustard Oil -  नहाते समय पैर की एड़ियों को अच्छी तरह सफाई करें। सरसों के तेल से मालिश करने ये एड़ियों का फटना कुछ दिनों में कम होने लगेगा।
  4. चीनी और जैतून के तेल का प्रयोग – Cinnamon & Olive Oil - चीनी और जैतून के तेल का मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण को स्क्रब से पैरो में रब करे। थोड़ी देर के बाद पैरों को धो लें। साफ तौलिये से पैरो को पोछ लें। ऑलिव ऑयल या जैतून के तेल का इस्तेमाल करने से पैर कोमल और मुलायम हो जाते हैं। सबसे पहले अपने हाथों पर तेल लेकर अपने पैरों की अच्छे से मसाज करने के बाद आधे घंटे तक इसे ऐसे ही छोड़ दें। बाद में पानी से अपने पैर धो लें।
  5. ग्लिसरीन और गुलाब जल भी फायदेमंद – Glycerin & Rose Water - अगर एड़ियां (Fati Adiya) अधिक फटी हैं तो ग्लिसरीन और गुलाब जल एक सरल उपाय है। इससे फटी एड़ियों को नमी मिलती है और वे कोमल रहती हैं। एक-चौथाई ग्लिसरीन में तीन-चौथाई गुलाब जल मिलाकर मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को फटी एड़ियों परं लगाएं। कुछ देर तक लगाए रखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें।
  6. त्रिफला चूर्ण प्रयोग कर पाएं राहत – Triphala Powder - त्रिफला चूर्ण को खाने के तेल में डालकर मिला लें और इसका गाढ़ा पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को रोजाना रात को सोते समय एड़ियों (Ediyon) में लगाएं। कुछ दिनों तक इस पेस्ट को ऐसे ही लगाते रहें। इस पेस्ट को लगाने से फटी एड़ियां ठीक होने लगेगी।
  7. पपीते के छिलके भी गुणकारी – Papaya - पपीते को छीलकर इसके छीलको को पहले सुखा लें। इसके बाद छिलकों को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी ग्लिसरीन मिलाएं। इस मिश्रण को दिन में दो बार फटी एड़ियों (Cracked Heels) में लगाने से फटी एड़िया जल्दी ठीक हो जाएंगी।
  8. देसी घी और नमक – Clarified Butter & Salt - देसी घी और नमक को मिलाकर मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को फटी एड़ियों पर लगाएं। जल्दी ही फटी एड़ियां (Fati Adiya – Cracked Heels) ठीक हो जाएंगी और पैरों की त्वचा कोमल बनेगी। 
  9. गेंदे के पत्ते का पेस्ट भी लाभकारी – Leaves of Marigold Flowers -  गेंदे के पत्तों को लेकर उन्हें पीस लें। गेंदे के पत्तों का रस निकाल लें। इस रस में थोड़ी वैसलीन मिलाकर अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण को फटी एड़ियों (Fati Ediyon) पर लगाएं। जल्दी ही एड़ियां ठीक हो जाएंगी।
  10. पैर पर लगाएं गुनगुना मोम – Hot Wax - मोम के प्रयोग से भी फटी एड़ियों को ठीक किया जा सकता है। सोने से पहले पैरो को गर्म पानी से धो लें। अब पैरो में गुनगुना मोम लगाएं। इससे पैरों की फटी एड़ियों को ठीक करने में मदद मिलती है।
  11. स्क्रबिंग बड़े काम की – Scrubbing - अगर आपकी एड़ियां फटी हुई हैं तो स्क्रबिंग की मदद से फटी और बेजान एड़ियों को ठीक किया जा सकता है। इससे आपकी एड़ियां बड़ी आसानी से मुलायम हो जाती हैं। स्क्रबिंग से आपके डेड स्किन हट जाते हैं और एड़ियां खूबसूरत दिखने लगती है। स्क्रबिंग से पहले आप अपने पैर को थोड़ी देर के लिए गुनगुने पानी में डुबोकर रखें। गुनगुने पानी में थोड़ा नमक अवश्य मिलाएं। इससे पैरों का दर्द एकदम छूमंतर हो जाएगा।
  12. ओट और जोजोबा ऑयल – Oat & Jojoba Oil - ओट मिल से हमारी से हमारी त्वचा में निखार आता है। इसी तरह जोजोबा ऑयल मॉइश्चर करने के काम आता है। ओटमील का पाउडर और जोजोबा ऑयल को मिलाकर एक पेस्ट बनाएं और इसे अपनी फटी एड़ियों पर इस्तेमाल करें। फिर गुनगुने पानी के साथ अपने पांव धो लें। नियमित इस्तेमाल से एड़ियां सुंदर हो जाएंगी।


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॥ श्री रामाष्टकः ॥ (Shree Ramashtak)



Ramashtakam


श्री रामाष्टकः
हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशव ।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा ।।

हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते ।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम् ।।

आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम् ।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम्भाषणम् ।।

बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम् ।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि रामायणम् ।।


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डाकू रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki)





इंसान की अगर इच्छा शक्ति उसके साथ हो तो वह कोई भी काम बड़े आराम से कर सकता है। इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प इंसान को रंक से राजा बना देती है और एक अज्ञानी को महान ज्ञानी। भारतीय इतिहास में आदि कवि महर्षि वाल्मीकि जी की जीवन कथा भी हमें दृढ़ संकल्प और मजबूत इच्छा शक्ति अर्जित करने की तरफ अग्रसर करती है। कभी रत्नाकर के नाम से चोरी और लूटपाट करने वाले वाल्मीकि जी ने अपने संकल्प से खुद को आदि कवि के स्थान तक पहुंचाया और “वाल्मीकि रामायण” के रचयिता बने। आइए आज इन महान कवि की जीवन यात्रा पर एक नजर डालें।

दस्यु (डाकू) रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि(Maharishi Valmiki)
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक रत्नाकर नाम का दस्यु था जो अपने इलाके से आने-जाने वाले यात्रियों को लूटकर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। एक बार नारद मुनि भी इस दस्यु के शिकार बने। जब रत्नाकर ने उन्हें मारने का प्रयत्न किया तो नारद जी ने पूछा – तुम यह अपराध क्यों करते हो?
रत्नाकर: अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए? नारद मुनि: अच्छा तो क्या जिस परिवार के लिए तुम यह अपराध करते हो वह तुम्हारे पापों का भागीदार बनने को तैयार है ?
इसको सुनकर रत्नाकर ने नारद मुनि को पेड़ से बांध दिया और प्रश्न का उत्तर जानने के लिए अपने घर चला गया। घर जाकर उसने अपने परिवार वालों से यह सवाल किया लेकिन उसे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कोई भी उसके पाप में भागीदार नहीं बनना चाहता।

घर से लौटकर उसने नारद जी को स्वतंत्र कर दिया और अपने पापों का प्रायश्चित करने की मंशा जाहिर की। इस पर नारद जी ने उसे धैर्य बँधाया और राम नाम जप करने का उपदेश दिया। लेकिन भूल वश वाल्मीकि राम-राम की जगह ‘मरा-मरा’ का जप करते हुए तपस्या में लीन हो गए। इसी तपस्या के फलस्वरूप ही वह वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध हुए और रामायण की महान रचना की।

संस्कृत का पहला श्लोक
महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी एक और घटना है जिसका वर्णन अत्यंत आवश्यक है। एक बार महर्षि वाल्मीकि एक क्रौंच पक्षी के जोड़े को निहार रहे थे। वह जोड़ा प्रेम करने में लीन था। पक्षियों को देखकर महर्षि वाल्मीकि न केवल अत्यंत प्रसन्न हुए, बल्कि सृष्टि की इस अनुपम कृति की प्रशंसा भी की। इतने में एक पक्षी को एक बाण आ लगा, जिससे उसकी जीवन -लीला तुरंत समाप्त हो गई। यह देख मुनि अत्यंत क्रोधित हुए और शिकारी को संस्कृत में कुछ श्लोक कहा। मुनि द्वारा बोला गया यह श्लोक ही संस्कृत भाषा का पहला श्लोक माना जाता है।

मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्॥
(अरे बहेलिये, तूने काममोहित मैथुनरत क्रौंच पक्षी को मारा है।जा तुझे कभी भी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं हो पाएगी)

वाल्मीकि रामायण महर्षि वाल्मीकि ने ही संस्कृत में रामायण की रचना की। उनके द्वारा रची रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य है जो कि श्रीराम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य से, कर्तव्य से, परिचित करवाता है। वाल्मीकि रामायण में भगवान राम को एक साधारण मानव के रूप में प्रस्तुत किया गया है। एक ऐसा मानव, जिन्होंने संपूर्ण मानव जाति के समक्ष एक आदर्श उपस्थित किया। रामायण प्राचीन भारत का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है।


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बिल्वपत्र का महत्व एवं प्रयोग



बिल्व (बेल) पत्र का महत्व एवं प्रयोग
Bael (Aegle marmelos), also known as Bengal quince, golden apple, stone apple, wood apple, bili.


बिल्व (बेल )पत्र

बिल्व (बेल ) फल

मान्यता है कि शिव को बिल्व-पत्र चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। दरअसल बिल्व-पत्र एक पेड़ की पत्तियां हैं, जो आमतौर पर तीन-तीन के समूह में मिलती हैं। कुछ पत्तियां पांच के समूह की भी होती हैं लेकिन ये बड़ी दुर्लभ होती हैं। बिल्व को बेल भी कहते हैं। वास्तव में ये बिल्व की पत्तियां एक औषधि है। इसके औषधीय प्रयोग से हमारे कई रोग दूर हो जाते हैं। बिल्व के पेड़ का भी विशिष्ट धार्मिक महत्व है। कहते हैं कि इस पेड़ को सींचने से सब तीर्थो का फल और शिवलोक की प्राप्ति होती है।

महादेव का रूप है वृक्ष.बिल्व वृक्ष का धार्मिक महत्व है। कारण यह महादेव का ही रूप है। धार्मिक परंपरा में ऐसी मान्यता है कि बिल्व के वृक्ष के मूल अर्थात जड़ में लिंगरूपी महादेव का वास रहता है। इसीलिए बिल्व के मूल में महादेव का पूजन किया जाता है। इसकी मूल यानी जड़ को सींचा जाता है। इसका धार्मिक महत्व है। धर्मग्रंथों में भी इसका उल्लेख है-
बिल्वमूले महादेवं लिंगरूपिणमव्ययम्।
य: पूजयति पुण्यात्मा स शिवं प्राप्नुयाद्॥
बिल्वमूले जलैर्यस्तु मूर्धानमभिषिञ्चति।
स सर्वतीर्थस्नात: स्यात्स एव भुवि पावन:॥
शिव पुराण १३/१४
अर्थ- बिल्व के मूल में लिंगरूपी अविनाशी महादेव का पूजन जो पुण्यात्मा व्यक्ति करता है, उसका कल्याण होता है। जो व्यक्ति शिवजी के ऊपर बिल्वमूल में जल चढ़ाता है उसे सब तीर्थो में स्नान का फल मिल जाता है।

बिल्व-पत्र तोड़ने का मंत्रबिल्व-पत्र को सोच-विचार कर ही तोड़ना चाहिए। पत्ते तोड़ने से पहले यह मंत्र बोलना चाहिए-
"अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा।
गृह्णामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात् ॥"
अर्थ- अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष में तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।


पत्तियां कब न तोड़ें - विशेष दिन या पर्वो के अवसर पर बिल्व के पेड़ से पत्तियां तोड़ना मना है। शास्त्रों के अनुसार इसकी पत्तियां इन दिनों में नहीं तोड़ना चाहिए-

सोमवार के दिन
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या की तिथियों को।
संक्रांति के पर्व पर।
अमारिक्तासु संक्रान्त्यामष्टम्यामिन्दुवासरे ।
बिल्वपत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्चेन्नरकं व्रजेत ॥ - (लिंगपुराण)अर्थ - अमावस्या, संक्रान्ति के समय, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी तिथियों तथा सोमवार के दिन बिल्व-पत्र तोड़ना वर्जित है।


क्या चढ़ाया गया बिल्व-पत्र भी चढ़ा सकते हैं-शास्त्रों में विशेष दिनों पर बिल्वपत्र चढ़ाने से मना किया गया है तो यह भी कहा गया है कि इन दिनों में चढ़ाया गया बिल्व-पत्र धोकर पुन: चढ़ा सकते हैं।

अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।
शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि चित्॥ (स्कन्दपुराण, आचारेन्दु)
अर्थ- अगर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए नूतन बिल्व-पत्र न हो तो चढ़ाए गए पत्तों को बार-बार धोकर चढ़ा सकते हैं।

विभिन्न रोगों की कारगर दवा :बिल्व-पत्र-बिल्व का वृक्ष विभिन्न रोगों की कारगर दवा है। इसके पत्ते ही नहीं बल्कि विभिन्न अंग दवा के रूप में उपयोग किए जाते हैं। पीलिया, सूजन, कब्ज, अतिसार, शारीरिक दाह, हृदय की घबराहट, निद्रा, मानसिक तनाव, श्वेतप्रदर, रक्तप्रदर, आंखों के दर्द, रक्तविकार आदि रोगों में बिल्व के विभिन्न अंग उपयोगी होते हैं। इसके पत्तो को पानी से पकाकर उस पानी से किसी भी तरह के जख्म को धोकर उस पर ताजे पत्ते पीसकर बांध देने से वह शीघ्र ठीक हो जाता है।

पूजन में महत्व- वस्तुत: बिल्व पत्र हमारे लिए उपयोगी वनस्पति है। यह हमारे कष्टों को दूर करती है। भगवान शिव को चढ़ाने का भाव यह होता है कि जीवन में हम भी लोगों के संकट में काम आएं। दूसरों के दुःख के समय काम आने वाला व्यक्ति या वस्तु भगवान शिव को प्रिय है। सारी वनस्पतियां भगवान की कृपा से ही हमें मिली हैं अत: हमारे अंदर पेड़ों के प्रति सद्भावना होती है। यह भावना पेड़-पौधों की रक्षा व सुरक्षा के लिए स्वतः प्रेरित करती है।

पूजा में चढ़ाने का मंत्र- भगवान शिव की पूजा में बिल्वपत्र यह मंत्र बोलकर चढ़ाया जाता है। यह मंत्र बहुत पौराणिक है।
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥
अर्थ- तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले हे शिवजी आपको त्रिदल बिल्व पत्र अर्पित करता हूं।


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बेल पत्र का उपयोग शिव जी की आराधना में क्यों किया जाता है?



सावन महीने में भगवन शिव की आराधना की जाती है| सारे सनातनी गंगा की पवित्र जल से भगवन शिव का अभिषेक करते है| शिव की पूजा में गंगा जल, बेल पत्र, चन्दन, दूध, घतुरा अदि चीजो का इस्तेमाल किया जाता है| आज हमें जानने की जरुरत है की इन सबके पीछे कौन सी वैज्ञानिक सोच है|
बिल्व (बेल ) - Bael (Aegle marmelos)

बेल का पेड़ एक औषधि का वृक्ष है जिसमे अनेको ऐसे औशाधिये गुण है जो मानव को स्वस्थ तो रख ही सकते है साथ ही पर्यावरण को भी स्वच्क्ष रखा सकते है| बेल पर्त्रो में अनेको ऐसे तत्वा मिलते है जो की कीटाणु और विषाणु नाशक है जैसे की सल्फर, फास्फोरस आदि|अब हम बेल पत्र के उपयोग की पूरी प्रक्रिया को समझते है| सबसे पहले भक्त बेल पत्र को इकठ्ठा करने की लिए सुबह उठ कर आस पास के बगीचे में जाता है जहा उसे टहलने के क्रम में घास पर टहल कर जाना होता है जिससे उसे स्वस्थ लाभ मिलता है घास पर पारी ओस की बूंदों से वो काफी स्वस्थ महसूस करता है साथ ही उसके आँखों जी ज्योति भी बढती है|  इसके उपरत हाथो से जब वो बेल पत्रों को तोरता है तो ओस की बूंदों को स्पर्श करता है जिससे वो और भी तरोताजा महसूस करता है तिन पत्ती बेल पत्रों को को इकठ्ठा करने के क्रम में भी उसे अनेको लाभी मिलते है|

पूजा करते समय बेल पत्रों को जल के साथ शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है| और भक्त पुरे मन से शिव की आराधना करते है| जिससे की भक्त को एक अलोकिक सुख मिलता है| संध्या कल को मंदिर का पुजारी सारे पुष्प और बेल पत्रों को एकत्र करके पास के नदी या तालाब में ड़ाल देता है| जैसा की हम लोग जानते है सावन में जोरो की बारिश होती है और ये बारिश का पानी सभी जगह के गंदगियो को बहा कर अपने साथ नदियों और तालाब में ले आता है| इस गंदगी के वजह से सारे नदी और तलब गंदे हो जाते है और उसमे रहने वाले जीव जंतु मरने लगते है| इसलिए तालाब को साफ रखने के लिए कोई भी कारगर उपाय नहीं होता है| इसलिए उसमे बैल पत्र द्वारा साफ और स्वच्क्षा रखा जाता है|

बैल पत्रों में निहित तत्व गंदगियो को समेट कर नदी के किनारों पर जमा करने लगती और तालाब में इन गंदगियो को समेट कर तालाब के तली में और किनारों पर जमा करने लगती है जिससे की नदी और तालाब साफ हो जाते है| उसके दूषित तत्व पानी से अलग हो जाते है और उसका पानी निर्मल हो जाता है साथ है उसमें औषधीय गुण भी आ जाते है जो त्वचा रोग को ठीक कर सकता है|

अतः मुर्ख लोगों द्वारा कहा जाना की ये सिर्फ एक रूढ़िवादिता है एक बहुत बड़ी मूर्खता है| सनातन धर्म के विज्ञान को समझाने की जरूरत है जो की हमारे फायदे के लिए बनाया गया है| ताकि हम अपना जीवन स्वस्थ रख सके साथ ही वातावरण को भी स्वस्थ रख सके|



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हिन्दू धर्म की वर्णव्यवस्था एवं उसका समत्व मूलक सिद्धांत



हिन्दू धर्म की वर्ण व्यवस्था एवं उसका समत्व मूलक सिद्धांत

हिन्दू धर्म का सर्वोच्च सिद्धांत अहिंसा, दया, क्षमा, सत्य, समत्व, संयम, सहिष्णुता आदि के आचरण का है।
वेद कहते है-
सर्वं खल्विदं ब्रह्म= यह सब परमात्मा का ही रूप है।
सर्वे भवन्तु सुखिन:= सभी का कल्याण हो, सभी सुखी होवे।
सियाराम मय सब जग जानी= सम्पूर्ण जगत सीता राम मय समझो।

भगवान श्रीकृष्ण कहते है-
मयाततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना//
अव्यक्त मुर्ती मेरे द्वारा सम्पूर्ण जगत व्याप्त है। सर्वत्र आत्म भाव, सर्वत्र परमात्मा हि हिन्दू धर्म का मूल मंत्र है।

भगवान श्री कृष्ण कहते है-
विद्याविनयसपन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनी /
शुनिचैव श्वपाके च पंडिता: समदर्शिन: // ५।१//
सम: सर्वेषु भूतेशु मद्भक्तिं लभते नर://१८।५४//

ज्ञान एवं ज्ञान जन्य विनय से संपन्न ब्राह्मन में, गाय में, हाथी में, कुत्ते में एवं हिंसा वृत्ति से जीवन जीने वाले लोगों में भी जो समत्व रूप भगवान के दर्शन करता है और जिनके दृष्टि में छोटा-बड़ा, उच्च- नीच, छूत- अछूत आदि का भेद नही है। यही ज्ञानी सर्वोच्च व्यक्ति है। वही मेरे भक्ति को प्राप्त करता है। यह हिन्दू धर्म का मूल सर्वोच्च सिद्धांत है।

विषमता, घृणा, उच्च नीच आदि की वर्तमान निम्न मानसिकता विकृत हुई वर्ण व्यवस्था का अंग है। यह प्राचीन समय में समत्व मूलक एवं लोकोपकारी व्यवस्था रही है। यह मनु से भी पहले वेदोक्त है। मनु उसके केवल योजनाकार है। पित्री पुरुष समदर्शी आदि मनु की वर्तमान मनुस्मृति भी कालांतर के स्वार्थ पूर्ण लोगों के द्वारा विकृत है। क्योंकि वर्त्तमान की मनुस्मृति में जो बाते लिखी है वह आदि मनु कह ही नही सकते। उनकी वह व्यवस्था पहले जन्म पर आधारित थी नकि कर्म पर। मनु का वचन है:-
जन्मना जायते शुद्र: संस्कारात द्विज उच्यते //
प्रत्येक व्यक्ति जन्म से शुद्र= लघु, बिज की तरह पैदा होता है। परन्तु वह अपनी जैविक ऊर्जा, बौद्धिक क्षमता, अनुकूल शिक्षा एवं सम्यक दीक्षा के द्वारा समाज के योग्य बड़ा बनता है।

चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुण कर्म विभागश:// गुण= व्यक्ति का स्वभाव एवं कर्म= तत्तत कर्म, काम करने की योग्यता के अनुसार व्यक्ति का परिचय बनता है। आगे बढ़ने का जन्म तो एक प्रकार से अवसर है। जन्म के बाद व्यक्ति क्या बनेगा इसकी दिशा उसको तय करनी है।
मूल रूप में वर्ण व्यवस्था का प्राचीन रूप केवल योग्यता के अनुसार कार्य का नियोजन मात्र था। कर्म की योग्यता एवं बौद्धिक सूझबूझ पर आधारित सब के लिए समान काम का बंटवारा ही उसका मूल मंत्र था। उस में किसी भी प्रकार विषमता, घृणा, उच्च नीच भाव आदि निम्न मानसिकता नही थी।
व्यवस्था को कार्य की दृष्टि से ब्राह्मन= शिक्षक वर्ग, क्षत्रिय= सैनिक वर्ग, वैश्य= व्यापारी वर्ग और शुद्र= मजदूर वर्ग में विभक्त किया गया है। कुछ संयमी, तितिक्षु, अपरिग्रही, विनयी, त्यागी, विरागी, जिज्ञासु प्रवृति के लोग ब्राह्मण= शिक्षक बन जाते थे। उनका काम था स्वयं संयम, त्याग में रहते हुए ज्ञान को पाना और चारों वर्णों के हित में उन्हें ज्ञान देना, धार्मिक कर्म करना और कराना, भोगविलासी वस्तुओं के संग्रह से दूर रहना। वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण को धन, संपत्ति आदि के संग्रह का अधिकार नही था।। वे संयमी, अपरिग्रही लोग आजीवन भिक्षावृत्ति से जीवन यापन किया करते थे|
जो लोग आस्तिक, बलिष्ठ, साहसी, उदार, समाज एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए तत्पर थे वे क्षत्रिय= सैनिक बन एवं शासक बन जाते थे। उनका काम था जीवन को हथेली पर रखकर धर्म की, चारो वर्ण के लोगों की एवं अपने राष्ट्र की रक्षा करना। इनको भोग विलास की वस्तुएं रखने एवं धर्म, समाज एवं राष्ट्र रक्षा के लिए धन संग्रह करने का अधिकार था।
वैश्य= व्यापारी वह समुदाय था जो व्यापार के तत्व को समझने में समर्थ था। उसका काम था कृषि, गौ पालन एवं व्यापार के द्वारा चारों वर्णों की आवश्यकता की सभी वस्तुएं उत्पन्न करना और उसका सब जगह आवश्यकता के अनुसार समान रूप से वितरित करना। वह धर्म पूर्वक धन का संग्रह समाज एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए कर सकता था।
शेष बचे हुए लोग शुद्र= मजदूर के रूप में समाज के दृढ़ अंग बन जाते थे। इनका कार्य था सर्विस=सेवा करना। इन्हें वेद में भगवान के पैरों से उत्पन्न कहा है।
पद्भ्यां शूद्रो अजायत// शुद्र= मजदूर भगवान के पैर से उत्पन्न हुए है क्योंकि वे सम्पूर्ण शरीर के आधार पैर की तरह समाज का आधार है।
ब्राह्मन शिक्षा का, क्षत्रिय रक्षा का और वैश्य व्यापार का काम भी मजदूर के बिना नही कर सकता है। इनका काम था शिक्षा, रक्षा एवं व्यापार में मदत करना और योग्यता के अनुसार उस भूमिका के लिए भी अपने को तयार करना। यह समाज अर्थ शास्त्र एवं सर्व समाज था आधार स्तम्भ था। इनका प्रमुख रूप से बारह बलौतदार के रूप में वर्णन है -

१) सूत्रकार= दरजी= वस्त्रों का निर्माण करना, वस्त्र सिलना आदि।
२) कुम्भकार= मिटटी, काष्ठ आदि के जीवनोपयोगी पात्र बनाना,
३) चर्मकार= चर्म सम्बन्धी काम करना। चमड़ी के जूते, चप्पल, बैग, पानी ले आने जाने वाले मशक, पात्र, वाद्य यन्त्र के उपकरण, तलवार की मेन आदि बनाना।
४) तेली= तिल, मूंगफली, सरसों, नारियल, चमेली आदि सभी प्रकार के तेलों को निकलना।
५) माली= फुल को पैदा करना, सूत, तुलसी, चन्दन, मोती आदि की मालाओंको बनाना एवं बुनना।
६) तम्बोली= सुपारी, पान, सौंप आदि मुख शुद्धी के साधन बनाना, ताम्बुल बनाकर लोगों को खिलाना।
७) लोहकार (लोहार)= लोहे के दैनिक उपयोग में आने वाले उपकरण, खेत में काम आने वाले औजार एवं सेना के उपयोगी अस्त्र-शस्त्र आदि बनाना,
८) सुवर्णकार= सुवर्ण के गले, नाक, कान, हाथ, पैर आदि में पहने जाने वाले अलंकार, मुकुट आदि बनाना।
९) सुतार = बड़ई= लकड़ी के घर, गृहोपयोगी सामान, रथ, बैलगाडी आदि बनाना।
१०) नाइ= सौन्दर्य प्रसादन की सामुग्री तयार करना एव केश को काटना, उसकी साज-सज्जा आदि करना।
११) मिस्त्री= घर, महल, मंदिर, धर्मशालाएं, कुंए, किल्ले आदि बनाना।
१२) धोबी= वस्त्रों को धुलाना, उनको रंग देना आदि काम करना।और भी बहुत से काम थे वे सब मिलजुलकर एक परिवार की तरह करते थे।

जीवनोपयोगी सामग्री को एवं युद्ध के सामुग्री को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने आने आदि का काम भी यहि समुदाय करता था। इन्हे काम के बदले पर्याप्त मात्रा में आजीविका की सामुग्री, जमीने, घर आदि उपहार के रूप में दिए जाते थे।
ब्राह्मन और शुद्र की सुरक्षा, आजीविका एवं जीवनोपयोगी सामुग्री का दायित्व क्षत्रिय और वैश्य का था। इनके भूखे रहने या मांग कर खाने से क्षत्रिय और वैश्य अपना अपमान, पाप समझते थे। भिक्षा केवल सभी वर्णों के साधु, गुरुकुल के सभी ब्रह्मचारी प्रशिक्षु एवं अपरिग्रही ब्राह्मन की आजीविका थी। जो उन्हें आत्मनिर्भर, निश्चिन्त और निरभिमान बनाती थी।
वे सनातन हिन्दू लोग अति तितिक्षु , सहनशील, धर्म परायण, संतुष्ट एवं अंतर्मुखी प्रवृत्ति के थे। वे असुविधाजनक स्थिति में होते हुए भी अपने अपने काम को पूर्ण समर्पण के साथ धर्म समझकर सम्पन्न किया करते थे। उन में परस्पर प्रेम था। विवाह, सुख दुःख आदि में वे एक दुसरे की मदत किया करते थे।
मैंने स्वयं अपने गाँव में देखा है। चारो वर्णों के लोग बड़े ही प्रेम से रहते थे। बड़े वृद्ध शुद्र जनों को भी हम कम उम्र वाले लोग प्रणाम करते थे। ज्ञान से ब्राह्मन, बल से क्षत्रिय, धन से वैश्य और उमर से शुद्र को पूज्य, बड़ा माना जाता है। साल के अंत में कुम्भार, चर्मकार, नाउ आदि सभी लोग अपना अपना हिस्सा लेने के लिए खेत में आ जाए करते थे। उन्हें खेत से ही किसानों से साल भर से भी ज्यादा अनाज, घास आदि मिल जाता था। वे व्रत, उत्सव, त्यौहार, उपवास, यज्ञ, विवाह, पम्पराएँ आदि सब मिलकर मनाते थे।
वे सभी लोग भगवान को सामने रखकर अर्थ और काम का धर्म पूर्वक उपयोग करते थे।। उनके लिए धर्म से बड़ी दूसरी कोई चीज नहीं थी। संसारिक संतोष एवं उससे पूर्ण वैराग्य के क्रमिक विकास हेतु शास्त्र ने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये चार पुरुषार्थ कहे है।ये चारो मानव मात्र के जीवन के समान उद्देश्य है। काम और अर्थ का मूल धर्म है।काम और अर्थ को धर्म,नीति सम्मत होना चाहिए। तभी वह मोक्ष के प्रति कारण बनेगा, समाज सुखी होगा।उसको मोक्ष मिलेगा।
मोक्ष अर्थात आत्मबोध के फलस्वरूप अज्ञान के साथ सम्पूर्ण मानवीय अज्ञान, जलन, घृणा, ईर्ष्या, राग द्वेष आदि कमियों का समूल उछेद।
धर्म के आश्रय से नैतिक नियमों के द्वारा लोग व्यवहार को नियमित, संयमित किया जाता है। अपने मन, वाणी, इंद्रियों आदि का संयम कर अपने अपने विश्वास के अनुसार भगवान, देवी, देवताओं आदि का पूजन, पाठ, यज्ञ, दान आदि क्रियाओं के द्वारा अपना भाव समर्पित करना धर्म है। यहाँ तक की भगवान का रूप समझकर पेड़ पौधों का पूजन, सब के साथ प्रेम पूर्वक आचरण भी एक धर्म की क्रिया का ही अंग है।
मानवीय संकृति उनके रहन सहन, खान पान, पहनावा, भाषा, व्यापार, कला, संगीत एवं तकनीकी आदि के रूप में झलकती है। एक समय यह भारतीय धर्म एवं संस्कृति अत्यधिक समृद्ध थी। उस समय यह देश सोने की चिड़िया कहलाता था। यहाँ प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी उन्नत परंपरा से जुड़ा हुआ था। गुरु नानक देव जी, गुरु रविदास जी, चैतन्य महाप्रभु। आदि शंकराचार्य, तुलसीदास जी, भगवान बुद्ध, भगवान रामकृष्ण, भगवान ऋषभदेव आदि महापुरुषों की अति समृद्ध परम्परा इस देश में प्रवाहित हो रही थी।
हमारे पूर्वजों की यह बात अत्यधिक प्रशंसनीय थी की वे एकं सत विप्रा बहुधा वदन्ति के सिद्धांत का अनुसरण करते हुए। विभिन्न विचारों पर एक जगह बैठकर विचार विमर्ष करते हुए दूसरे के सद विचारों का सम्मान करते थे। उनकी अनेकता में एकता ही सबसे बड़ी शक्ति थी। उनमें विपरीत विचारों को भी सुनने एवं उसको पचाने का सामर्थ्य था।एक ही घर में, एक ही परिवार में कोई रामकृष्ण को मानता तो कोई बुद्ध को,कोई शिव को मानता तो कोई महावीर को, कोई गुरु नानक को कोई कबीर को। सभी लोग इस सत्य को जानते थे की जाना वही है, पाना वही है, केवल रास्ते अलग दिख रहे है। उनके विभिन्न विचार भी उनके प्रेम को स्थाई रूप से तोड़ने में समर्थ नहीं थे। उन में मतभेद थे लेकिन मति भेद नहीं।
इसीलिए इस देव भूमि भारत में अनेको मत मतान्तर स्वतंत्र रूप में विकसित हो सके। इस देश के शांति प्रिय विवेकी मनीषियों ने राम, कृष्ण, शिव, बुद्ध, महावीर, गुरु नानक देव, संत कबीर, गुरु रविदास जी जैसे अवतारी महा पुरुषों को बड़े ही आदर से स्वीकार किया और उन के विचारों को आगे बढ़ाया। ईसा मसीह, सुकरात, मंसूर, हुसैन साहब जैसे महा पुरुष इस देश की हिन्दू आर्य भूमि में पैदा हुए होते तो यह देश उन्हें सूली पर नहीं चढ़ाता, अपितु उनको अति उल्लास से अपने शिर माथे पर बैठा कर उन के विचारों को आगे बढ़ता।
इतने महान विचारों एवं आचरण वाला महा पुरुषों का यह देश, समाज सामाजिक वैमनस्य पूर्ण भेदभाव एवं अपने लोगों के साथ असहिष्णुता को कैसे प्राप्त हुआ? संभवत: इसका प्रमुख कारण अपनी कमजोरी और बाहरी आक्रमण रहा है। बुद्ध, शंकर, महावीर का यह देश धर्म प्रधान हो गया था। शस्त्र का स्थान शास्त्र ले चुका था। यह देश बाहरी आक्रमण के लिए तैयार ही नहीं था। इस अहिंसा, करुणा, पवित्रता, तप, स्वाध्याय के देश भारत पर एक बहुत बड़ा कष्ट आ पड़ा, वह था बर्बर, असभ्य, प्राण पिपासु, असहिष्णु, लुटेरे लोगों का इस्लामी आक्रमण। तब यह देश बाहरी आक्रमण के लिए तैयार ही नहीं था। यहाँ तो अहिंसा, तप। दया, करूणा की साधना हो रही थी। सम्राट अशोक के बाद तो यहाँ सैन्य शक्ति को करीब करीब समाप्त कर दिया गया था। केवल व्यवस्था बनाये रखने लिए सेना काम कर रही थी। धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक रूप से समृद्ध भारत पर भूखे नंगे मुस्लिम लुटेरे इस देश पर लगातार आक्रमण करते रहे। उत्तरा पथ के सभी हिन्दू, जैन, बौद्ध मंदिर तोड़ डाले गए। पवित्र हरमंदिर साहिब को पवित्र करने की और पवित्र सरोवर को मिट्टी डालकर पाटने की कई बार कोशिश की गई। निरंतर इस्लामी आक्रमण और सात सौ साल की पराधीनता के कारण इस देश की आंतरिक शक्ति एकता, भाईचारा, सौहार्द आदि सामाजिक संस्थागत चीजें नष्ट हो गई।
उस समय चारों वर्ण एक शरीर की तरह प्रेम अपनत्व के साथ रहते थे। उन में ऊंच नीच, छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियाँ भी नही थी। परन्तु सनातनी भारतीय विदेशी मुगल मुस्लिमों को गोमांस भक्षण अछूत यवन समझते थे और उनके वहाँ जो भी काम करता या उनके संपर्क में आ जाता उसको भी अछूत समझकर बहिष्कृत कर देते थे, उन्हें अछूत शूद्र बना दिया जाता था। चाहे वह ब्राह्मण हो, शूद्र हो, वैश्य हो या क्षत्रिय। आज जिन्हें हम दलित अथवा ओबीसी कहते है वे चारों वर्णों से उपेक्षित किये गए लोग है। इस निरंतर इस्लामी आक्रमण और सात सौ साल की पराधीनता के कारण इस देश का आंतरिक व्यवस्थागत ढांचा बिखर गया। दुर्भाग्य से सुविधा और समृधि, राज्य और राज्य की शक्तियाँ इस्लामी लुटेरों के हाथों में चली गई। भारतीयों की एकता, भाईचारा, सौहार्द आदि समत्वपूर्ण सामाजिक संस्थागत चीजें नष्ट हो गई। उसके जगह पर स्थान लिया छुआछूत, भाई भतीजावाद, पीड़ा, उत्पीड़न, विषमता आदि ने।
मुस्लिम सात सौ साल तक इस देश के शासक रहे। उन्होंने इस देश को लुटने, बड़े बड़े किले, महल, कबरे बनाने और नवाब बनने के अलावा कुछ नहीं किया। मुगल के आक्रमण से जितना नुकसान समत्वपूर्ण हिन्दू व्यवस्था को हुआ है उतना किसी से भी नहीं हुआ है।
अत: हमें आर्य हिन्दू संस्कृति की महान गौरवमयी संस्कृति के उद्धार के लिए अतीत की भूलों का परित्याग कर नए समत्वपूर्ण समाज की स्थापना का संकल्प लेना होगा। हमारी सबसे बड़ी शक्ति है- अनेकता में एकता, समता। इनमें विरुद्ध विचारों को भी पचाने का सामर्थ्य है। प्राचीन आर्य गौरव को प्राप्त करने के लिए वंचित किये गए बहुजन समाज के साथ समत्वपूर्ण व्यवहार के द्वारा उनके सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन स्तर को उठाने की भी अति आवश्यकता है।।।।।।।।।हरी ॐ।
~ Swami Pranavanand


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मुख्यमंत्री घूस निधि



मुख्यमंत्री घूस निधि

उत्तर प्रदेश सरकार के किसी भी विभाग के दफ्तर में, अधिकारी और बाबू के दस्तखत करने के रेट निर्धारित है, बिजली विभाग में बहुत जगह अपने प्रभाव से बिना "अधिकारी निधि" का भुगतान किये काम करवा लिए, अन्तोगत्वा चालान जमा करने एक 500 रु. का फॉर्म भरने के को कहा गया और यह पूछने पर कि फॉर्म कहाँ मिलेगा अमुक ठेकेदार के पास की सूचना मिली।
ठेकेदार के पास पहुंचने पर फॉर्म का मूल्य 1000 रु. हो चूका था जिसकी कोई रसीद मांगे जाने पर भी उपलब्ध नहीं थी, घूस देना और लेना दोनों कानूनन जुर्म है किन्तु अप्रत्यक्ष रूप से लिए जाने वाले घूस का क्या इलाज़ है? वास्तव में प्रदेश में किसी भी विभाग में बिना घूस के कोई काम संभव ही नहीं है।
एक सुझाव है कि प्रदेश में घूस प्रथा को कानूनी मान्यता दे देनी चाहिए. "मुख्यमंत्री घूस निधि" नाम से विभाग बने जहाँ पर निधारित कम के लिए घूस देकर रसीद जनता रसीद कटवा ले ताकि जनता को प्रत्येक पटल पर फुटकर में घूस देने बचना पड़े और घूस देना और लेना दोनों कानूनन जुर्म है के अपराध और अपराधी दोनों बचे रहे। एक माह में मुख्यमंत्री घूस निधि विभाग द्वारा एकत्र राशि को मंत्री, विधायक, अधिकारी और कर्मचारियों में औकातानुसार वितरित कर दिया जायेा। 


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गाँधी और सुभाष



गाँधी और सुभाष
गाँधी जी सुभाष बाबू की गतिविधियों सको लेकर बहुत चिंतित थे एक ख़ुफ़िया ब्रिटिश रिपोर्ट के अनुसार बम्बई में एक निजी बैठक में उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा- "मैं जनता हूँ कि देश में 'फारवर्ड ब्लॉक' एक जबरदस्त संगठन है सुभाष बाबू ने हमारे लिए बहुत जोखिम उठाया है किन्तु वे भारत में अपनी सरकार स्थापित करना चाहते है तो उन्हें रोकना पड़ेगा"
(ट्रांसफ़र ऑफ़ पॉवर-II क्र.  90.  26 मई 1942 को ख़ुफ़ियाविभाग की रिपोर्ट पृष्ट 35 )






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गलत काम सरकार करे और महाधिवक्ता ठीक पैरवी नहीं कर रहे है



गलत काम सरकार करे और महाधिवक्ता ठीक पैरवी नहीं कर रहे है

कुछ समाजवादी ऐसी करते है जैसे इन्कोउन्टर सिर्फ गुजरात में ही होते है... वास्तव में उत्तर प्रदेश तो तो आतंकियों को ही पुलिस, सेना और जनता का इन्कोउन्टर की पूरी छूट अखिलेश सरकार ने दिया हुआ है.. 
 
अखिलेश यादव सरकार ने 29 मामलों में 15 आरोपियों से मुकदमे वापस लेने की घोषणा की। जिन आरोपियों का मुकदमा वापस लेने की पहल की गयी उसमे 23 नवम्बर 2007 में फैजाबाद, वाराणसी और लखनऊ में हुए विस्फोटों के आरोपी तारिक काजमी, 2008 में रामपुर में सीआरपीएफ कैंप में हुए हमले के आरोपी जावेद उर्फ गुड्डू, ताज मोहम्मद और मकसूद शामिल हैं। इनके अलावा देश विरोधी गतिविधियों के आरोपी बिजनौर का रहने वाला नौशाद, याकूब और नासिर हुसैन शामिल है। इनके साथ ही अहमद हसन, शमीम, मो. कलीम अख्तर, अब्दुल मोईन, अरशद, सितारा बेगम और इम्तियाज अली के मुकदमों की वापसी विचाराधीन है।
 
इस मामले लखनऊ हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एसपी सरकार से पूछा है आतंकी मामलों में बंद आरोपियों से मुकदमे वापस लेने के पीछे कौन है? कोर्ट ने सरकार से वे दस्तावेज तलब किए हैं जिनमें मुकदमे वापसी की कार्यवाही शुरू करने संबंधी नोटिंग की गई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से विशेष तौर पर वह दस्तावेज तलब किया है जिसमें पहली बार आदेश किया गया कि आतंकवाद के आरोपियों से मुकदमे वापस लेने की कार्यवाही शुरू की जाए। हाईकोर्ट के बार-बार आदेश के बावजूद सरकार द्वारा मुकदमे वापसी से संबंधित मूल दस्तावेज अदालत में पेश न किए जाने पर 3 जजों की बेंच ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस डीपी सिंह, जस्टिस अजय लाम्बा व जस्टिस अशोक पाल सिंह की बेंच ने सरकार से अगली तारीख तक विभिन्न जिलों में सरकार की ओर से लगाई गई अर्जियां व अन्य दस्तावेज पेश करने का आदेश देना पड़ा। इसके बाद अखिलेश सरकार को कड़ी फटकार लगते हुए 2 जजों की बेंच ने आतंकवाद के 19 आरोपितों से मुकदमे वापस लेने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। ये है अखिलेश सरकार के कृत्य कि जबतक घोड़ी पर चाबुक इस्तेमाल न किया जाये वो काबू में नहीं आती है..

कोर्ट में सरकार के कुकृत्यों से अजीज आकर प्रदेश के महाधिवक्ता एसपी गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया, आखिर बेइज्जती से लाल बत्ती बड़ी नहीं होती है और समाजवादी पार्टी के लोग बोल रहे है की श्री गुप्ता सरकार की ठीक पैरवी नहीं कर रहे थे ये बताइए हत्या, बलात्कार और दंगे और गलत काम सरकार करें और महाधिवक्ता ठीक पैरवी नहीं कर रहे है, सरकार गलत काम बंद करें पैरवी भी ठीक हो गाएगी..


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यह कैसा ख़ूनी जलसा है जहाँ बिना संवेदनाओ के मुबारकबाद है ?



यह कैसा ख़ूनी जलसा है जहाँ बिना संवेदनाओ के मुबारकबाद है ?
अभी कुछ मित्रों से करेली (इलाहाबाद का मुस्लिम बाहुल्य इलाका) में मिल कर आ रहा हूँ, वहां एक नाला बहता है जो खून से काफी कुछ लाल हो चुका था और शाम तक पूरी तरह से खून से लाल हो जायेगा। जो आगे जाकर बिना साफ़ सफाई के यमुना नदी में मिल जाता है..
 रास्ते में १५-२० पड़वा (भैस के बच्चे) अटला कसाई खाने की ओर हाके लिए जा रहे थे , पेट पर कुछ खास चिन्ह थे जो काटे जाने की ओर इशारे करते है... और ये जानवर अपनी मौत से अनजान ख़ुशी से आगे बढ़े चले जा रहे थे।
 यह कैसा ख़ूनी जलसा है जहाँ बिना संवेदनाओं के मुबारक बाद है ?


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सरदार पटेल का गाँधी को उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर खत



सरदार पटेल का गाँधी को उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर खत

25 जनवरी, 1947 लड़कियों के साथ गांधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर सरदार पटेल के क्रोध की कोई सीमा नहीं थी। गांधी जब मरियम-हीरापुर में थे तब पटेल ने लिखा था, ‘‘किशोर लाल मशरूवाला, मथुरादास और राजकुमारी अमृत कौर के नाम आपके पत्र पढ़े। आपने हमें पीड़ा के अग्निकुंड में धकेल दिया है। मैं समझ नहीं सकता कि आपने यह प्रयोग दोबारा शुरू करने का विचार क्यों किया? पिछली बार आपसे बात करने के बाद हमें लगा था कि यह अध्याय खत्म हो चुका है। आपको हमारी भावनाओं की परवाह नहीं है। हम नितांत असहाय महसूस कर रहे हैं। देवदास की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है। हम सब की पीड़ा की कोई सीमा नहीं है। अगली चर्चा तक आप यह सब रोक दें...’’
16 फरवरी, 1947 पटेल के पत्र से पहले गांधी ने नवजीवन प्रकाशन के जीवन देसाई को पत्र लिखकर कहा था कि वे उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों का विवरण हरिजन सहित नवजीवन के प्रकाशनों में छापें। पटेल ने लिखा: ‘‘...इनके प्रचार से दुनिया को कोई लाभ नहीं होगा। आप कहते हैं कि दूसरों को आपके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों का अनुकरण नहीं करना चाहिए। आपके इस कथन का कोई अर्थ नहीं। लोग बड़ों के दिखाए रास्ते पर चलते हैं। न जाने क्यों आप लोगों को धर्म की बजाए अधर्म के रास्ते पर धकेलने पर तुले हैं...लाचारी की इस हालत में नवजीवन के ट्रस्टी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चाहे जो हो जाए, वे इस प्रयोग के बारे में कुछ नहीं छाप सकते.’’

सरदार पटेल का गाँधी को उनके ब्रह्मचर्य के प्रयोगों पर खत


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टोपी वालो आतंक मचाओ सपा आपके साथ है..



साबरमती एक्सप्रेस की बोगी नंबर एस 6 को लगभग 1500 शांतिप्रिय समुदाय के लोगों ने घेर पर उसमें आग लगा दी। इस अग्निकांड में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जिसमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। कोच को आग के हवाले करने वाले लोग इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि कोच एस 6 में कारसेवक और उनके परिवार वाले यात्रा कर रहे है। कोई हिंदू यात्री बोगी से बाहर ना निकल पाए इसलिए योजना के अनुसार उन पर पत्थर भी बरसाए जाने लगे। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि इस घटना को एक सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया। गुजरात पुलिस ने भी अपनी जांच में ट्रेन जलाने की इस वारदात को आईएसआई की साजिश ही करार दिया था, जिसका मकसद हिंदू कारसेवकों की हत्या कर राज्य में साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना था।

हिन्दू कारसेवकों की हत्या कर राज्य में साम्प्रदायिक

हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती ही है। गुजरात के कई शहरों में भड़के साम्प्रादायिक दंगे गोधरा की प्रतिक्रिया के रूप में सामने आए। इन दंगों का कारण कुछ और नहीं बल्कि साबरमती एक्सप्रेस में जिंदा जलाए गए कारसेवकों की मौत का बदला लेना था। विदेशी चरित्र वाली मीडिया तथा वोट की राजनीति करने वालों ने गोधरा कांड की प्रतिक्रिया के रूप में उभरे गुजरात दंगों के बाद हिंदुओं को पूरे विश्व में दंगाइयों के रूप में प्रस्तुत कर दिया। और उस पर तुर्रा ये कि दंगों की बात करते समय कहीं भी ये नहीं कहा गया कि इसके पीछे गोधरा का भीषण नरसंहार जिम्मेदार था।
साबरमती एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे निर्दोष और मासूम कारसेवक व उनके परिवार जिसमें छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे, को निर्मम तरीके से आग के हवाले करने वाले दंगाई मुसलमान ही थे। गोधरा नरसंहार पर किसी मीडिया या किसी राजनीतिक पार्टी ने मुस्लिमों पर निशाना नहीं साधा, लेकिन जब गोधरा नरसंहार की प्रतिक्रिया हुई तो मीडिया और सेक्युलर पार्टियों द्वारा प्रचारित किया गया कि गुजरात में हिंदूओं ने मुसलमान आबादी को अपना निशाना बनाया तो वैश्विक स्तर पर हिंदू धर्म के लोगों को एक कट्टर और क्रूर धर्म के रूप में प्रचारित किया गया।
टोपी वालो आतंक मचाओ सपा आपके साथ है..
पहले कहा जाता था कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और आज मुजफ्फरनगर दंगों के के बाद कहा जा रहा है कि दंगों का कोई धर्म नहीं होता है, ये बाते वही लोग कह रहे है जो भगवा आतंकवाद की बात करते है और गुजरात दंगो को हिंदू दंगा कहा गया था, आखिर आज पैमाने क्यों बदल रहे है क्योंकि आज उत्तर प्रदेश में टोपी वालो की सरकार है? पंथ/धर्म निरपेक्षता यह कहती है सभी वर्गों के लिए समान व्यवहार हो किन्तु वोट की राजनीति सारे आंकड़े और पैमाने बदल रही है।
आज गोधरा पर बात करने की जरूरत मुझे आज इसलिए पड़ी क्योंकि आज समय है की इन छद्म वोट लोभियों उनकी करतूतों का बात जनता के बीच ले जाया जा सके। क्योंकि गृह मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि अखिलेश सरकार के गठन के बाद सांप्रदायिक दंगो/झडपो का शतक लग चुका है और मुज्जफरनगर में चल रहे दंगो में सैकड़ों लोग जान-माल से हाथ धो चुके है। किन्तु आज न तो मीडिया और न ही सेक्युलर रुदालियों के आखो में आंसू है क्योंकि ये दंगा शांतिप्रिय लोगों के नेतृत्व में सपा सरकार द्वारा प्रायोजित है। हज की रवानगी के साथ अखिलेश यादव की टोपी यही सन्देश देती है कि टोपी वालो आतंक मचाओ सपा आपके साथ है।


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मुजफ्फरनगर दंगा: अब तक 41 मरे



  • सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहे मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाके को तीसरे दिन भी राहत नहीं मिली। सोमवार को हुई हिंसा में 13 लोगों की जान चली गई। अब तक मरने वालों की कुल संख्या 41 तक पहुंच चुकी है।
  • अलग-अलग स्थानों में धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने के अलावा कई घरों को भी आग के हवाले कर दिया गया। देर शाम रतनपुरी क्षेत्र में दो भाइयों की हत्या कर दी गई।
  • मीरापुर के पड़ाव चौक पर उन्मादी युवकों ने मेरठ के सनोटा और परीक्षितगढ़ के एक-एक व्यक्ति का गला रेत डाला। इनमें से एक की मौत हो गई, जबकि दूसरे का उप
    चार चल रहा है।
  • तितावी क्षेत्र के मुकंदपुर में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई जबकि उसका भतीजा गंभीर रूप से घायल हो गया। तितावी क्षेत्र के धौलरा में भी एक युवक को चाकुओं से गोदकर फेंक दिया गया। बुढ़ाना के जौला नहर से एक लाश बरामद हुई है। इन दोनों की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है।
  • मंसूरपुर थाना क्षेत्र के जौहरा गांव में एक व्यक्ति की गर्दन काटकर हत्या की गई है। शाहपुर के कुटबा-कुटबी में एक लाश बरामद हुई है। प्रशासन ने यहां से अब तक 104 लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है।
  • उधर, शामली जिले में बाबरी गांव के कुरमाली गांव में एक धर्मगुरु की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बागपत में सोमवार को अलग-अलग स्थानों पर लाशें मिलने से सनसनी फैल गई।
  • काठा गांव में युवक की हत्या कर चेहरा बुरी तरह जला दिया गया, उसकी भी शिनाख्त नहीं हो पाई। बड़ौत के पास नहर में अज्ञात शव मिला है। इसके अलावा एक महिला का भी शव मिला है
  • इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी स्थिति सामान्य होने के बाद घटना की जांच करने की बात कही है। सोमवार को दंगाइयों ने मुजफ्फरनगर में आठ, शामली में एक और बागपत में चार लोगों की हत्या कर दी।
  • अलग-अलग स्थानों में धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने के अलावा कई घरों को भी आग के हवाले कर दिया गया। देर शाम रतनपुरी क्षेत्र में दो भाइयों की हत्या कर दी गई।


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 मुज्जफरनगर दंगे की अखबारों में कहानी
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300+ प्रेरणात्मक सुविचार विद्यार्थियों के लिए



Motivational Thoughts in Hindi for Students

  1. अक्सर असामान्य दिखने वाले लोग ही सामान्य होते है।
  2. अगर आप अपनी अलग पहचान बनाना चाहते है तो कुछ नया करें।
  3. अगर आप कल अच्छा चाहते है, तो आज आपको कठिन परिश्रम करना होगा।
  4. अगर आप किसी कार्य को करने का दृढ़ निश्चय कर ले, तो फिर आपको कोई नहीं रोक सकता है।
  5. अगर आप किसी को दिखाने के लिए पढ़ रहे है, तो आप अपने आप को धोखा दे रहे है।
  6. अगर आप कुछ नया नहीं कर रहे, तो आप सफलता प्राप्त नहीं कर सकते।
  7. अगर आप कोई बदलाव चाहते है, तो स्वयं से शुरुआत करें।
  8. अगर आप जीवन में कुछ बनना चाहते है, तो उस व्यक्ति से दूर रहे है जो आपका समय पर बात करते है।
  9. अगर आप दूसरों का सम्मान करेंगे, तो आपको भी सम्मान मिलेगा।
  10. अगर आप दूसरों के बारे में भी सोचते है तो आप सच्चे इंसान है।
  11. अगर आप सफल होना चाहते है, तो अपने अंदर की प्रतिभा को पहचानिए।
  12. अगर आप स्वयं अपने ऊपर विश्वास नहीं कर सकते, तो दूसरे आपके ऊपर विश्वास कैसे करेंगे।
  13. अगर आपको अपने ऊपर विश्वास है, तो आप किसी भी बाधा को पार कर सकते है।
  14. अगर आपको अपने ऊपर विश्वास है, तो आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त सकते है।
  15. अगर आपको कोई सफलता पाने से रोक सकता है, तो वह आप खुद है।
  16. अगर आपको लोग जरूरत के समय याद करते है, तो समझ जाएं आप कोई खास व्यक्ति है।
  17. अगर तुम उस वक्त मुस्कुरा सकते हो जब तुम पूरी तरह टूट चुके हो तो यकीन कर लो कि दुनिया में तुम्हें कभी कोई तोड़ नहीं सकता !!!
  18. अगर लोग आपको जरूरत के समय याद करते है, तो नाराज मत होइए क्योंकि लोग तो जिंदगी भी जरूरतों के लिए जीते है।
  19. अच्छे कार्य की शुरुआत करने के लिए किसी मंदिर या मस्जिद में जाने की आवश्यकता नहीं होती।
  20. अच्छे लोगों से हमेशा मित्रता बनाकर रखें।
  21. अतीत अतीत होता है, आने वाला कल आपका भविष्य होता है।
  22. अतीत के ग़ुलाम नहीं बल्कि भविष्य के निर्माता बनो।
  23. अपना कार्य स्वयं करें दूसरों पर विश्वास करोगे तो हमेशा धोखा ही मिलेगा।
  24. अपना जीवन जी भर के जीयें और इस तरह से सीखिए जैसे कि आपको यहां हमेशा रहना है – महात्मा गांधी Mahatma Gandhi
  25. अपना लक्ष्य खुद तय करो और प्रयास करो, तुम गिरोगे फिर उठना, फिर गिरोगे फिर उठना, फिर गिरोगे फिर उठना, मत रुकना – मत थकना लगातार चलते रहना लक्ष्य निश्चित तुम्हारा है।
  26. अपनी असफलताओं के लिए बहाने न बनाएं, बल्कि उससे सीख लेकर आगे बढ़ जाए।
  27. अपनी इच्छाओं पर काबू करना सीखें, क्योंकि यह कभी समाप्त नहीं होती।
  28. अपनी कल्पना को जीवन का मार्गदर्शक बनाए अपने अतीत को नहीं।
  29. अपनी हार और जीत के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होते है।
  30. अपने आप को चुनौती देने का प्रत्येक प्रयास अपने आप को जानने के लिए श्रेष्ठ प्रयास है।
  31. अपने गुरुओं की बात ध्यान से सुने, असफलता आपके आसपास भी नहीं होगी।
  32. अपने जीवन में चमत्कार होने का इंतज़ार मत करो, प्रयास करो और खुद एक चमत्कार बन जाओ।
  33. अपने डर से दूरी आपको खत्म कर देगी और नजदीकियां उस डर को ही खत्म कर देगी, फैसला आप का है कि आप किसे चुनते है।
  34. अपने मित्रों का चुनाव संभल कर करें क्योंकि यही आपके सुख दुख में काम आएंगे।
  35. अपने लक्ष्य को वही व्यक्ति हासिल कर सकता है, जिसको लक्ष्य के अलावा और कुछ दिखाई नहीं देता।
  36. अपने लक्ष्य को वही व्यक्ति हासिल कर सकता है, जिसको लक्ष्य के अलावा और कुछ दिखाई नहीं देता।
  37. असंभव समझे जाने वाला कार्य संभव करके दिखाये, उसे ही प्रतिभा कहते हैं ।
  38. असफलता और सफलता दोनों ही अवस्थाओं में लोग तुम्हारी बातें करेंगे, सफल होने पर प्रेरणा के रूप में और असफल होने पर सीख के रूप में।
  39. असफलता के डर से अपने सपनों को पूरा न करने से ज्यादा अच्छा है कोशिश करने के बाद उनका टूट जाना।
  40. असल मायनों में जिंदगी वही है, जो टूट कर भी बिखरती नहीं।
  41. अहंकार कभी ना करें, सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें।
  42. आकाश में उड़ने के लिए परिंदों को भी पंख फड़फड़ाने पड़ते है।
  43. आज जो आप कर रहे है, वही आपके भविष्य का निर्माण करेगा।
  44. आज पढ़ने वाला कल का लीडर होगा – मार्गरेट फुलर Margaret Fuller
  45. आत्मविश्वास हमेशा हमारे पास होता है उसे महसूस करने के लिए सिर्फ हमें वर्तमान में जीने का अभ्यास करना है।
  46. आने वाले कल को सुधारने के लिए बीते हुए कल से शिक्षा लीजिए।
  47. आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते है और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी !
  48. आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन आप अपनी आदतों को बदल सकते हैं और निश्चित रूप से आपकी आदतों से आपका भविष्य बदल सकता है – एपीजे अब्दुल कलाम APJ Abdul Kalam
  49. आप एक अच्छे मुकाम पर पहुंच जाओ, दुश्मन आपको खैरात में मिल जाएंगे।
  50. आप जैसा सोचते है वैसा ही करते है।
  51. आप तभी तक सीख सकते है जबतक आप खुद को एक छात्र मान पाते है क्यूकी कुछ सीखने के लिए झुकना पड़ता है – हेनरी एल डोहर्टी Henry L. Doherty
  52. आप पर Trust इसलिए नहीं किया जायेगा की आप कितने वादे करते है, बल्कि इसलिए किया जायेगा की आप कितने वादे पूरे करते है।
  53. आप में शुरू करने की हिम्मत है तो, आप में सफल होने के लिए भी हिम्मत है।
  54. आप में से ही नौकरी देने वाला और नौकरी करने वाला बनेगा, अब आपको तय करना है कि आपको क्या बनना है।
  55. आप हमेशा से ही बादशाह होते है, लेकिन अपनी सोच के कारण सिपाही बन जाते है।
  56. आपका का आने वाला कल कैसा होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप आज अपने बारे में क्या सोचते है।
  57. आपका भविष्य उससे बनता है जो आप आज करते हैं, उससे नहीं जो आप कल करेंगे।
  58. आपका व्यवहार ही आपको दूसरों से जोड़े रखता है।
  59. आपकी खुशी में वह लोग शामिल होते है जिन्हें आप चाहते है, आपके दुःख में वह शामिल होते है जो आपको चाहते है।
  60. आपकी जुबान ही काफी है लोगों को जोड़ने और तोड़ने के लिए।
  61. आपकी सफलता और असफलता का राज आप स्वयं जानते है।
  62. आपकी सब मुश्किलों के जवाब आपके पास है, बस खुद से सही सवाल करने की जरूरत है।
  63. आपकी हार तब तक नहीं होती, जब तक आप स्वयं हार नहीं मान लेते।
  64. आपके कर्म ही है जो आप को रुलाते भी हैं और हंसाते भी है।
  65. आपके जीवन का समय सीमित है, इसलिए इसे किसी भी व्यर्थ के कामों अपने जीवन के अमूल्य समय को कभी भी बर्बाद मत करो – स्टीव जॉब्स Steve Jobs
  66. आपके द्वारा प्राप्त किया गया ज्ञान, कभी व्यर्थ नहीं जाता है।
  67. आपको दुनिया में परिवर्तन देखना है तो सबसे पहले खुद को वैसा बनाओ जैसा की दुनिया को देखना चाहते हो – महात्मा गांधी Mahatma Gandhi
  68. आपको वह नहीं मिलता है जिसकी इच्छा आप करते है बल्कि आपको वही प्राप्त होता है जिसके लिए आप प्रयासरत है – अज्ञात
  69. आशावादी हर आपत्तियों में भी अवसर देखता है और निराशावादी बहाने !!!
  70. आसमान में भी छेद हो सकता है, बस एक पत्थर तबियत से उछालने की देरी है।
  71. इंसान तब समझदार नहीं होता जब वो बड़ी बड़ी बातें करने लगे, बल्कि समझदार तब होता है जब वो छोटी छोटी बातें समझने लगे।
  72. इस जिंदगी से बहुत कुछ मांगने वालों को कुछ भी नहीं मिलता पर इस जिंदगी को कुछ देने वालों को बहुत कुछ मिल जाता है।
  73. इस दुनिया में किसी के साथ खुद की तुलना मत करो यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप खुद का अपमान कर रहे हैं – बिल गेट्स Bill Gates
  74. इससे पहले की परिस्थितियां तुम्हारी जिंदगी की दिशा बदले उठो, साहस दिखाओ और अपनी परिस्थितियों को ही बदल डालों।
  75. उत्साह, ऊर्जा व जोश किसी भी असंभव को संभव में बदल सकते है।
  76. उन लोगों से हमेशा दूर रहे जो दूसरों की बुराइयां करते है, क्योंकि एक दिन वह आप की बुराइयां करेंगे।
  77. उबड़ – खाबड़ रास्तों से नहीं घबराने वाला ड्राइवर मंजिल तक पहुंच पाता है।
  78. उम्मीदें ही आपको कठिनाइयों से लड़ने की ताकत देती है।
  79. एक अच्छा लीडर काम के सफल होने की संभावनाएं तलाशता है, एक महान लीडर लोगों में सफल होने की संभावनाएं तलाशता है।
  80. एक चींटी अपने से दो गुना वजन उठाकर अपने लक्ष्य तक पहुंच जाती है, तो आप तो फिर भी एक इंसान है।
  81. एक चींटी अपने से दो गुना वजन उठाकर अपने लक्ष्य तक पहुंच जाती है, तो आप तो फिर भी एक इंसान है।
  82. एक छात्र की सबसे महत्वपूर्ण गुण यह है कि वह हमेशा अपने अध्यापक से सवाल पूछे – एपीजे अब्दुल कलाम APJ Abdul Kalam
  83. एक बात कि अपने मन में गांठ बांध ले, इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं है।
  84. एक बात हमेशा याद रखें जिंदगी आपको हर दिन एक नया मौका देती है।
  85. एक बेहतरीन किताब 100 अच्छे दोस्त के बराबर है, लेकिन एक सर्वश्रेष्ठ दोस्त पुस्तकालय के बराबर है – एपीजे अब्दुल कलाम APJ Abdul Kalam
  86. एक व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की, जब उसने कभी भी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की यानी जब हम कुछ नया करते है तभी गलतियां होना स्वाभाविक है -अल्बर्ट आइंस्टीन Albert Einstein
  87. एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद दूसरा सपना देखने के हौसले को ज़िंदगी कहते है !!!
  88. एक हजार मील सफलता की यात्रा की शुरुआत भी एक कदम से ही होती है – लाओ त्सु Lao Tzu
  89. कठिन समय में समझदार व्यक्ति रास्ता खोजता है और कायर व्यक्ति बहाना।
  90. कठिनाइयाँ मनुष्य के पुरुषार्थ को जगाने आती है।
  91. कठिनाइयां तभी आती है जब आप कुछ कार्य करते है।
  92. कठिनाइयों का डटकर सामना करने वालों की ही जीत होती है।
  93. कड़वा बोलने वाले अक्सर सच बोल जाते है।
  94. कड़ी मेहनत के लिए कोई विकल्प नहीं है – थॉमस एडिसन Thomas Edison
  95. कभी किसी का भरोसा ना तोड़े, क्योंकि यह एक बार टूट जाता है तो दोबारा नहीं जुड़ता है।
  96. कभी किसी पर उंगली उठाने से पहले यह देख ले, कि चार अंगुली आपकी तरफ भी उठ रही है।
  97. कभी किसी से झूठ ना बोले क्योंकि एक झूठ को छुपाने के लिए और झूठ बोलने पड़ते है।
  98. कभी भी अपनी क्षमताओं को कम मत आंको, क्योंकि जिसने सफलता प्राप्त की है वह भी एक साधारण इंसान है।
  99. कभी भी किसी को अपने से कम ना समझे।
  100. कभी भी बिना पूछे किसी को राय न दें।
  101. कभी-कभी आंखें भी धोखा दे जाती है, इसलिए हमेशा अपने आंख और कान दोनों खोल कर रखें।
  102. कभी-कभी समस्या दूसरों में नहीं आप में होती है।
  103. कल आपने जितना किया, अगर आज उससे ज्यादा कर रहे है, तो आप सफलता की ओर बढ़ रहे है।
  104. कल करे सो आज कर, आज करे सो अब कर।
  105. कल के भरोसे मत बैठिये, क्या पता कल कोई ना।
  106. कल्पना के बाद उस पर अमल ज़रुर करना चाहिए। सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, उन पर चढ़ना भी जरूरी है।
  107. कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल लेते है।
  108. कामयाब होने के लिए अकेले ही आगे बढ़ना पड़ता है, लोग तो पीछे तब आते है जब हम कामयाब होने लगते है.
  109. किसी ताकतवर को हराने के लिए हमेशा ताकत की नहीं ज्ञान की जरूरत होती है।
  110. कुछ लोग महान उपलब्धियों का बस सपना देखते हैं, जबकि अन्य सफल लोग जागते हैं और उन्हें पाने के लिए प्रयास भी करते हैं – अज्ञात
  111. कोई फर्क नहीं पड़ता की लोग आपके बारे में क्या सोचते है, फर्क तो इससे पड़ता है की आप अपने बारे में क्या सोचते है।
  112. कोयला को हीरा बनने के लिए तपना पड़ता है, उसी प्रकार सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना पड़ता है।
  113. कोयला को हीरा बनने के लिए सैकड़ों साल लाखों टन का दबाव झेलना पड़ता है, उसी प्रकार सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना पड़ता है।
  114. क्रोध और आंधी दोनों बराबर। शांत होने के बाद ही पता चलता है की कितना नुकसान हुवा।
  115. क्रोध वह हवा है जो बुद्धि के दीप को बुझा देती है ।
  116. खुद की तरक्की में इतना समय लगा दो, कि किसी और की बुराई का वक्त ही ना मिले !!!
  117. खुशी के लिए काम करोगे तो ख़ुशी नहीं मिलेगी, लेकिन खुश होकर काम करोगे, तो ख़ुशी और सफलता दोनों ही मिलेगी ।
  118. खुशी में किसी से वादा ना करें और क्रोध में किसी से बात ना करें।
  119. खोये हुये हम खुद है और ढूढ़ते ख़ुदा को है !!!
  120. गरीबी और समृद्धि दोनों विचार का परिणाम है।
  121. गिरने से डरोगे तो कभी खड़े नहीं हो पाओगे।
  122. गुरु केवल आपको शिक्षा दे सकता है उसका उपयोग कैसे करना है यह आपके ऊपर निर्भर करता है।
  123. घड़ी सुधारने वाले मिल जाते है लेकिन समय खुद सुधारना पड़ता है !!!
  124. चाँद पे निशान लगाओ, अगर आप चुके तो सितारों पे तो जरूर लगेगा !!!
  125. चारों ओर यह मत कहो कि दुनिया को आपने कुछ दिया है दुनिया को आपसे कुछ नहीं चाहिए, यह यहाँ पहले था यदि कुछ पाना ही है तो आप सीखना शुरू कर दीजिए – मार्क ट्वेन Mark Twain
  126. चाहे हजार बार नाकामयाबी हो, कड़ी मेहनत और सकारात्मक सोच के साथ लगे रहोगे तो अवश्य सफलता तुम्हारी है।
  127. चुनौतियां जीवन को रोचक बनाते हैं और अगर आप उन पर काबू पा रहे हैं तो यही आपका नियंत्रण आपके जीवन को सार्थक बनाता है – यहोशू जे मरीन Joshua J. Marine
  128. चुनौतियों को स्वीकार करने वाले ही सिकंदर कहलाते है।
  129. छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे यकीन करना, जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है।
  130. जब आप अपनी पसंद का कार्य करेंगे, तो आप जीवन में कभी कोई कार्य नहीं करेंगे।
  131. जब आप अपने आप पर यकीन करने लगते हो, जीवन में चमत्कार होने लगते है।
  132. जब आप हार मान लेते हो, तो सफलता आपसे क्षण भर दूर ही होती है।
  133. जब तक आप किसी कार्य को करना प्रारंभ नहीं करेंगे वह संपूर्ण नहीं होगा।
  134. जब तक आप सीखते रहेंगे, तब तक आप का विकास होता रहेगा।
  135. जब तक हम हर बच्चे को एक शानदार तरीके से शिक्षित नहीं कर लेते, जब तक कि हर शहर में साफ और स्वच्छ नहीं हो जाता है तब तक काम करने की कोई कमी नहीं होती – बिल गेट्स Bill Gates
  136. जब भी आप का विरोध हो रहा हो, तो समझ जाएं आप कुछ नया करने जा रहे है।
  137. जब हौसला बना ही लिया ऊँची उड़ान का तो कद नापना बेकार है आसमान का।
  138. जल्द मिलने वाली चीजें ज्यादा दिन तक नहीं चलती और जो चीजें ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नहीं मिलती है.
  139. ज़िंदगी एक खेल है यदि तुम इसे खिलाड़ी की तरह खेलते हो तो जीत सकते हो, लेकिन यदि दर्शक की तरह देखते हो तो सिर्फ ताली बजा सकते हो या दुखी: हो सकते हो पर जीत नहीं सकते।
  140. जिंदगी में एक सफलता कुछ संभावनाओं को जन्म देती है लेकिन एक विफलता सैकड़ों संभावनाओं को जन्म दे देती है।
  141. जिंदगी में कभी निराश मत होइए, क्योंकि हर पल नए अवसर के समान है।
  142. जिंदगी में हार तब नहीं होती जब आप हारते है, हार तो तब होती है जब आप हार मान लेते है।
  143. जिनके इरादे बुलंद हो वो सड़कों की नहीं आसमानो की बातें करते है।
  144. जिनको सपने देखना अच्छा लगता है उन्हें रात छोटी लगती है और जिनको सपने पूरा करना अच्छा लगता है उनको दिन छोटा लगता है।
  145. जिस काम में सफल होने की संभावना ज्यादा हो उसको करने पर हम सफल होते है, लेकिन जिस काम में असफलता की संभावना ज्यादा हो उसको करने पर हम श्रेष्ठ होते है।
  146. जिस तरह बूंद बूंद से घड़ा भरता है, उसी तरह रोज थोड़ा थोड़ा पढ़ने से ही सफलता प्राप्त होती है।
  147. जिस प्रकार सूर्य स्वयं जलकर प्रकाश फैलाता है, उसी प्रकार अथक प्रयास से ही सफलता हासिल होती है।
  148. जिस समय आप किसी को नीचा दिखाते हो, उसी समय आप अपनी पहचान को देते हो।
  149. जीवन और संघर्ष दोनों साथ-साथ चलते है, इसके बिना जीवन जीना व्यर्थ है।
  150. जीवन और समय विश्व के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं जीवन हमें समय और समय का अच्छा उपयोग करने के लिए सिखाता है हमें जीवन के महत्व को सिखाता है – एपीजे अब्दुल कलाम APJ Abdul Kalam
  151. जीवन को दिशा देने के लिए लक्ष्य का होना उतना ही ज़रुरी है जितना शरीर के लिए ऑक्सीजन का।
  152. जीवन छोटा है इसे जीना सीखे, प्यार दुर्लभ है इसे पाना और देना सीखे, क्रोध बुरा है इससे दूर रहे भय भयानक है, इसका सामना करना और यादें मीठा होती हैं इसे पसंद करना सीखे – अज्ञात
  153. जीवन में एक बार सदा याद रखें, विश्वास और ईमानदारी इंसान की अमूल्य धरोहर है।
  154. जीवन में एक बार सदा याद रखें, विश्वास और ईमानदारी इंसान की अमूल्य धरोहर है।
  155. जीवन में खुश होने का मतलब यह नहीं है कि सब कुछ एकदम सही है। इसका मतलब है कि अपनी खामियों से परे देखने का निर्णय लिया है – अज्ञात
  156. जीवन में वो ही व्यक्ति असफल होते है, जो सोचते है पर करते नहीं ।
  157. जीवन में सफल होने के लिए आपके सफलता की आपकी इच्छा आपके विफलता के डर से अधिक होनी चाहिए – बिल कॉस्बी Bill Cosby
  158. जीवन में हमेशा आशावादी रहेंगे, तभी आप लक्ष्य प्राप्त कर सकते है।
  159. जैसे किसी फसल के लिए अच्छे वातावरण की जरूरत होती है, उसी प्रकार सफलता के लिए आपके आसपास अच्छे लोग होने चाहिए।
  160. जो अपनी असफलताओं से सीख कर आगे बढ़ते है वही इतिहास रचते है।
  161. जो झुकता नहीं वह टूट जाता है इसलिए हमेशा अहंकार से दूर रहें।
  162. जो दूसरे के इशारों पर जिंदगी जीता है, उसे जिंदगी जीना नहीं उम्र काटना कहते है।
  163. जो व्यक्ति अपनी असफलताओं से कोई सीख नहीं देता वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता
  164. जो समय को बर्बाद करता है, समय उसको बर्बाद कर देता है।
  165. जो हमेशा कहे मेरे पास समय नहीं है, असल में वह व्यस्त नहीं बल्कि अस्त-व्यस्त है ।
  166. ज्ञान पाने के लिए आपको मौन रहना पड़ेगा।
  167. ज्ञान ही वह नींव है जिस पर सफलता का झंडा फहरा सकता है।
  168. झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते है तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती।
  169. डर दो पल का होता है, निडरता आपके साथ जिंदगी भर रहती है।
  170. तकदीर जिंदगी का छोटा सा हिस्सा होता है इसे पूरी जिंदगी ना समझे।
  171. दिल और दिमाग की लड़ाई में हमेशा दिल को जीतने दे क्योंकि दिमाग जीतकर भी भ्रमित रहेगा।
  172. दुनिया में कोई काम असंभव नहीं, बस हौसला और मेहनत की जरूरत है !!!
  173. दुनिया में सब चीज मिल जाती है केवल अपनी गलती नहीं मिलती।
  174. दूसरों को राय देने से पहले एक बार सोच लें, आपकी एक राय से किसी का बन भी सकता है तो उजड़ भी सकता है।
  175. दूसरों पर आरोप लगाने से पहले स्वयं को परख ले।
  176. धन आपसे कोई भी छीन सकता है, लेकिन ज्ञान आपके पास हमेशा बना रहेगा।
  177. धन बर्बाद करते समय ध्यान रखें, यह वापस अथक परिश्रम से ही हासिल होगा।
  178. नसीब सबका ऊंचा होता है, बस आपको उसे पॉलिश करके चमकाना होता है।
  179. ना किसी से ईर्ष्या ना किसी से कोई होड़, मेरी अपनी मंज़िलें मेरी अपनी दौड़।
  180. निर्णय लेना और असफल हो जाना, इससे एक बात तो स्पष्ट है की आप उस भीड़ का हिस्सा नहीं है जो असफल होने के डर से निर्णय ही नहीं ले पाते है।
  181. पढ़ना कभी भी बंद न करें, क्योंकि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती।
  182. पराजय तब नहीं होती जब आप गिर जाते हैं, पराजय तब होती है जब आप उठने से इनकार कर देते हैं|
  183. परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है.
  184. परीक्षा उन्हीं की होती है जो उसके लायक होते है।
  185. परीक्षा के समय हमेशा शांत रहे, बोखलाते वो है जिन्होंने पूरी तैयारी नहीं की।
  186. पसंदीदा कार्य हमेशा सफलता, शांति और आनंद ही देता है।
  187. पुरुषार्थ से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है।
  188. पूरा संसार एक मंच है जहां पर सभी लोग अपनी अपनी कला दिखा रहे है।
  189. प्रगति बदलाव के बिना असंभव है, और जो अपनी सोच नहीं बदल सकते वो कुछ नहीं बदल सकते।
  190. प्रतिबद्ध मन को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, पर अंत में उसे अपने परिश्रम का फल मिलेगा ।
  191. प्रेरणात्मक सुविचार विद्यार्थियों के लिए
  192. फैसला लेने से पहले सोचों, समझो और सवाल करो लेकिन एक बार फैसला ले लिया तो फिर हर हाल में उस पर डटे रहो।
  193. बड़ी सफलता को प्राप्त करने के लिए ज्यादा सीढ़ियां चढ़नी ही पड़ती है।
  194. बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए, बड़ा सोचना भी पड़ता है।
  195. बड़े सफर की शुरुआत, एक छोटे से कदम से ही होती है।
  196. बड़ों का आर्शीवाद ले क्योंकि अंत तक वही आपके साथ रहता है।
  197. बड़ों की बातें हमेशा ध्यान से सुनो, क्योंकि वे जब भी कुछ कहते है तो अपने तजुर्बे से कहते है।
  198. बदलाव लाने के लिए स्वयं को बदले।
  199. बन सहारा बे सहारों के लिए बन किनारा बे किनारों के लिए, जो जिये अपने लिए तो क्या जिये जी सको तो जियो हजारों के लिए ।
  200. बार बार मिलने वाली पराजय, विफलता हारे हुए को सफल बनाने के लिए ही प्रेरित करती है – रॉबर्ट टी कियोसाकी Robert T. Kiyosaki
  201. बीते हुए कल की बातें याद करके, आज का दिन बर्बाद न करें।
  202. बुरे वह लोग नहीं जो आपको बुरा कहते है, बुरा तो आपका दिमाग है जो उनकी बात मान लेता है।
  203. बूढ़े लोग अनुभवो कि वो खान है, जो कम ही लोगों को नसीब होती है।
  204. भगवान के भरोसे मत बैठिये क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हो।
  205. भाग्य को और दूसरों को दोष क्यों देना जब सपने हमारे है तो कोशिशें भी हमारी होनी चाहियें !!!
  206. भूतकाल से सीखते हुए वर्तमान में जीएं और भविष्य की आशा करना ही शिक्षा है – अल्बर्ट आइंस्टीन Albert Einstein
  207. मनुष्य वही श्रेष्ठ माना जाएगा जो कठिनाई में अपनी राह निकालता है ।
  208. मुझे विश्वास है कि प्रति व्यक्ति एक प्रतिभा के साथ पैदा होता है बस हमें जरूरत होती है उस प्रतिभा को निखारने की – माया एंजेलो Maya Angelou
  209. मुश्किल वक़्त का सबसे बड़ा सहारा है “उम्मीद” !! जो एक प्यारी सी मुस्कान देकर कानों में धीरे से कहती है “सब अच्छा होगा” !!
  210. मुश्किल वक्त हमारे लिये आईनें की तरह होता है, जो हमारी क्षमताओं का सही आभास हमें कराता है।
  211. मेहनत इतनी खामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे।
  212. मैं आपको सफलता के लिए फार्मूला नहीं दे सकता, लेकिन मैं आपको विफलता के लिए फॉर्मूला दे सकता हूं जो यह है की आप हर किसी को खुश करने का प्रयास करें – हर्बर्ट बी स्वोप Herbert B. Swope
  213. मैं तब तक फेल नहीं हो सकता हूँ जब तक मेरे 10,000 तरीके काम नहीं करते – थॉमस एडिसन Thomas Edison
  214. मैं तुरंत नहीं लेकिन निश्चित रूप से जीतूंगा।
  215. मैं परीक्षा में कुछ विषयों में विफल रहा, लेकिन मेरे दोस्त को सभी विषयों में पास कर दिए गये, अब वह माइक्रोसॉफ्ट में एक इंजीनियर है और मैं माइक्रोसॉफ्ट के मालिक हूं – बिल गेट्स Bill Gates
  216. यदि आप अपनी वास्तविक क्षमताओं को परखना चाहते हो तो जिंदगी में रिस्क लेना शुरू कर दो।
  217. यदि आप अपनी स्वयं की जीवन योजना तैयार नहीं करते हैं, तो संभावना है कि आप किसी और की योजना में आ सकते हैं। और क्या आपको लगता है कि उन्होंने आपके लिए कोई योजना बनायीं होंगी – जिम रोहन Jim Rohn
  218. यदि आप अपने सबसे बड़े सपने को पूरा करने की कोशिश नहीं कर रहे हो तो यकीन कीजिए आप वो नहीं कर रहे हो जिसके लिए आप इस दुनिया में आयें हो।
  219. यदि आप कभी कोशिश नहीं करोगे तो कभी नहीं जान पाओगे और ना ही कुछ सीख पाओगे – अज्ञात
  220. यदि आप जिंदगी में खुश नहीं हो तो दूसरों की ख़ुशी का कारण बनना शुरू कर दो, आप अपने आप खुश रहने लग जाओगे।
  221. यदि आप सफल होने के मुकाबले में सफल होना चाहते हैं, तो यही आपकी दृढ़ इच्छा आपको अवश्य सफल बनाएगी – एरिक थॉमस Eric Thomas
  222. यदि आप सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप आज यहां प्राप्त कर सकते हैं ऐसा सोचकर घर से बाहर निकले की आज इसे मुझे हर हालत में पाना है – थॉमस जे वाटसन Thomas J. Watson
  223. यदि आपने वास्तव में खुद से प्यार करना सिख लिया तो फिर यह संभव ही नहीं है की आपको ये दुनिया प्यारी ना लगे।
  224. यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी प्रत्येक भूल उसे कुछ न कुछ सिखा देती है !!!
  225. यदि हार की कोई संभावना ना हो तो जीत का कोई अर्थ नहीं है।
  226. यह मत कहो कि आपके पास पर्याप्त समय नहीं है आपके पास हेलन केलर, पाश्चर, मदर टेरेसा, लियोनार्डो दा विंची, थॉमस जेफरसन और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे महान लोगो जितना समय आपको भी मिला है यह आपका उतना ही एक घंटे का समय है जितना की उन लोगों के घंटो का समय था – एच जैक्सन ब्राउन जूनियर H. Jackson Brown Jr
  227. या तो रिस्क उठाओ और आगे बढ़ो या फिर रिस्क न उठाकर अपने लिए खुद एक रिस्क बन जाओ।
  228. याद रखिए आप सब कुछ सीख सकते है, क्योंकि बचपन में आपको अपनी भाषा भी नहीं आती थी।
  229. याद रखें मुश्किल फैसले ही, जिंदगी को आसान बनाते है।
  230. ये सोच है हम इंसानों की कि एक अकेला क्या कर सकता है, पर देख ज़रा उस सूरज को वो अकेला ही तो चमकता है !!!
  231. लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने रास्ते खुद बनाएं, दूसरों के रास्ते पर न चलें।
  232. लक्ष्य को प्राप्त करने में आनंद नहीं है, आनंद तो लक्ष्य के लिए प्रयास करने में है।
  233. लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक लक्ष्य का होना जरूरी है।
  234. लगातार परिश्रम करना ही सफलता की कुंजी है।
  235. लगातार हो रही सफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि कभी कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है।
  236. वक्त आपका है चाहे तो सोना बना लो और चाहे तो सोने में गुजार दो, दुनिया आपके उदाहरण से बदलेगी आपकी राय से नहीं।
  237. वक्त बीत जाने के बाद सोचते है कल बेहतर था, लेकिन आप यह भूल जाते है आज भी बेहतर है।
  238. विकास और विनाश दोनों एक सिक्के के दो पहलू है, अब चुनना आपको है कि आपको क्या बनना है।
  239. विद्यार्थियों के लिए अनमोल वचन
  240. विद्यार्थी जीवन पर कुछ सुविचार
  241. विफलता सिर्फ कम उत्साह व् कम कोशिश करने की निशानी है, उत्साह के साथ कोशिश फिर से कीजिए विफलता सफलता में बदल जायेगी।
  242. विरोधी हमेशा विरोध करते रहेंगे, आपको अपने लक्ष्य से नहीं भटकना है।
  243. वो सपने सच नहीं होते जो सोते वक्त देखें जाते है, सपने वो सच होते है जिनके लिए आप सोना छोड़ देते है।
  244. शिक्षक केवल सफलता का रास्ता बता सकता है, लेकिन उस रास्ते पर चलना आपको ही पड़ेगा।
  245. शिक्षक से सवाल करना अच्छी बात है क्योंकि यह आपको ज्ञान के मार्ग की ओर ले जाता है।
  246. शिक्षा का उद्देश्य तथ्यों को सीखना नही होता है बल्कि शिक्षा का मुख्य दिमाग को प्रशिक्षित करना होता है -अल्बर्ट आइंस्टीन Albert Einstein
  247. शिक्षा क्या है जो तब तक याद रहता है जब तक उसे अपने जीवन में लागू करते है नही तो वह सीखकर भुलाया गया एक पल है – बी एफ स्किनर B. F. Skinner
  248. संघर्ष में आदमी अकेला होता है, सफलता में दुनिया उसके साथ होती है ! जिस जिस पर ये जग हँसा है उसी उसी ने इतिहास रचा है.
  249. संयम और सावधानी से ही आप विफलता के चक्रव्यूह को तोड़ सकते है।
  250. संसार में ज्ञान ही एक ऐसी वस्तु है, जिसे जितना बाटे उतनी ही बढ़ता है।
  251. सच्चाई वो दिया है जिसे अगर पहाड़ की चोटी पर भी रख दो तो बेशक रोशनी कम करे पर दिखाई बहुत दूर से भी देता है.
  252. सत्य कभी छुपता नहीं यह देर सवेर आंखों के आगे आ ही जाता है।
  253. सत्य की कोई परिभाषा नहीं वह तो बस अटल है।
  254. सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं।
  255. सदा अपने ऊपर विश्वास रखो, कभी धोखा नहीं खाओगे
  256. सपने देखना बुरी बात नहीं है लेकिन उन सपनों को साकार करने के लिए कार्य नहीं करना यह बुरी बात है।
  257. सपने वो नहीं होते जो सोने पर आते है, सपने वह होते है जो सोने नहीं देते।
  258. सफल और असफल दोनों विद्यार्थियों के पास दिन में घंटे का वक्त होता है।
  259. सफल व्यक्ति लोगों को सफल होते देखना चाहते है, जबकि असफल व्यक्ति लोगों को असफल होते देखना चाहते है।
  260. सफलता आकड़ों से नहीं नापी जाती, बड़ी बड़ी उपलब्धियां के बाद भी मैंने लोगों में ख़ालीपन सा देखा है।
  261. सफलता आपको तब तक प्राप्त नहीं हो सकती, जब तक आप विफलता के बारे में सोचते रहेंगे।
  262. सफलता और दर्द का बड़ा गहरा रिश्ता है, अगर दर्द से सीख ली तो सफलता तय है और अगर दर्द से डरे तो असफलता तय है।
  263. सफलता का असली महत्व वही समझ सकता है, जिसने कठिन परिश्रम किया है।
  264. सफलता का आधार है सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास !!!
  265. सफलता का कोई मंत्र नहीं है, यह तो सिर्फ परिश्रम का फल है।
  266. सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, इसे एक-एक सीढ़ी चढ़कर ही प्राप्त किया जा सकता है।
  267. सफलता का चिराग परिश्रम से जलता है !!!
  268. सफलता का जश्न मनाने के लिए ठीक है लेकिन विफलता के सबक को ध्यान में भी रखना ज़रूरी है – बिल गेट्स Bill Gates
  269. सफलता का दरवाजा हमेशा खुला रहता है, यह तो आप पर निर्भर करता है, कि आप उसे पार कर पाते हैं या नहीं।
  270. सफलता का दरवाजा हमेशा खुला रहता है, यह तो आप पर निर्भर करता है, कि आप उसे पार कर पाते हैं या नहीं।
  271. सफलता का मिलना तो तय है देखना तो यह है की आप उसकी कितनी कीमत चुकाने को तैयार है।
  272. सफलता का रहस्य तो वही जानता है, जो इसके लिए प्रयत्न करता है।
  273. सफलता का रास्ता ईमानदारी की पटरी से होकर ही जाता है।
  274. सफलता का रास्ता विफलता के रास्ते से होकर ही गुजरता है
  275. सफलता किस्मत पर निर्भर नहीं करती है, यह तो आपके कर्म पर निर्भर करती है।
  276. सफलता की कहानियां न पढ़िए, आपको एकमात्र संदेश मिलेगा। विफलता की कहानी पढ़ें, आपको सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ विचार प्राप्त होंगे – एपीजे अब्दुल कलाम APJ Abdul Kalam
  277. सफलता की शुरुआत तभी हो जाती है जब आप उसके लिए कार्य करने लग जाते हैं
  278. सफलता पाना आसान है लेकिन उस को बरकरार रखना बहुत मुश्किल है।
  279. सफलता, असफलता तो शब्द मात्र है, असली मज़ा तो काम में होता है।
  280. सबसे बड़ा रोग ।।.क्या कहेंगें लोग।
  281. सभी के लिए सफलता के मायने अलग-अलग है।
  282. समय की बर्बादी आपको विनाश की ओर ले जाती है।
  283. समय के साथ हमेशा चलते रहे नहीं, तो लोहे की तरह आप में भी जंग लग जाएगा।
  284. समय न लागओ तय करने में आपको क्या करना है, वरना समय तय कर लेगा की आपका क्या करना है.
  285. समय पर किया गया हर कार्य सफल होता है।
  286. समय बहुत तेजी से बीत रहा है, जो करना है अभी कर ले।
  287. समस्या का नहीं समाधान का हिस्सा बने।
  288. समस्या का समाधान ढूंढे, उससे दूर न भागे।
  289. समस्या का सामना करें, भागे नहीं, तभी उसे सुलझा सकते हैं।
  290. समस्याएं तो रोज आएंगी, उनसे लड़ना सीखना होगा।
  291. समस्याओं से दूर ने भागे, समस्याओं का समाधान करना सीखे।
  292. सही दिशा में किए गए परिश्रम का फल अवश्य प्राप्त होता है।
  293. साधारण और असाधारण व्यक्ति के बीच का अंतर बहुत ही थोड़ा होता है यही थोडा सा अंतर ही हमे विशेष बनाती है – अज्ञात
  294. साधारण और श्रेष्ठ में सिर्फ इतना सा अंतर है की साधारण उसको चुनते है जो आसान है लेकिन श्रेष्ठ उसे चुनता है जो मुश्किल है।
  295. सीढ़ियां उन्हें मुबारक हो जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंज़िल तो आसमान है रास्ता मुझे खुद बनाना है !!!
  296. सुंदरता और सरलता की तलाश चाहे हम सारी दुनिया घूम के कर लें लेकिन अगर वो हमारे अंदर नहीं तो फिर सारी दुनिया में कहीं नहीं है.
  297. सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी ना रखना क्योंकि सेवा का वास्तविक मूल्य नही दे सकते है,
  298. सोचने में अपना समय व्यर्थ मत कीजिए, अभी अपना कार्य प्रारंभ कर दें।
  299. हजारों मील के सफ़र की शुरुआत एक छोटे कदम से होती है।
  300. हमारा मकसद अपने बच्चें को एक अच्छा इंसान बनाना होना चाहिए, सफल तो वह स्वंय हो जायेगा।
  301. हमारे पास दो विकल्प है: जीवन के अंतिम क्षणों में अफ़सोस करने का और वर्तमान को खुलकर जीने का, फैसला हमें ही करना है।
  302. हमे अपने सुबह यह सोचकर उठना चाहिए की आज हमारे जीवन में कुछ अद्भुत होने वाला है – अज्ञात
  303. हमें हमेशा अपने आप को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए न की यह हमें सोचने चाहिए की हम औरो से बेहतर है – बोहड़ी सैंडर्स Bohdi Sanders
  304. हमें हमेशा कुछ उपयोगी चीजों को जानने और सीखने की इच्छा रखनी चाहिए – सोफॉकल्स
  305. हमें जीवन में भले ही हार का सामना करना पड़ जाये पर जीवन से कभी नहीं हारना चाहिए।
  306. हमें सिर्फ अपनी संघर्ष करने की क्षमता बढ़ानी है, सफलता का मिलना तो तय है।
  307. हमेशा अपने से बड़ों का सम्मान करें।
  308. हमेशा अर्थ और अनर्थ दोनों आपके हाथ में होते है।
  309. हमेशा याद रखें आप ही अपनी पहचान बना सकते है और आप भी अपनी पहचान बिगाड़ सकते है।
  310. हमेशा याद रखें हर कोई अपने स्वार्थ के लिए आप से जुड़ा हुआ है।
  311. हर समस्या का समाधान आपके पास होता है, क्योंकि समस्या आप से ही उत्पन्न हुई है।
  312. हो सकता है आप में योग्यता दूसरों से कम हो पर हार ना मानने की योग्यता आपको उनसे अलग बनाती है।
  313. हौसलों से कुछ नहीं होता, लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कार्य भी करना पड़ता है।
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 का दर्द



भारत के अतिरिक्त संसार में ऐसा कोई देश नहीं है, जहां अलग-अलग सम्प्रदायों व वर्गों के लिए अलग-अलग कानून विद्यमान हों। अमरीका व अन्य पश्चिमी देशों में पूर्णतया समान नागरिक संहिता लागू है, जहां बड़ी संख्या में मुसलमान व अन्य अल्पसंख्यक वर्गों के लोग रहते हैं। अनेक प्रगतिशील मुस्लिम देशों यथा मिस्र, सीरिया, तुर्की, मोरक्को, इंडोनेशिया व मलेशिया, यहां तक कि पाकिस्तान में भी बहुपत्नीवाद, मौखिक तलाक तथा पुरुष-प्रधान उत्तराधिकार आदि के मामलों में भेदभावपूर्ण व दमनकारी कानून बदल दिए गए हैं और उनको उदार व मानवीय बनाया गया है।

पाकिस्तान जैसे कट्टर इस्लामिक देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 20 दिसम्बर, 2003 के महत्वपूर्ण निर्णय में मुस्लिम लड़कियों को अपनी मर्जी से विवाह करने की स्वतंत्रता प्रदान की है किन्तु हमारे देश में अल्पसंख्यकों के संरक्षण के नाम पर आज भी महिलाओं को अन्याय, दमन व पीड़ा सहनी पड़ रही है। और संविधान के अनुच्छेद 44 का प्रावधान कि सभी के लिए निजी कानून एक जैसे होंगे। अपने अपने अमलीजमा पहनाये जाने का इंतजार कर रहा है..

भारतीय विधि से संबंधित महत्वपूर्ण लेख



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वीरेन्द्र कुमार सिंह चौधरी "दद्दा" के साथ



आज से मैंने वीरेन्द्र कुमार सिंह चौधरी को ज्वाइन किया है, इलाहाबाद के अधिवक्ताओ में वे किसी परिचय के मोहताज नहीं है, ९७ वर्षीय श्री चौधरी जिसने हम सब प्यार और सम्मान से दद्दा बोलते है. उच्च न्यायलय में वरिष्ठ अधिवक्ता है और उत्तर प्रदेश में भाजपा की पहली पूर्ण बहुमत की कल्याण सरकार में महाधिवक्ता रहे है और उनके पुत्र श्री यतीन्द्र सिंह छतीसगढ़ उच्च न्यायलय में मुख्य न्यायमूर्ति है...

आज अपने आपने एक विशेष दिन था, जिसके सानिध्य में मैं था उनके बारे में यह बोलना उचित होगा कि जितनी तो मेरे पिताजी की उम्र नहीं है उससे ज्यादा दद्दा की वकालत  है, मैं सौभाग्यशाली हूँ की ये अवसर मुझे मिल रहा है..


दद्दा "सविधान और व्यक्तिगत विधि" पर एक लेख लिख रहे है और इसके लिए उन्होंने मुझे माध्यम चुना है.. आज उनके साथ रहकर काफी ज्ञानार्जन हुआ और आगे भी यह जारी रहेगा, लेख बोलने से पहले उन्होंने मुझे निर्देश दिया कि छोटा-छोटा लिखना पन्ने कम लगे जिससे वास्तव में आज के लोगो को पन्ने की कीमत क्या पता होगी.  मेरे घर पहुचने पर पिताजी ने मुझे बताया की दद्दा फ़ोन करके बोल रहे थे कि बी. एन. सिंह, प्रमेन्द्र ने आज बहुत अच्छा काम किया..  :)

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नोट - इस दौरान अगले कुछ दिनों तक शाम ५ बजे से रात्रि ८ बजे तक मैं  फ़ोन पर उपलब्ध नहीं रहूँगा.


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