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भाजपा में शामिल हुए 200 से अधिक मुसलमान
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उत्तर प्रदेश के कुछ रोचक तथ्य
उत्तर प्रदेश एक सामान्य अवलोकन
- उत्तर प्रदेश का राज्य दिवस – 26 नवम्बर
- उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी – सारस।
- उत्तर प्रदेश का राज्य पशु – बारहसिंगा।
- उत्तर प्रदेश का राज्य फूल -पलाश।
- उत्तर प्रदेश का राज्य वृक्ष – अशोक
- उत्तर प्रदेश की राजधानी – लखनऊ
- उत्तर प्रदेश की राज्य भाषा – हिंदी
- उत्तर प्रदेश के कुल जिले – 76
- उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री – गोविन्द वल्लभ पन्त
- उत्तर प्रदेश के प्रथम राजपाल – सरोजिनी नायडू
- उत्तर प्रदेश के राज्यसभा सीटो की संख्या – 31
- उत्तर प्रदेश के लोकसभा सीटो की संख्या – 80
- उत्तर प्रदेश के विधानसभा सीटो की संख्या – 404
- उत्तर प्रदेश की जमीन पर इंसानों का इतिहास 4000 साल से भी पुराना है। कहा जाता है कि आर्यों को उत्तर प्रदेश की मिट्टी से बेहतर मिट्टी कहीं नहीं मिली और वो यहीं बस गए। यहीं उन्हें गंगा का पानी भा गया।
- उत्तर प्रदेश को वैदिक काल में ब्रह्मर्षि प्रदेश या मध्य देश के नाम से जाना जाता था।
- उत्तर प्रदेश भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्क्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र एवं वाल्मीकि जैसे ऋषि मुनियों की तपो भूमि रहा है।
- आर्यों द्वारा कई पवित्र ग्रन्थ इसी भूमि पर लिखे गये है।
- भारत के दो महाकाव्य -रामायण और महाभारत कथा भी इसी क्षेत्र में लिखी गयी है।
- रामायण और महाभारत के प्रेरणा स्त्रोत भगवान राम और श्रीकृष्ण की जन्मभूमि भी यही है।
- ईसा पूर्व छठी शताब्दी में उत्तर प्रदेश दो नये धर्मो (जैन और बौध) के सम्पर्क में आया।
- महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी के पास सारनाथ में दिया।
- महात्मा बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के ही नगर कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया था।
- इतिहास की बात करें, तो प्राचीन समय में भारत देश 16 महा जनपदों में बंटा था। इनमें से 7 महा जनपद उत्तर प्रदेश की धरती पर थे।
- उत्तर प्रदेश की धरती से ही बौद्ध और जैन धर्म समूची दुनिया में फैले। कुशीनगर में बुद्ध को महानिर्वाण प्राप्त हुआ। तो आखिरी बड़े सम्राट हर्ष वर्धन की नगरी कन्नौज भी उत्तर प्रदेश में है।
- अंग्रेजों द्वारा 1775, 1798 और 1801 में नवाबों से छीने, 1803 में सिंधिया और 1816 में गोरखों से छीने गए क्षेत्रों को पहले बंगाल प्रेज़िडेन्सी के अन्तर्गत रखा, लेकिन 1833 में इन्हें अलग करके पश्चिमोत्तर प्रान्त (आरम्भ में आगरा प्रेज़िडेन्सी) गठित किया गया।
- 1856 ई। में कम्पनी ने अवध पर अधिकार कर लिया और आगरा एवं अवध को संयुक्त प्रान्त (वर्तमान उत्तर प्रदेश की सीमा के समरूप) के नाम से इसे 1877 ई। में पश्चिमोत्तर प्रान्त में मिला लिया गया।
- सन 1902 में नार्थ वेस्ट प्रॉविन्स का नाम बदल कर यूनाइटेड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे यूपी कहा गया।
- सन् 1920 में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ कर दिया गया। प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक न्यायपीठ स्थापित की गयी।
- 1950 में नए संविधान के लागू होने के साथ ही 12 जनवरी सन 1950 को इस संयुक्त प्रान्त का नाम उत्तर प्रदेश रखा गया और यह भारतीय संघ का राज्य बना। उत्तर प्रदेश का अधिकतम हिस्सा अवध राज्य के अधीन था। अवध यानी आज का मध्य उत्तर प्रदेश का हिस्सा। इस हिस्से में लखनऊ से फैजाबाद तक का भूभाग आता था।
- 1902 में इसका नाम बदलकर संयुक्त प्रान्त कर दिया गया।
- उत्तर प्रदेश का पुराना नाम: 1950 से पहले उत्तर प्रदेश अस्तित्व में ही नहीं था, सन 1950 में इस राज्य का नाम उत्तर प्रदेश पड़ा। उससे पहले उत्तर प्रदेश युनाइटेड प्रॉविंस के नाम से जाना जाता था।
- उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) स्थापना 01 अप्रैल 1937 में अंग्रेज राज के दौरान हुयी लेकिन इसका नामकरण 1950 में हुआ था।
- उत्तर प्रदेश जनसंख्या: उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ से अधिक है। इस तरह दुनिया के सिर्फ 5 देश ही उत्तर प्रदेश राज्य से अधिक आबादी वाले देश हैं। ये 5 देश हैं चीन, संयुक्त राज्य अमरीका, इंडोनेशिया, ब्राज़ील और स्वयं भारत।
- उत्तर प्रदेश की जितनी आबादी है, उतनी आबादी में समूचे ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में भी नहीं है।
- उत्तर प्रदेश में कितने जिले है: 76
- उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला: लखीमपुर
- उत्तर प्रदेश भारत का एकमात्र राज्य है जिसकी सीमा सबसे अधिक राज्यों से जुडी हुयी है। उत्तर प्रदेश की सीमा अन्य नौ राज्यों से जुडी हुयी है।
- प्रदेश के उत्तर में उत्तराखंड और नेपाल, दक्षिण में मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, दक्षिण पश्चिम में राजस्थान ,पूर्व में बिहार झारखंड और पश्चिम में हरियाणा एवं दिल्ली है।
- प्रदेश में विन्ध्य, शिवालिक, और कैमूर पहाड़िया है।
- उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना, गोमती, रामगंगा, घाघरा, गंडक, टोंस, बेतवा काली या शारदा, चम्बल, सिंध, केन सोन, राप्ती प्रमुख नदिया है।
- प्रदेश की करीब 73 प्रतिशत जनसंख्या का मुख्य व्वयसाय कृषि है।
- उत्तर प्रदेश में देश का सर्वाधिक गन्ना उत्पादित किया जाता है।
- यहा पर दाले , तिलहन , पटसन , आलू का उत्पादन भी बहुतायत किया जाता है।
- चमडा , कांच के सामान ,जूट ,चीनी ,सीमेंट , खाधय तेल ,सूती वस्त्र ,रेशमी वस्त्र ,उनी वस्त्र ,एलुमिनियम , इंजीनियरिंग समाना एवं अन्य उद्योग स्थापित है।
- खनिजो में कोयला, ताम्बा, फायर क्ले, चुना-पत्थर, जिप्सम, डोलोमाईट, मैगनेजाईट, बोक्सोईट, फास्पोराईट, डायोस्पार और पायरोफेलाईट प्रमुख रूप से पाए जाते है।
- यहा हिन्दुओ के प्रमुख त्योहारों में होली ,शीतला अष्टमी ,रक्षा बंधन ,बैसाखी पूर्णिमा ,गंगा दशहरा ,कृष्ण जन्माष्टमी , नाग पंचमी ,रामनवमी ,गणेश चतुर्थी ,दिवाली और शिवरात्री शामिल है।
- मुस्लिम ईद , बकरीद ,बाराहवफात और शब-ए-बरात मनाते है।
- मथुरा के निकट स्थित बरसाना की लट्ठमार होली काफी प्रसिद्ध है।
- इलाहाबाद में प्रत्येक बारहवे वर्ष कुम्भ मेला लगता है जो दुनिया का सबसे बड़ा मेला है।
- इसके अलावा इलाहाबाद में प्रत्येक 6 साल में अर्ध कुम्भ मेले का आयोजन होता है।
- इलाहाबाद में ही हर साल जनवरी में माघ मेला भी आयोजित होता है जिसमे बड़ी संख्या में लोग संगम में डुबकी लगाते है।
- अन्य मेलो में मथुरा ,वृंदावन एवं अयोध्या के झुला मेले शामिल है।
- आगरा जिले के बटेश्वर में पशुओ का प्रसिद्ध मेला लगता है।
- आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, मुरादाबाद, मुगलसराय, वाराणसी, टूंडला, गोरखपुर, फैजाबाद, बरेली, सीतापुर और गोंडा जंक्शन है।
- इसके अलावा चार घरेलू हवाई अड्डे आगरा ।इलाहाबाद ,गोरखपुर और कानपुर में है।
- उत्तर प्रदेश रेलवे नेटवर्क में भारत में प्रथम स्थान पर है।
- उत्तर प्रदेश से 42 राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते है जिनकी कुल लम्बाई 4,942 किमी है।
- राज्य में रेलमार्गों की कुल लम्बाई 8,546 किमी है।
- लखनऊ का चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा और वाराणासी का लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे है। जिसमे से लखनऊ का हवाई अड्डा भारत का दूसरा सबसे व्यस्ततम हवाई अड्डा है।
- अगर आपको स्वीटजरलैंड में गाय के गले में बंधी घंटिया लुभाती हैं, तो उन्हे देखकर वॉउ करने से पहले यूपी के बारे में जान लें कि यूपी के एटा जिले के एक गांव जालेसर से हर साल भारी मात्रा में इन पीतल की घंटियों को बनाकर विदेशों में भेजा जाता है।
- इलाहाबाद कुम्भ मेले में लगभग 12 करोड़ लोग आते है। विश्व का यह ऐसा मेला है जहा सबसे अधिक लोग आते है।
- इलाहाबाद हाई कोर्ट भारत का सबसे पुराना हाई कोर्ट है।
- उत्तर प्रदेश का जीडीपी लगभग 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2014-2015) है, जो आइसलैंड, मोनाको, बांग्लादेश, स्लोवाकिया, ओमान, अंगोला, हंगरी और कई अन्य देशों से अधिक है।
- उत्तर प्रदेश की जनसँख्या इन देशो (सिंगापुर, स्लोवाकिया, नार्वे, फिनलैंड, डेनमार्क, ओमान, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, पनामा, कुवैत, लिथुआनिया, कतर) की जनसँख्या से भी अधिक है।
- उत्तर प्रदेश की विधानसभा और विधानपरिषद में भारत देश के संसद की तरह ही एंग्लो-इंडियन के लिए सीटें आरक्षित हैं। विधानसभा और विधानपरिषद में एक एक सीटें आंग्ल-भारतीयों के लिए सुरक्षित हैं।
- उत्तर प्रदेश में काफी सारे धार्मिक स्थल है जैसे कि इलाहाबाद, वाराणसी, लखनऊ, आगरा, गोरखपुर, अयोध्या, मथुरा, बृन्दावन और भी कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
- उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें(80) और सर्वाधिक राज्यसभा सीटें(31) हैं। जो देश की राजनीति की दिशा और दशा तय करते हैं।
- उत्तर प्रदेश से ही निकला कथक नृत्य समूची दुनिया मे अपनी पहचान रखता है।
- उत्तर प्रदेश ही तमाम बोलियों की शुरुआत की जमीन है। ब्रज और अवधी के साथ ही 40 अन्य बोलियां उत्तर प्रदेश में बोली जाती हैं।
- जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी, वी पी सिंह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी।। कुल 14 में से 9 प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश की धरती से आए।
- पारिजात वृक्ष, लखनऊ से 40 किमी। की दूरी पर है, जो सारी दुनिया में अपनी तरह का अलग वृक्ष है। इस वृक्ष को इसके फूलों के लिए जाना जाता है जो हर दिन अपना रंग बदलते हैं। लोग मानते है कि भगवान कृष्ण की दूसरी पत्नी के लिए यह वृक्ष स्वर्ग से आया था।
- भारत सरकार का चिन्ह् मौर्य सम्राट अशोक के द्वारा उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निकट सारनाथ में बनवाया गया था, जिसे 1947 के बाद भारत सरकार ने अपना चिन्ह बना लिया था।
- भौगोलिक स्थिति को देखें तो यह भारत जैसी भौगोलिक विविधता लिए हुए है, उत्तर में पहाड़, पश्चिम में रेगिस्तान, बीच अवध वाले इलाके में सर्वश्रेष्ठ दोमट मिट्टी, तो दक्षिण में पठारी इलाका। उत्तर में चिकनी मिट्टी और घने जंगल। इस तरह से उत्तर प्रदेश सर्वाधिक जैव विविधता वाला राज्य भी रहा।
- यूपी के कन्नौज जिले में इत्र भारी मात्रा में बनाया जाता है। अगर आप कभी इस शहर से गुजरे तो गुलाबों की खुशबु हवा में आसानी से महसूस की जा सकती है। यहां के खेतों में फसल से ज्यादा फूलों जैसे – गुलाब, गेंदा और मेंहदी की पैदावार होती है।
- यूपी के कानपुर में होली का पर्व सिर्फ एक दिन ही नहीं बल्कि पूरे दस दिन मनाया जाता है, यहां गंगा मेला लगने तक लोग रोज एक-दूसरे पर रंग डालते हैं, वहीं मथुरा में लट्ठमार होली खेली जाती है।
- यूपी के महाराजगंज में ऐसा समोसा बना है जिससे जिले का नाम विश्व पटल पर अंकित हो गया हैं। यहां के युवाओं ने विश्व का सबसे बड़ा समोसा बनाकर गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है।
- यूपी में भारत की सबसे ज्यादा तम्बाकू और बीड़ी बनाई जाती है। यहां के कासंगज इलाके में तम्बाकू की खेती उच्च स्तर पर होती है और गुरसहायगंज इलाके के हर घर में सिर्फ बीड़ी बनाने का काम होता है। यहां से सारी दुनिया को इन नशीले पदार्थो को भेजा जाता है।
- संगीत की कई विधाओं का जन्म यूपी में ही हुआ था, अकबर के दरबार के तानसेन और बैजू बावरा ने उत्तर प्रदेश में संगीत कला को एक उच्च स्थान का दर्जा दिलवाया। तबले और सितार का विकास भी इसी राज्य में हुआ था।
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भाजपा के यज्ञदत्त शर्मा विजयी
प्रथम वरीयता मतों की गणना में भाजपा के डा. यज्ञदत्त शर्मा को 9957, निर्दलीय डा.बाबूलाल तिवारी 7927 व शिक्षक नेता लवकुश कुमार मिश्रा को 4811, कांग्रेस के प्रदीप कुमार मिश्र को 3646, सपा के मुनेश्वर मिश्र को 1316, इण्डियन जस्टिस पार्टी के इन्द्रेश कुमार सोनकर को 116 मतों पर सन्तोष करना पड़ा। निर्दलीय प्रत्याशियों में अमर सिंह राठौर 2043, रामआसरे पटेल 1073, गया प्रसाद पटेल 1508, मुनेश्वर मिश्र 1316, केशव देव त्रिपाठी 1233, शरद श्रीवास्तव 1179 मत हासिल कर सके।
गौर तलब हो कि श्री शर्मा इलाहाबाद के मीरापुर के रहने वाले है, और 2001 तक सेवा समिति विद्यामन्दिर के प्रधानाचार्य रहे है। भाजपा को चारों ओर उत्तर प्रदेश में मिल रही हार से उक्त जीत से काफी रहत मिली है और निश्चित रूप से नये ऊर्जा का संचार होगा।
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ओए हँस ले
बंता: मेरी बीवी मुझे छोड़ के चली गई।
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स्नातक शिक्षा उपधिधारियो से निवेदन
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बोलो बजरंगबली की जय - हनुमान जी के जन्म की कथा और चित्र
हनुमान जी के जन्म की कथा - चैत्र पूर्णिमा को हुआ था हनुमानजी का जन्म
हनुमानजी बहुत ही चंचल थे। वह जब चाहें जहां चाहें पहुंच जाते थे और जो मन में आता वह कर डालते थे। हनुमानजी की शरारतों से आश्रमों में रहने वाले ऋषि-मुनि परेशान रहते थे। इस पर ऋषि-मुनियों ने हनुमानजी को श्राप दिया कि जिस बल के कारण तुम इतने शरारती हो गए हो उसी को लंबे समय तक भूले रहोगे जब कोई तुम्हें तुम्हारे बल के बारे में याद दिलाएगा तभी तुमको सब याद आएगा। इस श्राप के कारण हनुमानजी का स्वभाव शांत और सौम्य हो गया।
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आज राष्ट्रीय शर्म दिवस है
आज मुझे मनमोहन नीत सरकार को, चीनी सरकार का ऐजेंट कहने में जरा भी हिचक नही है। एक तरफ तिब्बती जनता का दमन किया जा रहा है वही भारतीय सरकार चीन के जश्न में जाम पे जाम लिये जा रही है। आज की सत्ता की घिनौनी हरकत ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है। एक पराये देश की दमन कारी नीति के सर्मथन में पूरी दिल्ली को कफ्यू ग्रस्त जैसा महौल कर दिया है। देश के गृहमंत्रालय भी ''चीनी मेहरिया'' (मशाल) के दर्शन कोई नागरिक न कर ले इस लिये, सभी सरकारी इमारतों की राजपथ की ओर खुलने वाली खिड़कियां व दरवाजे बंद रहेंगे। पीएमओ, वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय भी राजपथ पर हैं इसलिए यह नियम उन पर भी लागू होगा।
कितनी शर्म की बात है कि यह प्रधानमंत्री कार्यालय से भी इस मशाल को दूर रखा गया, शायद सोनिया-मनमोहन सरकार को अपने कार्यालय पर ही भरोसा नही है। इस र्निलज्ज सरकार में कम से थोड़ा तो पानी रहा नही तो राष्ट्रपति भवन को भी न छोड़ते।
कई सितारों ने इस मशाल दौड़ का बहिष्कार किया वे बधाई के पात्र है सबसे अधिक भूटिया जिन्होने सरकार की नीति ही नही सरकारी नुमाइन्दों के मुँह पर खीच खीच के तमाचे मारे है। भूटिया स्पष्टता से कहा कि तिब्बती दमन के अपराधी के उत्सव में मै भाग नही लूँगा। भूटिया का कहना स्वाभाविक है वह सिक्किम से जुडे है जिसे चीन अपना अंग मानता है।
हमारी सरकार एक औरत के छत्रछाया में चूडि़यॉं पहन के बैठी है। इसके मंत्री अरूणाचल जाते है तो सिर्फ यह घोषण करने की ''अरूणाचल भारत का अभिन्न अंग है।'' अरूणाचल तो भारत का अंग है ही उसे बताने की क्या जरूरत है। मै सच में एक बात कहना चहाता हूँ कि अगर ऐसे मंत्री की सुरक्षा न हो तो अरूणाचल ही नही पूरे भारत में जूतियाये जाये। भारत का अंग वास्तव में सिक्किम और अरूणाचल तब होगे कि वहाँ पर कुछ काम हो। किन्तु काम के नाम पर इन ''नमक चोरों'' की जेब खाली हो जाती है। आज भी देश के दोनो प्रदेश रेल यातायात से अछूते है। क्या संसाधनों की कमी के बल पर भारत के अंग बनाये रखेगें?
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इलाहाबाद चिट्ठकार मिलन - ब्लागरों बारात की तैयारी करो लड़का तैयार है
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इलाहाबाद चिट्ठाकार मिलन में संशोधन
कार्यक्रम पूर्ण विवरण
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इलाहाबाद चिट्ठाकार मिलन कार्यक्रम का आमंत्रण
इस चिट्ठाकार मिलन कार्यक्रम के लिये, इलाहाबाद और आस-पास के ब्लागर बन्धु भी आंमत्रित है। इस कार्यक्रम के लिये इच्छुक चिट्ठकार बन्धु दिनॉंक 11/4/2008 की शाम 7 बजे तक मुझे इस नम्बर पर या रामचन्द्र मिश्र जी को (9919824795) पर सूचित करने का कष्ट कीजिए।
अभी तक इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिये निम्न नाम अनुमति प्रदान कर चुके है - सर्वश्री ज्ञानदत्त पान्डेय, श्री संतोष कुमार पान्डेय, श्री राम चन्द्र मिश्र, श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह, श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह, श्री ताराचन्द्र गुप्ता, श्री शिवकुमार गुप्ता एवं मै स्वयं।
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भारतीय मुस्लिम नेतृत्व - भय बिन प्रीत न होत गुंसाई
यह मुस्लिम नेता रोषपूर्वक अपने को सौ प्रतिशत भारतीय होने का दावा करते है। साथ ही साथ काश्मीर पर पाकिस्तान के दावे के पक्ष में तर्क देते सुने जाते है। आसाम में पाकिस्तानी काश्मीर घुसपैठियों को भारतीय मुसलमान मुस्लिम सिद्ध करते दिखाई देते है। कहने को उनका हिन्दुओं से कोई मनोमालिन्य नही किन्तु साथ ही साथ यह फतवा भी जारी करते है कि नेहरू के मृत्योंपरानत उनके शव के पास कुरान का पाठ इस्लाम के विरूद्ध है क्योकि काफिर के शव पर कुरान नही पढ़ी जा सकती। वह जाकिर हुसैन को भारत का राष्ट्रपति तो देखना चाहते है किन्तु अच्छा मुसलमान होने के नाते उनके हिन्दु में शपथ और शंकराचार्य से आशीर्वाद लेने प आपत्ति करते है।
प्रस्तुत वाक्य हामिद दलवई के है जो मुस्लिम पॉलिटिक्स इन सेक्युलर इंडिया, पृ. 47 से उद्धृत है। इस वाक्य से मुसलिम नेतृत्व की का सही रूप सामने दिखता है। जो नेहरू की मृत्यु से लेकर आज तक की सत्ता सर्घष में हावी है। यह कांग्रेस उसी मुसलिम कौम को उठाने का असफल प्रयास कर रही है जो अपनी रूढि़ विचारों से कभी नही उठ सकती है। सोनिया को लगता है कि वह 18 प्रतिशत मुसलमानों के बल पर वह चुनाव जीत लेगी तो यह उनकी सबसे बड़ी राजनैतिक अपरपिक्वता की निशानी है, वह दिन दूर नही जब राष्ट्रवाद का स्वाभिमान जागृत होगा और देश में राष्ट्रवाद के नेतृत्व की सरकार आयेगी। और तब देश में न सिर्फ मुसलमान उन्नति करेगा अपितु पूरा देश उन्नति करेगा। जरूरत है उग्रता को सोंटा दिखने और सही मार्ग पर ले चलने की। क्योकि कहा गया है - भय बिन प्रीत न होत गुंसाई।
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गूगल पर प्रतिबन्ध तो नही लग गया है ?
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ब्रह्मचर्यासन से करें स्वप्नदोष, तनाव और मस्तिष्क के बुरे विचारों को दूर
ब्रह्मचर्यासन - प्राय: भोजन के बाद योगासन नहीं किये जाते किन्तु कुछ आसन ऐसे भी होते हैं जो भोजन के बाद भी किये जाते हैं। ऐसे ही आसनों में से एक है ब्रह्मचर्यासन। इस आसन को रात्रि-भोजन के बाद सोने से पहले करने से विशेष लाभ होता है। इस आसन को नियमित से करने के ब्रह्मचर्य-पालन में सहायता मिलती है जिससे अखंड ब्रह्मचर्य की सिद्धि होती है। यह आसन ब्रह्मचर्य की साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है इसलिए इस आसन को ब्रह्मचर्यासन का नाम दिया गया है। इस आसन से मानसिक संतुलन बनाकर मन को शांति प्रदान की जा सकती है। ब्रह्मचारी साधना का अनुपालन करने के लिए ब्रह्मचारी लोग इस आसन को लगाते है।
ब्रह्मचर्यासन की विधि Brahmacharyasana ki Vidhi
समतल भूमि पर दरी या कम्बल बिछाकर बैठ जाएं। अब दोनों पैरों के बीच में अंतर रखते हुए सामने की तरफ फैला दें। इसके बाद बाएं पैर को घुटने से मोड़कर शरीर की ओर खींच ले और दाहिने पैर की जंघा के पास रखें। अब बाएं पैर की एड़ी से दबाव बनाकर पैर के तलवे को जांघ से सटाकर अंगूठे व उंगलियों को दाहिने पैर के घुटने से दबा दें। अब दाहिने पैर को भी इसी तरह से मोड़कर बाएं पैर की जंघा और घुटने के बीच रखे ताकि एड़ी बायीं पैर की जंघा संधि पर दबाव बनाए तथा अंगूठे व उंगलियों के बीच आ जाएं। धड़ को सीधा और आराम की अवस्था में रखें। दोनों हाथों को सीधे फैलाकर घुटनों पर रख दें और हथेलियां खुली हुई व सीधी होनी चाहिए। तर्जनी उंगली और अंगूठा एक दूसरे से स्पर्श करते हुए रहने चाहिए।
ब्रह्मचर्यासन के लाभ : Brahmacharyasana ke Fayde / Benefits in hindi
- इस आसन द्वारा रक्त संचार सुचारु रूप से होने लगता है।
- इसके द्वारा वीर्य को संरक्षित करके वीर्य वृद्धि की जाती है।
- आधा सीसी दर्द के दौरान इस आसन से बहुत आराम मिलता है।
- यदि कोई अप्रिय घटना बहुत प्रयत्न करने के बाद भी नहीं भुलाई जा रही हो तो इस आसन का अभ्यास करने से कुछ दिनों व्यक्ति उस घटना को भूल सकता है।
- इस आसन से ब्रह्मचर्य साधकों में काम भाव और कामुकता के भाव ख़त्म हो जाते है और ब्रह्मचर्य पर भी नियंत्रण किया जा सकता है।
- इस आसन से युवावस्था में बहुत लाभ मिलते है इससे स्वप्नदोष, मस्तिष्क में बुरे विचार और तनाव जैसी समस्या से मुक्ति मिल सकती है।
- पचास वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति इस आसन द्वारा अलौकिक शक्ति को प्राप्त कर सकते है। 8. इस आसन से स्त्री और पुरुष दोनों को समान रूप से लाभ मिलता है।
Brahmacharyasana Yoga Mudra Health Benefits
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हिन्दू विवाह - संस्कार है या संविदा
हिन्दू विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें जो शरीर एकनिष्ठ हो जाते है, किन्तु वर्तमान कानून हिन्दू विवाह की ऐसी तैसी कर दिया है। हिन्दू विवाह को संस्कार से ज्यादा संविदात्मक रूप प्रदान कर दिया है जो हिन्दू विवाह के स्वरूप को नष्ट करता है। हिन्दू विवाह में कन्यादान पिता के रूप में दिया गया सर्वोच्च दान होता है इसके जैसा कोई अन्य दान नहीं है।
विवाह के पश्चात एक युवक और एक युवती अपना वर्तमान अस्तित्व को छोड़कर नर और नारी को ग्रहण करते है। हिन्दू विवाह एक बंधन है न की अनुबंध, विवाह वह पारलौकिक गांठ है जो जीवन ही नही मृत्यु पर्यन्त ईश्वर भी नही मिटा सकता है किन्तु भारत के कुछ बुद्धिजीवियों ने हिन्दू विवाह की रेड़ मार कर रख दी है इसको जितना पतित कर सकते थे करने की कोशिश की है। भगवान मनु कहते है कि पति और पत्नी का मिलन जीवन का नहीं अपितु मृत्यु के पश्चात अन्य जन्मों में भी यह संबंध बरकरार रहता है। हिन्दू विवाह पद्धति में तलाक और Divorce शब्द का उल्लेख नही मिलता है जहां तक विवाह विच्छेद का सम्बन्ध है तो उसके शब्द संधि द्वारा बनाया गया। अत: हिन्दू विवाह अपने आप में कभी खत्म होने वाला संबंध नहीं है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मानव जीवन को चार आश्रमों (ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, सन्यास आश्रम तथा वानप्रस्थ आश्रम) में विभक्त किया गया है और गृहस्थ आश्रम के लिये पाणिग्रहण संस्कार अर्थात विवाह नितांत आवश्यक है। हिंदू विवाह में शारीरिक संम्बंध केवल वंश वृद्धि के उद्देश्य से ही होता है।
वयस्कता प्राप्त करने पर,संतानों को मनमानी करने का फैसला निश्चित रूप से हिन्दू ही नहीं अपितु पूरे भारतीय समाज के लिये गलत था। क्या मात्र 18 वर्ष की सीमा पार करने पर ही पिछले 18 वर्षों के संबंध को तिलांजलि देने के लिये पर्याप्त है?
1914 के गोपाल कृष्ण बनाम वैंकटसर में मद्रास उच्च न्यायालय ने हिन्दू विवाह को स्पष्ट करते हुए कहा कि हिन्दू विधि में विवाह को उन दस संस्कारों में एक प्रधान संस्कार माना गया है जो शरीर को उसके वंशानुगत दोषों से मुक्त करता है।
इस प्रकार हम देखेंगे तो पाएंगे कि हिन्दू विवाह का उद्देश्य न तो शारीरिक काम वासना को तृप्त करना है वरन धार्मिक उद्देश्यों की पूर्ति करना है। आज हिन्दू विवाह को कुछ अधिनियमों ने संविदात्मक रूप प्रदान कर दिया है तो हिन्दू विवाह के उद्देश्यों को छति पहुँचाता है।
अभी बातें खत्म नहीं हुई और बहुत कुछ लिखना और कहना बाकी है। समय मिलने पर इस संदर्भ में बात करूँगा।
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