बजरंग बली हनुमान के मंदिरों का शहर प्रयागराज इलाहाबाद



 

जय बजरंग बली तोड दुश्‍मन की नली
जय बजरंग बली तोड दुश्‍मन की नली
आज हनुमान जयंती है, ये वही हनुमान जी है जिन्हें हम बजरंग बली के नाम से जानते है। प्रयागराज के बारे में विख्यात है कि जितने हनुमान मंदिर है उतने किसी देवी देवता के नहीं है। प्रयाग में जितने भी मंदिर में जाएं, कुछ अपवाद को छोड़कर आपको हर जगह हनुमान जी की मूर्ति अवश्य मिलेगी। ‘प्रयागराज के रक्षक’ के रूप में संकट मोचन के हर गली चौराहे पर एक न एक मन्दिर अवश्य मिल जायेगा। हनुमान मंदिरों के बारे में विख्यात है कि हनुमान जी का मंदिर सर्वाधिक प्रयागराज में ही है।
  1. हनुमान एक रूप अनेक, हनुमान जी के विभिन्न मंदिरों त्रिपोलिया में स्थित बाल स्वरूप में विराजमान है। हनुमान जी का यह स्वरूप अद्भुत एवं दुर्लभ है।
  2. दूसरा प्रमुख मन्दिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समीप स्थित है जिन्हें न्यायप्रिय हनुमान जी कहा जाता है।जहां पर वे विप्र रूप में स्थित है इस प्रतिमा की खास विशेषता यह है कि यह आशीर्वाद या अभय देने की मुद्रा में है, और यह मूर्ति संगमरमर की है जिसके कारण इस पर कभी सिन्दूर नही लगाया जाता है। ये हनुमान जी प्राय: लड्डूओं में ही खेलते है कारण भी है, प्राय: केस की जीत पर जीतने वाले के द्वारा लड्डूओ की बौछार की जाती है।
  3. सिविल लाइन्‍स स्थित हनुमंत निकेतन यहां पर हनुमान जी की सर्वांग स्वरूप प्रतिमा भगवान का जितेन्द्रिय रूप है, यहां की विशेषता यह है कि यहां मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा होती है और अपार भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर में भीड़ देखना हो तो जग हाईस्कूल और इंटर का रिजल्ट निकलता है तब पूरा का पूरा जन समुदाय उमड़ पड़ता है। जैसे हाल में ही रिलीज किसी सुपर-डुपर हिट फिल्‍म का फर्स्‍ट शो का टिकट मिल रहा है।
  4. त्रिवेणी संगम के पास लेटे हुए बड़े हनुमान जी का सिद्ध मंदिर, कहते है कि एक व्यापारी इसे नाव से ले जा रहा था, पर नाव किले के पास डूब गई, और बाद में बाद्यंबरी बाबा ने अपनी साधना से मंदिर में मूर्ति को स्थापित किया। यह वही मंदिर है जहां पर प्रतिवर्ष तीनों पवित्र नदियां हनुमान जी को स्नान कराती है। हनुमान जी के इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि मुगल शासकों ने इस मंदिर की मूर्ति को निकालने का प्रयास किया किन्तु यह निकलने के बजाय अन्दर की ओर जाती रही और इसी के साथ यह लेटे हुए हनुमान के रूप में विख्यात हो रहे है।
  5. एक अन्य मंदिर दारागंज रेलवे स्टेशन के नीचे छोटे हनुमान जी का है, जिसकी स्थापना शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ गुरु रामदास ने किया था।
  6. रामबाग स्थित हनुमान मंदिर में दक्षिण मुखी प्रतिमा विद्यमान है कहते है कि पहले यह प्रतिमा ऊपर थी, बाद में एक दिन छत टूट कर नीचे आ गई पर खंडित नहीं हुई तब से नीचे ही स्‍थापित है।
  7. यह मेरी ओर से हनुमान जयंती पर इलाहाबाद के मंदिर के बारे में जानकारी थी, कई मंदिर और भी है पर वे मेरी जानकारी में नहीं है। अगर वाराणसी मंदिरों का शहर है तो प्रयाग हनुमान मंदिर का और आप सभी को हनुमान जयंती तथा दीपोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
हनुमान जी के 12 नाम, बनेंगे बिगड़े काम
इस कलयुग में हनुमान जी के 12 नाम मनुष्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली और इस धरती पर विचरण करने वाले देवताओं में एक माना गया है। माना जाता है कि हनुमान जी चिरंजीवी हैं इन्हें कभी भी मृत्यु नहीं आई। त्रेता युग से लेकर कलयुग में भी यह ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करके श्रीराम की भक्ति में लगे हुए हैं। इसका परिणाम यह है कि इनके मुख पर आज भी तेज रहता है जो कि इनकी भक्ति करने पर अहसास होता है। श्री राम के परम भक्त हनुमान जी को अपनी अगाध श्रद्धा के चलते उनसे अष्ट सिद्धि और नवनिधि का वरदान मिला। इन्हीं के चलते पवनपुत्र कलयुग में अपने उपासकों का कल्याण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस युग में अगर भक्त सिर्फ हनुमान के बारह नामों का स्मरण और जाप करते रहें तो उनकी सारी तकलीफें, समस्याएं, व्याधियां दूर हो सकती हैं।
अंजनी पुत्र हनुमान को संकट मोचन भी कहा जाता है। जितना ही प्रभावशाली बजरंगबली हनुमान का नाम व स्वरूप है उतना ही प्रभावशाली इनके 12 नाम भी हैं। जिसके एक बार जाप करने से सभी संकटों से छुटकारा पाया जा सकता है। पवन पुत्र हनुमान श्री राम का नाम भजने के साथ-साथ अपने और श्रीराम के भक्तों पर कृपा करते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। हनुमान जी के बारह नाम का स्मरण करने से ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है। बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमान जी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं।

प्रस्तुत है केसरी नंदन बजरंग बली के 12 चमत्कारी और असरकारी नाम :
  1. हनुमान- जब देवराज इंद्र ने अपने वज्र से हनुमान जी की ठोड़ी पर प्रहार किया जिसके चलते वह टूट गई। ठोड़ी को संस्कृत मेंं हनु भी कहा जाता है। इस घटना के बाद से ही उनका नाम हनुमान रखा गया था। 
  2. अंजनी सुत- हनुमान जी की माता का नाम अंजनी था इसलिए उन्हें अंजनिसुत के नाम से बुलाया जाता है। अपनी माता के नाम से बुलाया जाना हनुमान को अत्यंत प्रिय है।
  3. वायुपुत्र- वायु के देवता पवन देव के वरदान से माता अंजनी ने गर्भ धारण किया और हनुमान को जन्म दिया इसलिए वे वायुपुत्र भी कहलाते हैं। 
  4. महाबल- श्री हनुमान महाबलशाली माने जाते हैं इस अपरिमित बल के चलते उन्हें महाबल कहा जाता है।
  5. रामेष्ट- श्री राम हनुमान के आराध्य है और वे उनके अति प्रिय भी हैं इसलिए वे रामेष्ट हैं।
  6. फाल्गुनसखा- महाभारत के परम वीर अर्जुन का एक नाम फाल्‍गुन है और वे हनुमान जी के परम मित्र हैं इसलिए उन्हें फाल्‍गुन सखा कहते हैं।
  7. पिंगाक्ष- बजरंग बली के नेत्रों का रंग भूरा है इसलिए उन्हें पिंगाक्ष भी कहते हैं।
  8. अमितविक्रम- ऐसा कोई जिसका कौशल अद्भुत हो और वो सदैव विजयी हो तो वो अमितविक्रम कहलाता है। 
  9. उदधिक्रमण- सीताजी की तलाश में हनुमान जी ने समुद्र को लांघ लिया था और उदधि समुद्र का पर्यायवाची है। तो समुद्र को लांघने वाला उदधिक्रमण कहलाता है यानी हनुमान।
  10. सीताशोकविनाशन- अशोक वाटिका में माता सीता को तलाश कर उनके शोक का नाश करने वाले हनुमान जी सीताशोकविनाशन कहलाते हैं। 
  11. लक्ष्मणप्राणदाता- लक्ष्मण जी की प्राण रक्षा के लिए संजीवनी बूटी की कामना करने पर हनुमान जी पूरा पर्वत उठा लाये थे और उनके प्राण दाता बने।
  12. दशग्रीवदर्पहा- रावण के घमंड को चूर करने वाले हनुमान जी ये नाम उनकी इसी विशेषता को व्यक्त करता है। 
बजरंग बली हनुमान नाम की अलौकिक महिमा
  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सो कर उठते ही जिस अवस्था में भी हो बारह नामों को 11 बार लेने वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है और नित्य नियम के समय नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है।
  • दोपहर में नाम लेने वाला व्यक्ति धनवान होता है। दोपहर संध्या के समय नाम लेने वाला व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है। 
  • रात्रि को सोते समय नाम लेने वाले व्यक्ति की शत्रु से जीत होती है।
  • उपरोक्त समय के अतिरिक्त इन बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमान जी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश पाताल से रक्षा करते हैं।
बजरंग बली हनुमान के मंदिरों का शहर प्रयागराज इलाहाबाद


बजरंगबली हनुमान का आर्शीवाद
बजरंगबली हनुमान जी के चित्र
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    दीवार मे सेध



    कोई चुल्‍लू भर पानी दे दे

    कोई चुल्‍लू भर पानी दे दे

    11, 0, 15, 18, 9, 26, 6, 0, 7 और 4 यह कोई लॉटरी का नंबर नहीं है। कि जो आप अपनी लॉटरी के नंबरों को मिला रहे है यह वे रन है जो पिछले दस पारियों में द्रविड़ के बैट से निकले है। यह वही द्रविड है जो भारतीय क्रिकेट के मजबूत दीवार के नाम से विख्यात थे और गांगुली के कप्तान के विकल्प के रूप भी। मगर आज इस दीवार में लोना कैसे लग गया? इसका उत्तर तो द्रविड़ के पास भी नहीं होगा। कुछ इसी तरह की पारियों के कारण गांगुली की विदाई की गई थी। गांगुली की विदाई का कारण उनका रन न बनाना न होकर ग्रेग चैपल की प्रयोगशाला में हस्तक्षेप था जो जो चैपल को पसन्द न था । क्योंकि तत्कालीन परिस्थितियों में भले ही गांगुली रन नहीं बना रहे थे किन्तु टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। पिछले 5 साल के क्रिकेट के इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि भारत फाइनल में स्थान बनाने से चूक गया।
    भारतीय क्रिकेट में जो कुछ हो रहा है वह शुभ प्रतीत नहीं हो रहा है, जिस प्रकार द्रविड़ के दब्‍बू कप्तानी के आगे भारतीय खिलाड़ियों का मनोबल गिर रहा है, जो आज हो रहा है वह गांगुली के समय मे नही था। आज केवल तेंदुलकर का बल्ला बोल रहा है इसका कारण भी है यही है कि वे एकमात्र शक्‍स है जिसका टीम में स्थान पक्का है अन्यथा हर भारतीय खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट टीम मे अपना अंतिम मैच खेल रहा होता है और यही कारण है प्रत्येक खिलाड़ी के मनोबल मे गिरावट आया है। किन्तु यही टीम थी जिसका नेतृत्व गांगुली कर रहे थे और तेंदुलकर और गांगुली को छोड सभी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे थे। किन्तु आज परिस्थितियां बदल गई है। एक समय भारतीय क्रिकेट टीम संघर्ष के दौर मे थी, और भारत की दीवार के लिये भी टीम मे जगह नही थी, किन्तु गांगुली के नजरो मे द्रविड़ की भूमिका महत्वपूर्ण थी और एक विकेटकीपर के तौर पर द्रविड़ को टीम मे शामिल किया और उन्होंने अपने संघर्षों के दौर मे अच्‍छा प्रदर्शन भी किया यही होता है कैप्टन का सहयोग जो खिलाड़ियों का मनोबल बृद्धि करता है। मगर यह द्रविड के मे नही है। आज जो प्रयोग इरफान पठान के साथ किया जा रहा है यही गागुली ने भी किया था जब अजित अगरकर के साथ को तीसरे नम्‍बर पर भेजा था और उन्‍हो ने भी अपना सर्वश्रेष्‍ठ किया था। पर गांगुली के प्रयोग को टीम में भय फैलाने की संज्ञा दी गई, और आज जो हो रहा है वह प्रयोगशाला की उपज बताई जा रही है। गांगुली के समय अनेको भारतीय खिलाड़ी रेटिंग में शीर्ष पर रहते थे और शीर्ष 20 में यह संख्या 5 से 6 खिलाड़ियों की होती थी, भारत वनडे में दूसरे नंबर की टीम होती थी, गेंदबाज भी अपनी भूमिका में फिट रहते थे पर आज दहशत फैलाई जा रही है चैपल द्वारा दामे मूक समर्थन द्रविड़ दे रहे है। जो गड्ढे द्रविड़ ने कप्तानी प्राप्त करने के लिये खोदे थे आज उसमें ही फंस रहे है। हर खिलाड़ी का अच्छा और खराब दौर आता है अब समय द्रविड़ का है और देखना है कि चैपल तथा चयन समिति कब तक द्रविड़ को अभयदान देती है।


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    गांधीवाद खडा चौराहे पर !




    मोहनदास करमचन्द्र गाँधी
    मोहनदास करमचन्द गांधी

     

    देश की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के द्वारा अलग-अलग समय के अलग-अलग नेतृत्व के संबंध को लेकर आज देश दुविधा में है। आज सम्पूर्ण देश सिर्फ यही सोच रहा है कि कांग्रेस तब ठीक थी अथवा अब। मैं बात कर रहा हूं आज से 75 साल पहले की घटना कि जब कांग्रेस का नेतृत्व अप्रत्यक्ष रूप से गांधी जी करते थे, तब जो स्थिति कांग्रेस में महात्मा गांधी की थी आज उससे भी बढ़कर सोनिया गांधी की है। व्यक्ति तथा उद्देश्य अलग-अलग है किन्तु घटना एक ही है उस समय भी संसद (नेशनल असेम्बली) में बम विस्फोट किया गया था आज भी संसद पर हमला किया गया है। तब हमला करने का मकसद देश भक्ति थी और आज वतन के साथ गद्दारी है।
    आज संसद पर हमला एक वाले आतंकवादी की फांसी की माफ़ी वही पार्टी कर रही है जिसने वीर शहीदों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी माफ़ी का विरोध किया था, गांधी जी का कहना था कि मैं अहिंसा के मार्ग रोडा डालने वाले का समर्थन नहीं करूंगा, तब के देश भक्त अहिंसा के मार्ग में रोड़ा थे तो आज के गद्दार कौन शान्ति के कबूतर उडा रहे है? यह वही पार्टी है जब तीनों देशभक्तों को फांसी पर लटकाया जा रहा था तो कांग्रेस गा रही थी- साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। तब से आज तक इस पार्टी ने कमाल करने में कहीं कमी नहीं की है, तब कांग्रेस में गांधीवादी के रूप में कमाल हो रहा था तो आज आतंकवादी के रूप में हो रहा है। आज कांग्रेस बीच चौराहे पर खडी है, वह तब से आज के दौर में 180 अंश पलट चुकी है। आज कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री फांसी का विरोध कर रहे है तो कांग्रेसी नेतृत्व मूक दर्शक बनी हुई है, तब भी कांग्रेस मूकदर्शक की भांति खडी थी जब पूरा देश गांधी जी से तीनों शहीदों की प्राणों की भीख मांग रहा था। पूरे देश को पता था कि गांधी जी ही वीर शहीदो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी से बचा सकते है पर अपनी हठधर्मिता के कारण गांधी जी ने फांसी से माफ़ी बात नहीं की, अन्यथा गांधी ही वह नाम था जो अंग्रेजों से कुछ भी मनवा सकता था। उसके सिर पर भूत सवार था कि अहिंसा का, पर अहिंसा की नाक आगे अंग्रेजों ने कितनों का दमन किया तब कहां था गांधी की अहिंसा। आज उस पार्टी के एक मुख्य मंत्री आतंकवादी का समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी मौन हैं। इस मौन का अर्थ समर्थन माना जाए या असमर्थित। जहां तक पार्टी प्रवक्ता सिंघवी की बात है वे अपने बयान में मुख्यमंत्री का समर्थन कर चुके हैं। आज देश के समक्ष प्रश्न है क्या वही गांधी की कांग्रेस है यह फिर गांधी के आदर्श गांधी के साथ दफना दिये गये?
    वह समय देश की आजादी का था देश के बच्चे की अपेक्षा थी कि गांधी जी इरविन पैक्ट में अपनी मांगों में भगत सिंह आदि की फांसी को माफ़ी की मांग रखें किंतु गांधी ने स्पष्ट कहा था इनकी माफी हिंसा को बढ़ावा होगी। हम हिंसा का समर्थन नहीं कर सकते। आज देश के प्रत्येक देश भक्त व्यक्ति की इच्छा है कि लोकतंत्र की हत्या करने वाले अभियुक्त को फांसी दी जाये, किन्तु आज का नेतृत्व कुछ और सोच रहा है। यही बात मन में खटकती है। प्रश्न उठता है कि क्या कांग्रेस सदैव देश की सामूहिक इच्छा के विपरीत काम करेगी? इससे तो यही प्रतीत होता है गांधीवाद दो अक्टूबर तक श्रद्धा के फूलों तथा नोटों पर फोटो तक ही सीमित रह गया है। और इन नेताओं ने गांधीवाद को वोट की खातिर चौराहे पर लाकर खडा कर दिया है। आज उनके वंशज गांधीवाद की नींव में मट्ठा डालने का काम कर रहे है । जो भूल गांधी ने तब की थी आज उनके वंशज कर रहे है।


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    भारत मे हिगिंस ने किया जोरदार वापसी आगाज



    सनफीस्ट ओपन के फाइनल मे मार्टीना हिंगिस ने रूस की ओल्‍गा पचकोवा को सीधे सेटो में 6-0, 6-4 से मात्र 58 मिनट तक चले मैच में रहा दिया। ओल्‍गा पचकोवा के पास हिगिंस के किसी भी शॉट का जवाब नही था वह पहले सेट मे हिगिंस के तूफान के सामने कही भी न टिक पाई और दूसरे सेट मे तूफान थोडा कमजोर तो जरूर हुआ‍ किन्तु ओल्‍गा के लिए वह भी खतरनाक साबित हुआ। इससे पहले सेमी फाइनल मे स्विस मिस हिगिंस का मुकाबला भारतीय सनसनी सानिया मिर्जा से हुआ था जिसमें हैदराबादी पटाखा बिल्कुल फुस्स साबित हुई, और स्विस मिस ने सानिया को 56 मिनट चले मैच मे सीधे सेटो मे 6-1, 6-0 से बुरी तरह से हरा दिया।

    भारत मे हिगिंस ने किया जोरदार वापसी आगाज

    हिंगिस और सानिया के बीच हुआ मैच मेरा हिंगिस के द्वारा खेला गया तथा मेरा देखा गया पहला मैच था इस लिये यह कुछ खास भी था क्योंकि जब हिगिस खेलती तो मेरे घर मे केबल कनेक्शन नही था जब केबल आया तो हिगिंस ने संन्यास ले लिया था। मार्टीना का सन्यास लेना मेरे लिये किसी सदमे से कम नहीं था, क्योंकि जिसके खेल को मैंने कभी समर्थन किया वह स्टेफी ग्राफ और मोनिका सेलेस के साथ मार्टीना हिंगिस ही थी।
    आज मेरे सामने एक और असमंजस था एक तरफ सानिया तो दूसरी तरफ स्विस मिस हिगिंस किसका समर्थन करूँ? एक तरफ भारत की सानिया तो दूसरी तरफ हिगिंस जिसका मैंने हर पल 1997 से समर्थन करता चला आया। अत: मैंने हिगिंस का समर्थन करना उचित समझा क्योंकि जिसका मैंने हर पल समर्थन किया है उसका साथ मैं नहीं छोड़ सकता। मेरे घर में दो गुट बन गये थे एक तरफ भइया सानिया को भारत की होने के कारण उसके शर्टो पर ताली बजा रहे थे तो दूसरी तरु मैं हिगिंस के शर्टो पर मै परन्तु ताली मैंने ही सर्वाधिक बजाई और फाइनल तक बजाता रहा।
    हिगिंस के विश्व स्तरीय खेल के आगे सानिया और पचकुवा की एक न चली और हिगिंस न सनफीस्ट ओपन जीत लिया। हिगिंस के जीतने के साथ साथ भारत के टेनिस इतिहास में एक ने स्वर्णिम अध्याय लिखा गया। यह खिताब हिगिस को भारत की उन यादों से जोड़ दिया जो वह कभी न भूलना चाहेगी। क्योंकि यह संन्यास के बात दूसरा खिताब था, जो उनके मनोबल में वृद्धि करेगा। वैसे उम्मीद कम है कि अगले बार हिगिंस भारत आएगी पर इंतजार रहेगा। हिगिंस के इस शानदार प्रदर्शन से लगता है कि वह अगले वर्ष जरूर अपना शीर्ष स्थान पुन: प्राप्त कर लेगी और अपना प्रिय ग्रैंड स्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन जरूर जीतेगी।
    मार्टिना हिंगिस और सानिया के प्रशंसकों के नई सूचना 25 सितंबर से शुरू हो रहे हनसोल कोरियन ओपन में सानिया का मुकाबला हिगिंस से दूसरे दौर में फिर से हो सकता है। अगर दोनों अपने पहले दौर के मुकाबले को जीतते है तब? और क्या सानिया अपनी दोनो (दुबई और कोलकाता) हार का बदला ले पाती है? और क्या हिगिंस सानिया पर अपनी श्रेष्ठता जारी रख पाती है?
    जीत की बधाई सहित कोलकाता में फिर इंतजार रहेगा।



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    प्राणायाम के नियम, लाभ एवं महत्व



    श्वास-प्रश्वास की गति को यथाशक्ति अनुसार नियंत्रित करना प्राणायाम कहलाता है। प्राणायाम के चार प्रकार है :-
    1. बाह्यवृति
    2. आभ्यन्तरवृति
    3. स्तम्भवृत्ति
    4. बाह्याभ्यन्तर विषयाक्षेपि
    बाह्यवृति प्राणायाम


    विधि :
    1. सिद्वासन वा पद्मासन में विधिपूर्वक बैठकर श्वास को एक ही बार में यथाशक्ति बहार निकाल दीजिए।
    2. बाहर निकालकर मूल बंध,उड्डियान बांध व जालंधर बांध लगाकर श्वास को यथाशक्ति बहार रोककर रखे।
    3. जब श्वास लेने की जरूरत हो तो बंधो को हटाकर धीरे धीरे श्वास ले।
    4. भीतर ले कर उसे बिना रोके पुनः पूर्ववत् श्वसन क्रिया कीजिए। इसे 3 से लेकर 21 बार कर सकते हैं।
    लाभ: यह प्राणायाम हानीकारक नहीं है। जठराग्नी प्रदीप्त होती है।उदर रोगों में लाभप्रद है।

    आभ्यन्तरवृति प्रणायाम
    विधि:
    1. ध्यानात्मक आसन में बैठकर श्वास को बहार निकालकर पून: जितना भर सकते हैं, अन्दर भर लीजिये। छाती ऊपर उभरी हुई तथा पेट का निचे वाला भाग भीतर सिकुड़ा हुवा होगा। श्वास अंदर भर कर जालंधर बंध व् मूलबन्ध लगाए।
    2. यथाशक्ति श्वास को अंदर रोककर रखिये। जब छोड़ने की इच्छा हो तब जालंधर बन्ध को हटाकर धीरे-धीरे श्वास को बाहर निकाल दीजिये।
    लाभ: दमा के रोगियो के एवं फेफड़ा सम्बन्धि के लिये अत्यंत लाभदाई है।शरीर में शक्ति,कान्ति की वृद्धि करता है।

    स्तम्भवृत्ति प्राणायाम
    विधि: इसमें श्वास को जहा का तह रोकना पड़ता है। अपने शक्ति अनुसार रोक कर बाहर निकाल दीजिये। वापस सामान्य होने पर जहाँ का तहाँ रोकिए।

    बाह्याभ्यन्तर विषयाक्षेपी
    विधि :जब श्वास भीतर से बाहर आये, तब बाहर ही कुछ-कुछ रोकता रहे और जब बाहर से भीतर जाये तब उसको भीतर ही थोड़ा-थोड़ा रोकता रहे.स्त्रियाँ भी इसी प्रकार योगाभ्यास कर सकते है।

    प्राणायाम की सम्पूर्ण प्रक्रियाए : प्रत्येक प्राणायाम का अपना एक विशेष महत्व है,सभी प्राणायामों का व्यक्ति प्रतिदिन अभ्यास नहीं कर सकता। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग २० मिनिट का समय लगता है।

    भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayam)
    भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayam)
    ध्यानत्मक आसन में बैठकर दोनों नासिकाओं से श्वास को पूरा अन्दर डायफ्राम तक भरना एव बाहर पूरी शक्ति के साथ छोड़ना भस्त्रिका प्राणायाम कहते है। प्रणायाम को अपनी शक्ति अनुसार तीन प्रकार से किया जाता है। मंद गति से,मध्यम गति से तथा तीव्र गति से। इस प्राणायम को ३-५ मिनिट तक करना चाहिए। दिव्य संकल्प से साथ किया हुवा प्राणायाम विशेष लाभदाई है।
    सूचना:
    • जिनको हृदय रोग हो , उन्हें तीव्र गति से ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए। इस प्राणायाम के दौरान श्वास को अंदर भरे तब पेट को नहीं फुलाना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में अल्प मात्रा में करे। इस प्राणायाम को ३ से लेकर ५ मिनट तक रोज करे।
    • प्राणायाम की क्रियाओ को करते समय आंखों को बंद रखे और मन में प्रत्येक श्वास-प्रश्वास के साथ ओ३म का मानसिक रूप से चिंतन व मनन करना चाहिये।
    लाभ :
    1. सर्दी-जुकाम ,एलर्जी,श्वास रोग,दमा,पुराना नजला,साइनस आदि समस्त कफ रोग दूर होते है।
    2. थाइरोइड व टॉन्सिल आदि गले के समस्त रोग रोग दूर होता है।
    3. प्राण व मन स्थिर होता है।
    कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati)
    कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati)

    कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati)
    • कपाल अर्थात मश्तिष्क और भाति का अर्थ होता है दीप्ती,आभा,तेज,प्रकाश आदि। कपालभाति में मात्र रेचक अर्थात श्वास को शक्ति पूर्वक बाहर छोड़ने में ही पूरा ध्यान दिया जाता है। श्वास को भरने के लिए प्रयत्न नहीं करते, अपितु सहजरूप से जितना श्वास अन्दर चला जाता है,जाने देते है,पूरी एकाग्रता श्वास को बाहर छोड़ने में ही होती है ऐसा करते हुए स्वाभाविक रूप से पेट में भि अकुंशन व् प्रशारण की क्रिया होती है। इस प्राणायाम को 5 मिनिट तक अवश्य ही करना चाहिए।
    • कपालभाति प्राणायाम को करते समय मन में ऐसा विचार करना चाहिए कि जैसे ही मैं श्वास को बाहर निकल रहा हूँ, इस पश्वास के साथ मेरे शरीर के समस्त रोग बाहर निकल रहे है।
    • तीन मिनिट से प्रारम्भ करके पांच मिनट तक इस प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। प्राणायाम करते समय जब-जब थकान अनुभव हो तब-तब बीच में विश्राम कर ले। प्रारम्भ में पेट या कमर में दर्द हो सकता है। वो धीरे धीरे अपने आप मिट जायेगा।
    लाभ:
    1. मष्तिष्क पर तेज,आभा व् सौन्दर्य बढ़ता है।
    2. हदय,फेफड़ो एवं समस्त कफ रोग,दम,श्वास,एलर्जी,साइनस आदि रोग नष्ट होते है।
    3. मधुमेह,मोटापा, गैस ,कब्ज,किडनी व प्रोस्टेट से संबंधित सभी रोग दूर होते है।
    4. कब्ज जैसे रोग इस प्राणायाम से रोज ५ मिनट तक प्रतिदिन करने से मिट जाते है। मधुमेह नियमित होता है तथा मोटापा दूर होता है।
    5. मन स्थिर, शांत रहता है। जिससे डिप्रेशन आदि रोगों से लाभ मिलता है।
    6. इस प्राणायाम से यकृत,प्लीहा,आन्त्र, प्रोस्टेट एवं किडनी का आरोग्य विशेष रूप से बढ़ता है। दुर्बल आंतो का सबल बनाने के लिए यह प्राणायाम लाभदाई है।
    बाह्य प्राणायाम (Bahya Pranayam)
    बाह्य प्राणायाम (Bahya Pranayam)
    1. सिद्धासन या पद्मासन में विधि पूर्वक बैठकर श्वास को एक ही बार में यथाशक्ति बाहर निकाल दीजिए।
    2. श्वास बाहर निकालकर मूलबंध, उड्डीयान बंध व जालन्धर बन्ध लगाकर श्वास को यथाशक्ति बाहर ही रोककर रखें।
    3. जब श्वास लेने की इच्छा हो तब बन्धो को हटाते हुए धीरे-धीरे श्वास लीजिए।
    4. श्वास भीतर लेकर उसे बिना रोके ही पुनः पूर्ववत् श्वसन क्रिया द्वारा बाहर निकाल दीजिए। इस प्रकार इसे 3 से लेकर 21 बार तक कर सकते हैं।
    संकल्प: इस प्राणायाम में भी उक्त कपालभाति के समान श्वास को बाहर फेंकते हुए समस्त विकारों, दोषों को भी बाहर फेंका जा रहा है इस प्रकार की मानसिक चिंतन धारा बहनी चाहिए। विचार-शक्ति जितनी अधिक प्रबल होगी समस्त कष्ट उतनी ही प्रबलता से दूर होंगे।
    लाभ: यह हानिरहित प्राणायाम है। इससे मन की चञ्चलता दूर होती है। जठराग्नि प्रदीप्त होती है। उधर रोगों में लाभप्रद है। बुद्धि सूक्ष्म व तीव्र होती है। शरीर का शोधक है। वीर्य की उधर्व गति करके स्वप्न-दोष, शीघ्रपतन आदि धातु-विकारों की निवृत्ति करता है। बाह्य प्राणायाम करने से पेट के सभी अवयवों पर विशेष बल पड़ता है तथा प्रारम्भ में पेट के कमजोर या रोगग्रस्त भाग में हल्का दर्द का भी अनुभव होता हैं। अतः पेट को विश्राम तथा आरोग्य देने के लिए त्रिबन्ध पूर्वक यह प्राणायाम करना चाहिए।
    अनुलोम-विलोम प्राणायाम (ANULOM-VILOM PRANAYAM)
    अनुलोम-विलोम प्राणायाम (ANULOM-VILOM PRANAYAM)
    दाएँ हाथ को उठकर दाएँ हाथ के अंगुष्ठ के द्वारा दायाँ स्वर तथा अनामिका व मध्यमा अंगुलियों के द्वारा बायाँ स्वर बन्द करना चाहिए। हाथ की हथेली नासिका के सामने न रखकर थोड़ा ऊपर रखना चाहिए।
    विधि: अनुलोम-विलोम प्राणायाम को बाए नासिका से प्रारम्भ करते है। अंगुष्ठ के माध्यम से दाहिनी नासिका को बंध करके बाई नाक से श्वास धीरे-धीरे अंदर भरना चाहिए। श्वास पूरा अंदर भरने पर, अनामिका व मध्यमा से वाम स्वर को बन्द करके दाहिनी नाक से पूरा श्वास बाहर छोड़ देना चाहिए। धीरे-धीरे श्वास-पश्वास की गति मध्यम और तीव्र करनी चाहिए। तीव्र गति से पूरी शक्ति के साथ श्वास अन्दर भरें व बाहर निकाले व अपनी शक्ति के अनुसार श्वास-प्रश्वास के साथ गति मन्द, मध्यम और तीव्र करें। तीव्र गति से पूरक, रेचक करने से प्राण की तेज ध्वनि होती है। श्वास पूरा बाहर निकलने पर वाम स्वर को बंद रखते हुए दाएँ नाक से श्वास पूरा अन्दर भरना चाहिए तथा अंदर पूरा भर जाने पर दाएँ नाक को बन्द करके बाए नासिका से श्वास बाहर छोड़ने चाहिए। यह एक प्रक्रिया पूरी हुई। इस प्रकार इस विधि को सतत करते रहना। थकान होने पर बीच में थोड़ा विश्राम करें फिर पुनः प्राणायाम करें। इस प्रकार तीन मिनिट से प्रारम्भ करके इस प्राणायाम को 10 मिनिट तक किया जा सकता है।
    लाभ:
    1. इस प्राणायाम से बहत्तर करोड़,बहत्तर लाख,दस हजार दो सौ दस नाड़ियाँ परिशुद्ध हो जाती है।
    2. संधिवात, कंप वात, गठिया, आमवात, स्नायु-दुर्बलता आदि समस्त वात रोग, धातु रोग, मूत्र रोग शुक्र क्षय, अम्ल पित्त, शीतपित्त आदि समस्त पित्त रोग, सर्दी, जुकाम, पुराना नजला, साइनस, अस्थमा, खांसी, टॉन्सिल समस्त रोग दूर होते है।
    3. इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से तीन-चार माह में 30% लेकर 50% तक ब्लॉकेज खुल जाते है। कोलेस्ट्रॉल,एच. डी. एल. या एल. डी. एल. आदि की अनियमितताएं दूर हो जाती है। इस प्राणायाम से तन, मन, विचार छ संस्कार सब परिशुद्ध होते है।
    भ्रामरी प्राणायाम (BHRAMARI PRANAYAMA)
    भ्रामरी प्राणायाम (BHRAMARI PRANAYAMA)
    भ्रामरी प्राणायाम (BHRAMARI PRANAYAMA)
    विधि: श्वास पूरा अन्दर भर कर मध्यमा अंगुलियों से नासिका के मूल में आँख के पास दोनों ओर से थोड़ा दबाएँ, अंगूठों के द्वारा दोनों कानों को पूरा बन्द कर ले। अब भ्रमर की भाँति गुंजन करते हुए नाद रूप में ओ३म का उच्चारण करते हुए श्वास को बाहर छोडदे। इस तरह ये प्राणायाम कम से कम 3 बार अवश्य करें। अधिक से 11 से 12 बार तक कर सकते हो। मन में यह दिव्य संकल्प या विचार होना चाहिए की मुज पर भगवन की करुणा, शांति व आनंद बरस रहा है। इस प्रकार शुद्ध भाव से यह प्राणायाम करने से एक दिव्य ज्योति आगना चक्र में प्रकट होता है और ध्यान स्वतः होने लगता है।
    लाभ: मानसिक तनाव, उत्तेजना, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि दूर होता है। ध्यान के लिए उपयोगी है।

    ओङ्गकार जप'ओङ्गकार' कोई व्यक्ति या आकृति विशेष नहीं है, अपितु दिव्य शक्ति है, जो इस ब्रह्माण्ड का संचालन कर रही है। सभी प्राणायाम करने के बाद श्वास-पश्वास पर अपने मन को टिकाकर प्राण के साथ उदगीथ 'ओ३म 'ध्यान करें। भगवान भ्रुवों की आकृति ओङ्गकारमयी बनाई है। यह पिण्ड तथा समस्त ब्रह्माण्ड ओङ्गकारमयी है। द्रष्टा बनकर दीर्घ व सूक्ष्म गति से श्वास को लेते व् छोड़ते समय श्वास की गति इतनी सूक्ष्म होनी चाहिए स्वयं को भी श्वास की ध्वनि की अनुभूति न हो। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाकर प्रयास करके 1 मिनिट में एक श्वास तथा एक पश्वाश चले। प्रारम्भ में श्वास के स्पर्श की अनुभूति मात्र नासिकाग्र पर होगी। धीरे-धीरे श्वास के गहरे स्पर्श को भी अनुभव कर सकेंगे। इस प्रकार कुछ समय तक श्वास के साथ साक्षी भाव पूर्वक ओङ्गकार जप करने से ध्यान स्वतः होने लगता है। प्रणव के साथ वेदों के महान मन्त्र गायत्री का भी अर्थपूर्वक जाप व ध्यान किया जा सकता है। सोते समय इस प्रकार ध्यान करते हुए सोना चाहिए ,ऐसा करने से निंद्रा भी योगमयी हो जाती है। दु:स्वप्न से भी छुटकारा मिलेगा तथा निंद्रा शीघ्र आएगी।

    प्राणायाम के लाभ एवं महत्व
    1. हमारे शरीर में जितने ही चेष्टाएँ होती है उन सभी का प्राण से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। प्राणायाम से इन्द्रियों एवं मन के दोष दूर होते है।
    2. आसन से योगी को रजोगुण, प्राणायाम से पाप निवृति और प्रत्याहार से मानसिक विकार दूर रहते है। स्थूल रूप से प्राणायाम श्वास-प्रश्वास के व्यायाम की एक पद्धति है,जिस से फेफड़े मजबूत, दीर्घ आयु का लाभ मिलता है।
    3. विभिन्न रोगों का निवारण प्राण-वायु का प्राणायाम द्वारा नियमन करने से सहजता पूर्वक किया जा सकता है।
    4. प्राणायाम द्वारा उद्वेग, चिंता, क्रोध, निराशा, भय और कामुकता आदि मनोविकार का समाधान सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
    5. प्राणायाम से मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाकर स्मरण-शक्ति, सुझबूझ, कुशग्रता, दूरदर्शिता, धारणा, मेधा आदि मानसिक विशेषताओं प्राप्त किया जा सकता है। भगवान की और से हमें जो जीवन मिला है, उसमें प्राण श्वास गिनकर मिलते है। जिसके जैसे कर्म होते है उसी के अनुसार उसको अगला जन्म मिलता है। प्राणायाम को प्रतिदिन अभ्यास करने से व्यक्ति को जो मुख्य लाभ होते है, इस प्रकार से है।
    6. पाचन तंत्र स्वस्थ हो जाता है और उदर रोग दूर हो जाते है।
    7. प्राणायाम का अभ्यास करने वाले व्यक्ति सदा सकारात्मक विचार, चिंतन व उत्साह से भरा हुआ रहता है।
    8. बालों का जड़ना, सफ़ेद होना, चहरे पर झुरिया पड़ना आदि से बच सकता है।
    9. बुढ़ापा देर से आएगा तथा आयु बढ़ेगी।
    10. मन अत्यंत स्थिर,शांत व प्रसन्न तथा उत्साहित तथा डिप्रेशन आदि रोगों से लाभ मिलता है।
    11. मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, कब्ज, गैस, श्वास रोग, एलर्जी, माइग्रेन, रक्तचाप, किडनी के रोग, पुरुष व स्त्रियों के समस्त यौन रोग आदि सामान्य रोगों से लेकर सभी साध्य-असाध्य रोग दूर होते है।
    12. वंशानुगत डायबिटीज, हृदय रोग से बचा सकता है।
    13. वात, पित्त व कफ में लाभदायक है।
    14. समस्त रोग काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार दोष नष्ट हो जाते है।
    15. हृदय, फेफड़े व मस्तिष्क सम्बन्धी रोग दूर होते है।
    प्राणायाम के नियम
    1. गर्भवती महिला,भूख से पीड़ित एवं अजितेन्द्रिय पुरुष को प्राणायाम नहीं करना चाहिए। प्राणायाम करते हुए थकान का अनुभव हो तो दूसरा प्राणायाम करने से पहले 5-6 मिनिट विश्राम कर लेना चाहिए।
    2. जब भी आप प्राणायाम करें आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। इसके लिए आप किसी भी ध्यानत्मक आसन में बैठ जाये। पद्मासन, सुखासन, वज्रासन आदि। यदि आप किसी भी आसन में नहीं बैठ सकते तो कुर्सी पर भी प्राणायाम कर सकते है,परन्तु रीढ़ की हड्डी को सीधा रखे।
    3. प्राणायाम करते समय मन शांत एवं प्रसन्न होना चाहिए, प्राणायाम से मन शांत एवं एकाग्र होता है।
    4. प्राणायाम करते समय मुख, आँख, नाक आदि अंगों पर किसी प्रकार का तनाव ना रखे। प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे बिना किसी उतावले, धैर्य के साथ, सावधानी से करें।
    5. प्राणायाम करने के लिए कम से कम चार-पांच घण्टे पूर्व भोजन कर लेना चाहिए। शुरु में ५-१० मिनिट ही अभ्यास करें उसके बाद धीरे-धीरे बढ़ाते हुए आधा से एक घण्टे तक करें। प्रातः पेट साफ करके ही प्राणायाम करें। कुछ दिन प्राणायाम करने कब्ज भी स्वतः दूर हो जाता है।
    6. प्राणायाम का अर्थ सिर्फ पूरक, कुम्भक व रेचक ही नहीं वरन, श्वास और प्राणों की गति को नियंत्रित और संतुलित करते हुए मन को भी स्थिर व एकाग्र करने का अभ्यास करना है।
    7. प्राणायाम के बाद स्नान करना हो तो 5-20 मिनट के बाद कर सकते हो।
    8. प्राणायाम के लिए सिद्दासन, वज्रासन या पद्मासन में बैठना आवश्यक है। बैठने के लिए जिस आसान का प्रयोग करते है वह कम्बल या कुशासन आदि।
    9. प्राणायाम में श्वास को जबरन नहीं रोकना चाहिए। प्राणायाम करने के लिए श्वास अन्दर लेना 'पूरक', श्वास को अन्दर रोककर रखना 'कुम्भक', श्वास को बाहर फेंकना 'रेचक' और श्वास बाहर ही रोककर रखने को 'बाह्य कुम्भक' कहते है।
    10. प्राणायाम शुद्ध निर्मल स्थान पर करें। शहरों में जहां प्रदूषण का अधिक प्रभाव हो वह प्राणायाम से पहले धूप से उस स्थान को सुगंधित करें।
    11. श्वास सदा नासिका से ही लेना चाहिए। इस से श्वास फ़िल्टर होकर अंदर आता है।
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    अल्प ब्लाग जीवन के फटे में पैबँद





    फुरसतिया जी का लेख परदे के पीछे-कौन है बे? को पडा लगा कि तो लगा कि छद्म नाम के साथ लेख करना गलत नहीं है पर नाम लिख कर दूसरों पर टिप्पणी करना गलत है नाम न लिखने की परम्परा आज की नहीं है कई लोग इसे निभाते चले आ रहे है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात को कहने का हक है चाहे जैसे हो कह सकता है स्वामी जी तथा छाया जी भी अपनी बात सफलतापूर्वक कह रहे है तथा कोई इन लोगों को काई नहीं जानता है। स्वामी जी तो प्रत्येक व्यक्ति पर मुंह फाड के टिप्पणी तथा पोस्ट कर रहे है तथा हम इनके बेनाम पोस्टो को झेल रहे है नाम नहीं पता है तो इनकी दादा गिरी भी झेलनी पडती है।
    अब एक जगह देख लीजिये कि स्वामी जी के क्या वाक्य है:- आप जितना समय यहाँ अपनी समझदारी का प्रदर्शन करने में लगाते रहे हैं उसका एक अंश अपने ब्लाग पर "संस्क्रत" को "संस्कृत" कैसे लिखें वो सीखने पर लगाएं. समय आ गया है की आपके अल्प ब्लॉग जीवन के फटे में पैबंद लगाने शुरु करें - शुरुआत खराब की है आपने. यदी अपने पाठकों का सम्मान चाहते हैं तो आपकी छवि और ब्लाग दोनो को सुधारना शुरु करें. यहाँ सब आपके शुभाकांक्षी ही हैं। स्वामी जी को उन्हें दूसरों का संस्क्रत गलत लगता है जबकि कि यदि का यदी लिखा है वह गलत नहीं लगता। तुलसीदास जी ने स्वामी जी जैसे लोगों के लिये ठीक ही समरथ को नहीं दोष गोसाईं!!" स्वामी जी आप तो समर्थवान है उनसे कहां गलती होने वाली है गलती तो हम लोग ही करते है और हमें ही अल्प ब्लॉग जीवन के फटे में पैबंद लगाने पडेगे स्वामी जी लोग तो समर्थवान हे अच्छा लिखे या खराब लोग पडेगे भी तथा टिप्पणी भी करेंगे और वाह-वाह भी ।
    छिपकर लिखने का मतलब है कि आप दूसरों को भला बुरा कहते है किन्तु नाम इस लिये छिपाते है कोई दूसरा आपके नाम को लेकर आक्षेप न करें। छद्म नाम से लेख लिखने का मतलब है कि या तो आप मंत्री है, राजनेता है, अधिकारी है या आतंकी है जो नाम छिपाने की जरूरत है। मैं तो यही कहूंगा कि छिप कर लेख करने तो ठीक है पर छद्म नाम का सहारा किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करनी चाहिये।
    हमें तो जुम्‍मा-जुम्‍मा आये 4 दिन ही हुआ है और अभी तो पैबंद लगाने का समय है सो तो हम लगाएंगे ही और ऐसा ही चलता रहा तो वक्त आपका भी आयेगा।


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    मच्छर भगाने के घरेलू उपाय How To Get Rid Of Mosquitoes Naturally



    Machar Bhagane ke Gharelu Upay in Hindi

    मच्छर भगाने के घरेलू उपाय हिंदी में
    Machar Bhagane ke Gharelu Upay in Hindi
    मौसम में गर्माहट आते ही घरों में मच्छरों की तादाद बढ़ने लगती है। ऐसे में बाजार में मौजूद केमिकल, स्प्रे और रिफिल्स भी काम नहीं आती हैं। अगर आप भी परेशान हैं तो ये उपाय कर मच्छरों से छुटकारा पाया जा सकता है।
     
    मच्छर भगाने के 6 अचूक घरेलू उपाय
      1. नारियल तेल में नीम का तेल मिलाकर कमरे में इस मिक्स तेल से दीया जलाने से मच्छर भाग जाते है।
      2. नारियल तेल और लौंग तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर स्किन पर लगाये या घर में स्प्रे करने से भी मच्छर नहीं आते।
      3. अपने घर में गेंदे का पौधा जरूर लगाये, गेंदे की खुशबू से भी मच्छर भाग जाते है।
      4. किसी भी कम्पनी के खाली रिफिल में नीम का तेल और कपूर मिलाकर जलाने से भी मच्छर भाग जाते है ।
      5. आधे कटे नींबू में 10-15 लौंग अटकाकर रात को सोने वाले कमरे में रखने से मच्छर बिलकुल नहीं आयेंगे।
      6. शरीर पर सरसों का तेल लगाने से भी मच्छर दूर रहते है।
      जानिये मच्छर भगाने के 10 घरेलू उपाय
      1. तुलसी के पत्तों का रस शरीर पर लगाने से मच्छर पास नहीं आते।
      2. लहसुन की 2-3 कलिया खाने से भी मच्छर पास नहीं आते।
      3. पानी में सोयाबीन तेल मिलाकर घर में स्प्रे करने से मच्छर नहीं आते।
      4. लहसुन की तेज गंध मच्छरों को दूर रखती है। लहसुन का रस शरीर पर लगाएं या फिर इसका छिड़काव करें।
      5. यह न सिर्फ खुशबूदार है पर एक शानदार तरीका भी है मच्छरों से बचने का। इस फूल की खुशबू असरदार होती है जिससे मच्छर भाग जाते हैं। इस घरेलू उपाय के उपयोग के लिए लैवेंडर के तेल को एक कमरे में प्राकृतिक फ्रेशनर के रूप में छिड़कें।
      6. सरसों के तेल में अजवाइन पाउडर मिलाकर इससे गत्ते के टुकड़ों को तर कर लें और कमरे में ऊंचाई पर रख दें। मच्छर पास भी नहीं आएंगे।
      7. मच्छर भगाने वाली रिफिल में लिक्विड खत्म हो जाने पर उसमें नींबू का रस और नीलगिरी का तेल भरकर लगाएं। इस हाथ-पैरों पर भी लगा सकते हैं।
      8. नीम के तेल को हाथ-पैरों में लगाएं या फिर नारियल के तेल में नीम का तेल मिलाकर उसका दीपक जलाएं।
      9. पुदीने के पत्तों के रस का छिड़काव करने से मच्छर दूर भागते हैं। इसे शरीर पर भी लगाया जा सकता है।
      10. मिट्टी के तेल में 20 ग्राम नारियल तेल और करीब 30 बूँद नीम का तेल डालकर साथ में कपूर की दो टिक्की का घोल बना कर लालटेन जलाने से आपके कमरे में मच्छर नहीं फटकेंगे।
      घर के आसपास नहीं फटकेगा एक भी मच्छर, करें आसान उपाय
        • नींबू को काटकर उसके आधे भाग में एक दर्जन लौंग खोसकर अपने बिस्तर के पास रखिये। मच्छर आपको नहीं काटेंगे।
        • सरसों के तेल में पिसी हुई अजवाइन मिलाकर कागज़ के टुकड़े में पांच से 6 जगह कमरे के चारों ओर रख दीजिये। मच्छर कमरे में नहीं आयेंगे।
        • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें। मच्छरदानी के प्रयोग से मच्छरों से छुटकारा मिल सकता है।
        • संतरे के सूखे छिलकों को कोयले के साथ सुलगाने से मच्छर भाग जाते हैं।
        • सोते समय तुलसी के पत्तों का रस, सोयाबीन का तेल लगाने पर आपको मच्छर नहीं काटेंगे।
        • नारियल तेल में लौंग का तेल मिलाकर त्वचा पर लगाने से मच्छर पास नहीं आते।
        • बरसात के मौसम में घर के चारों तरफ गेंदे के फूल लगाने से मच्छर फुर्र हो जाएंगे।
        • सोते समय लहसुन की कच्ची काली चबाने से मच्छर नहीं काटते। इसके साथ ही लहसुन शरीर के रक्त संचार को भी बढ़िया करता है।
        • नीम की पत्तियां सुलगाने और पुदीने का तेल लगाकर सोने से मच्छर पास नहीं फटकते।


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        ओशो के विचार एवं लेख - सेक्स एक शक्ति है उसको समझिए



        हमने सेक्स को सिवाय गाली के आज तक दूसरा कोई सम्मान नहीं दिया। हम तो बात करने में भयभीत होते हैं। हमने तो सेक्स को इस भांति छिपा कर रख दिया है जैसे वह है ही नहीं, जैसे उसका जीवन में कोई स्थान नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि उससे ज्यादा महत्वपूर्ण मनुष्य के जीवन में और कुछ भी नहीं है। लेकिन उसको छुपाया है, उसको दबाया है। दबाने और छिपाने से मनुष्य सेक्स से मुक्त नहीं हो गया, बल्कि मनुष्य और भी बुरी तरह से सेक्स से ग्रसित हो गया। दमन उलटे परिणाम लाया है। शायद आप में से किसी ने एक फ्रेंच वैज्ञानिक कुए के एक नियम के संबंध में सुना होगा। वह नियम है: लॉ ऑफ रिवर्स इफेक्ट। कुए ने एक नियम ईजाद किया है, विपरीत परिणाम का नियम। हम जो करना चाहते हैं, हम इस ढंग से कर सकते हैं कि जो हम परिणाम चाहते थे, उससे उलटा परिणाम हो जाए।
        ओशो के विचार एवं लेख सेक्स एक शक्ति है, उसको समझिए

        कुए कहता है, हमारी चेतना का एक नियम है—लॉ ऑफ रिवर्स इफेक्ट। हम जिस चीज से बचना चाहते हैं, चेतना उसी पर केंद्रित हो जाती है और परिणाम में हम उसी से टकरा जाते हैं। पांच हजार वर्षों से आदमी सेक्स से बचना चाह रहा है और परिणाम इतना हुआ है कि गली-कूचे, हर जगह, जहां भी आदमी जाता है, वहीं सेक्स से टकरा जाता है। वह लॉ ऑफ रिवर्स इफेक्ट मनुष्य की आत्मा को पकड़े हुए है।
        जगत में ब्रह्मचर्य का जन्म हो सकता है, मनुष्य सेक्स के ऊपर उठ सकता है, लेकिन सेक्स को समझ कर, सेक्स को पूरी तरह पहचान कर।

        क्या कभी आपने यह सोचा कि आप चित्त को जहां से बचाना चाहते हैं, चित्त वहीं आकर्षित हो जाता है, वहीं निमंत्रित हो जाता है! जिन लोगों ने मनुष्य को सेक्स के विरोध में समझाया, उन लोगों ने ही मनुष्य को कामुक बनाने का जिम्मा भी अपने ऊपर ले लिया है। मनुष्य की अति कामुकता गलत शिक्षाओं का परिणाम है। और आज भी हम भयभीत होते हैं कि सेक्स की बात न की जाए! क्यों भयभीत होते हैं? भयभीत इसलिए होते हैं कि हमें डर है कि सेक्स के संबंध में बात करने से लोग और कामुक हो जाएंगे।
        जिन लोगों ने मनुष्य को सेक्स के विरोध में समझाया, उन लोगों ने ही मनुष्य को कामुक बनाने का जिम्मा भी अपने ऊपर ले लिया है। मनुष्य की अति कामुकता गलत शिक्षाओं का परिणाम है।

        मैं आपको कहना चाहता हूं, यह बिलकुल ही गलत भ्रम है। यह शत प्रतिशत गलत है। पृथ्वी उसी दिन सेक्स से मुक्त होगी, जब हम सेक्स के संबंध में सामान्य, स्वस्थ बातचीत करने में समर्थ हो जाएंगे। जब हम सेक्स को पूरी तरह से समझ सकेंगे, तो ही हम सेक्स का अतिक्रमण कर सकेंगे।
        जगत में ब्रह्मचर्य का जन्म हो सकता है, मनुष्य सेक्स के ऊपर उठ सकता है, लेकिन सेक्स को समझ कर, सेक्स को पूरी तरह पहचान कर।

        जगत में ब्रह्मचर्य का जन्म हो सकता है, मनुष्य सेक्स के ऊपर उठ सकता है, लेकिन सेक्स को समझ कर, सेक्स को पूरी तरह पहचान कर। उस ऊर्जा के पूरे अर्थ, मार्ग, व्यवस्था को जान कर उससे मुक्त हो सकता है। आंखें बंद कर लेने से कोई कभी मुक्त नहीं हो सकता। आंखें बंद कर लेने वाले सोचते हों कि आंख बंद कर लेने से शत्रु समाप्त हो गया है, तो वे पागल हैं। सेक्स के संबंध में आदमी ने शुतुरमुर्ग का व्यवहार किया है आज तक। वह सोचता है, आंख बंद कर लो सेक्स के प्रति तो सेक्स मिट गया। अगर आंख बंद कर लेने से चीजें मिटती होतीं, तो बहुत आसान थी जिंदगी, बहुत आसान होती दुनिया। आंखें बंद करने से कुछ मिटता नहीं, बल्कि जिस चीज के संबंध में हम आंखें बंद करते हैं, हम प्रमाण देते हैं कि हम उससे भयभीत हो गए हैं, हम डर गए हैं। वह हमसे ज्यादा मजबूत है, उससे हम जीत नहीं सकते हैं, इसलिए हम आंख बंद करते हैं। आंख बंद करना कमजोरी का लक्षण है। और सेक्स के बाबत सारी मनुष्य-जाति आंख बंद करके बैठ गई है। न केवल आंख बंद करके बैठ गई है, बल्कि उसने सब तरह की लड़ाई भी सेक्स से ली है। और उसके परिणाम, उसके दुष्परिणाम सारे जगत में ज्ञात हैं।
        अगर सौ आदमी पागल होते हैं, तो उसमें से अट्ठानबे आदमी सेक्स को दबाने की वजह से पागल होते हैं। अगर हजारों स्त्रियां हिस्टीरिया से परेशान हैं, तो उसमें सौ में से निन्यानबे स्त्रियों के हिस्टीरिया के, मिरगी के, बेहोशी के पीछे सेक्स की मौजूदगी है, सेक्स का दमन मौजूद है।

        अगर सौ आदमी पागल होते हैं, तो उसमें से अट्ठानबे आदमी सेक्स को दबाने की वजह से पागल होते हैं। अगर हजारों स्त्रियां हिस्टीरिया से परेशान हैं, तो उसमें सौ में से निन्यानबे स्त्रियों के हिस्टीरिया के, मिरगी के, बेहोशी के पीछे सेक्स की मौजूदगी है, सेक्स का दमन मौजूद है। अगर आदमी इतना बेचैन, अशांत, इतना दुखी और पीड़ित है, तो इस पीड़ित होने के पीछे उसने जीवन की एक बड़ी शक्ति को बिना समझे उसकी तरफ पीठ खड़ी कर ली है, उसका कारण है। और परिणाम उलटे आते हैं।
        वह हैरान हो जाएगा यह जानकर कि आदमी का सारा साहित्य सेक्स ही सेक्स पर क्यों केंद्रित है? आदमी की सारी कविताएं सेक्सुअल क्यों हैं?

        अगर हम मनुष्य का साहित्य उठा कर देखें, अगर किसी देवलोक से कभी कोई देवता आए या चंद्रलोक से या मंगल ग्रह से कभी कोई यात्री आए और हमारी किताबें पढ़े, हमारा साहित्य देखे, हमारी कविताएं पढ़े, हमारे चित्र देखे, तो बहुत हैरान हो जाएगा। वह हैरान हो जाएगा यह जान कर कि आदमी का सारा साहित्य सेक्स ही सेक्स पर क्यों केंद्रित है? आदमी की सारी कविताएं सेक्सुअल क्यों हैं? आदमी की सारी कहानियां, सारे उपन्यास सेक्स पर क्यों खड़े हैं? आदमी की हर किताब के ऊपर नंगी औरत की तस्वीर क्यों है? आदमी की हर फिल्म नंगे आदमी की फिल्म क्यों है? वह आदमी बहुत हैरान होगा; अगर कोई मंगल से आकर हमें इस हालत में देखेगा तो बहुत हैरान होगा। वह सोचेगा, आदमी सेक्स के सिवाय क्या कुछ भी नहीं सोचता? और आदमी से अगर पूछेगा, बातचीत करेगा, तो बहुत हैरान हो जाएगा। आदमी बातचीत करेगा आत्मा की, परमात्मा की, स्वर्ग की, मोक्ष की। सेक्स की कभी कोई बात नहीं करेगा! और उसका सारा व्यक्तित्व चारों तरफ से सेक्स से भरा हुआ है! वह मंगल ग्रह का वासी तो बहुत हैरान होगा। वह कहेगा, बातचीत कभी नहीं की जाती जिस चीज की, उसको चारों तरफ से तृप्त करने की हजार-हजार पागल कोशिशें क्यों की जा रही हैं?
        सेक्स है फैक्ट, सेक्स जो है वह तथ्य है मनुष्य के जीवन का। और परमात्मा? परमात्मा अभी दूर है। सेक्स हमारे जीवन का तथ्य है।

        आदमी को हमने परवर्ट किया है, विकृत किया है और अच्छे नामों के आधार पर विकृत किया है। ब्रह्मचर्य की बात हम करते हैं। लेकिन कभी इस बात की चेष्टा नहीं करते कि पहले मनुष्य की काम की ऊर्जा को समझा जाए, फिर उसे रूपांतरित करने के प्रयोग भी किए जा सकते हैं। बिना उस ऊर्जा को समझे दमन की, संयम की सारी शिक्षा, मनुष्य को पागल, विक्षिप्त और रुग्ण करेगी। इस संबंध में हमें कोई भी ध्यान नहीं है! यह मनुष्य इतना रुग्ण, इतना दीन-हीन कभी भी न था; इतना विषाक्त भी न था, इतना पायज़नस भी न था, इतना दुखी भी न था।मनुष्य के भीतर जो शक्ति है, उस शक्ति को रूपांतरित करने की, ऊंचा ले जाने की, आकाशगामी बनाने का हमने कोई प्रयास नहीं किया। उस शक्ति के ऊपर हम जबरदस्ती कब्जा करके बैठ गए हैं। वह शक्ति नीचे से ज्वालामुखी की तरह उबल रही है और धक्के दे रही है। वह आदमी को किसी भी क्षण उलटा देने की चेष्टा कर रही है।

        क्या आपने कभी सोचा? आप किसी आदमी का नाम भूल सकते हैं, जाति भूल सकते हैं, चेहरा भूल सकते हैं। अगर मैं आप से मिलूं या मुझे आप मिलें तो मैं सब भूल सकता हूं—कि आपका नाम क्या था, आपका चेहरा क्या था, आपकी जाति क्या थी, उम्र क्या थी, आप किस पद पर थे—सब भूल सकता हूं, लेकिन कभी आपको खयाल आया कि आप यह भी भूल सके हैं कि जिससे आप मिले थे, वह आदमी था या औरत? कभी आप भूल सके इस बात को कि जिससे आप मिले थे, वह पुरुष है या स्त्री? कभी पीछे यह संदेह उठा मन में कि वह स्त्री है या पुरुष? नहीं, यह बात आप कभी भी नहीं भूल सके होंगे। क्यों लेकिन? जब सारी बातें भूल जाती हैं तो यह क्यों नहीं भूलता?

        हमारे भीतर मन में कहीं सेक्स बहुत अतिशय होकर बैठा है। वह चौबीस घंटे उबल रहा है। इसलिए सब बात भूल जाती है, लेकिन यह बात नहीं भूलती। हम सतत सचेष्ट हैं। यह पृथ्वी तब तक स्वस्थ नहीं हो सकेगी, जब तक आदमी और स्त्रियों के बीच यह दीवार और यह फासला खड़ा हुआ है। यह पृथ्वी तब तक कभी भी शांत नहीं हो सकेगी, जब तक भीतर उबलती हुई आग है और उसके ऊपर हम जबरदस्ती बैठे हुए हैं। उस आग को रोज दबाना पड़ता है। उस आग को प्रतिक्षण दबाए रखना पड़ता है। वह आग हमको भी जला डालती है, सारा जीवन राख कर देती है। लेकिन फिर भी हम विचार करने को राजी नहीं होते—यह आग क्या थी? और मैं आपसे कहता हूं, अगर हम इस आग को समझ लें तो यह आग दुश्मन नहीं है, दोस्त है। अगर हम इस आग को समझ लें तो यह हमें जलाएगी नहीं, हमारे घर को गरम भी कर सकती है सर्दियों में, और हमारी रोटियां भी पका सकती है, और हमारी जिंदगी के लिए सहयोगी और मित्र भी हो सकती है। लाखों साल तक आकाश में बिजली चमकती थी। कभी किसी के ऊपर गिरती थी और जान ले लेती थी। कभी किसी ने सोचा भी न था कि एक दिन घर में पंखा चलाएगी यह बिजली। कभी यह रोशनी करेगी अंधेरे में, यह किसी ने सोचा नहीं था। आज? आज वही बिजली हमारी साथी हो गई है। क्यों? बिजली की तरफ हम आंख मूंद कर खड़े हो जाते तो हम कभी बिजली के राज को न समझ पाते और न कभी उसका उपयोग कर पाते। वह हमारी दुश्मन ही बनी रहती। लेकिन नहीं, आदमी ने बिजली के प्रति दोस्ताना भाव बरता। उसने बिजली को समझने की कोशिश की, उसने प्रयास किए जानने के। और धीरे-धीरे बिजली उसकी साथी हो गई। आज बिना बिजली के क्षण भर जमीन पर रहना मुश्किल मालूम होगा।
         कौन सिखाता है सेक्स आपको इस सेक्स का इतना प्रबल आकर्षण, इतना नैसर्गिक केंद्र क्या है?
         मनुष्य के भीतर बिजली से भी बड़ी ताकत है सेक्स की। मनुष्य के भीतर अणु की शक्ति से भी बड़ी शक्ति है सेक्स की। कभी आपने सोचा लेकिन, यह शक्ति क्या है और कैसे हम इसे रूपांतरित करें? एक छोटे से अणु में इतनी शक्ति है कि हिरोशिमा का पूरा का पूरा एक लाख का नगर भस्म हो सकता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि मनुष्य के काम की ऊर्जा का एक अणु एक नये व्यक्ति को जन्म देता है? उस व्यक्ति में गांधी पैदा हो सकता है, उस व्यक्ति में महावीर पैदा हो सकता है, उस व्यक्ति में बुद्ध पैदा हो सकते हैं, क्राइस्ट पैदा हो सकता है। उससे आइंस्टीन पैदा हो सकता है और न्यूटन पैदा हो सकता है। एक छोटा सा अणु एक मनुष्य की काम-ऊर्जा का, एक गांधी को छिपाए हुए है। गांधी जैसा विराट व्यक्तित्व जन्म पा सकता है।

        सेक्स है फैक्ट, सेक्स जो है वह तथ्य है मनुष्य के जीवन का। और परमात्मा? परमात्मा अभी दूर है। सेक्स हमारे जीवन का तथ्य है। इस तथ्य को समझ कर हम परमात्मा के सत्य तक यात्रा कर भी सकते हैं। लेकिन इसे बिना समझे एक इंच आगे नहीं जा हमने कभी यह भी नहीं पूछा कि मनुष्य का इतना आकर्षण क्यों है? कौन सिखाता है सेक्स आपको?

        सारी दुनिया तो सिखाने के विरोध में सारे उपाय करती है। मां-बाप चेष्टा करते हैं कि बच्चे को पता न चल जाए। शिक्षक चेष्टा करते हैं। धर्म-शास्त्र चेष्टा करते हैं। कहीं कोई स्कूल नहीं, कहीं कोई यूनिवर्सिटी नहीं। लेकिन आदमी अचानक एक दिन पाता है कि सारे प्राण काम की आतुरता से भर गए हैं! यह कैसे हो जाता है? बिना सिखाए यह कैसे हो जाता है? सत्य की शिक्षा दी जाती है, प्रेम की शिक्षा दी जाती है, उसका तो कोई पता नहीं चलता। इस सेक्स का इतना प्रबल आकर्षण, इतना नैसर्गिक केंद्र क्या है? जरूर इसमें कोई रहस्य है और इसे समझना जरूरी है। तो शायद हम इससे मुक्त भी हो सकते हैं।


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        महाशक्ति क्रिकेट प्रतियोगिता



        महाशक्ति क्रिकेट प्रतियोगिता 
        महाशक्ति क्रिकेट प्रतियोगिता
        इलाहाबाद विजेता अधिवक्ता उप विजेता मुन्शी
        आयोजन स्थल लूकरगंज मैदान
        आयोजक महाशक्ति
        सहयोग अधिवक्ता व मुन्‍शी गण
        महाशक्ति क्रिकेट प्रतियोगिता हर वर्ष की भांति वर्ष 2005 में भी आयोजित की गयी। इस प्रतियोगिता में एक मैत्री व सद्भावना मैच खेला जाता है जिसमे इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के अधिवक्‍ता तथा उनके कर्मचारियों (मुन्शियो) के बीच खेला जाता है जिसमें न कोई साहब होता है न कोई मुन्‍शी। इस मैच का आयोजन उच्‍च न्‍यायालय के शीत अवकाश अर्थात दिसम्बर माह में होता है।


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        प्रमेन्द्र प्रताप सिह



        प्रमेन्द्र प्रताप सिह प्रमेन्द्र प्रताप सिह


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        मोटापा घटाने अचूक के उपाय



        मोटापा घटाने अचूक के उपाय

        तेजी से वजन कम करने के अचूक उपाय से घटाये मोटापा
        मोटापे से दुनिया की आज आधी आबादी परेशान है। मोटापा बढने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से प्रमुख है-अधिक चर्बी युक्त आहार का सेवन करना, कम व्यायाम करना और स्थिर जीवन-यापन करना, असंतुलित व्यवहार और मानसिक तनाव की वजह से लोग ज्यादा भोजन करने लगते हैं, जो मोटापा का कारण बनता है, शारीरिक क्रियाओं के सही ढंग से नहीं होने पर भी शरीर में चर्बी जमा होने लगती है, बाल्यावस्था और युवावस्था के समय का मोटापा वयस्क होने पर भी रह सकता है और हाइपोथाइरॉयडिज़्म आदि जैसे कारण मुख्य हैं। हम सभी मानते हैं कि यदि आप मोटे हैं तो कम खाइये और ज्यादा से ज्यादा व्यायाम कीजिये। पर ऐसा नहीं है, यदि ऐसा होता तो काफी लोग अपना वजन आसानी से कम कर चुके होते। अगर आप भी मोटापे का शिकार हैं और आपका वजन व्यायाम करने के बाद भी कम नहीं हो रहा है तो कहीं ना कहीं कुछ कमी रह गई है। यानी इसका यह मतलब नहीं है कि आप जरुरत से कम खाने लगे या फिर बहुत ज्यादा व्यायाम करने लगें। इसका यह मतलब होता है कि आपको अपनी लाइफ स्‍टाइल में कुछ मामूली और जरूरी परिवर्तन करने होंगे। आज हम आपको कुछ ऐसे ही आसान तरीके बताएंगे, जिन्हें अपना कर आप मोटापे से काफी हद तक छुटकारा पा सकते हैं। पर आप को ख्याल रखना होगा कि अगर आपको मोटापा घटाना है तो इसे नियमित करना होगा नहीं तो आपको केवल निराशा के और कुछ हासिल नहीं होगा। 

        बिना कसरत किए मोटापा कम करने के ये नायाब नुस्खे
        जो भी लोग अपने दैनिक भोजन में क्षारीय तत्वों का अधिक सेवन करते हैं, उनके लिये अच्छी खबर-क्षारीय तत्वों का अधिक सेवन करते हैं-वजन को कम और जोड़ों के दर्द में आराम। आयुर्वेद की औषधियों में क्षार को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाना भी उक्त बात की पुष्टि करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार अल्कलाइन पीएच (Alkaline Phosphatase) (क्षारीय फॉस्फेट) से युक्त आहार जिसमें फलों, सलाद, नारियल एवं बादाम का सेवन सम्मिलित है, आपकी पाचन क्षमता को ठीक रखने के साथ-साथ जोड़ों के दर्द एवं वजन कम करने में भी मददगार है। इस सिद्धांत के अनुसार हम जो कुछ भी खाते हैं, वह अंत में एक मिनरल एसिड या एल्कली (Mineral Acid or Alkali) (खनिज अम्ल या क्षार) के रूप में परिवर्तित हो जाता है। हमारे शरीर की आवश्यकता एल्कलाइन यानी क्षार की ही होती है। अतः हमें अपने शरीर को अधिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थों के द्वारा होने वाले पीएच ओवरलोड से बचाने का प्रयास करना चाहिए। भोजन में अत्यधिक शर्करा, मांसाहार, शराब, डेरी प्रोडक्ट, ब्रेड इत्यादि के सेवन से हमें बचना चाहिए। अत्यधिक मात्रा में एसिड ओवरलोड को नयूट्रलायज करने के लिए, शरीर हड्डियों से कैल्शियम एवम् मैग्नीशियम को लेने लगता है, ताकि शरीर का पीएच लेबल ठीक रहे। अतः हमें भोजन में उन फलों, शाक-सब्जियों का अधिक प्रयोग करना चाहिए, जिससे शरीर का पीएच लेबल ठीक रहे। आगे से भोजन में लें क्षारीय तत्वों को अधिक, जिससे आपका पाचन सहित जोड़ों का दर्द एवं वजन रहेगा नियंत्रित।

        मोटापा घटाने अचूक के उपाय

         मोटापा कम करने के आयुर्वेदिक उपाय - मोटापा घटाने के 18 रहस्य

        1. यदि आप ने मोटापा घटाने का प्‍लान नहीं बनाया तो समझिये कि आप कभी पतले नहीं हो सकते। एक असली गोल बनाइये कि आप कितने दिनों में कितना वजन कम कर सकते हैं। एक बात का ख्याल रखियेगा कि खुद को परेशानी में ना डालियेगा।
        2. नींद मोटापे से लड़ती है, रिसर्च के मुताबिक 7 से 8 घंटों की कम नींद भूख पैदा करती है, जिससे आप जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं और मोटापा बढ जाता है।
        3. कई लोग खाना भी 4 टाइम खाएंगे और स्‍नैक्‍स भी, यदि आपको मिनट-मिनट पर स्‍नैक्‍स खाने की आदत है तो खाना थोड़ा कम खाइये, क्‍योंकि इससे शरीर में कैलोरीज बढ जाती है।
        4. कई लोग बस दिन भर खाते रहते हैं और उन्‍हें पता ही नहीं होता कि वे कितना खाना खा जाते हैं। आपने दिन भर में कितना खाया उसका हिसाब रखिये।खूब चलिये: कार और बाइक होने के कारण बहुत से लोग पैर का उपयोग नहीं करते। वजन कम करने के लिये सीढ़ियों का प्रयोग करें। इसके अलावा अपना मन पसंद स्‍पोर्ट्स खेलें।
        5. 65 प्रतिशत लोग शुगर वाला पेय या कोल्‍ड्रिक्‍स आदि बहुत पीते हैं, जिससे पेट तो भरता नहीं बल्कि कैलोरी अलग से मिलती हैं।
        6. एक कडक डाइट पर जाना आपके दिमाग और शरीर पर दोनों पर ही भारी पड़ सकता है। इसलिये एक सफल डाइट प्‍लान पर टिके रहने के लिये हफ्ते में एक बार पिज्‍जा या चाउमीन खा सकते हैं। ऐसा करने से आप संतुष्ट बने रहेंगे और अपनी डाइट को अच्छे से फॉलो करेंगे।
        7. यदि आप पुरुष हों या फिर महिला, भारी वजन उठाने से आपका फैट बर्न होगा। इससे माँसपेशियां बनती हैं और शरीर का मैटाबॉलिज्‍़म बढता है। जब आप भारी वजन उठाते हैं तो आप बहुत तेजी से कैलोरीज़ बर्न करने लगते हैं।
        8. दोस्तों और रिश्तेदारों को खुद बताइये कि आप इन दिनों वजन कम कर रहे हैं, जिससे वे लोग भी आप का सपोर्ट करें।
        9. एक दिन में कई तरह के व्यायाम करें जैसे, 5 मिनट कार्डियो ट्रेडमिल, बाइक करने के तुरंत बाद डंबेल सर्किट, स्‍ट्रेचिंग और बेंट ओवर रो करें। इन व्यायामों को 8 बार लगातार करें।
        10. वेट लॉस करना है तो अपने आहार से पास्‍ता, चावल और ब्रेड आदि को हटा कर फल और सब्‍जियां शामिल करें। इससे अगर आप ज्यादा भी खाएंगे तो भी वजन नहीं बढेगा।
        11. यदि आपके पास जिम के लिये पैसे नहीं हैं तो घर पर ही रस्सी कूदिये। पहले 50 बार कूदिये और बाद में उसे बढ़ाकर 100 कर दीजिये।
        12. एक्सरसाइज करते वक्‍त केवल 10 से 30 सेकेंड का ही रेस्‍ट लें।
        13. यदि आप थका देने वाले व्यायामों को एक साथ मिला देंगे तो आपका वजन जल्दी कम होगा। यानी की पुशअप करते करते साथ में बुर्पी एक्‍सरसाइज कर लीजिये।
        14. जो लोग दिन में दो से तीन बार खाना खाते हैं उन्हें हफ्ते में 1 दिन उपवास जरूर रखना चाहिए। यह एक अच्छी टेक्निक है जिससे आप आराम से वजन कम कर सकते हैं।
        15. खूब ज्‍यादा फैट खाइये: रिसर्च में बताया गया है कि आपके भोजन में लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक वसा होना चाहिये। हाई फैट फूड जैसे, मेवे, एवोकाडो और तेल आदि आपको वजन कम करने में ज्‍यादा सहायता करेंगे। लेकिन अपने आहार में ट्रांस फैट यानी की जमा हुआ फैट ना लें।
        16. प्रोटीन खाने से मासपेशियां बनती हैं और फैट बर्न होता है। इसके अलावा पेट भी भरा रहता है।
        17. हम आपको शराबी बनने की हिदायत नहीं दे रहे हैं, बल्‍कि यह कह रहे हैं कि आप दिन भर में खूब सारा पानी पीजिये। इससे आपको भूख नहीं लगेगी और पेट भी भरा रहेगा। भोजन करने के पहले भी 1 गिलास पानी पीना चाहिये, इससे आप मोटापे से बचे रहेंगे।
        18. कई लोगों को अपने भोजन में ठीक मात्रा में प्रोटीन नहीं मिल पाती तो ऐसे में उन्‍हें प्रोटीन शेक पीना चाहिये। जितना वजन हो उससे दो गुना प्रोटीन का सेवन करना उचित माना गया है।

        वजन और मोटापा कम : अपनायें दस नुस्खे

        1. नीबू का रस 15 ग्राम, 15 ग्राम शहद व 125 ग्राम गरम पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट 2 या 3 महीने तक लगातार पीये मोटापा कम होगा।
        2. अधिक मीठा व अधिक नमक न लें; नमक व मीठा दोनों एकदम बन्द कर देने से मोटापा तीव्रता से कम होता है।
        3. तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद व दो चम्मच शहद एक गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिन पीने से मोटापा कम होता है।
        4. सोने से पहले कम से कम 2 घंटे पहले भोजन करें।
        5. खाने के बाद एक कप गरम पानी घूंट-घूंट चाय की तरह पिये, मोटापा कम होगा।
        6. दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी कम होती है। अत: दूध के बजाय दही या मट्ठे का सेवन करें।
        7. एक कप गाजर के रस में एक चौथाई कप पालक का रस मिलाकर पिएं, एक या दो महीने तक लगातार पीने से लाभ होगा।
        8. पैदल घूमने जायें व साइकिलिंग करें! मोटापा घटाने वाले आसन करने से विशेष लाभ होता है। जैसे-उत्तानपदासन; हलासन, धनुरासन, भुजंगासन, सूर्य नमस्कार आदि। सूर्य नमस्कार एक पूर्ण व्यायाम है, जो शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ रखता है व मोटापा कम करता है।
        9. नित्य प्रात: प्राणायाम या व्यायाम करें; प्राणायाम करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म सिस्टम ठीक होता है।
        10. अनामिका अंगुली के टॉप भाग पर अंगूठे से दबाकर कम से कम 5 मिनट तक एक्यूप्रेशर करे; दिन में दो या तीन बार ऐसा कर सकते हैं! शरीर का वेट संतुलित रहेगा। 
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        ईशावास्‍योपनिषद् Isavasyopanishad भावार्थ एवं अनुवाद सहित



        ईशावास्योपनिषद (अनुवाद एवं अर्थ सहित)
        ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
        पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते
        ॥ ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॥

        ॥ अथ ईशोपनिषत् ॥

        ॐ ईशा वास्यमिदँ सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।
        तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ॥१॥
        अनुवाद :- अखिल विश्व मे जो कुछ भी गतिशील अर्थात चर अचर पदार्थ है, उन सब में ईश्वर अपनी गतिशीलता के साथ व्यस्त है उस ईश्वर से सम्पन्न होते हुए से तुम त्‍याग भावना पूर्वक भोग करो। आसक्त मत हो कि धन अथवा भोज्य पदार्थ किसके है अथार्थ किसी के भी नही है ? अत: किसी अन्‍य के धन का लोभ मत करो क्योंकि सभी वस्तुएं ईश्वर की है। तुम्हारा क्या है क्या लाये थे और क्या ले जाओगे।

        कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतँ समाः।
        एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे ॥२॥
        अनुवाद:- इस भौतिक जगत में शास्‍त्र निर्दिष्ट अर्थात अग्निहोत्र आदि कामों को करते हुए एक सौ वर्ष तक जीने की इच्छा करें यह मनुष्य की अधिकतम आयु है इस प्रकार मनुष्य स्‍वाभिमानी कर्म लिप्त नहीं होगे। इसके अतिरिक्त दूसरा मार्ग भी नही है।

        असुर्या नाम ते लोका अन्धेन तमसाऽऽवृताः।
        तांस्ते प्रेत्याभिगच्छन्ति ये के चात्महनो जनाः ॥ ३ ॥
        अनुवाद:- वे असुर सम्बन्धी लोक आत्मा के अदर्शन रूप अज्ञान से आच्छादित हैं। जो कोई भी आत्मा का हनन करने वाले हैं वे आत्मघाती जीव मरने के अनन्तर उन्हीं लोकों में जाते हैं। (अर्थात जो कोई भी आत्महत्या अथवा आत्मा के विरुद्ध आचरण करते हैं वे निश्चित रूप से प्रेत-लोक में जाते हैं।

        अनेजदेकं मनसो जवीयो नैनद्देवा आप्नुवन्पूर्वमर्षत्।
        तद्धावतोऽन्यानत्येति तिष्ठत्तस्मिन्नपो मातरिश्वा दधाति ॥ ४ ॥
        वह आत्मतत्त्व अपने स्वरूप से विचलित न होने वाला, एक तथा मन से भी तीव्र गति वाला है। इसे इंद्रियां प्राप्त नहीं कर सकतीं क्योंकि यह उन सबसे पहले (आगे) गया हुआ है। वह स्थिर होने पर भी अन्य सब गतिशीलों को अतिक्रमण कर जाता है। उसके रहते हुए ही वायु समस्त प्राणियों के प्रवृत्ति रूप कर्मों का विभाग करता है ॥4॥

        तदेजति तन्नैजति तद्दूरे तद्वन्तिके।
        तदन्तरस्य सर्वस्य तदु सर्वस्यास्य बाह्यतः ॥ ५ ॥
        वह आत्मतत्त्व चलता है और नहीं भी चलता। वह दूर है और समीप भी है। वह सबके अंतर्गत है और वही इस सबके बाहर भी है (अर्थात वह परमात्मा सृष्टि के कण कण में व्याप्त है

        यस्तु सर्वाणि भूतान्यात्मन्येवानुपश्यति।सर्वभूतेषु चात्मानं ततो न विजुगुप्सते ॥ ६ ॥
        जो सम्पूर्ण प्राणियों को आत्मा मे ही देखता है और समस्त प्राणियों में भी आत्मा को ही देखता है, वह इस [सार्वात्म्यदर्शन]- के कारण ही किसी से घृणा नहीं करता ॥6॥

        यस्मिन्सर्वाणि भूतान्यात्मैवाभूद्विजानतः।
        तत्र को मोहः कः शोक एकत्वमनुपश्यतः ॥ ७ ॥
        जिस अवस्था में विशेष ज्ञान प्राप्त योगी की दृष्टि में सम्पूर्ण चराचर जगत परमात्मा ही हो जाता है उस अवस्था में ऐसे चित्र देखने वाले को कहाँ मोह और कहाँ शोक ?

        स पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रण-मस्नाविरं शुद्धमपापविद्धम्।
        कविर्मनीषी परिभूः स्वयम्भू-र्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्यः समाभ्यः ॥ ८ ॥
        वह ईश्वर सर्वत्र व्यापक है,जगदुत्पादक,शरीर रहित,शारीरिक विकार रहित,नाड़ी और नस के बन्धन से रहित,पवित्र,पाप से रहित, सूक्ष्मदर्शी,ज्ञानी,सर्वोपरि वर्तमान,स्वयंसिद्ध,अनादि,प्रजा (जीव) के लिए ठीक ठीक कर्म फल का विधान करता है|

        अन्धं तमः प्रविशन्ति येऽविद्यामुपासते।
        ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायां रताः ॥ ९ ॥
        जो अविद्या (कर्म)- की उपासना करते हैं वे [अविद्यारूप] घोर अंधकार में प्रवेश करते हैं और जो विद्या (उपासना)-में ही रत हैं वे मानों उससे भी अधिक अंधकार मे प्रवेश करते हैं।

        अन्यदेवाहुर्विद्ययाऽन्यदाहुरविद्यया।
        इति शुश्रुम धीराणां ये नस्तद्विचचक्षिरे ॥ १० ॥
        विद्या (ज्ञान)-से और ही फल है तथा अविद्या (कर्म)-से और ही फल है। ऐसा हमने बुद्धिमान् पुरुषों से सुना है, जिन्होने हमारे प्रति उसकी व्यवस्था की थी ॥१०॥

        विद्यां चाविद्यां च यस्तद्वेदोभयं सह।
        अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययाऽमृतमश्नुते ॥ ११ ॥
        जो विद्या और अविद्या-इन दोनों को ही एक साथ जानता है, वह अविद्या से मृत्यु को पार करके विद्या से अमरत्व प्राप्त कर लेता है ॥११॥

        अन्धं तमः प्रविशन्ति येऽसम्भूतिमुपासते।
        ततो भूय इव ते तमो य उ सम्भूत्यां रताः ॥ १२ ॥
        जो कारण प्रकृति कारण (अव्यक्त प्रकृति) की उपासना करते हैं वे गहरे अंधकार में प्रवेश करते हैं |और जो कार्य प्रकृति (व्यक्त प्रकृति) में रमते हैं वे उससे भी अधिक अंधकार को प्राप्त होते हैं ॥१२॥

        अन्यदेवाहुः सम्भवादन्यदाहुरसम्भवात्।
        इति शुश्रुम धीराणां ये नस्तद्विचचक्षिरे ॥ १३ ॥
        हिरण्यगर्भ की उपासना से और ही फल बताया गया है; तथा अव्यक्त प्रकृति की उपासना से और फल बताया गया है। इस प्रकार हमने बुद्धिमानों से सुना है ,जिन्होंने हमारे प्रति हमें समझाने के लिए उनकी व्याख्या की थी।

        संभूतिं च विनाशं च यस्तद्वेदोभयं सह।
        विनाशेन मृत्युं तीर्त्वा सम्भूत्याऽमृतमश्नुते ॥ १४ ॥
        जो असम्भूति (अव्यक्त प्रकृति) और संभूति (हिरण्यगर्भ ) को साथ साथ जानता है; वह कार्य ब्रह्म की उपासना से मृत्यु को पार करके असम्भूति के द्वारा प्रकृति लय रूप अमरत्व को प्राप्त कर लेता है।

        हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्।
        तत्त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ॥ १५ ॥
        सत्य (आदित्य मण्डलस्थ ब्रह्म) का मुख ज्योतिर्मय पात्र से ढका हुआ है। हे पूषन मुझ सत्या धर्मा को आत्मा की उपलब्धि कराने के लिए तू उसे उघाड़ दे।

        पूषन्नेकर्षे यम सूर्य प्राजापत्य व्यूह रश्मीन् समूह तेजः।
        यत्ते रूपं कल्याणतमं तत्ते पश्यामि योऽसावसौ पुरुषः सोऽहमस्मि ॥ १६ ॥
        हे जगत पोषक सूर्य ! हे एकाकी गमन करने वाले ! , यम (संसार का नियमन करने वाले), सूर्य (प्राण और रस का शोषण करने वाले), हे प्रजापति नंदन ! आप ताप (दुःखप्रद किरणों को) हटा लीजिये और आपका अत्यन्त मंगलमय रूप है उस को मैं देखता हूं जो वह पुरुष (आदित्य मण्डलस्थ) है वह मैं हूं॥16॥

        वायुरनिलममृतमथेदं भस्मांतं शरीरम्।
        ॐ क्रतो स्मर कृतं स्मर क्रतो स्मर कृतं स्मर ॥ १७ ॥
        मेरा प्राण सर्वात्मक वायु रूप सूत्रात्मा को प्राप्त हो क्योंकि वह शरीरों में आने जाने वाला जीव अमर है ;और यह शरीर केवल भस्म पर्यन्त है इसलिये अंत समय में हे मन ! ओ३म् का स्मरण कर, अपने द्वारा किए हुए कर्मों स्मरण कर, ॐ का स्मरण कर, अपने द्वारा किये हुए कर्मों का स्मरण कर॥१७॥

        अग्ने नय सुपथा राये अस्मान् विश्वानि देव वयुनानि विद्वान्।
        युयोध्यस्मज्जुहुराणमेनो भूयिष्ठां ते नम उक्तिं विधेम ॥ १८ ॥
        हे अग्निदेव ! हमें कर्म फल भोग के लिए सन्मार्ग पर ले चल। हे देव तू समस्त ज्ञान और कर्मों को जानने वाला है। हमारे पाखंड पूर्ण पापों को नष्ट कर। हम तेरे लिए अनेक बार नमस्कार करते है।

        ॥ इति ईशोपनिषत् ॥

        ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते।
        पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥

        ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॥

        ईश्वर का निरंतर स्मरण करते हुए निष्काम कर्म करना।अखिल ब्रह्माण्ड में जो भी जड़-चेतन पदार्थ हैं, यह सारे ईश्वर से व्याप्त हैं। ईश्वर का स्मरण करते हुए त्यागपूर्वक उनका भोग करो, उनमें आसक्त मत होइए, क्योंकि धन और भोग्य पदार्थ किसके हैं अर्थात किसी के नहीं हैं। इस प्रकार कर्म करते हुए सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करनी चाहिये। ऐसे कर्म तुम में लिप्त नहीं होंगे। इससे भिन्न और कोई मार्ग नहीं है जिससे मनुष्य कर्म-बन्धन से मुक्त हो सके।


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